रानी रूपमती और बाज बहादुर की अधूरी कहानी
प्रभात खबर के बदले कलेवर में रविवार का दिन खास होगा़ हफ्ते के बाकी दिनों से इतर हर रविवार को हम इतिहास की गहराइयों में उतरकर आपके लिए लेकर आयेंगे अतीत की ऐसी प्रेम कहानियां, जिन्होंने इतिहास काे एक नया मोड़ दिया़ इसके अलावा, कुछ और अनछुए विषयों पर आधारित कहानियां भी हम आपके लिए […]
प्रभात खबर के बदले कलेवर में रविवार का दिन खास होगा़ हफ्ते के बाकी दिनों से इतर हर रविवार को हम इतिहास की गहराइयों में उतरकर आपके लिए लेकर आयेंगे अतीत की ऐसी प्रेम कहानियां, जिन्होंने इतिहास काे एक नया मोड़ दिया़ इसके अलावा, कुछ और अनछुए विषयों पर आधारित कहानियां भी हम आपके लिए लाने की कोशिश करेंगे, जिन्हें आप चाव से पढ़ना पसंद करेंगे़ बहरहाल, आज पढ़ें रानी रूपमती और बाज बहादुर की कहानी़
सच्चे प्यार को पूरे मन से जीने और निभाने वाले बहुत कम ही लोग हुए हैं इस धरती पर. जब कभी प्रेम कहानियों की बात चलती है, तब आज भी मध्य प्रदेश स्थित मांडू के लोग रानी रूपमती और बाज बहादुर का नाम बड़े गर्व से लेते हैं
रानी रूपमती और बाज बहादुर की प्रेम कहानी एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहर है़ विंध्याचल पर्वत पर बसे मांडू की पहाड़ियों पर आज भी रानी रूपमती और बाज बहादुर के प्यार के स्वर गूंजते हैं.
युद्ध, प्रेम, संगीत और कविता का अद्भुत मेल है इस जादुई प्रेम कहानी में. रूपमती मालवा की गायिका थीं और सुल्तान बाज बहादुर उनसे प्रेम करते थे़ दरसल रानी रूपमती का रूप वास्तव में उनके नाम को चरितार्थ करता था़ रूप सौंदर्य के साथ ही उनकी आवाज भी बड़ी सुरीली थी़ वह अच्छा गाना गाती थीं. बाज बहादुर से उनका अंतर्धार्मिक विवाह था़
बाज बहादुर मांडू के अंतिम स्वतंत्र शासक थे़ रूपमती किसान पुत्री और गायिका थीं. उनकी आवाज के मुरीद बाज बहादुर उन्हें अपने दरबार में ले आये और दोनों परिणय सूत्र में बंध गये़
लेकिन जब रानी की इन खूबियों के बारे में शहंशाह अकबर को पता चला, तो वह रूपमती पर मोहित हो गया और यह प्रेम कहानी परवान चढ़ने से पहले ही खत्म हो गयी़
रूपमती को पाने की इच्छा से अकबर ने बाज बहादुर को एक पत्र भेजा, जिस पर लिखा था कि रानी रूपमती को दिल्ली के दरबार में भेज दो़ इस पत्र को पढ़ कर बाज बहादुर क्रोधित हो गये और उन्होंने अकबर को पत्र लिखकर कहा कि वह अपनी रानी को उनके यहां भिजवा दें.
अपने पत्र का ऐसा जवाब पढ़ कर अकबर आग-बबूला हो गया़ अहंकार और गुस्से से भरे अकबर ने अपने सिपहसालार आदम खां से मालवा पर हमला करने को कहा. बाज बहादुर ने अपनी छोटी-सी सेना के साथ उसका मुकाबला किया़ इसके बाद भीषण युद्ध हुआ और अादम खां ने बाज बहादुर को बंदी बना लिया़
इसके बाद उसके सिपाही रानी रूपमती को लेने मांडू की ओर चल पड़े, लेकिन जब इस बारे में रानी रूपमती को पता लगा तो उन्होंने खुद को अकबर के हाथों में सौंपने से अपनी जान देना बेहतर समझा़
उन्होंने हीरा निगल कर अपनी इहलीला समाप्त कर ली़ जब रानी की मौत का समाचार अकबर को मिला तो उसे बहुत दुख हुआ़ वह पछतावे की अाग में जलने लगा़ उसने बाज बहादुर को कैद से आजाद कर दिया़ बाज बहादुर ने कहा कि वह वापस अपनी राजधानी सारंगपुर जाना चाहते हैं.
सारंगपुर वापस आने पर बाज बहादुर ने रानी की मजार पर सिर पटक-पटक कर अपने प्राण त्याग दिये़इस घटना के बाद अकबर को अपने किये पर काफी शर्मिंदगी हुई़ उसने पश्चाताप करने के लिए सन 1568 में सारंगपुर के समीप एक मकबरे का निर्माण कराया़ बाज बहादुर के मकबरे पर अकबर ने ‘आशिक-ए-सादिक’ और रूपमती की समाधि पर ‘शहीद-ए-वफा’ लिखवाया़
आज मांडू, मध्य प्रदेश का एक ऐसा पर्यटन स्थल बन चुका है, जो रानी रूपमती और बाज बहादुर के अमर प्रेम का साक्षी है़ यहां के खंडहर और इमारतें हमें इतिहास के उस झरोखे का दर्शन कराते हैं, जिसमें हम मांडू की विशाल समृद्ध विरासत से रूबरू होते हैं. रानी रूपमती का किला इनके प्यार का गवाह है़
रानी रूपमती को राजा बाज बहादुर इतना प्यार करते थे कि रानी रूपमती के दिल की हर बात समझ जाते थे़ राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती के प्यार के साक्षी मांडू में 3500 फीट की ऊंचाई पर बना रानी रूपमती का किला है़ कहते हैं कि रानी रूपमती नर्मदा नदी को देखे बिना भोजन ग्रहण नहीं करती थीं, इसलिए राजा बाज बहादुर ने रानी रूपमती की इच्छा का ध्यान रखते हुए रानी रूपमती किले का निर्माण करवाया़ रानी रूपमती के किले से नर्मदा नदी नजर आती है़
कहा जाता है कि रानी रूपमती प्रतिदिन स्नान के बाद यहां पहुंचतीं और नर्मदा जी के दर्शन उपरांत अन्न ग्रहण करती थीं. राजा बाज बहादुर रानी रूपमती को बेहद प्यार करते थे़
शायद इसलिए रानी रूपमती के महल तक पहुंचने से पहले राजा बाज बहादुर के महल को पार करना होता था़ राजा बाज बहादुर रानी रूपमती की रक्षा के लिए यह सब करते थे़ इसलिए शायद आज भी रानी रूपमती के किले को राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी का प्रतीक समझा जाता है़