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चैनलों ने नहीं दिया भाव, तो खड़ी की कंपनी

यूएस एयर फोर्स छोड़ लॉन्च किया टीवीएफ बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी अरुणाभ कुमार खड़गपुर से आइआइटी की पढ़ाई कर रहे थे. उसी समय उनके दिमाग में देश के युवाओं के मनोरंजन के लिए दृश्य-श्रव्य सामग्रियों को रचनात्मक तरीके से पेश करने की बात आयी. तब तक उन्हें पता नहीं था कि वह खुद से युवाओं […]

यूएस एयर फोर्स छोड़ लॉन्च किया टीवीएफ
बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी अरुणाभ कुमार खड़गपुर से आइआइटी की पढ़ाई कर रहे थे. उसी समय उनके दिमाग में देश के युवाओं के मनोरंजन के लिए दृश्य-श्रव्य सामग्रियों को रचनात्मक तरीके से पेश करने की बात आयी. तब तक उन्हें पता नहीं था कि वह खुद से युवाओं को कैसे जोड़ सकेंगे. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अमेरिकी एयर फोर्स में बतौर रिसर्च कंसलटेंट काम करना शुरू किया. पर वहां उनका मन नहीं लग रहा था और उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी. इसके बाद उन्होंने शाहरुख खान की फिल्म निर्माण करनेवाली कंपनी रेड चिली इंटरटेनमेंट में फराह खान के सहायक के रूप में काम करना शुरू किया.
अरुणाभ कुमार को ‘ओम शांति ओम’ में सहायक निर्देशक के रूप में काम करने का मौका मिला. पर, उनके मन में कुछ नया करने की ललक बनी रही. उनके मन में कुछ नयी बातें आयीं. उन्होंने गंभीर विषयों को भी हलके अंदाज में पभावशाली तरीके से पेश करने की बात सोची.
अौर भारतीय राजनीति, सिनेमा, लाइफस्टाइल, सामाजिक सिस्टम पर आधारित हास्य वीडियो कार्यक्रम ‘इंजीनियर्स डायरी’ बना कर वह एमटीवी के पास गये. लेकिन एमटीवी ने उनके कार्यक्रम को ठुकरा दिया. इससे वह निराश नहीं हुए. बल्कि दूने उत्साह से उन्होंने नया प्लान किया
अौर वर्ष 2010-11 में ऑनलाइन इंटरटेनमेंट नेटवर्क ‘द वायरल फीवर’ मीडिया लैब्स की शुरुआत कर दी. इस साइट पर यूथ के लिए यू ट्यूब के जरिये हास्य व फनी वीडियो पेश किये जाने लगे. इस कारण कम समय में ही यह साइट युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो गया. वर्ष 2010 में स्थापित इस कंपनी की सामग्रियों को जून, 2013 तक दस मिलियन लोगों ने देखना शुरू कर दिया.
आज स्थिति यह है कि इस साइट पर यू ट्यूब के जरिये इंटरटेनमेंट के करीब 10,20,114 वीडियो सब्सक्राइब किये जा जा रहे हैं. वह बताते हैं कि उनकी कंपनी टीवीएफ द्वारा मूलत: युवाओं को ध्यान में रख कर मनोरंजक कार्यक्रम तैयार किये जाते हैं और इसे यू ट्यूब के जरिये टीवीएफ वीडियोज के नाम से ऑनलाइन किया जाता है, ताकि वे इससे जुड़ कर मनोरंजन कर सकें.
उन पर पड़ी है मुजफ्फरपुर की छाप
दरअसल, स्कूली शिक्षा के दौरान ही अरुणाभ कुमार कुछ अलग करने की सोचते थे. उनके माता-पिता हमेशा यही चाहते थे कि अरुणाभ शहर से बाहर रह कर पढ़ाई करे. उन्होंने सातवीं-आठवीं की पढ़ाई करने के लिए जयपुर स्थित विद्या आश्रम में दाखिला ले लिया.
इसके बाद आइआइटी और जेइइ की तैयार करने के लिए वह कोटा चले गये. इसके बाद वह इस शहर से उस शहर जाकर पढ़ाई करने लगे. यह उनके लिए बहुत रोमांचक था. वह मानते हैं कि वे देश के विभिन्न शहरों में रह कर वह बड़ा हुए, लेकिन उनके व्यक्तित्व पर बिहार के मुजफ्फरपुर शहर की छाया आज भी मौजूद है. उन्हें आज भी याद है कि जब वह बचपन में मुजफ्फरपुर में रहते थे, तो बिजली नहीं होती थी अौर मच्छर अंधेरे का फायदा उठा कर काटते थे. इससे उन्हें पढ़ाई करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता था.
माता-पिता बनाना चाहते थे इंजीनियर
अरुणाभ खुद कहते हैं कि वह एक सुखी-संपन्न मध्यम परिवार से थे. उनके परिवार के लोग हमेशा कहा करते थे कि अगर कुछ बनना है, तो तुम सिर्फ इंजीनियर बन सकते हो. लेकिन उनके दिमाग में पहले से ही लंबे समय तक इंजीनियर बने रहने का सपना नहीं पल रहा था.
वह बताते हैं कि उन्होंने हमेशा एक बेहतर इंजीनियर बन कर नौकरी लेने के बाद अच्छी जिंदगी जीने का प्रयास किया. उनका परिवार टेलीविजन देखना पसंद नहीं करता था. वह बताते हैं कि उन्होंने दूरदर्शन के कार्यक्रमों को देखना शुरू किया. दूरदर्शन पर ही मुल्ला नसीरुद्दीन और मुंगेरीलाल के हसीन सपने धारावाहिक दिखाये जाते थे. ये धारावाहिक उन्हें बेहद पसंद थे.
इन कार्यक्रमों को उन्होंने न सिर्फ देखा, बल्कि अपने दिमाग में उतार लिया. इन कार्यक्रमों को वह बहुत पसंद करते थे. वह इन कार्यक्रमों को लंबे समय तक देखते रहे. उनके अनुसार उनका पूरा परिवार इन कार्यक्रमों को इंज्वॉय करता था, लेकिन जब आइआइटी करने के दौरान एक इंजीनियर के तौर पर मेरे दिमाग में यह आइडिया आया, तो जो मेरे साथ हुआ वह काफी था.
आइआइटी करने के बाद अमेरिकी वायुसेना में की नौकरी
खड़गपुर से आइआइटी करने के दौरान फिल्म्स और मूवी बनाना शुरू किया. वह उसको इंज्वॉय करने लगे. इसी दौरान उनके दिमाग में मनोरंजक सामग्री पेश करने का आइडिया आया.
उन्हें यह क्षेत्र बेहतर लगा और वे इससे और अधिक जुड़ने लगे. इसके अतरिक्त इस क्षेत्र में उन्होंने दो बार इंटर्नशिप भी की. पढ़ाई के बाद उन्होंने अमेरिकी एयरफोर्स में काम करना शुरू कर दिया, क्योंकि उनका विषय इमेज प्रोसेसिंग ही था. पर, छह महीने में ही उनका मन भर गया. उन्होंने एयरफोर्स की नौकरी छोड़ दी. वह कहते हैं कि एयरफोर्स में उनको मजा नहीं आया.

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