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नये साल में ब्लूटूथ का नया रूप!

होगा ज्यादा ताकतवर, सबको जोड़ने में मिलेगी कामयाबी -अजय कुमार राय ब्लूटूथ तकनीक के माध्यम से मोबाइल फोन समेत कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में तसवीरों और अन्य डाटा का आदान-प्रदान हो रहा है. भले ही इस तकनीक का दायरा कम हो, लेकिन तकरीबन मुफ्त होने के कारण यह काफी लोकप्रिय है. अब अगले साल इसे व्यापक […]

होगा ज्यादा ताकतवर, सबको जोड़ने में मिलेगी कामयाबी
-अजय कुमार राय
ब्लूटूथ तकनीक के माध्यम से मोबाइल फोन समेत कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में तसवीरों और अन्य डाटा का आदान-प्रदान हो रहा है. भले ही इस तकनीक का दायरा कम हो, लेकिन तकरीबन मुफ्त होने के कारण यह काफी लोकप्रिय है. अब अगले साल इसे व्यापक तौर पर अपडेट करने की तैयारी हो रही है, जिसमें इसका दायरा काफी बढ़ जायेगा. ब्लूटूथ के इस नये रूप के साथ इससे संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बता रहा है आज का नॉलेज…
दुनिया को एक ग्लोबल विलेज यानी वैश्विक गांव में तब्दील करने का श्रेय इंटरनेट को दिया जाता है. इंटरनेट ने ढेरों ऐसे प्लेटफॉर्म मुहैया कराये हैं, जिसका उपयोग कर अब मीलों दूर बैठे इंसान हर पल एक दूसरे से जुड़ा हुआ महसूस करने लगे हैं. फेसबुक, ट्विटर, जीमेल, व्हॉट्स एप आदि दर्जनों ऐसे टूल हैं, जिन्होंने न सिर्फ तकनीक की दुनिया को एकदम से बदल दिया है, बल्कि मानव जीवन के कार्यव्यवहार में क्रांतिकारी बदलाव का हर क्षण गवाह बन रहे हैं. यह तो हुई हम इंसानों के एक-दूसरे से जुड़ने की बात, लेकिन जिन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स या उत्पादों को अपनी सहुलियत के लिए हमने बनाया है, क्या वे भी ऐसे ही एक-दूसरे से जुड़ सकते हैं?
इसमें कोई दो राय नहीं कि वैज्ञानिक उस दिशा में बहुत आगे निकल गये हैं, जहां तमाम इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं जैसे कार, टीवी, फ्रिज, एसी, मोबाइल, रोबोट, स्वचालित मशीन, हेल्थ उपकरण आदि घरेलू व औद्योगिक उपकरण एक-दूसरे से जुड़े होंगे और आपस में आसानी से संदेशों का आदान-प्रदान कर सकेंगे.
इस विचार को ‘इंटरनेट आॅफ थिंग्स’ नाम दिया गया है. इसमें वे तकनीक भी शामिल हैं, जो उपकरणों को एक सीमित दायरे में जोड़ देती हैं, जिससे विभिन्न तरह के संदेशों का आदान-प्रदान आरंभ हो जाता है. ब्लूटूथ भी उनमें से एक है, जिसका इस्तेमाल हम आये दिन तसवीर या अन्य प्रकार का डाटा दूसरे किसी के मोबाइल फोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में भेजने के लिएकरते हैं.
हालांकि, समय के साथ ब्लूटूथ तकनीक को उन्नत नहीं बनाया गया. लोकप्रिय होने के सालों बाद भी इसके नेटवर्क का दायरा सीमित ही है और गति भी धीमी. लेकिन डिजिटल तकनीक के विस्तार के दौर में ‘इंटरनेट आॅफ थिंग्स’ का चलन दिनों-दिन बढ़ रहा है. ऐसे में ब्लूटूथ स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप ने ब्लूटूथ को भी तकनीकी रूप से ज्यादा दक्ष बनाने का फैसला लिया है.
माना जा रहा है कि अगले साल ब्लूूटूथ हमें एक नये रंग-रूप में नजर आयेगा. बताया गया है कि इससे नेटवर्क की रेंज कई गुना अधिक होगी और स्पीड तेज होगी. साथ ही यह नेटवर्क का ऐसा जाल फैलाने में सफल होगा, जिससे दूसरे कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी एक-दूसरे से कनेक्ट हो सकेंगे.
क्या है ब्लूटूथ तकनीक
ब्लूटूथ दो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, मसलन मोबाइल फोन, कंप्यूटर, लैपटॉप, डिजिटल कैमरा, प्रिंटर आदि, के बीच बिना तार के संपर्क स्थापित करने की एक तकनीक है. यानी यह ऐसी वायरलेस तकनीक है, जो विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बिना तार के कनेक्ट करती है, वह भी बिना इंटरनेटके. इसके तहत शॉर्ट-वेवलेंथ रेडियो ट्रांसमिशन या तरंगों का इस्तेमाल करतेहुए डाटा को एक उपकरण से दूसरे उपकरण में ट्रांसफर किया जाता है. इसके जरिये उपकरणों को आपस में कनेक्ट भी किया जा सकता है.
1994 से हुई शुरुआत
ब्लूटूथ शब्द डैनिश या स्वीडिश शब्द ब्लाटांड का अंगरेजी रूपांतरण है. इसके लोगो में दसवीं सदी में डेनमार्क के राजा हेराल्ड के दस्तखत के अंश भी लिये गये हैं. इस तकनीक का जन्म 1994 में टेलीकॉम कंपनी एरिक्सन द्वारा हुआ था. मूल रूप से इसे कंप्यूटर से अन्य उपकरणों को जोड़नेवाले तारों की संख्या कम करने के लिए विकसित किया गया था. ब्लूटूथ को सूचनाओं के लेनदेन का सुरक्षित तरीका माना जाता है.
हालांकि, इसके इस्तेमाल की एक सीमा है और अब तक इसे महज कुछ मीटर के दायरे में ही उपयोग में लाया जा सकता है. इसकी खासियतों का विकास करने और लाइसेंस देने की जिम्मेवारी ब्लूटूथ स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप की है. इस ग्रुप में 13 हजार कंपनियां शामिल हैं. हर साल तीन अरब ब्लूटूथ उपकरण दुनिया के विभिन्न भागों में भेजे जाते हैं. आज यह विभिन्न गैजेट का जरूरी हिस्सा हो गया है. जाहिर है. इस तकनीक के अपडेट होने से इसे इस्तेमाल करनेवाले सभी लोगों को इसका फायदा होगा.
चार गुना होगी रेंज
ब्लूटूथ स्पेशल इंटरेस्ट ग्रुप ने एक खाका पेश किया है, जिसमें उन्होंने यह बताया है कि 2016 में ब्लूटूथ तकनीकी रूप से अपग्रेड हो जाने के बाद किस तरह का हो जायेगा. उन्होंने बताया है कि इसे इस तरह अपडेट किया जायेगा, जिससे इसकी रेंज में चार गुना बढ़ोतरी हो जायेगी.
इसकी डाटा ट्रांसफर की गति सौ गुना बढ़ जायेगी और यह कई दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को एक वायरलेस नेटवर्क से जोड़ देगा. यह स्मार्ट घर यानी घरेलू और बाहरी वस्तुओं को कनेक्ट करने में काफी उपयोगी साबित होगा. इसके लिए अतिरिक्त बिजली की खपत नहीं होगी. तेजी से डाटा ट्रांसफर करने में सक्षम होने के बाद यह स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी लाभदायक हो जायेगा. संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टरों को तत्काल डाटा ट्रांसफर करते हुए उनसे बीमारी के इलाज के बारे में सलाह ली जा सकती है.
जाहिर है, अपग्रेड होने के बाद इसका दायरा बढ़ जायेगा और यह एक बड़े से बिल्डिंग को अपने नेटवर्क की रेंज में लेने में सक्षम हो जायेगा. नये ब्लूटूथ में मेश नेटवर्किंग नाम से एक अलग से फीचर जोड़ा जायेगा. मसलन इससे एक ऐसा नेटवर्क जोन बनेगा, जिसके संपर्क में आने के बाद कई उपकरण आपस में जुड़ जायेंगे, जो एक दूसरे को डाटा भेज सकेंगे.
इस नेटवर्क क्षेत्र में अलग-अलग उपकरणों को चलाया जा सकेगा. अभी तक यह मोबाइल फोन, कंप्यूटर, कुछ प्रिंटर आदि यदाकदा उपकरणों में देखा जाता है, लेकिन अपग्रेड होने के बाद यह विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों, वाहनों, स्वचालित यंत्रों, हेल्थ उपकरणों, स्मार्ट घरों व औद्योगिक परिसरों आदि में भी लग सकेगा. यह बदलाव इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उत्पादकों, विभिन्न सेवा प्रदाताओं और हार्डवेयर निर्माणकर्ताओं के लिए संभावनाओं के नये द्वारा खोल सकती है. वे अपने उत्पाद ब्लूटूथ से सुसज्जित कर सकेंगे, जिससे ‘इंटरनेट आॅफ थिंग्स’ का मकसद आनेवाले दिनों में जोर पकड़ सकेगा.
इस तरह ब्लूटूथ की अगली यात्रा मोबाइल, कंप्यूटर या प्रिंटर से बहुत आगे निकलने वाली है. इसका उद्देश्य तकनीक से संचालित होनेवाले स्मार्ट घरों, औद्योगिक इकाइयों, स्थान विशेष सेवाएं, स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरे ‘इंटरनेट आॅफ थिंग्स’ संबंधित कामकाज में खुद को उपयोगी बनाना है. ब्लूूटूथ को इस भूमिका में लाने की मांग हाल के दिनों काफी बढ़ गयी थी.
ज्यादा प्रासंगिक
दरअसल, ‘इंटरनेट आॅफ थिंग्स’ के लिए ब्लूटूथ अधिकांश लोगों की पहली पसंद रही है. यही वजह है कि बाजार में खुद को बरकरार रखने के लिए इसे और उन्नत बनाने की जरूरत महसूस की गयी. कहा भी जाता है कि जो समय के साथ नहीं चलता या मांग के अनुरूप अपनी क्षमताओं का विकास नहीं करता, उसे प्रतियोगिता से बाहर होते देर नहीं लगती.
चूंकि आज बाजार में इसके अनेक विकल्प आ चुके हैं, ब्लूटूथ इसी सूत्र वाक्य पर काम कर रहा है. यदि ब्लूटूथ अपनी योजना के अनुसार तय समय में क्षमताओं में इजाफा करने में सफल हो जाता है, तो खुद को वायरलेस नेटवर्किंग के टूल के रूप में हर व्यक्ति के जीवन का हिस्सा बन जायेगा. घर और बाहर इसका उपयोग तेजी से बढ़ेगा. यदि यह ऐसा करने में विफल रहा, तो दूसरे प्रतियोगी इसका स्थान ले सकते हैं.
ब्लूटूथ की ओर से कहा गया है कि ‘इंटरनेट आॅफ थिंग्स’ का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. अभी इससे संबंधित तकनीक का वैश्विक कारोबार दो ट्रिलियन डॉलर है और उम्मीद की गयी है कि दस साल बाद यानी 2025 तक इसका कारोबार 11 ट्रिलियन डॉलर को पार कर जायेगा. ऐसे में तकनीक की दुनिया और बाजार में बने रहने के लिए आवश्यक है कि अभी से ही इसमें सुधार के रास्ते पर कदम बढ़ा दिये जायें.
इंटरनेट आॅफ थिंग्स को जानें
इंटरनेट आॅफ थिंग्स एक ऐसा विचार है, जो आनेवाले दिनों में हमारे दैनिक जीवन, कारोबार और वैश्विक अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बदल देगा. हालांकि, रोजाना की तमाम चीजों में इसकी शुरुआत हो चुकी है. दरअसल, यह उन भौतिक चीजों का नेटवर्क है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, सॉफ्टवेयर, सेंसर्स और नेटवर्क कनेक्टिविटी से जुड़ी होती है. कनेक्टेड होने से ये डाटा का संग्रह और उनको आपस में शेयर कर पाती हैं. यानी यह एक ऐसी नेटवर्किंग है, जिसमें आपके उपयोग की सभी चीजें (माइक्रावेव से लेकर घड़ी तक) इंटरनेट या दूसरे रेडियो तरंग या सेंसर से जुड़ी होती हैं.
जैसे अगर आप ‘इंटरनेट आॅफ थिंग्स’ के दायरे में हैं, तो आपका उपकरण आपके घर और किचेन में रखे अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को कमांड देता है. इसके जरिये डाटा ट्रांसफर किया जा सकता है. हेल्थकेयर की गुणवत्ता में सुधार के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. इस तकनीक की मदद से दूर बैठा डॉक्टर अपने टैबलेट या मोबाइल फोन से मरीज की सेहत पर नजर रख सकता है. लाइव मॉनीटरिंग की वजह से डॉक्टर से रुटीन चेक-अप के लिए मरीज को बार-बार हॉस्पिटल जाने की जरूरत भी नहीं रहेगी.
बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा बनायी जानेवाली स्मार्ट सिटी में इस तकनीक का व्यापक स्तर पर इस्तेमाल किया जायेगा. मसलन एक घर या औद्योगिक परिसर ‘इंटरनेट आॅफ थिंग्स’ के नेटवर्क के दायरे में है, तो उसका मालिक वहां मौजूद सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों या वस्तुओं की निगरानी कर सकेगा या कोई निर्देश दे सकेगा. हालांकि, आज 99 फीसदी वस्तुएं एक-दूसरे से जुड़ी हुई नहीं हैं, लेकिन आने वाले दिनों में ऐसा नहीं रहेगा. उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में अधिकांश वस्तुएं और उपकरण इंटरनेट के जरिये नियंत्रित होने लगेंगे. माना जा रहा है कि वर्ष 2020 तक दुनिया में 50 अरब वस्तुएं एक-दूसरे से जुड़ जायेंगी.
महज किसी एक इलेक्ट्रॉनिक उपरकण के इंटरनेट या ब्लूटूथ जरिये जुड़े होने पर ही हम फैक्टरी में उत्पादन को नियंत्रित कर सकते हैं. नीदरलैंड में कुछ गायों में खास तरह के सेंसर लगाये गये हैं, जो समय-समय पर किसानों को उनकी सेहत के बारे में सूचना देते रहते हैं.
सूचना जल्दी मिलने से बीमार गायों को किसान समय पर उपचार करा सकते हैं. इस तरह बीमारी फैलने से रुक जाती है. इसी प्रकार किसी मशीन के हालात जानने हों, किसी पुल की संरचना पर नजर रखनी हो या ओवन का तापमान जानना हो, तो यह सेंसर उसे बखूबी कर सकता है. इससे हम अपने आसपास की वस्तुओं को आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं.
क्या है वायरलेस नेटवर्क तकनीक
जैसा कि नाम से ज्ञात होता है यह बिना तारों की नेटवर्किंग तकनीक है. इसके द्वारा डाटा का आदान-प्रदान बिना तारों या केबल के होता है. इस तकनीक के प्रयोग से केबल में होने वाले खर्च की भी बचत होती है. इस तकनीक में केबल के स्थान पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें, माइक्रोवेव, इंफ्रारेड आदि के द्वारा डाटा का आदान-प्रदान होता है. वायरलेस तकनीक के प्रयोग निम्नलिखित हैं- टेलीविजन रिमोट, मोबाइल फोन, ब्लूटूथ, वाइ-फाइ आदि. यह तकनीक एक वायरलेस रेंज एरिया के अंदर ही काम करती है.
अगर आपका मोबाइल, कंप्यूटर या लैपटॉप व दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण इस रेंज में हैं, तभी वह इंटरनेट या ब्लूटूथ आदि से जुड़ पायेंगे. आम तौर पर वायरलेस नेटवर्क तीन तरह के होते हैं.
1. वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क (डब्ल्यूएलएएन) : यह वायरलेस नेटवर्क होता है, जो रेडियो तरंगों का इस्तेमाल करता है. इस तरह के नेटवर्क की रेंज एक कमरे से लेकर पूरे कैंपस तक हो सकती है. वाइ-फाइ इसी के तहत काम करती है.
2. वायरलेस पर्सनल एरिया नेटवर्क (डब्ल्यूपीएएन) : इस नेटवर्क की रेंज काफी कम होती है और यह ब्लूटूथ तकनीक पर काम करता है. इसकी रेंज करीब 30 फीट तक ही हो सकती है. इसमें मोबाइल जैसे उपकरण का काम होता है.
3. वायरलेस वाइड एरिया नेटवर्क (डब्ल्यूडब्ल्यूएएन) : इस तरह का नेटवर्क मोबाइल सिगनल्स से चलाया जाता है. यही वजह है कि आम तौर पर इस तरह की नेटवर्क सुविधा मोबाइल सेवा प्रदाताओं द्वारा मुहैया करायी जाती है. अगर आप अन्य प्रकार के नेटवर्क की पहुंच से बाहर हैं, तो इस नेटवर्क के जरिये आप इंटरनेट से जुड़ सकते हैं. आजकल वायरलेस कीबोर्ड व माउस भी आ रहे हैं. इनकी मदद से दूर बैठ कर ही कंप्यूटर को चला कर सकते हैं.

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