जब एक बादशाह को हुआ दूध बेचनेवाली से प्रेम

कहते हैं कि प्यार की राह में जाति-धर्म, अमीर-गरीब जैसी कोई बाधा नहीं होती. वह जब होना है, हो ही जाता है़ इतिहास ऐसी ढेरों कहानियों से भरा पड़ा है, इन्हीं में से एक है फिरोजशाह तुगलक और गूजरी की प्रेम कहानी़ फिरोजशाह जहां दिल्ली का बादशाह था, तो गूजरी दूध बेचनेवाली़ हरियाणा के हिसार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2016 8:27 AM
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कहते हैं कि प्यार की राह में जाति-धर्म, अमीर-गरीब जैसी कोई बाधा नहीं होती. वह जब होना है, हो ही जाता है़ इतिहास ऐसी ढेरों कहानियों से भरा पड़ा है, इन्हीं में से एक है फिरोजशाह तुगलक और गूजरी की प्रेम कहानी़ फिरोजशाह जहां दिल्ली का बादशाह था, तो गूजरी दूध बेचनेवाली़
हरियाणा के हिसार किले में स्थित गूजरी महल आज भी बादशाह सुल्तान फिरोज शाह तुगलक और उसकी प्रेमिका गूजरी की अमर प्रेम कथा गुनगुनाता है़ गूजरी महल भले ही आगरा के ताजमहल जैसी भव्य इमारत न हो, लेकिन दोनों के निर्माण का आधार प्रेम की धरोहर ही था़ 1354 में फिरोज शाह तुगलक ने अपनी प्रेमिका गूजरी के प्रेम में हिसार का गूजरी महल बनवाया, जो महज दो साल में बन कर तैयार हो गया़ गूजरी महल का निर्माण फिरोज शाह तुगलक ने गूजरी के रहने के लिए कराया था, जो खूबसूरत काले पत्थरों से बनाया गया था़ सुल्तान फिरोज शाह तुगलक और गूजरी की प्रेमगाथा बड़ी रोचक है.
दरअसल यह घटना उस समय की है, जब फिरोजशाह को गद्दी नहीं मिली थी, तब वह केवल एक शहजादे थे़ उन दिनों हिसार के इस इलाके में घना जंगल हुआ करता था, जहां शहजादा फिरोज रोज शिकार खेलने निकल जाते थे. घने जंगल में एक कच्ची बस्ती थी, जिसके किनारे पर एक डेरा था. यह डेरा भूले-बिसरे मुसाफिरों की शरणस्थली था. पीर के इस डेरे पर गूजरी रोजाना दूध देने आती थी़ एक बार की बात है, शहजादा फिरोज शिकार खेलते-खेलते अपने घोड़े के साथ हिसार के डेरे पर आ पहुंचा़ उसने गूजर कन्या को डेरे से बाहर निकलते देखा, तो उसके नक्काशीदार चेहरे-मोहरे, घने बादल-सी जुल्फें और हिरण के सदृश आंखों को देख कर उस पर मोहित हो गया़ अचानक हुई दोनों की मुलाकात में गूजर कन्या भी शहजादा फिरोज से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी़ आंखों ही आंखों में दोनों ने एक-दूसरे को दिल दे दिया़ फिर क्या था, मौका पाते ही एक-दूजे से मिलने के लिए शहजादा शिकार के बहाने डेरे पर पहुंच जाता था और गूजरी दूध देने के बहाने से.
अब तो शहजादा फिरोज का शिकार के बहाने डेरे पर आना एक सिलसिला बन गया. दोनों की प्रेम कहानी दिन-प्रतिदिन परवान चढ़ती गयी. समय बीता और दिल्ली का सम्राट बनते ही फिरोज शाह तुगलक ने गूजरी को उसकी रानी बन कर साथ में दिल्ली चलने का प्रस्ताव दिया, लेकिन गूजरी अपने हिसार से अलग नहीं होना चाहती थी़ ऐसे में फिरोजशाह ने गूजरी के लिए हिसार में ही एक भव्य महल बनवाने की योजना बनायी.
वह सोचने लगा कि यह महल हिसार इलाके में किले में होना चाहिए, जिसमें सुविधा के सारे इंतजाम मौजूद हों और यह सब सोचते हुए उसने अपने प्रेम का इजहार इस महल के साथ किया, जो आज भी फिरोज शाह तुगलक और उसकी प्रेमिका गुजरी की अमर प्रेम कहानी सुनाता है़ इसी से हिसार शहर अस्तित्व में आया़ बताते चलें कि फारसी में हिसार का अर्थ किला होता है.
किले का 80 फुट लंबा तथा 21 फुट चौड़ा दीवान-ए-आम भी आकर्षण का केंद्र रहा है. इसके नीचे मौजूद 40 खंभे इसे भव्य बना देते हैं. सामने के ऊंचे सिंहासन पर बैठ कर बादशाह दरबार लगाता था. बड़ी बात यह है कि अपनी रानी गूजरी के कहने पर फिरोजशाह तुगलक ने अपने तख्त (सिंहासन) के नीचे कुआं बनवाया था, जो इस बात का पर्याय था कि अगर बादशाह अन्याय करेगा तो उसका तख्त टूट जायेगा और वह कुएं में गिर जायेगा. न्याय करते समय बादशाह मानते थे कि उससे बड़ी भी कोई शक्ति है.
और आखिर में…
फिरोजशाह तुगलक द्वारा अपनी रानी गूजरी के लिए बनवाया गया गूजरी महल 1356 में बन कर तैयार हुआ़ यह एक विशाल आयताकार मंच पर खड़ा है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इसको एक केंद्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है. इसे हिसार-ए-फिरोजा भी कहा गया और इसमें मसजिद, बाग, नहर, तहखाना व अन्य भवन भी बनाये गये़
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