एक क्रांति का ”आधार”

कल्याणकारी राज्य की रचना के लिए बेहतर तकनीक नंदन नीलेकणि पूर्व अध्यक्ष, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण विज्ञान गल्प के लेखक आर्थर सी क्लार्क ने कहा था, ‘अच्छी तरह से विकसित कोई भी तकनीक जादू से भिन्न नहीं होती है.’ उनका कहना बिल्कुल सही था, पर सार्वजनिक नीति में किसी तकनीक के व्यापक इस्तेमाल के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 15, 2016 8:46 AM
कल्याणकारी राज्य की रचना के लिए बेहतर तकनीक
नंदन नीलेकणि
पूर्व अध्यक्ष,
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण
विज्ञान गल्प के लेखक आर्थर सी क्लार्क ने कहा था, ‘अच्छी तरह से विकसित कोई भी तकनीक जादू से भिन्न नहीं होती है.’ उनका कहना बिल्कुल सही था, पर सार्वजनिक नीति में किसी तकनीक के व्यापक इस्तेमाल के लिए इंजीनियरिंग एक आवश्यक स्थिति है, पर यह पर्याप्त नहीं है. इसमें डिजाइन की सरलता, मापनीय वास्तु, एक ‘ओपेन’ प्लैटफॉर्म, संबंधित विभिन्न लोगों का संतोष, निजता की रक्षा, और भरोसे जैसे तत्वों का होना जरूरी है.
भारत में बहुत जल्दी सौ करोड़ से अधिक ‘आधार’ संख्याएं हो जायेंगी और लोस में पास ‘आधार’ विधेयक एक महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर है जिससे सरकार कागजरहित, उपस्थितिरहित और नगदीरहित बन सकती है. यह भारत को उन देशों की श्रेणी में खड़ा कर देगा, जिनकी सरकारें अपने नागरिकों के प्रति गरिमापूर्ण व्यवहार करनेवाली एक प्रभावी, सक्षम और आधुनिक कल्याणकारी राज्य की रचना करने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करती हैं.
हर उद्यमी यह जानता है कि यदि आप हर बत्ती के हरा होने का इंतजार करेंगे, जो आप घर से निकल ही नहीं पायेंगे.
मैंने 2009 में आधार की जिम्मेवारी इस समझ के साथ संभाली थी कि इस संबंध में एक कानून जल्दी पारित कर दिया जायेगा और यह भी कि परियोजना को शुरू करने के लिए हमारे पास ठोस वैधानिक आधार हैं. बिना प्रतीक्षा किये काम शुरू करने के कारण ही हम आज लगभग एक अरब संख्या निर्गत कर सके हैं, और सिर्फ एक साल में ही 10 हजार करोड़ से अधिक की रसोई गैस सब्सिडी के बचत ने इसकी उपयोगिता का स्पष्ट उदाहरण भी प्रस्तुत कर दिया है.
लेकिन ‘आधार’ को अपनी पूरी संभावना को संचालित करने के लिए अब नियामक वैधता की आवश्यकता है. मौजूदा विधेयक विभिन्न स्टेकहोल्डरों के दृष्टिकोणों का संतुलित मिश्रण है और यह सर्वोच्च न्यायालय की चिंताओं को समुचित रूप से तुष्ट करता है. आइए, इस विधेयक पर एक नजर डालते हैं और देखते हैं कि यह किस तरह की क्रांतियों का सूत्रपात कर सकता है.
‘आधार’ विधेयक की मुख्य बातें उसके विवरण में हैं. इसमें नाम दर्ज कराना स्वैच्छिक है. इसका उपयोग सिर्फ पहचान प्रमाण के रूप में होगा, न कि नागरिकता के प्रमाण के तौर पर.
यह सरकार को कॉन्सोलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया के जरिये किसी लाभ, अनुदान या सेवा को प्रदत करने में फर्जीवाड़ा, भ्रष्टाचार और बरबादी रोकने के लिए सक्षम बनाता है. ऐसी सेवाओं और लाभों में रसोई गैस सब्सिडी, ग्रामीण रोजगार योजना कीÂबाकी पेज 15 पर
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