अपने आप से पूछें एक सवाल

जिंदगी में सफलता पाने में दो चीजें बेहद अहम भूमिका निभाती हैं, समय और ऊर्जा. सही समय पर अगर आप अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में मोड़ दें, तो दुनिया में कोई भी आपको आपकी मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकता. किशोरावस्था में ही अगर आप इस बात को अपने जीवन में उतार लें, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2015 7:33 AM

जिंदगी में सफलता पाने में दो चीजें बेहद अहम भूमिका निभाती हैं, समय और ऊर्जा. सही समय पर अगर आप अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में मोड़ दें, तो दुनिया में कोई भी आपको आपकी मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकता. किशोरावस्था में ही अगर आप इस बात को अपने जीवन में उतार लें, समय पर अपने लिए कल की राह चुन लें, उस पर अपनी पूरी ऊर्जा के साथ चलना शुरू कर दें, तो सही वक्त पर आपकी मंजिल आपके सामने होगी.

‘आप बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं?’ यह सवाल आपसे अकसर पूछा जाता होगा. जाहिर है आप इसका जवाब भी देते होंगे. लेकिन आप जो जवाब देते हैं या जवाब में आप जो कुछ बनने की इच्छा जताते हैं, क्या उसके प्रति आप गंभीर हैं. क्या वह बन जाने के लिए आपने किसी तरह की तैयारी शुरू की है? अब आप कहेंगे कि अभी से क्या तैयारी करना. लेकिन टीनएज ही जिंदगी का वो वक्त है, जब आपके भविष्य की दिशा तय होती है. इस अवस्था से शुरू की गयी तैयारी से आपके आनेवाले कल का निर्माण होता है. इसलिए आपके लिए यह जान लेना बेहद जरूरी है कि आप आगे चल कर क्या बनना चाहते हैं.

फिर क्यों न बिना देर किये आप स्वयं से पूछें कि ‘आप भविष्य में क्या बनना चाहते हैं?’ ऐसा इस लिहाज से भी जरूरी है क्योंकि किशोरावस्था में हम अकसर एक साथ बहुत सी चीजों को लेकर फैसिनेट होते हैं. कभी सांइटिस्ट बनने की इच्छा पाल लेते हैं, तो कभी गिटारिस्ट बनने का सपना देखने लगते हैं. इस तरह हमारी पसंद बदलती जाती है और हम अपनी इस पसंद में से किसी एक को चुन कर इस दिशा में अपनी तैयारी को परिपक्व करें, इससे पहले ही वक्त आगे बढ़ता चला जाता है. अंतत: पर्याप्त तैयारी न होने पर हमें न चाहते हुए भी कैरियर के रूप में कई बार दूसरे विकल्प चुनने पड़ते हैं. क्योंकि हम जो बनना चाहते हैं, उसमें हमारी तैयारी दुरुस्त नहीं होती. हम देर कर चुके होते हैं और वक्त बीत चुका होता है.

इसलिए क्यों न वक्त रहते किशोर अपने आप से पूछें कि वे आगे चल कर क्या बनना चाहते हैं? जाहिर है जवाब एक दिन में, एक बार में नहीं मिलेगा या किसी एक चीज को चुनकर ऐसे ही कह भर देना कि मैं ये बनना चाहता हूं, अपने आप के साथ ईमानदारी नहीं होगी. ठीक से सोच समझ-कर, अपनी रुचि और क्षमता के मुताबिक तय करें कि आपका जवाब क्या होना चाहिए. शुरुआत करें एक नये संकल्प के साथ जीवन को एक दिशा देने की. हर सकारात्मक शुरुआत क मौके की तरह जिंदगी में आता है. तो क्यों न आप इस मौके को वक्त पर पहचान लें.

अगर आपको अपना जवाब तलाशने में मुश्किल हो रही हो, तो अपने बड़ों, अभिभावकों, गुरुजनों और मित्रों का सहयोग लें. इस सवाल का जवाब ‘मैं ये बनना चाहता हूं.’ मिलने पर जरूरी है कि अभी से इसके लिए तैयारी शुरू कर दें. आप जो कुछ बनना चाहते हैं, उसके लिए जुनून की हद तक मेहनत करने का संकल्प लें. इस संकल्प को रोजमर्रा की जिंदगी में उतारें. इसके साथ ही संकल्प लें एक अच्छा इंसान होने की खूबियों को अपने स्वाभाव में विकसित करने का.

बेशक किसी अच्छी शुरुआत के लिए वक्त विशेष के इंतजार की जरूरत नहीं होती, लेकिन अच्छी शुरुआत करने की जरूरत को पहचानने में हो रही देर को समाप्त करने के लिहाज से एक खास वक्त की जरूरत तो होती है. यह खास वक्त ही जिंदगी में नयी शुरुआत और नये संकल्प का मौका देता है. आप भी इस मौके को ढूढ़ें और पूरी ईमानदारी से जीवन में आगे बढ़ने का रास्ता तैयार करें.

सोशल मीडिया की लत से परेशान हैं टीन्स

दुनिया भर में टीन्स मोबाइल फोन के एडिक्ट होते जा रहे हैं. सोशल मीडिया और मोबाइल फोन में टेक्स्ट करते रहना अब टीनएजर्स के लिए स्ट्रगल भी बनता जा रहा है. ब्रिटेन के मिरर अखबार में प्रकाशित एक खबर के मुताबकि टीन्स अब यह स्वीकराने भी लगे हैं कि तकनीक के प्रति उनका यह लगाव अब उन्हें परेशान करने लगा है. अस्सी फीसदी से ज्यादा किशोरों ने स्वीकारा कि उन्हें सोशल मीडिया के इस्तेमाल जैसी आदतों को एक महीने के लिए छोड़ने में मुश्किल होगी. सोशल नेटवर्किग साइट में खुद को टेक्सट करने से रोकना उतना ही कठिन है जितना जंक फूड खाने और शराब पीने से रोकना. औसतन टीन्स रोज करीब 11 बार सोशल नेटवर्किग साइट चेक करते हंै. 17 बार संदेश टेक्स्ट करते हंै और टेक्नोलॉजी, जुआं, जंक फूड और एल्कोहल में हर महीने करीब 62 पौंड खर्च करते हैं. कुछ टीनएजर्स यह भी स्वीकारते हैं कि वे पैसों के लिए अपने परिवार से झूठ बोलते हैं और कई बार रिश्तेदारों के पैसे भी चोरी करने में नही हिचकते. हालांकि इस अध्ययन के अनुसार 12 से 18 वर्ष की आयुवर्ग के बीच के 78 फीसदी किशोर ऐसे भी थो, जो सोशल मीडिया, एप्प, गेम जैसी चीजों के एडिक्शन के जोखिम से अनजान थे. एलन कार एडिक्शन क्लीनिक के जॉन डेकी के अनुसार ‘सोशल मीडिया और तकनीक जैसी आदतें कम उम्र में होने वाले व्यसनों की पहचान प्रदर्शित करती हैं. हमें उन्हें भविष्य में होनेवाले इनके खतरों के बारे में शिक्षित करना होगा.’

राह बनेगी ऐसे

आप बड़े होकर क्या बनना चाहते थे? इस बारे में आप बहुत सारी चीजों से फैसिनेट होते हैं, और वक्त के साथ आपका इंट्रेस्ट बदल भी जाता है. फिर भी कुछ ऐसा होता जरूर है, जिसे आप ‘असल में’ करना चाहते हैं. इसे पहचानें और अपनी चाह पर अडिग होकर आगे बड़ें.

बेशक सफलता का रास्ता लंबा और मुश्किल होता है, लेकिन हमेशा याद रखें कि यह असंभव कतई नहीं होता. धैर्य और साहस के साथ इस रास्ते पर चलते रहें, तो फिर कोई आपको कामयाबी के रास्ते से डिगा नहीं सकता.

टीनएजर्स अकसर बहुत सी चीजों को लेकर कंफ्यूज होते हैं. दुविधा की यह स्थिति उन्हें आगे नहीं बढ़ने देती. आप अपने आपको इस स्थिति से बाहर निकालें. इसके लिए आप अपने शिक्षक या माता-पिता से बात कर सकते हैं. लेकिन, एक बार तय करने के बाद आप वही करें, जो हकीकत में करना चाहते हैं. इस बात की चिंता न करें कि आपको कितनी सफलता मिलेगी, मिलेगी भी या नहीं. चिंता इस बात की करें कि आप जो कर रहे हैं या करने जा रहे हैं, उसके लिए आप ईमानदारी से अपना सौ फीसदी दे रहे हैं या नहीं.

हर चाहत के पीछे शिद्दत का होना बेहद जरूरी है. सिर्फ यह चाह लेना और तय कर लेना कि मुङो तो इंजीनियर, डॉक्टर, कोरियोग्राफर, वैज्ञानिक या म्यूजिशियन बनना है, काफी नहीं है. इसके लिए असल में आप स्वयं को कितना तैयार कर रहे हैं, इस चाह को पूरा होना इस पर निर्भर है. याद रखें, इमारत खड़ी करने के लिए सिर्फ उसकी ऊंचाई के सपना नहीं देखा जाता, उसकी नींव बनानी पड़ती है.

अपने संकल्प को पूरा करने के लिए स्वयं का सही तरीके से आकलन करना और अपनी कमियों को स्वीकारना भी है जरूरी. अपनी कमियों को स्वीकार कर उन्हें सुधारना और स्वयं का विकास करना लक्ष्य की प्राप्ति का सबसे प्रथम चरण होता है. इसलिए इस पर अमल करें.

लक्ष्य को पाने का कोई शॉर्टकट नहीं होता, यह तो आप जानते ही होंगे, लेकिन हमेशा यह भी याद रखें कि जाने-अनजाने कहीं आप अपने आपको किसी अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा में तो नहीं उलझाते जा रहे हैं. सभी को पछाड़ कर आगे जाने के लिए नहीं, हमेशा कुछ नया सीखने के लिए मेहनत करें. खुश होने और खुशी देने के लिए आगे बढ़ें.

जिज्ञासा हमेशा ज्ञान को बढ़ाती है. इसलिए नया जानने और पढ़ने की भूख को स्वयं में हमेशा जगाये रखें. इससे आपके विचारों का दायरा बढ़ेगा और सोचने तथा समझने के लिहाज से आपकी दृष्टि व्यापक होगी.

दृढ़ बनें, रूढ़ नहीं. हार्ड वर्क करने का गुण विकसित करें. किशोरावस्था में अगर यह गुण आप स्वयं में विकसित कर लेंगे, तो जीवन में कभी आपको हार का सामना नहीं करना पड़ेगा. हार्डवर्क एक अचूक औजार की तरह है.

नया करने की कोशिश जिंदगी में आगे बढ़ते रहने का हौसला देती है. टीन एज से ही नया जानने और कुछ नया करने की आदत डालें. बने बनाये र्ढे पर चलना हमेशा आसान रहा है. मुश्किल काम करें और देखें कि कैसे यह आपकी खुशी का जरिया बनता जायेगा.

रचनात्मकता हर इंसान में होती है. किशोरावस्था में ही इसे पहचानें और इस दिशा में लगातार काम करें. रचनात्मकता व्यक्तित्व का विकास करती है.

ईमानदारी और खरेपन को अपने भीतर जगाये रखें. हमेशा कंसिस्टेंट, लॉजिकल और प्रैक्टिकल विजन रखें. अपने आप पर भरोसा करना सीखें. लेकिन, आत्मविश्वास और अतिआत्मविश्वास के बीच के फर्क कभी न भूलें.

प्रीति सिंह परिहार

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