ग्लोबल वार्मिंग से बड़ी समस्या आइएसआइएस

अमेरिका में बना चुनावी मुद्दा आइएसआइएस के खौफ से न सिर्फ सीरिया, इराक, फ्रांस और खाड़ी के देश भयभीत हैं, बल्कि दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी दहशत में है. इस साल होनेवाले राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों ने इस पर बहस भी शुरू कर दी है. आइएसआइएस का खौफ अमेरिका का मुख्य चुनावी मुद्दा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 17, 2016 9:06 AM
अमेरिका में बना चुनावी मुद्दा
आइएसआइएस के खौफ से न सिर्फ सीरिया, इराक, फ्रांस और खाड़ी के देश भयभीत हैं, बल्कि दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी दहशत में है. इस साल होनेवाले राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों ने इस पर बहस भी शुरू कर दी है. आइएसआइएस का खौफ अमेरिका का मुख्य चुनावी मुद्दा बन गया. कैसे और क्यों, जानने के लिए पढ़ें खास पेशकश की अंतिम कड़ी….
पेरिस आतंकी हमले के बाद एक रात अमेरिका में राष्ट्रपति पद के तीन डेमोक्रेटिक उम्मीदवार आयोवा में इस बात पर बहस कर रहे थे कि आइएसआइएस का हमला क्षेत्र विशेष से निकल कर किस तरह वैश्विक स्तर पर बढ़ा है. अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स का कहना था कि ग्लोबल वार्मिंग समस्या है, पर यह आइएसआइएस के आतंक से बड़ा नहीं. इसलामिक कट्टरपंथियों का उदय जहां डेमोक्रेटिक उदारवादियों को राजनैतिक शुद्धता पर जोर देने के लिए समस्या खड़ी कर देते हैं. वहीं रिपब्लिकन के लिए यह अर्द्धविक्षिप्तों जैसी स्थिति पैदा करनेवाली है. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीनेटर लिंडसे ग्राहम इस समस्या से निजात पाने के लिए सेना के इस्तेमाल पर जोर देते हैं. डेमोक्रेट की हिलेरी क्लिंटन ने इस मुद्दे का गंभीरता से विश्लेषण किया कि समस्या क्या है.
उन्होंने राजनीतिक तौर पर छलपूर्वक किसी भी कार्रवाई को बेतुका माना.
बहस से गायब रहा इसलामिक कट्टरपंथ : आखिर यहां पर इसलामिक कट्टरपंथ को उसके वास्तविक नाम से पुकारा जाना क्यों महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कोई शब्दों का खेल भर नहीं है. यहां पर यह इसलाम के साथ जुड़नेवाली एक बड़ी समस्या है. बीती सदियों से ही यह वहाबी नजरिये का एक वैचारिक संघर्ष हैं. यदि हम सही मायने में इस लड़ाई की सच्चाई को जानने की कोशिश करेंगे, तो हमें अपने दोस्त और दुश्मनों का साफ पता चल जायेगा. इसकी शुरुआत एक दशक पहले सऊदी अरब से स्थानीय मौलवियों की ओर से की गयी. सऊदी अरब के लोगों ने इरान के शिया समुदाय के साथ मिल कर सुन्नियों के खिलाफ आइएसआइएस का साथ लिया.
अभी हाल के महीनों में खाड़ी देशों के साथ गंठजोड़ करके यमन में शिया मुसलमानों की सफाई पर ध्यान केंद्रित कर दिया, जो फिलहाल पूरी दुनिया को उड़ाने की धमकी दे रहा है. इस बहस में न तो सऊदी अरब की चर्चा की गयी और न ही कट्टरपंथियों की. फिर भी यह जरूरी तब नहीं था, जब आइएसआइएस के खात्मे को लेकर विश्व समुदाय के साथ मिल कर अमेरिका काम नहीं कर रहा होता. डेमोक्रेट्स द्वारा अब भी एक सवाल अनुत्तरित है कि अमेरिका अथवा नाटो की रणनीतियों में बदलाव होने के बाद आइएसआइएस के खिलाफ साक्ष्य कैसे जुटाये जायेंगे.
सिलिकैन वैली कर सकता है सहयोग
पेरिस हमले के बाद दुनिया भर में आतंकवाद पर बहस शुरू होने के साथ ही निजी सुरक्षा की आवश्यकता भी महसूस की जाने लगी, जो बीते कई सालों से हाशिये पर चली गयी थी. पेरिस हमले के पीछे की साजिश पहले से ही स्पष्ट है कि उसके दोनों ओर से आपसी गंठबंधनों को स्थानांतरित कर दिया. इस समय सबूत जुटाने के लिए कानूनी तौर पर फोन रिकॉर्ड्स को एकत्र करने की जरूरत नहीं है, बल्कि जरूरत इस बात की है कि उपभोक्ता वस्तुओं का इस्तेमाल कैसे किया जाये. यह सोचना जरूरी है कि फेसबुक, व्हाट्स एप्प और एप्पल संदेशों का कैसे उपयोग किया जाये. फ्रांस के एक सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि हालांकि, जब पेरिस आतंकियों द्वारा हमले किये गये, तब कोई सबूत स्पष्ट नहीं थे. ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने कूट भाषा का प्रयोग करते हुए इस प्रकार के आधुनिक एप्प का इस्तेमाल करते हुए लोगों को आपस में जोड़ने का काम किया. कथित तौर पर प्रत्येक लोग को कूट भाषा में इंटरनेट के डिवाइस के जरिये संदेश भेजा गया.
इससे एक बात का पता चल गया कि आखिर में इंटरनेट हैकर्स और अपराधियों ने इंटरनेट पर इस कूट भाषा में भेजे गये संदेश को अपने पास रख लिया, जबकि इसे एक-दूसरे को आगे प्रेषित करना था. अपराधियों और हैकर्स द्वारा इस संदेश को रोकते हुए सुरक्षा एजेंसी को साक्ष्य जुटाने में सहूलियत हो गयी. लेकिन इसके साथ ही सुरक्षा अधिकारियों की कार्यक्षमता प्रभावित होने के साथ ही आतंकवादियों की पहचान करने में परेशानी हो सकती है. यदि सरकारी अधिकारी कोर्ट के जरिये फेसबुक और व्हाट्सएप्प के संदेश को कोडवर्ड के रूप में जारी करने के मुद्दे को उठाते हैं, तो यह कारगर हो सकता है. इसके अलावा सुरक्षा जांच के लिए अन्य अत्याधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
तो क्या अमेरिका पर भी हमला करेगा आइएसआइएस
सीआइए के पूर्व उप निदेशक माइकल मॉरेल का कहना है कि मैं 33 साल का एक इंटेलीजेंस अधिकारी था, जब इंटेलीजेंस अफसर अपने संक्षिप्त विवरण का अंतिम लाइन लिख रहे थे. इसमें लिखा था कि आइएसआइएस अमेरिका को एक बड़ी धमकी देने की तैयारी कर रहा है और उसकी अमेरिका में रुचि व्यापक पैमाने पर बढ़ रही है और वह रोजाना धमकी देने की तैयारी कर रहा है. यह धमकी किसी भी प्रकार की हो सकती है.
यहां पर आइएसआइएस किसी भी समय आंतकवादी समूह या फिर राजनीतिक आंदोलन के जरिये अपने मंसूबे में कामयाब हो सकता है. अमेरिका में हमला करने के लिए आइएसआइएस के द्वारा अपनी ही जमीन में कट्टरपंथी युवा अमेरिकियों को आतंकी समूह में शामिल करने की तैयारी की जा रही है. एफबीआइ की ओर से करीब नौ सौ से अधिक कट्टपंथियों की जांच की गयी, जिसमें आइएसआइएस के कट्टरपंथियों की संख्या अधिक थी और मुख्य तौर पर उसकी जांच उन लोगों के इर्द-गिर्द की जा रही थी, जो हमले की तैयारी कर रहे थे. अलकायदा के बाद अमेरिका में आइएसआइएस अपने अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ा रहा है.
आइएसआइएस को हराने के लिए अमेरिका के पूर्व नेवी एडमिरल जेम्स स्टावरिदिस के सुझाव :-
1. कम से कम थ्री स्टार के जनरल अफसरों द्वारा एक मजबूत और भरोसेमंद कमान और नियंत्रण प्रणाली की स्थापना करें.
2. देश भर में साझा भागीदारी के तहत खुफिया तंत्र को विकसित करें. फिलहाल, अमेरिका के पास एक बेहतरी खुफियातंत्र है और यह कथित तौर पर यूनाइटेड किंगडम जैसे पांच भागीदारों के पारंपरिक समझौते के तहत साझा किया गया है. खुफिया तंत्र को अधिक से अधिक आपसी भागीदारी और अत्याधुनिक तकनीकसंपन्न फ्रांस, बेल्जियम, डेनमार्क और नॉर्डिक्स की तरह विस्तार किया जाना चाहिए.
3. प्लान में एक मजबूत साइबर प्रणाली का विकास किया जाए. आइएसआइएस ने तीन स्तर पर साइबर वर्ल्ड की सुविधाएं उपलब्ध करायी है- वेब के जरिये भर्तियां, लाभ के लिए आपराधिक गतिविधियों का संचालन और ऑपरेशनल कमांड एंड कंट्रोल.
4. एक स्पेशल ऑपरेशंस टास्क फोर्स का गठन.
5. अन्य सरकारी एजेंसियों को एकीकृत किया जाए. सीनियर कमांडरों के साथ एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास के लिए सीआइए को इसका नेतृत्व करे.
6. अमेरिकियों और कोएलिशन की 15 से 20 हजार जवानों की एक फौज बने, जो दो जगहों पर ट्रेनिंग मिशन पर काम करे. एक कुर्दों के साथ एर्बिल में और दूसरा बगदाद में इराकी सेक्यूरिटी फोर्स के साथ. इसका नेतृत्व एक थ्री-स्टार अमेरिकी अधिकारी और अन्य देशों के दो टू स्टार अधिकारी करे.
7. हवाई अभियान में तेजी लायें.
8. मुख्य रूप से मोसुल और रक्का में जमीन पर फौज उतारें.
(समाप्त) इनपुट: टाइम पत्रिका

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