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चीन-पाकिस्तान जुगलबंदी-2 : पाकिस्तानी आतंकवाद और भारत

चीनी लक्षणों का पड़ोसी धर्म रवि दत्त बाजपेयी संयुक्त राष्ट्र संघ में मौलाना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की वैश्विक समुदाय की मुहिम पर चीन का वीटो, इसका प्रमाण है कि चीन के लिए भारत में पाकिस्तानी आतंकवाद कोई गंभीर मुद्दा नहीं है. इससे ऊपर चीन, भारत को अपने पड़ोसियों से अच्छे संबंध […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 20, 2016 6:05 AM
चीनी लक्षणों का पड़ोसी धर्म
रवि दत्त बाजपेयी
संयुक्त राष्ट्र संघ में मौलाना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की वैश्विक समुदाय की मुहिम पर चीन का वीटो, इसका प्रमाण है कि चीन के लिए भारत में पाकिस्तानी आतंकवाद कोई गंभीर मुद्दा नहीं है. इससे ऊपर चीन, भारत को अपने पड़ोसियों से अच्छे संबंध बनाने का प्रवचन दे रहा है, यह शायद चीनी लक्षणों का पड़ोसी धर्म है. पढ़िए दूसरी कड़ी.
अनेक अवसरों पर चीन यह घोषणा करता आया है कि वैश्विक समुदाय के स्वाभिमानी, सम्माननीय व संवेदनशील सदस्य के रूप में चीन अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का घोर विरोधी है. सबसे पहले आतंकवाद के प्रति चीन के विरोध के स्वाभिमानी, सम्माननीय व संवेदनशील पहलू दर्शाते हुए कुछ तथ्यात्मक प्रमाणप्रस्तुत हैं.
“ जब सारी दुनिया में इसलामिक स्टेट के नृशंस, हिंसक बरताव के खिलाफ आम सहमति बन रही है तब दलाई लामा का इस संगठन को सुनने, समझने और इसका सम्मान करने की बात कहते हैं. यह बयान प्रमाणित करता है कि आइएस के प्रति दलाई लामा की सहानुभूति और समर्थन उनकी हड्डियों तक में समाहित है.”(झू विक्वीन, अध्यक्ष जातीय और धार्मिक मामलों की चीनी संसदीय समिति, दिसंबर 2015)
“इस आक्रमणकारी दस्ते के प्रमुख, पूर्व तुर्किस्तान इसलामी आंदोलन के पाकिस्तान स्थित आतंकी शिविरों में गोलीबारी और विस्फोटक बनने का प्रशिक्षण लेकर आये थे. ये हमलावर धार्मिक अतिवाद और जिहाद के समर्थक हैं.” (चीन की शिंजियांग प्रांतीय सरकार, अगस्त 2011) “ संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करना एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है, हमें इस मामले पर विचार करना चाहिए और संबंधित देशों के बीच सहमति बनाने का प्रयास करना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित सूची में किसी व्यक्ति या संगठन को तब शामिल किया जाता है, जब वह उसकी शर्तें पूरी करता है और यह परिषद के सभी सदस्यों का दायित्व है कि वे सुनिश्चित करें कि शर्तों का अनुपालन हो.”
(ल्यू जिनसोंग, संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि, अप्रैल 2016)
जातीय और धार्मिक मामलों की चीनी संसदीय समिति के अध्यक्ष का दिसंबर 2015 के वक्तव्य का संदर्भ दलाई लामा का एक साक्षात्कार था, जिसमें दलाई लामा ने आइएस से निपटने के लिए एकमात्र रास्ता वार्तालाप बताया था और बातचीत के लिए इस संगठन को सुनने, समझने और इसका सम्मान करने का सुझाव दिया था. चीन की शिंजियांग प्रांतीय सरकार का अगस्त 2011 के बयान के पार्श्व में शिंजियांग प्रांत के काश्गर शहर में आतंकी हमलों और प्रशासन की जवाबी कार्यवाही में 19 लोगों की मृत्यु थी.
संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि के अप्रैल 2016 के एलान की पृष्ठभूमि में पाकिस्तानी आतंकवादी मौलाना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रयासों को निष्फल करने के लिए लाये गये चीनी वीटो को तर्कसंगत ठहराना था.
पाकिस्तानी आतंकवादी भारत पर हुए अनेक संगीन आतंकी हमलों का सूत्रधार मौलाना मसूद अजहर, वर्ष 1994 में जम्मू-कश्मीर में भारतीय सुरक्षा संस्थाओं द्वारा पकड़ा गया था. मसूद अजहर की रिहाई के लिए उसके साथियों ने वर्ष 1995 में जम्मू व कश्मीर में कुछ विदेशी पर्यटकों अपहरण किया था, जिनमे से चार की हत्या कर दी गयी. वर्ष 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान के अपहरण बाद तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने मौलाना मसूद अजहर को रिहा कर दिया था. वर्ष 2001 में भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमलों का सूत्रधार भी मसूद अजहर माना जाता है.
जनवरी 2016 में भारतीय वायुसेना के पठानकोट अड्डे पर हुए आतंकी हमलों में भी मसूद अजहर के संलिप्तता के सबूत मिले. इसके बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव रखा. इस समिति के 15 में से, 14 सदस्य देशों ने भारत के प्रयासों का समर्थन किया, लेकिन चीन ने तकनीकी कारणों का हवाला देकर भारत के इस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया.
चीन के अनुसार मसूद अजहर, अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी के खिताब से नवाजे जाने के लिए सुरक्षा परिषद के निर्धारित मानकों पर खरा नहीं उतरता है. यह पहला अवसर नहीं है जब चीन ने पाकिस्तानी आतंकवाद को संरक्षण प्रदान किया है. वर्ष 2008 में 166 लोगों की हत्या के जिम्मेदार मुंबई हमलों के सूत्रधार जकी-उर-रहमान लखवी को वर्ष 2015 में पाकिस्तान ने जेल से रिहा कर दिया. भारत ने पाकिस्तान की इस हरकत पर संयुक्त राष्ट्र में कारवाई की मांग की थी, लेकिन चीन ने अपर्याप्त जानकारी का हवाला इस भारतीय प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया था.
संयुक्त राष्ट्र संघ में मौलाना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की वैश्विक समुदाय की मुहिम पर चीन का वीटो, पाकिस्तानी आतंकवाद पर चीन के वरदहस्त के रूप में देखा जा रहा है.
यह इस बात का भी प्रमाण है कि बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा को आतंकवादी बताने वाले चीन के लिए भारत में पाकिस्तानी आतंकवाद कोई गंभीर मुद्दा नहीं है. भरसक चीन संयुक्त राष्ट्र में अपने वीटो से भी तृप्त नहीं हुआ और अब भारत को कूटनीति और अपने पड़ोसियों से अच्छे संबंध बनाने का प्रवचन दे रहा है.
संयुक्त राष्ट्र में चीन के स्थायी प्रतिनिधि ल्यू जिनसोंग ने भारत को बताया “ पाकिस्तान आपका दुश्मन नहीं है, भाई समान है. यह देश तो आपके देश से ही निकल कर बना है, आप अपने पुरुष या महिला मित्र तो बदल सकते हैं लेकिन अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते हैं.”
भारत को कूटनीति का सबक देने वाला चीन शायद यह भूल गया है कि, जापान और वियतनाम जैसे देश भी प्राचीन चीनी सभ्यता से निकले हुए हैं, यह भी उसके भाई के समान ही है.
एक देश से ही निकल कर बने दूसरे देश की उक्ति तो चीन-ताइवान के बारे में एकदम सटीक बैठती है. चीन ने आज तक ताइवान को पृथक संप्रभु राष्ट्र का दर्जा न खुद ही दिया और न किसी अन्य देश को ही देने दिया. यह शायद चीनी लक्षणों का पड़ोसी धर्म है और भारत इन विशिष्ट लक्षणों के योग्य नहीं बन पाया है.

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