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बच्चों के लिए अलग होगी इंटरनेट की दुनिया

इंटरनेट पर बहुत से ऐसे कंटेंट हैं, जो सिर्फ वयस्कों के लिए हैं. ऐसे में बच्चों के हाथ में टैबलेट, स्मार्टफोन या लैपटॉप देने पर अभिभावकों को यह चिंता रहती है कि कहीं वे गलत चीजें देख-पढ़ कर दिग्भ्रमित न हों. इसके निदान के लिए गूगल बच्चों के लिए अलग ब्राउजर और अन्य प्रोडक्ट्स लॉन्च […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 11, 2014 12:23 AM

इंटरनेट पर बहुत से ऐसे कंटेंट हैं, जो सिर्फ वयस्कों के लिए हैं. ऐसे में बच्चों के हाथ में टैबलेट, स्मार्टफोन या लैपटॉप देने पर अभिभावकों को यह चिंता रहती है कि कहीं वे गलत चीजें देख-पढ़ कर दिग्भ्रमित न हों. इसके निदान के लिए गूगल बच्चों के लिए अलग ब्राउजर और अन्य प्रोडक्ट्स लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है. गूगल की इस पहल और इसके विभिन्न पहलुओं की जानकारी प्रस्तुत है आज के नॉलेज में..

नॉलेज डेस्क त्न दिल्ली

गूगल ने हाल ही में यह घोषणा की है कि बच्चों के लिए वह अपने लोकप्रिय प्रोडक्ट्स के खास संस्करण लॉन्च करने जा रहा है. कंपनी की ओर से कहा गया है कि बच्चों के लिए लॉन्च किये जाने वाले खास प्रोडक्ट से उनके लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करना और सुरक्षित बनाया जायेगा. 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए ऐसा किया जा रहा है. गूगल कंपनी में इंजीनियरिंग की वाइस प्रेसिडेंट पावनी दिवानजी के अनुसार, गूगल बच्चों के लिए कुछ ऐसे प्रोडक्ट लाना चाहती है, जिससे बच्चे मां-बाप की निगरानी में इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकें और उनकी सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके. बच्चों के लिए यह स्पेशल प्रोडक्ट माउन्टेन व्यू के गूगलप्लेक्स के एक सीक्रेट कमरे में बनाया जा रहा है, जिसे किड्स स्टूडियो नाम दिया गया है. हालांकि, गूगल ने यह नहीं बताया है कि लॉन्च होनेवाले प्रोडक्ट्स क्या होंगे, लेकिन माना जा रहा है कि इनमें सर्च इंजन, यूट्यूब और क्रोम ब्राउजर हो सकते हैं. वर्तमान समय में ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ गयी है, जिनके पास उनके खुद के टैबलेट, स्मार्ट फोन जैसी डिवाइसेज हैं और उनके माध्यम से वे आसानी से इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. हाल-फिलहाल में देश-दुनिया में किये गये कई सर्वक्षणों में यह जानकारी दी गयी है कि इस उम्र में टैबलेट से इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले बच्चे सर्च इंजन, यूट्यूब व क्रोम ब्राउजर के माध्यम से उन चीजों को भी खोजते हैं, जो उनके लिए हानिकारक हैं.

प्रति सेकेंड चालीस हजार हिट

आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि गूगल पर प्रति सेकेंड 40,000 बार हिट किया जाता है यानी यह इतनी सूचनाओं को प्रति सेकेंड प्रोसेस करता है. इसमें बच्चों द्वारा किये जाने वाले हिट्स भी शामिल हैं. आम तौर पर माना जाता है कि गूगल पर जानकारी हासिल करने वाले बच्चों के लिए यह एक तरह से सुरक्षित जगह है. लेकिन इस मामले में कई चौंकाने वाली बातें सामने आयी हैं. कई सर्वेक्षणों में बताया गया है कि बच्चे उन साइटों को भी देखते हैं, जो उनकी उम्र के मुताबिक उचित नहीं हैं. साथ ही, यूट्यूब पर भी ढेरों वीडियो हैं, जो बच्चों को नहीं देखने चाहिए. दरअसल, गूगल पर आज बहुत-सी ऐसी चीजें पड़ी हैं, जिनका इस्तेमाल बच्चों द्वारा किया जाना ठीक नहीं है. मौजूदा दौर में तकनीक हमारे लिए ऐसी वस्तु बन चुका है, जिसमें यह निर्धारित करना जरूरी है कि हमारे बच्चे उनका सही इस्तेमाल कर सकें. बच्चों के लिए तकनीक में सुरक्षित स्थान बनाना बहुत जरूरी है.

गूगल की इंजीनियरिंग विंग की वाइस प्रेसिडेंट पावनी दीवानजी के हवाले से ‘यूएस टूडे’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बदलाव के सबसे बड़े प्रेरणास्नेत कंपनी के लोग ही हैं. सभी के घरों में बच्चे हैं और वे चाहते हैं कि उनके लिए सुरक्षित प्रोडक्ट लॉन्च किये जाएं. यह भी सत्य है कि आज बच्चों को उनके स्कूलों और घरों में अनेक प्रकार की तकनीकें उपलब्ध हैं. इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि इस बात पर निगरानी रखी जाये कि आपके बच्चे इन तकनीकों का इस्तेमाल अपनी बेहतरी के लिए करें. पावनी कहती हैं कि हम जो कदम उठाने जा रहे हैं, उसके बारे में काफी सोच-विचार कर चुके हैं और इससे माता-पिता को बच्चों की निगरानी में सहायता मिलेगी. इलेक्ट्रॉनिक प्राइवेसी इंफोर्मेशन सेंटर के वॉचडॉग ग्रूप के प्रेसिडेंट मार्क रोटेनबर्ग मानते हैं कि माता-पिता के लिए यह बेहद कठिन काम है कि वे तकनीक का इस्तेमाल करने वाले अपने बच्चे पर हर पल नजरें जमाये रखें. ऑडियो-आधारित प्रचार से बच्चे सीधे तौर पर उनके मकसद का निशाना बन जाते हैं, क्योंकि इम जिस उम्र समूह के बच्चों की बात कर रहे हैं उन्हें बड़ी आसानी से बहकाया जा सकता है.

गूगल का क्रोम वेब ब्राउजर

गूगल क्रोम एक वेब ब्राउजर है, जिसे गूगल द्वारा बनाया गया है. इसका नाम ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (जीयूआइ) के फ्रेम यानी क्रोम पर रखा गया है. इसके घटक का नाम क्रोमियम है. सितंबर, 2008 में 43 भाषाओं में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए गूगल क्रोम का बीटा संस्करण जारी किया गया था. यह नया ब्राउजर लाइनक्स कोड पर आधारित है, जिसमें थर्ड पार्टी डेवलपर को भी उसके अनुकूल एप्लीकेशंस बनाने की सुविधा मिलती है. गूगल क्रोम का इस्तेमाल करने पर अन्य ब्राउजरों की भांति सीधे खाली पृष्ठ नहीं खुलता, बल्कि ब्राउजर यूजर द्वारा सबसे ज्यादा प्रयोग किये गये अंतिम कुछ वेबपृष्ठों का थंबनेल दृश्य दिखाता है, जिसे क्लिक करने पर वांछित पृष्ठ खुल जाता है. इस कारण से यूजर अपने मनोवांछित पृष्ठों पर तेजी से नेविगेट कर पाता है. इसमें उपलब्ध ओमनी बॉक्स का लाभ यह है कि बिना गूगल खोले ही, गूगल में सर्च कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, एड्रेस बार में मात्र ओलिंपिक डालते ही उससे संबंधित वेबसाइट के पते बता देता है. साथ ही, अधूरे और गलत पतों को रिकवर करने की सुविधा भी इसमें है.

क्रोम ब्राउजर की खासियत

‘गूगल’ के मुताबिक, क्रोम ब्राउजर को हर संभव तरीके से तेज होने के लिए डिजाइन किया गया है. यह आपके डेस्कटॉप पर तेजी से प्रारंभ हो जाता है. वेब पृष्ठों को यह पलक झपकते ही लोड कर देता है और जटिल वेब एप्लिकेशन बहुत तेजी से चलाता है.

क्रोम ब्राउजर विंडो व्यवस्थित, साफ और सरल है. उदाहरण के लिए, आप समान बॉक्स में से खोज और नेविगेट कर सकते हैं और जैसा आप चाहें तेजी व आसानी से टैब व्यवस्थित कर सकते हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके पास सभी नवीनतम सुरक्षा समाधान मौजूद हैं, क्रोम को अंतर्निहित मैलवेयर और फिशिंग सुरक्षा, स्वत: अपडेट के साथ वेब पर आपको सुरक्षित रखने के लिए डिजाइन किया गया है. आपके ऑनलाइन रहने पर जानकारियों को साझा करते समय क्रोम एक प्रकार से सुरक्षा मुहैया कराता है और आपकी निजी जानकारी को नियंत्रित रखता है.

क्या है सर्च इंजन

सर्च इंजन एक प्रकार का प्रोग्राम है, जो आपके द्वारा निर्दिष्ट किये गये खास ‘कीवर्ड’ से डॉक्यूमेंट को सर्च करता है और जहां-जहां उसे वे ‘कीवर्ड’ मिलते हैं, उन सभी दस्तावेजों को खोज कर आपके सामने प्रस्तुत करता है. एक सर्च इंजन वास्तव में एक सामान्य किस्म का प्रोग्राम है. हालांकि, इस शब्द का इस्तेमाल अक्सर गूगल, बिंग और याहू जैसे कुछ खास सिस्टम के लिए किया जाता है.

क्या है वेब ब्राउजर

कंप्यूटर पर जब आप अलग-अलग वेबसाइट्स के पेजों को देखना चाहते हैं तो आपको इसके लिए इंटरनेट कनेक्शन के अलावा एक ऐसे प्रोग्राम की भी जरूरत होती है, जो आपको उन फाइलों या पन्नों तक ले जाए. यही सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन ‘ब्राउजर’ होता है. इंटरनेट की दुनिया में यह एक दरवाजे की तरह काम करता है. वेब का कंटेंट एक कंप्यूटर लैंग्वेज में होता है, जिसे एचटीएमएल (हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज) कहा जाता है. ब्राउजर इस कंप्यूटर की भाषा का अनुवाद करता है, ताकि आप इसे पढ़ सकें. यह हमें इंटरनेट पर मौजूद सभी वेबसाइट्स की टेक्स्ट, इमेज, ऑडियो, वीडियो और अन्य सभी प्रकार की सूचनाओं तक पहुंचने की सुविधा प्रदान करता है.

कई तरह के ब्राउजर्स

आज दुनियाभर में कई तरह के ब्राउजर्स मौजूद हैं. हालांकि, इनकी खासियतों में कुछ-कुछ फर्क है, लेकिन इनका मुख्य काम इंटरनेट सर्फिग ही है. यदि आपके पास विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम वाली डिवाइस है तो इसमें इंटरनेट एक्सप्लोरर ब्राउजर मिलेगा. यदि आप एप्पल का प्रोडक्ट यूज कर रहे हैं, तो इसमें डिफॉल्ट ब्राउजर सफारी होता है. इसके अलावा, गूगल क्रोम, मोजिला फायरफॉक्स, ओपेरा आदि मुख्य ब्राउजर्स हैं. आप अपने कंप्यूटर या स्मार्टफोन में एक से अधिक ब्राउजर भी डाउनलोड कर सकते हैं.

आंकड़ो में यूट्यूब

दुनियाभर में एक अरब से ज्यादा यूजर इस्तेमाल करते हैं प्रतिमाह यूट्यूब का.

प्रत्येक माह छह अरब घंटों से ज्यादा देखी जाती है यूट्यूब पर वीडियो दुनियाभर में, जो इस धरती पर प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से तकरीबन एक घंटा बैठता है.

प्रत्येक मिनट 100 घंटों का वीडियो अपलोड किया जाता है यूट्यूब से.

यूट्यूब का 80 फीसदी ट्रैफिक अमेरिका से बाहर का है.

61 देशों और 61 भाषाओं में निर्दिष्ट किया गया है यूट्यूब को.

अमेरिका में यूट्यूब 18 से 34 वर्ष की उम्र के युवाओं में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है.

दुनियाभर में रोजाना लाखों लोग यूट्यूब का सब्सक्रिप्शन लेते हैं.

वर्ष 2007 में इसकी शुरुआत की गयी थी. 30 से ज्यादा देशों में इससे लाखों सृजनकर्ता जुड़े हुए हैं, जो यूट्यूब वीडियो के माध्यम से पैसा भी कमा रहे हैं.

यूट्यूब से दुनियाभर के लाखों विज्ञापनदाता जुड़े हैं.

गूगल एड प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए यूट्यूब से जुड़े लाखों विज्ञापनदाताओं में ज्यादातर छोटे कारोबारी हैं.

यूट्यूब पर देखी जाने वाली वीडियो में करीब 40 फीसदी चीजें मोबाइल पर देखी जाती हैं.

यूट्यूब का कंटेंट आइडी रोजाना 400 वर्षों के बराबर वीडियो स्कैन करता है.

इसके 5,000 से ज्यादा साङोदार हैं, जो कंटेंट आइडी का इस्तेमाल करते हैं. इसके व्यापक नेटवर्क के दायरे में वेबकास्टर्स, मूवी स्टूडियो आदि शामिल हैं.

यूट्यूब के कंटेंट आइडी डाटाबेस में ढाई करोड़ से ज्यादा संदर्भ फाइलें मौजूद हैं.

कंटेंट आइडी से साङोदारों से लाखों डॉलर की रकम सृजित की जाती है.

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