जहां खुद धीमी हो जायेगी हर गाड़ी

अहमदाबाद की शकुंतला और सौम्या ने बनाया अनोखा थ्रीडी जेब्रा क्रॉसिंग गुजरात की रहनेवाली सौम्या पांड्या ठक्कर और शकुंतला पांड्या ने सड़क पर थ्रीडी पेंटिंग से जेब्रा क्रॉसिंग बनाया है, जिसे देख कर वाहन चालक को सड़क पर कोई ठोस रोड ब्लॉकर रखे होने का आभास होता है और उसे मजबूरन अपनी गाड़ी की गति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 26, 2016 5:10 AM
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अहमदाबाद की शकुंतला और सौम्या ने बनाया अनोखा थ्रीडी जेब्रा क्रॉसिंग

गुजरात की रहनेवाली सौम्या पांड्या ठक्कर और शकुंतला पांड्या ने सड़क पर थ्रीडी पेंटिंग से जेब्रा क्रॉसिंग बनाया है, जिसे देख कर वाहन चालक को सड़क पर कोई ठोस रोड ब्लॉकर रखे होने का आभास होता है और उसे मजबूरन अपनी गाड़ी की गति धीमी करनी पड़ती है़

हमारे देश में जहां हर साल तकरीबन डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं, ऐसे में इन महिलाओं की कोशिश इस स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित कर सकती है़

गुजरात के अहमदाबाद की दो महिलाओं ने सड़क दुर्घटनाओं को कम करने का एक कलात्मक तरीका तलाशा है़ दरअसल, इन्होंने सड़कों पर पायी जानेवाली काली और सफेद धारियोंवाली जेब्रा क्रॉसिंग के नये डिजाइन पेश किये हैं, जो थ्रीडी यानी त्रिआयामी कला तकनीक से प्रेरित हैं.

सड़क सुरक्षा को एक नया आयाम देने की कोशिश कर रहीं ये महिलाएं रिश्ते में मां-बेटी हैं और इनके नाम हैं – शकुंतला पांड्या और सौम्या पांड्या ठक्कर. आये दिन होनेवाले सड़क हादसों को रोकने के लिए सौम्या पांड्या ठक्कर और शकुंतला पांड्या ने कुछ अलग करने की ठानी थी.

काफी सोच-विचार के बाद उन्होंने जेब्रा क्रॉसिंग का यह अनूठा कंसेप्ट तैयार किया. इसका डिजाइन ऐसा बनाया गया है कि इसके पास पहुंचने पर लगता है, मानो कोई ठोस रोड ब्लॉकर रखा गया हो. इसे देख कर चालक गाड़ी की रफ्तार धीमी कर लेते हैं.

सौम्या और शकुंतला के इस अनूठे प्रयोग को न सिर्फ आम लोगों की, बल्कि सरकारी अमलों से भी सराहना मिल रही है. यहां यह जानना जरूरी है कि इन महिलाओं ने थ्रीडी पेंटिंग तकनीक के इस्तेमाल से जेब्रा क्रॉसिंग पैदल यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाया है़ साधारण जेब्रा क्रॉसिंग की तुलना में थ्रीडी पेंटिंग वाले जेब्रा क्रॉसिंग पर ड्राइवरों का ध्यान ज्यादा जायेगा़ गौरतलब है कि अहमदाबाद के सड़क एवं परिवहन विभाग ने सौम्या और शकुंतला की मदद से कुछ जगहों पर थ्रीडी जेब्रा क्रॉसिंग तकनीक का इस्तेमाल किया है़ यहां के अधिकारियों ने इनके इस कार्य की सराहना करते हुए इस प्रयोग की सफलता पर मुहर लगा दी है़ विभाग के अध‌िकारियों का कहना है कि इसी तकनीक पर बने जेब्रा क्रॉसिंग के कुछ और डिजाइन्स अभी स्कूलों-अस्पतालों के आसपास और दुर्घटना संभावित इलाकों में बनाये जायेंगे़

यहां बताते चलें कि थ्रीडी पेंटिंग चित्रकारी की एक ऐसी तकनीक है, जो चित्र को आभासी रूप देती है़ थ्रीडी पेंटिंग का इस्तेमाल कर अगर किसी चीज का चित्र बनाते हैं, तो एक खास दिशा से देखने पर हमें ऐसा आभास होगा कि सचमुच में वह चीज हमारे सामने है़ उदाहरण के लिए, धरातल पर बना तालाब या गड्ढे का थ्रीडी चित्र, वास्तव में एक चित्र नहीं, बल्कि सचमुच का गड्ढा नजर आयेगा़

बहरहाल, मां शकुंतला के साथ मिल कर की गयी इस कोशिश की सफलता से उत्साहित सौम्या कहती हैं, थ्रीडी स्ट्रीट आर्ट भारत के लिए बिलकुल नया है़ लोगों के भीतर एक जिज्ञासा और उत्सुकता पैदा करने के कारण यह अहमदाबाद में सफल हो पाया है़ वह आगे कहती हैं, बाहर के देशों से प्रेरणा लेकर, जेब्रा क्रॉसिंग को समतल जमीन पर कुछ ऐसे पेंट किया गया कि चालकों को वह उभरा हुआ प्रतीत हो़ इससे वे खुद ही अपनी गति धीमी कर लेते हैं, जिससे अचानक से ब्रेक लगाने की जरूरत नहीं पड़ती़

इससे दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है़ अपनी मां की प्रेरणा से बचपन से चित्रकला से जुड़ीं सौम्या कहती हैं कि अधिकारियों ने थ्रीडी जेब्रा क्रॉसिंग के प्रभाव का परीक्षण किया है और इसे सफल घोषित कर दिया गया है़ अब यह डिजाइन कॉपीराइट के लिए भी उपलब्ध है़

गौरतलब है कि दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं में मारे जानेवाले लोगों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है़ नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के अनुसार, भारत में 2014 में साढ़े चार लाख से ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें एक लाख 41 हजार से ज्यादा लोग मारे गये. यह संख्या भारत में प्रति मिनट एक सड़क दुर्घटना और प्रत्येक चार मिनट में सड़क दुर्घटना से होने वाली मौत का आंकड़ा दर्शाती है़

ऐसे हादसों की कुल सामाजिक लागत लगभग एक लाख करोड़ रुपये बैठती है़ पिछले 10 वर्षों की अवधि में सड़क हादसों में होने वाली मौतों में 42़ 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है़ इसके अलावा, आंकड़ों की मानें तो कुल सड़क दुर्घटनाओं में 78.7 प्रतिशत चालकों की गलती से होती हैं. और तो और, सड़क दुर्घटनाओं की वजह से होने वाली 63 फीसदी मौतें राष्ट्रीय और राजमार्गों पर होती हैं.

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भी इन तथ्यों की तसदीक करते हुए यह मानता है कि हर साल सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं और उसकी वजह से मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है़ ऐसे में उम्मीद है कि शकुंतला और सौम्या के इस कंसेप्ट की सफलता देश भर में रंग लायेगी और इससे सड़क दुर्घटनाओं के मामले भी कम होंगे.

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