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बजट 2016-17 : बेहतर स्किल के जरिये मेक इन इंडिया
वित्त राज्यमंत्री की राय सबका साथ, सबका विकास पर फोकस आम बजट में सबका साथ, सबका विकास की झलक मिलती है. एक तरफ जहां युवा शक्ति के कौशल विकास पर जोर है, तो दूसरी तरफ ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार की चिंता भी दिखती है. सरकार मेक इन इंडिया के सपने को पूरा करना […]
वित्त राज्यमंत्री की राय सबका साथ, सबका विकास पर फोकस
आम बजट में सबका साथ, सबका विकास की झलक मिलती है. एक तरफ जहां युवा शक्ति के कौशल विकास पर जोर है, तो दूसरी तरफ ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार की चिंता भी दिखती है. सरकार मेक इन इंडिया के सपने को पूरा करना चाहती है. आखिर यह सब होगा कैसे, बजट में हैं क्या हैं प्रावधान. प्रभात खबर के दिल्ली ब्यूरो प्रमुख अंजनी कुमार सिंह से केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा की बातचीत की दूसरी व अंतिम किस्त.
सवाल : मोदी सरकार ने पांच साल में पांच करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात कही थी. अब तक क्या नतीजे सामने आये हैं?
इस मसले पर हमलोगों ने काफी कुछ किया है और आगे भी बहुत काम करने की जरूरत है. शिक्षा के क्षेत्र में अनेक प्रयास किये जा रहे हैं. पहली बात यह कि हमलोग विविध कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण केंद्र खड़ा कर रहे हैं.
इससे रोजगार देने में सुविधा होगी. दूसरी पहल के रूप में नेशनल स्किल डेवलपमेंट सर्टिफिकेट कोर्स है, जिसमें प्रशिक्षण के साथ ही प्रमाण-पत्र भी दिया जायेगा और उस योग्यता के आधार पर उसे रोजगार भी मिलेगा. तीसरा, ‘मेक इन इंडिया’ को सरकार ने बहुत प्रोत्साहन दिया है इस बजट में.
क्योंकि हमें भरोसा है कि इस कारण लोग यहां ज्यादा फैक्टरियां लगायेंगे, और फैक्टरियां लगायेंगे, तो लोगों को बेहतर रोजगार मिलेगा. चौथा, हमलोगों ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) को और लचीला बनाया है, जैसा हमलोगों ने फूड प्रोसेसिंग में किया है. इस कारण से यहां और लोग आयेंगे, निवेश करेंगे और लोगों को रोजगार मिलेगा.
पांचवीं बात यह है कि हमने ‘स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया’ में बहुत साधन मुहैया कराया है, एंटरप्रेन्योरशिप को. जैसे-जैसे नये उद्यमी उद्यम खड़ा करेंगे, उससे लोगों को और अधिक नौकरियां मिलेंगी. छठा यह कि हमारी मुद्रा योजना सफल रही है. इस योजना में हमलोगों ने एक लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. अगले वित्तीय वर्ष में 1.80 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान होगा. इससे जो माइक्रो-लेवल पर पैसा जायेगा. छोटे-छोटे व्यापारी, ठेला वाला या फिर कोई अपना रोजगार लगाना चाह रहा हो, कोई अपना वर्कशॉप चलाना चाह रहा है, उन सभी लोगों को इससे ऋण मिल सकता है.
सवाल : पिछली बार सरकार ने कॉरपोरेट पर ध्यान दिया था और इस बार कृषि क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान दिया गया दिखता है. परंतु विपक्ष का आरोप है कि कृषि व किसानों के लिए भी इस बजट में कुछ खास नहीं है. इस तरह के आरोपों को आप किस नजरिये से देखते हैं?
विपक्ष का काम ही है आलोचना करना, लेकिन मैंने बताया कि सत्ता में आने के बाद सरकार की प्राथमिकता में आम व गरीब लोग शुरू से ही रहे हैं.
हमलोग उस विषय पर ही काम कर रहे हैं. युवाओं को कैसे रोजगार मिले, किसानों के हालत कैसे अच्छे हों, मध्यम वर्ग के लोगों को बेहतर जिंदगी कैसे मिले, हम इस दिशा में ही काम कर रहे हैं.
सवाल : सरकार जो आंकड़े पेश करती है, उसमें महंगाई कम दिखती है, लेकिन बाजार में महंगाई में किसी प्रकार की कमी दिख नहीं रही है. ऐसा क्यों?
हमलोग देश के बाजारों की निगरानी करते रहते हैं. मैं खुद ये आंकड़े देखता हूं. आज के समय में खाने-पीने के खर्चे में थोड़ा बदलाव आया है. सिर्फ दालों की कीमतों में वृद्धि हुई है. लेकिन जब आप दूसरी तरफ देखें, तो पेट्रोल की कीमतें क्या है? गैस सिलिंडर की कीमत कितनी कम हो गयी है? इन सब चीजों को आप देखें, तो आपको लगेगा कि चीजों के दाम में कमी आयी है. इसीलिए घर का खर्च उतना ही है, जितना दो साल पहले था. यदि आप थाली को देखें, तो जो दाल है उसकी कीमतें बढ़ी है, लेकिन बाकी चीजों की कीमतें उतनी ही है, जितनी दो साल पहले थीं.
सवाल : मध्यम वर्ग इस बजट में खुद को छला महसूस कर रहा है? मध्यम वर्ग को इस बजट से क्या फायदा होगा?
मध्यम वर्ग के लिए भी सरकार ने बहुत कुछ किया है. आवास ऋण में 50 हजार के अतिरिक्त ब्याज पर छूट, नेशनल डायलिसिस सर्विस प्रोग्राम, बिचौलियों को हटाते हुए सरकार की ओर से सामाजिक सुरक्षा प्लेटफार्म के माध्यम से जरूरतमंदों को सीधे लाभ, सड़क परिवहन के क्षेत्र में बेहतर सुविधाएं, दालों की कीमत में स्थिरता के लिए प्राइज स्टैबलाइजेशन फंड, आयकर की धारा 87- ए के तहत छूट में राहत जैसी घोषणाओं से मध्य वर्ग को फायदा पहुंचेगा.
सवाल : क्या सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा लागू होने के बाद महंगाई और अधिक बढ़ेगी?
नहीं. महंगाई नहीं बढ़ने वाली है. महंगाई तब बढ़ती है जब उत्पादन कम होता है. और हमलोगों ने निवेश के दृष्टिकोण से बहुत कुछ किया है, जिसमें अर्थव्यवस्था में उत्पादक क्षमता बढ़ जाये. यदि थोड़ा उपभोग बढ़ रहा है, तो भी तकलीफ नहीं होगी, क्योंकि उस हिसाब से उत्पादन भी बढ़ रहा है. इसे सप्लाई साइज (आपूर्ति आकार) सोच कहते हैं और इसे लक्ष्य मानकर हमलोगों ने अपनी तैयारी की है.
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