त्योहारों में इ-खरीदारी को बनाएं सुरक्षित
आज ऑनलाइन खरीदारी एक जरूरत बन गयी है. यहां कई चीजें सस्ते में और घर बैठे मिल जाती हैं. सबसे सुरक्षित उपाय है कैश-ऑन- डिलीवरी यानी सामान मिलने के बाद भुगतान. लेकिन यह सुविधा हमेशा नहीं मिल पाती और आपको कार्ड, ऑनलाइन/मोबाइल बैंकिंग के जरिये भुगतान करना पड़ता है. अगर आपको विक्रेता पर कुछ शक […]
आज ऑनलाइन खरीदारी एक जरूरत बन गयी है. यहां कई चीजें सस्ते में और घर बैठे मिल जाती हैं. सबसे सुरक्षित उपाय है कैश-ऑन- डिलीवरी यानी सामान मिलने के बाद भुगतान. लेकिन यह सुविधा हमेशा नहीं मिल पाती और आपको कार्ड, ऑनलाइन/मोबाइल बैंकिंग के जरिये भुगतान करना पड़ता है. अगर आपको विक्रेता पर कुछ शक है और सीओडी का विकल्प नहीं है, तो क्रेडिट कार्ड का ही इस्तेमाल करें.
घर बैठे खरीदारी करना बहुत सुविधाजनक है. एक क्लिक किया, अपने डेबिट/ क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया और खरीदारी हो गयी. क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ऑनलाइन खुदरा कारोबार बहुत तेजी से फल-फूल रहा है. अनुमान है कि सन 2016 तक यह 50,000 करोड़ को पार कर जायेगा. एसोचैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में ऑनलाइन खरीदारी करनेवालों की तादाद तेजी से बढ़ रही है और प्रति माह 5.34 करोड़ लोग ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं. यह सालाना 15 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है. साइबर अपराध रोकने के लिए नये-नये नियम-कानून जा रहे हैं, बैंक और ई-व्यापार कंपनियों द्वारा जागरूकता अभियान चलाये जा रहे हैं, इसके बावजूद हैकर और घोटालेबाज नकली साइटों आदि के इस्तेमाल से ग्राहकों को लूटने में कामयाब हो जा रहे हैं. वे बिल्कुल असली सी दिखनेवाली ई-व्यापार कंपनियों की वेबसाइट बना कर उपयोगकर्ता की व्यक्ति सूचनाएं जैसे क्रेडिट कार्ड का ब्योरा, फोन नंबर, पासवर्ड इत्यादि चुरा लेते हैं. इसके अलावा, ग्राहक कई बार जालसाज वेबसाइटों के चक्कर में फंस जाते हैं, जो सामान नहीं भेजती हैं या फिर घटिया या नकली माल भेज देती हैं. ई-खरीदारी को सुरक्षित बनाने के कुछ जरूरी नियम हम यहां बता रहे हैं.
पहले जांचे-परखें
भुगतान करने से पहले व्यापारिक साइट की साख और सच्चाई के बारे में बुनियादी खोज-बीन जरूर कर लें. पता करें कि साइट का ट्रैक रिकार्ड कैसा है और उसे उपयोग कर चुके लोगों की उसके बारे में क्या राय है. यह भी देखें कि वेबसाइट सुरिक्षत ट्रांजैक्शन के लिए प्रमाणित है या नहीं. बड़ी ई-कारोबार कंपनियां अच्छे सुरक्षा साफ्टवेयरों का इस्तेमाल करती हैं जो आपकी सूचनाओं को कोड में बदल देती हैं, जिससे इनके चोरी होने का खतरा नाम मात्र रह जाता है.
नये विक्रेताओं के साथ सतर्क रहें
अगर मामला किसी नये विक्रेता का हो, तो उसकी कंपनी के बारे में विश्वसनीय जानकारी मिल पाना थोड़ा कठिन होता है. नये विक्रेता को आजमाना चाहते हैं, तो पहले यह पता करें कि वह भौतिक रूप से कहां स्थित है. उसका पता और फोन नंबर वगैरह क्या है. उसकी विश्वसनीयता को आप ‘बेटर बिजनेस ब्यूरो’ और अन्य उपभोक्ता एजेंसियों के जरिये जांच सकते हैं. कई वेबसाइटें ऐसी हैं जो उत्पादों और उनकी कीमतों की तुलना करने का मंच उपलब्ध कराती हैं. एक एग्रीगेटर के रूप में ये केवल आपको विक्रेता की वेबसाइट पर ट्रांसफर कर देती हैं. ये विक्रेता द्वारा बेचे जानेवाले उत्पादों या उपलब्ध करायी जानेवाली सेवाओं के बारे में कोई जिम्मेदारी नहीं लेती हैं. जंगली.कॉम ई-व्यापार का एक जाना-माना वेबसाइट एग्रीगेटर है जो बाजार में जमे हुए खिलाड़ियों के अलावा नये ऑनलाइन विक्रेताओं को भी अपनी साइट पर दिखाता है. हालांकि, यह साइट ‘बाइ ऑन जंगली’ का विकल्प भी देती है जो ग्राहक को इसकी अनुमति देता है कि वह अपने अमेजन एकाउंट के जरिये ट्रांजैक्शन कर सके. किसी नये या कम चर्चित विक्रेता को इसी तरह के तृतीय पक्ष भुगतान विकल्प के जरिये भुगतान करना चाहिए.
शक हो तो..
ऐसी स्थिति में सबसे सुरक्षित है कैश-ऑन-डिलिवरी (सीओडी) भुगतान. अगर यह विकल्प उपलब्ध नहीं है, और आप फिर भी ऑर्डर करना ही चाहते हैं, तो बैंक खाते से सीधे भुगतान वाले तरीकों जैसे नेटबैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और डेबिट कार्ड से बचें. इसकी जगह क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करें. इससे आपको ट्रांजैक्शन को विवादित करार देने और अपने पैसे वापसी का दावा करने का मौका मिलेगा. आप अस्थायी वर्चुअल कार्ड का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसकी बैंक खास इसी मकसद के लिए पेशकश करते हैं. क्रेडिट कार्ड जारीकर्ता आपको एक बार वाला वैकल्पिक नंबर भी देते हैं, जिसका क्रेडिट कार्ड नंबर की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है.
आप फंस जाएं तो..
अगर आपके डेबिट/ क्रेडिट कार्ड की सूचनाएं चोरी कर अवैध निकासी हो जाये, तो तुरंत साइबर अपराधा शाखा या फिर स्थानीय पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करायें. अगर आपको भुगतान करने के बाद सामान नहीं मिलता है, घटिया सामान या सेवा मिलती है, या फिर बहुत ज्यादा देरी होती है, तो भी इसके लिए रास्ता है. किसी व्यापारी द्वारा आपके भुगतान के बदले में दिये गये सामान या सेवा को लेकर विवाद की स्थिति में ग्राहक के पास के पास विकल्प होता है कि वह कार्ड जारी करनेवाले बैंक या वित्तीय संस्थान से संपर्क करे. कार्ड प्रदाता व्यापारी के बैंक से संपर्क कर मामले की छानबीन करेगा और ‘पैसा वापसी’ (चाजर्बैक) की प्रक्रिया का इस्तेमाल कर विवाद का निबटारा करवाने का प्रयास करेगा. पैसा वापसी का दावा शुरू करने के लिए पहले आपको संबंधित व्यापारी के पास शिकायत दर्ज करानी होगी. अगर वह कोई संतोषजनक कदम नहीं उठाता है, तो आप आर्डर देने या डिलीवरी के 30 दिन के अंदर किये गये ट्रांजैक्शन के लिए चाजर्बैक प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं. विवाद दर्ज हो जाने के बाद कार्ड जारी करने वाला वित्तीय संस्थान व्यापारी से पैसे वापसी की मांग करेगा. यह काम वह व्यापारी के बैंक के जरिये करता है, जिसने भुगतान लिया है. समय के साथ ऑनलाइन सुरक्षा के नये-नये उपाय खोजे जा रहे हैं. पर धोखाधड़ी करने वाले भी शातिर होते जा रहे हैं. इसलिए अपने पैसे को महफूज रखना आपकी जिम्मेदारी है.