आइडिया ऑफ इंडिया : तभी होगा एक नवीन राष्ट्र का निर्माण
अतीत के आधार पर भविष्य की परिकल्पना को समझना बेहद जरूरी इस साल का गणतंत्र दिवस कई मायनों में महत्वपूर्ण है. सबसे पहले, विश्व के सबसे विशाल लोकतंत्र की सांस्कृतिक विरासत और स्वतंत्रता आंदोलन के संकल्प से उपजे राष्ट्र की अवधारणा के लिहाज महत्वपूर्ण है. दूसरा, बीते 65 वर्षों के राष्ट्रीय जीवन में यह संकल्प […]
अतीत के आधार पर भविष्य की परिकल्पना को समझना बेहद जरूरी
इस साल का गणतंत्र दिवस कई मायनों में महत्वपूर्ण है. सबसे पहले, विश्व के सबसे विशाल लोकतंत्र की सांस्कृतिक विरासत और स्वतंत्रता आंदोलन के संकल्प से उपजे राष्ट्र की अवधारणा के लिहाज महत्वपूर्ण है.
दूसरा, बीते 65 वर्षों के राष्ट्रीय जीवन में यह संकल्प कहां तक फलीभूत हुआ है, उसके आकलन के दृष्टिकोण से भी यह महत्वपूर्ण है. भारत की संकल्पना मुख्य रूप से स्वतंत्रता, समानता, बंधुता, नागरिक अधिकार और राज्य के कर्तव्य जैसे कारकों के ताने-बाने से बुनी गयी है. तीसरा, यह संकल्पना एक नवीन राष्ट्र की रचना का प्रारूप भी है.
नवीन राष्ट्र के निर्माण की यह संकल्पना हमारी आशाओं और आकांक्षाओं को सामूहिक और सामाजिक प्रतिबद्धता के साथ वास्तविक रूप देने का परिपत्र भी है. देश के सुखद भविष्य के निर्माण के लिए हमें भविष्य निर्माण के सफर में पुरानी यादें, सपने और संकल्प के साथ उपलब्धियों, असफलताओं और जाने-अनजाने में हुई चूक का भी मूल्यांकन करना होगा.