अब प्रखंड स्तर पर होगी मौसम की भविष्यवाणी
मौसम परिवर्तन के तीन से पांच दिन पहले किसानों को मिलेगी जानकारी मौसम में अचानक होनेवाले परिवर्तन और प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. इससे उन्हें फसलों की बरबादी का सामना तो करना ही पड़ता है, साथ ही आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो जाती है. मॉनसून में लगातार हो रहे […]
मौसम परिवर्तन के तीन से पांच दिन पहले किसानों को मिलेगी जानकारी
मौसम में अचानक होनेवाले परिवर्तन और प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. इससे उन्हें फसलों की बरबादी का सामना तो करना ही पड़ता है, साथ ही आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो जाती है. मॉनसून में लगातार हो रहे परिवर्तन अौर इसके कारण किसानों को होनेवाले नुकसान के मद्देनजर भारतीय मौसम विभाग ने अब एक नयी पहल करने की ठानी है. किसानों के हित को देखते हुए मौसम विभाग ने अब प्रखंड स्तर पर भविष्यवाणी करने की घोषणा की है. क्यों और कैसे होगा यह संभव, एक नजर इस पर…
मॉनसून की आंख-मिचौली से अब किसानों को फसल का नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा. सिंचाई बिना अब फसल भी बरबाद नहीं होंगी. भारतीय मौसम विभाग अब जल्द ही प्रखंड स्तर पर मौसम की जानकारी उपलब्ध कराने की पहल करने जा रहा है. भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक लक्ष्मण राठौर का कहना है कि भारतीय मौसम विभाग इस साल के अंत तक प्रखंड स्तर पर मौसम की भविष्यवाणी करना शुरू कर देगा. इससे क्षेत्र के किसानों को तीन से चार दिन पहले ही क्षेत्रीय स्तर पर मॉनसून में होनेवाले परिवर्तन की जानकारी मिल जायेगी और फिर वे उसके हिसाब से कृषि कार्य संपादित कर सकेंगे.
देश के सौ जिलों में शुरू कर दिया गया है काम : फिलहाल मौसम विभाग की ओर से देश के विभिन्न राज्यों के 100 जिलों में प्रखंड स्तर पर ‘एग्रो-क्लाइमेट जोन्स’ के नाम से इस काम को आरंभ कर दिया गया है. इस प्रणाली के तहत ‘एग्रो-क्लाइमेट जोन्स’ से सटे जिलों में भी समान रूप से मौसम की भविष्यवाणी की जा रही है. हालांकि, इस प्रणाली के तहत देश के 688 जिलों में 8 से 10 प्रखंडों के बीच मौसम पूर्वानुमान की जानकारी देने की व्यवस्था की गयी है, लेकिन प्रत्येक जिले के मौसम में विभिन्नता भी हो सकती है. इसलिए किसानों की सुविधा के लिए प्रत्येक 40 किलोमीटर पर मौसम पूर्वानुमान की जानकारी देने की प्रणाली को विकसित किया जाना जरूरी है.
नये वित्त वर्ष में की जायेगी प्रखंड स्तर पर भविष्यवाणी : मौसम विभाग के महानिदेशक लक्ष्मण राठौर का कहना है कि प्रखंड स्तर पर मौसम पूर्वानुमान प्रसारित करने की प्रणाली को विकसित किया जाना बेहद जरूरी है, लेकिन हमें उम्मीद है कि हम इस प्रणाली के जरिये इसे आगामी वित्तीय वर्ष 2016-17 तक ही शुरू कर पायेंगे.
उनका कहना है कि अभी उनके सामने सबसे बड़ी समस्या इस बात की है कि इस नयी प्रणाली के तहत सही तरीके से मौसम पूर्वानुमान की भविष्यवाणी सही तरीके से कैसे की जाये. उनका कहना है कि हालांकि, एग्रो-क्लाइमेट जोन के तहत इस प्रणाली को 80 फीसदी तक विकसित कर लिया गया है, लेकिन प्रखंड स्तर पर मौसम की भविष्यवाणी करनेवाली प्रणाली अभी 60 फीसदी तक ही विकिसत हो पायी है. इसीलिए इस प्रणाली के तहत अगले वित्त वर्ष में शुरू करने की योजना है.
दो दशक के सांख्यिकी आंकड़ों पर आधारित है यह प्रणाली: आम तौर पर भारतीय मौसम विभाग ने इस प्रणाली को बीते दो दशक के दौरान एकत्र किये गये सांख्यिकी आंकड़ों के आधार पर विकसित किया है. हालांकि, सूखे आदि की भविष्यवाणी को लेकर अब भी चिंता बनी हुई है. फिर भी विभाग की ओर से संख्यात्मक आंकड़ों पर भरोसा करते हुए मौसम पूर्वानुमान की भविष्यवाणी का काम शुरू कर दिया गया है. मौसम विभाग लगातार भारतीय जलवायु परिवर्तन और मॉनसून पूर्वानुमान की भविष्यवाणी को विश्वसनीय बनाने के लिए सुपर कंप्यूटरों के प्रसंस्करणों के जरिये काम कर रहा है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव माधवन राजीवन का कहना है कि जिला स्तर पर मौसम पूर्वानुमान भविष्यवाणी की प्रणाली विकसित करने पर लगातार काम कर रहे हैं और भारतीय मौसम विभाग लगातार इस काम की रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप रहा है.
जलवायु परिवर्तन के कारण विकसित की जा रही है यह प्रणाली : वर्ष 2014 और 2015 में जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में मॉनसून के कमजोर रहने के कारण सूखा के कारण भारतीय मौसम विभाग की ओर से प्रखंड स्तर पर मौसम पूर्वानुमान की भविष्यवाणी प्रसारित करने की प्रणाली विकसित की जा रही है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को सौंपी गयी रिपोर्ट में भारतीय मौसम विभाग ने जानकारी दी है कि इस प्रणाली के विकसित हो जाने के बाद देश के करीब 75 फीसदी किसान इस प्रणाली से जुड़ जायेंगे.