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इंद्राणी की कहानी -2 : लाभ-हानि के बीच डूबते रिश्ते…

रिश्तों का उपभोक्तावाद पंकज मुकाती ये वाक्य बदलते भारत की तसवीर बताते हैं. पीटर आज भी इंद्राणी से प्यार करता है. पर, वो अपने ससुर से कभी नहीं मिला. ये कैसे संभव है, हिंदुस्तानी समाज में. पर, अब ये हो रहा है. दामाद, ससुर को नहीं जानता, ससुर दामाद को नहीं पहचानता. जबकि बेटी घर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2015 6:52 AM
रिश्तों का उपभोक्तावाद
पंकज मुकाती
ये वाक्य बदलते भारत की तसवीर बताते हैं. पीटर आज भी इंद्राणी से प्यार करता है. पर, वो अपने ससुर से कभी नहीं मिला. ये कैसे संभव है, हिंदुस्तानी समाज में. पर, अब ये हो रहा है. दामाद, ससुर को नहीं जानता, ससुर दामाद को नहीं पहचानता. जबकि बेटी घर आती रहती है. एक दौर था,
मध्यम वर्ग में आज भी रिवाज है, बेटी-बहन का रिश्ता होने पर पूरे खानदान के लोग एक-दूसरे से मिलते हैं. मां-बाप, चाचा-चाची, मामा, मौसी, भतीजा, गुड्डू, बबलू, पप्पू भैया जैसे कई रिश्ते के भाई. इन सबको मिलना जरूरी होता था. इंद्राणी के पति पीटर अपने ससुर को ही नहीं जानते. दरअसल, अब परिवार एक कंपनी की तरह चलने लगे हैं. जीवनसाथी का चयन बिजनेस पार्टनर की तरह होने लगा है. ऐसे में इंद्राणी, पीटर, संजीव या कोई और अपना ही लाभ देखेगा. और रिश्तों में लाभ-हानि की तलाश ने ही इंद्राणी की कहानी पैदा की है.
देश का बदलाव निश्चित ही उसके आम आदमी में भी दिखेगा. हिंदुस्तान ने 1991 से उदारीकरण को अपनाया. वही दौर था, जब रईस हिंदुस्तानियों ने भी अपने जीवन में उदारता और आजादी के नाम पर नया समाज खड़ा किया. रिश्तो में पैसा, कारोबार की उन्नति तलाशना नयी बात नहीं है, पर रिश्तों का कारोबार एकदम नयी शुरुआत है. आखिर क्यों संजीव खन्ना के बाद पीटर से शादी और फिर भी संजीव से रिश्ता.
अपनी बेटी शीना के पीटर के बेटे से अफेयर पर आपत्ति. आखिर क्यों? पीटर के पैसों पर नजर. जांच का विषय यह भी है कि क्या संजीव और इंद्राणी की साजिश पीटर को रास्ते से हटाने की थी. क्या इस गेम प्लान के जरिये इंद्राणी पीटर के कारोबार पर कब्जा करना चाहती थी. ये पूरी कहानी किसी परिवार की लड़ाई नहीं, एक कारोबारी जंग की तरह है. यहां कदम-कदम पर झूठ है. जैसे कोई अपने सीवी में गलत जानकारी देकर सीइओ बन जाता है, उसी तरह इंद्राणी सच छुपाकर पीटर की बीबी बन गयी.
ऐसा नहीं है कि उदारीकरण के पहले देश में ये सब बिलकुल नहीं था. पर ये बहुत थोड़े लोगों तक सीमित था. ऐसे रिश्ते होते हुए भी सामाजिक मर्यादाओं की परवाह रही है. अब सब कुछ बेपरवाह है. एक आम धारणा है कि यदि आपके पास पैसा, पावर और कामयाबी है, तो कोई आप पर कोई सवाल नहीं उठायेगा. समाज आपके हर काम को स्वीकार करेगा.
ठीक उस खुले बाजार की तरह, जिसमें आपकी कामयाबी पर तालियां पीटी जाती हैं. इससे किसी को कोई मतलब नहीं कि ये आपने हासिल किन रास्तों से की है. रिश्ते भी उसी तरह ओपन हो गये हैं. हर आदमी अपनी महत्वाकांक्षा कहां पूरी होगी, उस रिश्ते की तलाश में है. महत्वाकांक्षा पूरी करनेवाले व्यक्ति से भले आपकी भावनात्मक बांडिंग न हो, आपको उसका नाम-सूरत सब नापसंद हो, फिर भी आप उसके साथ रिश्ता जोड़ने को तत्पर रहेंगे.
क्यों? सीधी-सी बात है. आप उसमें एक टारगेटेड फायदा तलाश रहे हैं. आपका मन जानता है कि कंपनी की तरह मैं ये रिश्ता भी बदल लूंगा. नौकरी से इस्तीफा और रिश्तों में तलाक अब समाज के एक बड़े वर्ग के लिए एक-सी बात हो गयी है. मुझे बेहतर विकल्प मिल गया है. मैं जा रहा हूं. बेशक आप नौकरी और रिश्ता बदल सकते हैं.
पर, पर्याप्त कारणों के साथ. नौकरी में बेहतर विकल्प अच्छी बात है, पर रिश्तों में बेहतर विकल्प आधार नहीं हो सकता. रिश्तों में सारी उम्मीदें खत्म हो जायें, कोई भावनात्मक संबंध न रह जाये, तो तलाक ही बेहतर है. पर, इंद्राणी के पूरे मामले में हर रिश्ते में वह एक बेहतर की तलाश करती दिखी. कैसे रिश्तों को अवसर में बदला जाये या कहिए अवसर को रिश्ते में बदला जाये, यही मकसद दिखा. इंद्राणी के किसी भी रिश्ते में भावना, दिल नहीं दिखता. पिता, पति, बेटी, प्रेमी किसी से भी उसका सच्चा रिश्ता नहीं बना. यदि एक भी रिश्ता ठीक होता, तो लगता कि इंद्राणी सही है, उसे लोग गलत मिले. हर घर को अब इस तरफ ध्यान देना चाहिए कि कहीं वे रिश्तों के नाम पर कारोबार तो नहीं कर रहे, क्योंकि अब ये घर-घर की कहानी है…!
आइ लव इंद्राणी! मैं जानता हूं, मेरी बीबी अपनी ही बेटी की हत्या में आरोपी है. पर, मैं अब भी उससे प्यार करता हूं. मैंने इन दिनों जो भी सुना, सब मेरे लिए नया है. पर, मैं इंद्राणी पर बरसों से आंख मूंदकर भरोसा और उससे प्यार करता रहा हूं, मैं जांच के सच का इंतजार करूंगा.
मैं कभी अपने ससुर यानी इंद्राणी के पिता से नहीं मिला. इंद्राणी ने अपने अतीत के बारे में जो भी बताया, उस पर मैंने भरोसा किया है.
पीटर मुखर्जी, इंद्राणी के पति , एक मीडिया को इंटरव्यू में
यदि आप किसी को धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं, तो ये मत सोचिए कि सामनेवाला व्यक्ति मूर्ख है. इस बात को मान लीजिए कि वो व्यक्ति आप पर इस कदर भरोसा करता है, जिसके काबिल आप हैं ही नहीं.
संजीव खन्ना, इंद्राणी के पूर्व पति, पिछले साल अप्रैल में एक सोशल साइट पर

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