दीर्घकालीन विकास की ओर उन्मुख बजट

मोदी सरकार के तीसरे बजट में ग्रामीण भारत और इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर जोर है. इन दोनों क्षेत्रों में खर्च बढ़ाना स्वागतयोग्य कदम है. लेकिन, बजट के कई प्रावधानों को लेकर सरकार आलोचना के घेरे में भी है. बजट के विभिन्न पहलुओं पर प्रभात खबर के दिल्ली ब्यूरो प्रमुख अंजनी कुमार सिंह ने केंद्रीय वित्त […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2016 7:24 AM
मोदी सरकार के तीसरे बजट में ग्रामीण भारत और इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर जोर है. इन दोनों क्षेत्रों में खर्च बढ़ाना स्वागतयोग्य कदम है. लेकिन, बजट के कई प्रावधानों को लेकर सरकार आलोचना के घेरे में भी है. बजट के विभिन्न पहलुओं पर प्रभात खबर के दिल्ली ब्यूरो प्रमुख अंजनी कुमार सिंह ने केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा से विस्तृत बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश की पहली क़िस्त
सवाल : आपकी नजर में आम लोगों के लिए बजट में ऐसी क्या खास बात है, जो उन्हें सीधे प्रभावित करेगी?
ग्रामीण क्षेत्रों में देखें, तो आम जनता के लिए बजट में बहुत कुछ है. सरकार ने तय किया है कि हर गांव में हम सड़क, बिजली और पानी का प्रावधान करेंगे. किसान भाइयों को यह भी कहा है कि उन्हें सॉइल हेल्थ (मृदा स्वास्थ्य) कार्ड दिलायेंगे और उनको बाजार मूल्य का प्लेटफार्म उपलब्ध करायेंगे ताकि वे अपनी ऊपज का, अपनी फसल का बाजार मूल्य हासिल कर सकें.
खाद्य प्रसंस्करण में आलू, जूस आदि में बाहर से भी निवेश आ सकता है और हमारा अनुमान यह है कि काफी निवेश बाहर से आयेगा. हमलोगों ने दूध और डेयरी कारोबार में बहुत कुछ करने की घोषणा की है. इस प्रकार हमलोगों ने अपने किसान भाई-बहनों को एक महत्वपूर्ण वचन दिया है कि उनकी आमदनी को बढ़ायेंगे. और विभिन्न उपायों से पांच वर्षों में उनकी आमदनी को दोगुना करेंगे.
अगर आप देखें कि गांवों में हमलोग क्या लाने वाले हैं, तो बिजली, पानी और सड़क तो सभी गांवों में उपलब्ध कराने की योजना है ही, शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं. गांव के लिए एक और महत्वपूर्ण बात हमलोगों ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में की है. हमने गरीबी रेखा से नीचे बसर करनेवाले परिवारों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना लागू किया है, इससे गरीबों को काफी फायदा पहुंचेगा.
ऐसे परिवारों को एक लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा सरकार की ओर से दिया जायेगा.
और, जो वरिष्ठ नागरिक हैं, उन्हें एक लाख के अलावा 30 हजार रुपये अतिरिक्त दिया जायेगा, जिससे वह उपचार के लिए अस्पताल जा सकें. आम जनता को दी जा रही ये सुविधाएं बहुत ही क्रांतिकारी और ऐतिहासिक कदम साबित होंगी. गांव के हर गरीब घर में रसोई गैस पहुंचाने का संकल्प लिया गया है, इससे महिलाओं के जीवन में बेहतरी आयेगी. इसमें दो बातें है. प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा अलग चीज होती है. हमने हॉस्पिटलाइजेशन के लिए बीमा सुरक्षा प्रदान किया है.
दूसरी बात यह है कि अस्पतालें राज्य सरकार द्वारा संचालित होती हैं. हमने 3000 जन-औषधि केंद्र खोलने की भी घोषणा की है जहां कम दामों में दवा उपलब्ध होगी. कुल मिलाकर कृषि को दोगुना आवंटन, स्वास्थ्य सुरक्षा योजना, हर गरीब परिवार को रसोई गैस, इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च को 22.5 फीसदी बढ़ाकर 2.21 लाख करोड़ करना, सामाजिक सुरक्षा प्लेटफार्म, सड़क और परिवहन क्षेत्र को बढ़ावा, सस्ते मकान, वित्तीय क्षेत्र को मजबूती देना आदि कामों पर सरकार ने फोकस किया है, जिससे देश की तसवीर बदलेगी.
सवाल : बजट में गांवों पर विशेष फोकस किया गया है.
क्या मोदी सरकार की कॉरपोरेट वाली छवि को तोड़ने की कोशिश के तहत यह बजट ऐसा पेश किया गया है या फिर आगामी चुनावों में ग्रामीण मतदाताओं की बड़ी तादाद को देखते हुए? यदि ऐसा नहीं है, तो किसानों के लागत मूल्य से 50 प्रतिशत अधिक देने की जो घोषणा थी उसका क्या हुआ?
हमलोग व्यापक देशहित में काम कर रहे हैं. किसानों को अलग तरह का फायदा होगा. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि बाजार के लिए इ-प्लेटफार्म, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, स्वास्थ्य बीमा, खाद्य सुरक्षा, पेंशन योजना जैसी पहलों से किसानों और गरीबों को फायदा मिलेगा.
युवाओं में कौशल बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने इस तरह का बजट पेश किया है. ऐसा बिल्कुल नहीं है. हमारा घोषणा पत्र देख लें, या राष्ट्रपति जी के अभिभाषण को देख लें. देश की अर्थव्यवस्था और देशहित के लिए जो भी अनुकूल है, सरकार उसी दिशा मे काम कर रही है. किसी चुनाव के कारण अपने बुनियादी चीजों को नहीं बदला जा सकता है.
सवाल : बैंको का बढ़ता एनपीए (कर्जे में फंसी राशि) अत्यंत चिंताजनक है. फिर भी बैंकों को पूंजीगत रूप से सुदृढ़ करने के लिए मात्र 25 हजार करोड़ रुपये का ही आवंटन किया गया है. क्या इससे बैंको की वित्तीय स्थिति सुधर जायेगी? साथ ही, एक किसान जब कर्ज लेता है, तो उससे वसूल कर लिया जाता है, लेकिन अत्यंत धनी लोगों से कर्ज वसूलने में सरकार नाकाम हो जाती है, ऐसा क्यों?
एनपीए के कई किस्म के होते हैं. किसानों के भी एनपीए है. मध्यम वर्ग के भी एनपीए हैं. बड़े प्रोमोटरों के भी एनपीए है.
इस प्रकार पूरे तंत्र में कई प्रकार के एनपीए हैं. इसके लिए जो भी जिम्मेवार हैं, उन पर कार्रवाई की जाती है. चाहे वह गरीब आदमी हो या मध्यम वर्ग या फिर प्रोमोटर. बहुत सारे प्रोमोटरों पर भी कार्रवाई कर रहे हैं. कई जगहों पर पूरी कंपनी प्रोमोटरों के हाथ से निकलकर सीधे बैंकों के पास आ गयी है. यह एक बहुत बड़ी गलतफहमी है. यह गलतफहमी दूर होनी चाहिए कि किसानों पर हम दबाव बनाते हैं और मध्यम वर्ग या उच्च वर्ग के साथ ऐसा नहीं होता है. प्रोमोटर और उद्योगपतियों पर भी बहुत ही दबाव बनाया गया है.
यदि आप उनसे पूछेंगे, तो उनका सीधा-सा सवाल होता है कि आखिर हमारे ऊपर इतना दबाव क्यों लगा रखा है. कुछ दीर्घकालीन उपायों पर भी काम किया गया है, जो आगामी छह-सात महीने में लागू हो जायेगा. कुछ दिनों बाद बैंकरप्सी (दिवालिया) कोड भी प्रभावी हो जायेगा. इस तरह से बैंकों को सशक्त बनाने के प्रयास हो रहे हैं कि यदि कोई प्रोमोटर अपने ऋण का भुगतान सही समय पर नहीं करता है, तो उन प्रोमोटरों को हटा दिया जाये.

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