आसियान सम्मेलन : कूटनीति के बीच फोटोग्राफी का शौक पूरा करते पीएम

नेपीटो में बुधवार का दिन भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण था. एक तो आसियान के उदघाटन के साथ ही भारत-आसियान साझा सम्मेलन भी था, दूसरा प्रधानमंत्री मोदी की एक-दो नहीं, बल्कि छह बड़ी विदेशी शख्सीयतों के साथ मुलाकात थी. इनमें मलयेशिया, थाइलैंड और सिंगापुर के प्रधानमंत्रियों के अलावा दक्षिण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2014 8:31 AM

नेपीटो में बुधवार का दिन भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण था. एक तो आसियान के उदघाटन के साथ ही भारत-आसियान साझा सम्मेलन भी था, दूसरा प्रधानमंत्री मोदी की एक-दो नहीं, बल्कि छह बड़ी विदेशी शख्सीयतों के साथ मुलाकात थी.

इनमें मलयेशिया, थाइलैंड और सिंगापुर के प्रधानमंत्रियों के अलावा दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति, ब्रुनेई के सुल्तान और आसियान के मेजबान देश म्यांमार में प्रजातंत्र की मुहिम चला रही नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी की अध्यक्षा आंग सांग सू ची से मुलाकात. लेकिन सुबह से शाम तक चली इन मुलाकातों और भारत-आसियान सम्मेलन की तसवीरों के बीच एक अलग तसवीर सबका ध्यान खींच गयी. ये तसवीर खुद प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तिगत ट्वीटर हैंडल पर बुधवार सुबह दस बजे के करीब पोस्ट की गयी थी. लिखा गया था कि सम्मेलन के लिए पहुंच गया हूं और कार्यक्र म स्थल की एक झलक कैद कर रहा हूं.

दरअसल, आसियान और गुरु वार को होने वाले पूर्वी एशिया सम्मेलन, जिसमें शरीक होने के लिए मोदी के अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी नेपीटो पहुंच चुके हैं, का आयोजन म्यांमार इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में हुआ है. विदेश से आना वाला कोई भी शख्स इस जगह की अंदर और बाहर की खूबसूरती को देखकर दंग हुए बिना नहीं रह सकता. इस कन्वेंशन सेंटर की टक्कर का भारत में भी

कोई कन्वेंशन सेंटर अभी तक नहीं बन पाया है. खुद मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए गांधीनगर में महात्मा मंदिर के नाम से एक कन्वेंशन सेंटर का निर्माण कराया था, लेकिन वो भी इस केंद्र, जिसे एमआइसी-1 के तौर पर पुकारा जाता है, का मुकाबला कही से नहीं कर सकता. ऐसे में पहली बार एमआइसी-1 में मोदी का इससे प्रभावित होना लाजिमी था और इसलिए वो इसकी तसवीर भी खुद खीचने लगे. हालांकि, मोदी के निजी ट्विटर एकाउंट पर पोस्ट की गयी इस तसवीर को जिसने भी देखा, उसके लिए एक चीज नयी थी. मोदी को कभी-कभार सामान्य कैमरों से तसवीर लेते हुए देखा गया है, लेकिन मोबाइल का इस्तेमाल कर फोटो खींचते मोदी अमूमन नजर नहीं आते, वो भी खुद कैमरे में कैद हों ऐसा करते वक्त.

मोदी की इस साल मोबाइल से खींची हुई दो सेल्फी जरूर चर्चा के केंद्र में रही. मोदी की पहली सेल्फी तब आयी, जब बीजेपी के पीएम उम्मीदवार के तौर पर 2014 लोकसभा चुनावों के दौरान तीस अप्रैल को अहमदाबाद के रानीप इलाके में मतदान करने के बाद उन्होंने बीजेपी के कमल निशान के साथ अपनी तसवीर खींची. इसे लेकर कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों ने आचार संहिता के उल्लंघन का हल्ला मचाया और चुनाव आयोग को मोदी के सामने एफआइआर दर्ज करने के लिए गुजरात सरकार को लिखना पड़ा. उस सेल्फी के चक्कर में मोदी को खुद की अगुआई वाली सरकार होने के बावजूद जिंदगी में पहली एफआइआर अपने खिलाफ दर्ज होने का दर्द ङोलना पड़ा, जिसका इजहार उन्होंने बाद की चुनावी रैलियों में किया. ये बात अलग कि बाद में गुजरात पुलिस ने अपनी जांच के बाद इस मामले में मोदी को क्लीन चिट दे दी, हालांकि तब तक वो पीएम बन चुके थे.

मोदी की खीची दूसरी सेल्फी 17 सितंबर 2014 को नजर आयी, जब बतौर प्रधानमंत्री वो पहली बार गांधीनगर गये थे अपने जन्मदिन के मौके पर. सुबह-सुबह अपनी मां हीराबा से मिलने गये और वही मोदी ने अपनी मां के साथ सेल्फी खींची मोबाइल फोन से. बाद में ये तसवीर उन्होंने ट्वीट भी की, जिसे फिर बाकी दुनिया ने देखा. वैसे मोबाइल के जरिये इस साल दो बार सेल्फी उतारते मोदी को दुनिया ने कम ही मोबाइल पर बात करते देखा है. अक्तूबर 2001 में गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के पहले तक मोदी खुद काफी सहजता से मोबाइल पर बात करते थे, मोबाइल फोन अपने पास रखते भी थे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद हाथ में मोबाइल उठाते मोदी कम ही नजर आये. लोगों को मोदी की ऐसी एक झलक सात अक्तूबर 2008 को मिली, जब मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने सात साल पूरे किये थे. टाटा समूह के तत्कालीन अध्यक्ष रतन टाटा के साथ वो अहमदाबाद के साणंद में नैनो कार प्रोजेक्ट के लिए जगह देने की घोषणा गांधीनगर में करने जा रहे थे और उसी वक्त उन्होंने अपनी जेब से दो मोबाइल फोन निकाल कर साइलेंट मोड में डाला और बाकी लोगों से भी यही अपील की. तब जाकर ज्यादातर पत्रकारों को ध्यान में आया कि मोदी अब भी दो मोबाइल रखते हैं, भले ही सार्वजनिक तौर पर वो इसका इस्तेमाल नहीं करते.

हालांकि जहां तक मोदी के फोटोग्राफी के शौक का सवाल है, वो काफी पुराना है. मोदी जब युवा थे और संघ के प्रचारक थे, उस वक्त भी वो फोटोग्राफी किया करते थे. ये शौक गुजरात का मुख्यमंत्री बनने पर भी जारी रहा. कभी मशहूर रामायण कथाकार मोरारी बापू की तसवीर खीचते मोदी नजर आये, तो कभी अहमदाबाद के कांकरिया झील के पास हीलियम गैस वाले गुब्बारे का उदघाटन करते वक्त जमीन से दो सौ फीट की ऊंचाई से फोटोग्राफी करते दिखे मोदी. साल में एक और मौका आता था, जब मोदी हाथ में कैमरा पकड़ लेते थे. ये मौका होता था दिवाली बाद के स्नेह मिलन समारोह का, जिसमें वो पत्रकारों को अपने घर पर बुलाया करते थे. मोदी तसवीरकारों के अनुरोध पर अक्सर अपने हाथ में कैमरा पकड़ खुद फोटो खीचने वालों की फोटो उतारते थे. मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद भी इस परंपरा को जारी रखा. इसी साल पचीस अक्तूबर को जब दिल्ली में बीजेपी के मुख्यालय 9, अशोक रोड पर मोदी ने पत्रकारों के साथ करीब घंटे भर का वक्त स्नेह सम्मेलन के तौर पर गुजारा, तो यहां भी हाथ में एक दो बार कैमरा लेकर उन्होंने तसवीर उतारी.

फोटोग्राफी का यही शौक मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री जब विदेश की धरती पर दिखाया है, तो देश और दुनिया का ध्यान मोदी के व्यक्तित्व के इस पहलू की तरफ गया है. आम तौर पर गंभीर रहने वाले मोदी इस तरह से अपने व्यक्तित्व का कोमल पहलू दुनिया को दिखाते हैं, चाहे म्यांमार की राजधानी नेपीटो में फोटोग्राफी हो या फिर इससे पहले जापान की राजधानी टोक्यो में ड्रम और बांसुरी बजाना हो. हालांकि ये भी बता दें कि उनका शौक सिर्फ शौक नहीं, एक गंभीर हौबी है, क्योंकि न सिर्फ वो फोटोग्राफी और लाइटिंग के अच्छे जानकार हैं, बल्कि बांसुरी, तबला या फिर ड्रम जैसे वाद्य यंत्रों के भी. टोक्यों में दो महीने पहले जापानी ड्रमर के साथ उनकी जुगलबंदी भला कौन भूल सकता है.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

नेपीटो, म्यांमार से ब्रजेश कुमार सिंह संपादक-राष्ट्रीय मामले, एबीपी न्यूज

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