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अलग राह पर चली बिड़ला घराने की यह बेटी

पारिवारिक पेशे से इतर पहचान बना रहे बिजनेस टाइकून्स के बच्चे आमतौर पर बच्चे बड़े होकर वही काम या पेशा अपनाते हैं, जिसमें वे अपने घर के बड़ों को देखते हैं. शायद इसीलिए डॉक्टर का बेटा डॉक्टर और वकील का बेटा वकील होता है. दूसरी ओर बात जब बिजनेस टाइकून्स के बच्चों की हो, तो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 17, 2016 8:01 AM

पारिवारिक पेशे से इतर पहचान बना रहे बिजनेस टाइकून्स के बच्चे

आमतौर पर बच्चे बड़े होकर वही काम या पेशा अपनाते हैं, जिसमें वे अपने घर के बड़ों को देखते हैं. शायद इसीलिए डॉक्टर का बेटा डॉक्टर और वकील का बेटा वकील होता है. दूसरी ओर बात जब बिजनेस टाइकून्स के बच्चों की हो, तो उनके सामने विकल्प अौर सीमित हो जाते हैं, पर आज के युवाओं में कुछ नया करने की चाहत है. आज से शुरू इस शृंखला में हम आपके सामने कुछ ऐसे युवाओं को लायेंगे, जिन्होंने पारिवारिक पेशे की जगह कुछ अलग करने के जुनून को तवज्जो दी है. आज पढ़ें कुमार मंगलम बिड़ला की बेटी अनन्या के बारे में.

कुमार मंगलम और नीरजा बिड़ला की 21 वर्षीय बेटी अनन्या बिड़ला हाल में ही कारोबार जगत से जुड़ी हैं. वह बिजनेस कॉन्फ्रेंस, अवॉर्ड सेरेमनी या बिजनेस मैगजीन के पेज पर कम नजर आती हैं. ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई करनेवाली अनन्या ने माइक्रोफायनांस फर्म ‘स्वतंत्र’ की शुरुआत की है. इसका कारोबार देश के दो राज्यों में फैला है. इसकी 18 शाखाओं में 100 से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं. संतूर और पियानो बजाने की शौकीन अनन्या बिड़ला टेबल टेनिस और शतरंज की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी भी रह चुकी हैं.

इस उम्र में जहां ज्यादातर बिजनेस टाइकून्स के बच्चे किसी विदेशी यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी करके पिता के बिजनेस से जुड़ने की सोच रहे होते हैं, वहीं अनन्या ने करियर के लिहाज से एक दूसरा ही रास्ता अख्तियार किया है.

तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी अनन्या ने स्वतंत्र माइक्रोफायनांस की शुरुआत तब ही कर दी थी, जब वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में अपने अंडरग्रेजुएट कोर्स के तहत इकोनॉमिक्स और मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रही थीं. तब साल के कुछ महीने अनन्या ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करतीं और बाकी समय वह मुंबई में अपने माइक्रोफाइनांस फर्म को देती थीं. अनन्या कहती हैं कि माइक्रोफायनांस कंपनी खोलने का विचार उनके दिमाग में आंध्र प्रदेश में गरीब लोगों से माइफ्रोफायनांस कंपनियों द्वारा ज्यादा ब्याज वसूलने से उपजे कोलाहल से आया था. अनन्या ने वहां की स्थिति को समझने के लिए आंध्र प्रदेश की कुछ यात्राएं कीं और गरीबों के लिए फायनांस उपलब्ध कराने के लिए रास्ता तलाशने लगीं.

वह बताती हैं : स्कूल से घर आने के समय रास्ते में एक व्यक्ति नारियल पानी की दुकान लगाता था़ हम सभी भाई-बहन उसकी दुकान पर नारियल पानी पीने के लिए रुकते थे़ साल दर साल यह सिलसिला चलता रहा और मैंने कभी भी उसका बिजनेस बढ़ते हुए नहीं देखा. मैंने उससे पूछा कि आखिर क्यों वह वहीं रह गया और आगे नहीं बढ़ पाया, जबकि मैंने बचपन से ही पापा के बिजनेस को तेजी से आगे बढ़ते हुए देखा है. उसने कारण पूंजी की कमी बताया.

उसके अनुसार बैंक उसे कर्ज देने के लिए तैयार नहीं थे, क्योंकि उसके पास बैंक को गारंटी देने के लिए कुछ नहीं था.

अनन्या कहती हैं कि स्वतंत्र पूरी तरह से एक स्टार्टअप है. उनके परिवार द्वारा इसे फंड दिया गया था, लेकिन इसके बाद इस फर्म में सलाह और फीडबैक को छोड़ कर परिवार की अन्य कोई भूमिका नहीं. अनन्या कहती हैं कि उनके पास चीजों को बनाने का पैसा था. इसलिए वह हमेशा से एक स्टार्टअप बनाना चाहती थीं.

वह हमेशा से अपनी कंपनी शुरू करना चाहती थी. हालांकि इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि पिता की कंपनी में उनकी कोई भूमिका नहीं होगी, लेकिन पिता कुमार मंगलम की ही तरह, जिन्होंने आदित्य बिरला ग्रुप का चेयरमैन बनने से पहले लंबे समय तक खुद को चमकाया था, अनन्या भी अपनी बारी आने पर यह जिम्मेदारी संभालेंगी. लेकिन उनका कहना है कि यह बात उनकी योजना में फिलहाल नहीं है.

वह कहती हैं : मैं भविष्य में मिलने वाले अवसरों के लिए खुद को सौभाग्यशाली मानती हूं और आभारी हूं, लेकिन अभी मैंने उनके बारे में नहीं सोचा है. पहले मैं अपने करियर को सही ट्रैक पर लाना चाहती हूं, जिंदगी के बारे में और सीखना चाहती हूं, अपना व्यक्तित्व बनाना चाहती हूं और स्वतंत्र का विस्तार करना चाहती हूं.

अपने शरीर पर पांच टैटू बनवा चुकीं अनन्या को म्यूजिक और गिटार बजाने का भी शौक है. वह भविष्य में अपना खुद का एलबम भी लांच करने की योजना रखती हैं.

मां नीरजा के साथ वह ‘एमपावर’ नाम की एक ऐसी इनीशिएटिव पर काम कर रही हैं, जिसका मकसद मानसिक तनाव और अवसाद से जूझ रहे लोगों, खास कर युवाओं काे शांति और सुकून की राह दिखाना है़ इसके साथ ही वह एक ऐसा उपक्रम लांच करनेवाली हैं, जो दुनियाभर से हस्तशिल्प के नायाब नमूने इकट्ठा कर उन्हें इसके सही कद्रदानों के सामने पेश करेगा. अनन्या कहती हैं कि भारत के अलावा उनकी यह कंपनी अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस और जर्मनी जैसे बाजारों पर भी ध्यान देगी.

अपनी योजनाएं छिपा कर रखनेवाली अनन्या, वेबसाइट शुरू होने तक इस बारे में किसी को ज्यादा बताना नहीं चाहतीं. इस ‘स्वतंत्र’ बिजनेसपर्सन का ऑफिस मुंबई में है और वह अपने पारिवारिक ऑनलाइन फैशन ब्रांड के ऑपरेशंस में भी गहरी दिलचस्पी ले रहीं हैं. लेकिन उन्होंने अपनी राह खुद के दम पर बनाने की ठानी है और इस दिशा में काफी आगे निकल आयी हैं.

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