हेलिक्स सेफ पहुंचायेगा हादसों में राहत

गाजियाबाद स्थित इंदिरापुरम के छात्र ने बनाया इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस गाजियाबाद स्थित इंदिरापुरम डीपीएस (दिल्ली पब्लिक स्कूल) की 12 कक्षा के छात्र हैं अक्षत प्रकाश. अक्षत ने कम उम्र में ही ऐसी खोज कर डाली है, जो न केवल आदमी को दुर्घटना में जान बचायेगा, बल्कि समय रहते इसकी सूचना निकट के अस्पतालों को भी पहुंचायेगी. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 7, 2016 7:31 AM
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गाजियाबाद स्थित इंदिरापुरम के छात्र ने बनाया इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस
गाजियाबाद स्थित इंदिरापुरम डीपीएस (दिल्ली पब्लिक स्कूल) की 12 कक्षा के छात्र हैं अक्षत प्रकाश. अक्षत ने कम उम्र में ही ऐसी खोज कर डाली है, जो न केवल आदमी को दुर्घटना में जान बचायेगा, बल्कि समय रहते इसकी सूचना निकट के अस्पतालों को भी पहुंचायेगी. अक्षत ने इस इलेट्रॉनिक खोज का नाम ‘हेलिक्स सेफ’ दिया है.
इतना ही नहीं यह उपकरण घायल के सगे संबंधियों तक भी सूचना पहुंचाने में सक्षम है. दिलचस्प बात यह है कि यह उपकरण दिल की बढ़ती धड़कनों के आधार पर लोगों को सूचना पहुंचाता है.
अक्षत ने कैसे की खोज? : इस नयी खोज के बारे में अक्षत प्रकाश का कहना है कि एक दिन वह दुर्घटना का शिकार होने से बच गये. उस समय उन्होंने अनुभव किया कि उनके दिल की धड़कन काफी तेज हो गयी है. इस पर उन्होंने शोध करने का मन बनाया. मन की बात उन्होंने अपने स्कूल के शिक्षकों को बतायी. शिक्षकों ने छात्र की जिज्ञासा के बारे में प्रधानाचार्य से चर्चा की.
अक्षत की जिज्ञासा को जानकर स्कूल के प्रधानाचार्य ने शोध में हरसंभव मदद करने का आश्वासन दिया. अक्षत का कहना है कि प्रधानाचार्य से आश्वासन मिलने के बाद जब उन्होंने शोध करना शुरू किया, तो पाया कि दिल की धड़कने शरीर के संकेतक का काम करता है. आदमी के तेज चलने, शारीरिक श्रम करने और दौड़ने पर दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं. वहीं, जब आदमी आराम के मूड में या फिर सो रहा होता है, तो उसके दिल की गति सामान्य रहती है.
हादसे के वक्त अक्सर आदमी के दिल की धड़कन बढ़ जाती है. इतना ही नहीं, हादसे के बाद रक्तस्राव से भी दिल की धड़कने तेज हो जाती हैं. शोध के दौरान उन्होंने यह भी पाया कि जब सड़क पर कोई हादसा होता है, तो तत्काल कोई उसकी मदद पहुंचानेवाला नहीं होता है. स्थानीय लोग मदद के लिए आते भी हैं, तो काफी देर हो चुकी होती है.
ऐसे में, हादसे में घायल व्यक्ति की जान भी चली जाती है. अक्षत को जब इतनी जानकारी मिल गयी, तब उन्होंने दिल की धड़कनों को ग्रहण करके उसका विश्लेषण करनेवाले उपकरण ईजाद करने की ठानी. मन में इस प्रकार का ख्याल आते ही उन्होंने इस पर काम करना शुरू कर दिया और वर्ष 2013 में स्वचालित उपकरण को ईजाद
कर दिया.
उपकरण कैसे करता है काम: दिल की धड़कनों पर काम करनेवाले उपकरण के बारे में अक्षत प्रकाश बताते हैं कि ‘हेलिक्स सेफ’ नामक यह उपकरण दिल की धड़कनों को कैप्चर करके अपनी प्रतिक्रिया कंप्यूटर को प्रेषित करता है.
हादसों की चपेट में आने के बाद जैसे ही आदमी के दिल की धड़कन तेज होती है, ‘हेलिक्स सेफ’ धड़कनों के आधार पर कंप्यूटर के पास संदेश प्रेषित करना शुरू कर देता है. कंप्यूटर में संदेश का अलार्म बजते ही उनके सगे-संबंधी सचेता हो जाते हैं.
इतना ही नहीं, अक्षत ने इस उपकरण में इंजेक्शन भी लगा रखा है, जिसे लगाने के बाद घायल को राहत मिलती है. यह इंजेक्शन सगे-संबंधियों के पहुंचने तक व्यक्ति को बचाये रखता है. इसके साथ ही यह उपकरण मरीज को खुद-ब-खुद इंजेक्शन देकर अस्पताल को इसकी सूचना भी पहुंचाता है. इस उपकरण को प्रोटोटाइप डिजाइन अरड्यूनों डेवलपमेंट एनवायरनमेंट, हर्ट रेट सेंसर और अन्य संबंधित उपकरण से बनाया गया है. इस उपकरण की खासियत यह है कि इसे वाहन चालक पहन भी सकता है.
साइंस फेयर में किया गया शामिल: अक्षत की ओर से इस उपकरण को पेटेंट कराने के लिए वर्ष 2013 में ही आवेदन किया गया था. उन्हें दो साल बाद चालू वर्ष 2015 में इसकी मंजूरी मिली है.
इसके साथ ही अभी ताइवान में आयोजित की गयी इंटरनेशनल साइंस फेयर-2015 में भी इस उपकरण को शामिल किया गया है. अक्षत का कहना है कि छोटे आकार के इस उपकरण को बनाने के पीछे घायलों को तत्काल चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराना है. उनका यह भी कहना है कि मैं कंप्यूटर साइंस के क्षेत्र में शोध करके कैरियर बनाना चाहता हूं.
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