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बेहतर वातावरण बने

संपत मीणा पुलिस महानिरीक्षक (सं अप) अपराध अनुसंधान विभाग, झारखंड वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बाल हिंसा एवं बाल यौन शोषण एक गंभीर विश्वव्यापी समस्या बन गयी है. विभिन्न सर्वेक्षणों में यह तथ्य सामने आये हैं कि बच्चे न केवल घर के बाहर, बल्कि घर की चहारदीवारी के भीतर भी हिंसा व यौन शोषण का शिकार होते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 2, 2014 6:33 AM

संपत मीणा

पुलिस महानिरीक्षक

(सं अप)

अपराध अनुसंधान विभाग, झारखंड

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बाल हिंसा एवं बाल यौन शोषण एक गंभीर विश्वव्यापी समस्या बन गयी है. विभिन्न सर्वेक्षणों में यह तथ्य सामने आये हैं कि बच्चे न केवल घर के बाहर, बल्कि घर की चहारदीवारी के भीतर भी हिंसा व यौन शोषण का शिकार होते हैं.

दुनिया भर में बाल हत्या में भारत का स्थान (नाइजीरिया व ब्राजील के बाद) तीसरा है. भारत में 15 वर्ष आयु वर्ग की 22 प्रतिशत बालिकाएं शारीरिक प्रताड़ना व यौन शोषण/हिंसा का शिकार होती हैं. 6ू िके 2007 के अध्ययन के अनुसार, प्रत्येक दूसरा बच्चा यौन शोषण का शिकार होता है. प्रतिवर्ष 2-14 आयु वर्ग के बालकों में 10 में से छह उनके परिजन/ संरक्षणदाताओं द्वारा ही घरेलू उत्पीड़न का शिकार होते हैं.

उक्त आंकड़े समस्या के स्वरूप एवं भयावहता को इंगित करते हैं. मूल बिंदु यह हैं कि साधारण मारपीट से लेकर यौन शोषण व हत्या जैसे जघन्य अपराध भी बालकों के विरुद्घ किये जा रहे हैं. छोटे बच्चों, बालक/ बालिका का उत्पीड़न न केवल विभिन्न संस्थाओं यथा-विद्यालय, हॉस्टल, बल्कि घरों में भी बाहरी व्यक्तियों व बालकों के परिजनों द्वारा भी किया जा रहा है. सभी आर्थिक वर्गो, धर्माें के बच्चे इन घटनाओं के शिकार हो रहे हैं. शोषण/हिंसा के शिकार बच्चों को उनके साथ हुई घटनाओं के बारे में बताने से हतोत्साहित किया जाता है. प्राय: ऐसी घटनाएं छिपायी जाती हैं.

बाल हिंसा व उत्पीड़न का एक खतरनाक पहलू यह है कि उत्पीड़न, हिंसा तथा शारीरिक शोषण, यौन शोषण का शिकार बालक, न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी अस्वस्थ हो जाता है. उसके विकास व व्यक्तित्व पर इसका नकारात्मक व दूरगामी प्रभाव पड़ता है. उसमें हीन भावना, असुरक्षा की भावना और मनोवैज्ञानिक विकार उत्पन्न हो जाते हैं. इस समस्या के समाधान व निदान के लिए विश्व स्तर पर मंथन हुआ है और हो रहा है. आज आवश्यकता है कि इस संबंध में जागृति उत्पन्न कर ऐसा वातावरण बनाने की, जहां इन घटनाओं की रोकथाम बचाव और त्वरित वांछित कार्रवाई सुनिश्चित हो.

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