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कभी होमियोपैथी दुकान चलाता था भंडारी
चर्चा में : वाड्रा के साथ कथित संबंधों को लेकर चर्चा में आर्म्स डीलर लंदन में बेनामी संपत्ति और सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के साथ कथित संबंधों को लेकर आर्म्स डीलर संजय भंडारी का नाम इन दिनों चर्चा में है. आयकर और इडी ने भंडारी के खिलाफ जांच तेज की है और कई […]
चर्चा में : वाड्रा के साथ कथित संबंधों को लेकर चर्चा में आर्म्स डीलर
लंदन में बेनामी संपत्ति और सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के साथ कथित संबंधों को लेकर आर्म्स डीलर संजय भंडारी का नाम इन दिनों चर्चा में है. आयकर और इडी ने भंडारी के खिलाफ जांच तेज की है और कई देशों से उनकी संपत्ति का ब्योरा मांगा है. कभी अपने पिता की होमियोपैथी दुकान चलानेवाले भंडारी का महज कुछ ही साल में रक्षा क्षेत्र में अपनी धाक जमा लेना यह बताता है कि पावर लॉबी किस तरह काम करती है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के साथ नजदीकी रिश्ते को लेकर चर्चा में आये आर्म्स डीलर संजय भंडारी के खिलाफ जांच एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है. आयकर और प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने भंडारी के खिलाफ जांच तेज कर दी है. हालांकि छह साल पहले भी वह जांच एजेंसियों की जांच के घेरे में आया था.
जांच एजेंसियों ने जो तथ्य जुटाये हैं, उसके मुताबिक भंडारी ने अपने राजनीतिक रिश्ते की वजह से कुछ ही वर्षों में रक्षा क्षेत्र में अपनी धाक जमा ली. इससे पहले दिल्ली के मॉर्डन स्कूल से पढ़ाई-लिखाई के बाद वह कनॉट प्लेस की एक होम्योपैथिक क्लिनिक संभालते थे, जो उनेके पिता की थी.
स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही भंडारी ने कई बड़े घरों के लड़कों के साथ दोस्ती की. 2002-07 में उन्होंने तेल और नैचुरल गैस इंडस्ट्री में कदम रखा, लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिली. 2008 में जब डिफेंस कॉलोनी के एक प्रॉपर्टी डीलर से उनकी दोस्ती हुई, जिसने भंडारी को सत्ता से जुड़ी चौकड़ियों के बीच घुमाना शुरू किया. इसके बाद उन्होंने रक्षा क्षेत्र में आर्म्स सौदे के क्षेत्र में कदम रखा. तब इस क्षेत्र में एक बड़े नाम हुआ करते थे बिमल सरील. भंडारी ने बिमल सरीन के साथ दोस्ती गांठ ली. नेताओं, अफसरों से करीबी बढ़ाने के बाद भंडारी ने हथियारों की दलाली का काम शुरू किया.
एक अंगरेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक, वर्ष 2010 में भंडारी भारतीय वायुसेना के साथ एक कथित कॉन्ट्रैक्ट में भागीदारी के मामले में जांच एजेंसियों के रडार पर वह आये थे. इसके पहले वर्ष 2008 में ऑफसेट इंडिया सोल्युशन (ओआइएस) नाम की कंपनी गठित की गयी थी, जिसके प्रमुख प्रोमोटर संजय भंडारी थे. रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों की मानें, तो ओआइएस को कभी भी कोई बड़ा ऑर्डर नहीं मिला, फिर भी अंतरराष्ट्रीय एक्सपो में यह कंपनी खूब पैसा खर्च करती थी और बड़े-बड़े स्टॉल लगाती थी. यहां तक कि जब कभी दिल्ली में यूरोपीय रक्षा कंपनियों की ओर से कोई आयोजन होता था, तो भंडारी की उनमें मौजूदगी दिखती थी.
ओआइएस ने रक्षा क्षेत्र की कई छोटी कंपनियों के साथ एमओयू किया था. फरवरी, 2016 में फ्रांस की एसएएमपी के साथ पेनेट्रेटर बम बनाने के लिए एमओयू किया. फ्रांस की यह कंपनी बाद में निष्क्रिय हो गयी. फिर भंडारी की कंपनी ओआइएस ने वर्ष 2015 में भारत में मानवरहित एरियल वह्किल बनाने के लिए एलएच एविएशन के साथ गंठजोड़ किया, पर काम जमीन पर नहीं उतरा. फ्रांस की रफात एसएएस के साथ एयर फोर्स के लिए थ्री डी रडार प्रणाली विकसित करने का समझौता किया. इस पर थोड़ा बहुत काम हुआ. खास बात यह है कि भंडारी ने अपनी कंपनी के अधिकारियों का चयन सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा से जुड़ी कंपनी भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड से किया था. ओआइएस के माध्यम से रक्षा के क्षेत्र में भंडारी की अच्छी उपस्थिति सभी लोगों के लिए कौतूहल का विषय रहा है.
भंडारी 2800 करोड़ रुपये के पिलेटस ट्रेनर जेट डील के सौदे को लेकर भी आयकर जांच के घेरे में हैं. वायुसेना ने 2012 में 75 विमान खरीदे थे. विभाग जांच कर रहा है कि कहीं भंडारी ने सौदे से प्राप्त दलाली से तो विदेशो में संपत्ति की खरीद नहीं की है. भंडारी को प्रवर्तन निदेशालय (इडी) नोटिस भेज चुका है, जिसमें उनसे उनके बैंक खातों और उनकी संपत्तियों की जानकारी मांगी गयी है. आयकर विभाग ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, ब्रिटेन, यूएई, स्विट्जरलैंड के अलावा कुछ और देशों से संपर्क किया है, ताकि भंडारी द्वारा खरीदी गयी संपत्तियों के बारे ब्योरा जुटाया जा सके.
सूत्रों के अनुसार उन पर आॅफिशियल सिक्रेट एक्ट के तहत मुकदमा दायर किया जा सकता है. जांच एजेंसी के सूत्रों की माने तो छापे में भंडारी के घर से रक्षा मंत्रालय के दस्तावेज मिले हैं, जिसमें मिटिंग के नोट्स भी हैं. ऐसे दस्तावेजों को संवेदनशील माना जाता है. हथियार डीलर अभिषेक वर्मा वर्ष 2012 से इसी आरोप में तिहाड़ जेल में बंद हैं.
वाड्रा के साथ नजदीकी संबंध
भंडारी के बारे में कहा जाता है कि दिल्ली की राजनीतिक गलियारे में उनकी अच्छी पहुंच है और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा के साथ अच्छी दोस्ती भी है. उद्योग जगत के लोग, राजनेता और कई सरकारी अफसर दबी जुबान से इस बात को स्वीकार भी करते हैं. कुछ लोगों का कहना है कि दुबई और फार्नबोर्घ के आर्म्स एक्सपो में भी दोनों साथ दिखे थे. दिल्ली के लोदी रोड स्थित एक लग्जरी होटल में भी कई लोगों ने भंडारी को वाड्रा के साथ देखा है.
वाड्रा और दूसरे राजनेताओं के साथ उसके संबंधों की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने भंडारी और उसकी कंपनियों द्वारा विदेश में किये गये निवेश के संबंध में जानकारी जुटाने के लिए फाइनांशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआइयू) से संपर्क किया है. एफआइयू वित्त मंत्रालय के तहत आता है. भंडारी के इ-मेल और फोटो को खंगालने के बाद पता चलता है कि वह ब्यूरोक्रेट्स, राजनेताओं और प्राइवेट कंपनियों (खासकर रक्षा क्षेत्र की) के लोगों से लगातार संपर्क में था.
एक गुमनाम व्यक्ति को किये 2500 कॉल
आयकर ने भंडारी का जो कॉल डिटेल्स खंगाला है, उसमें उनके भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के नेताओं से संपर्क के सबूत मिले हैं. उसमें एक केंद्रीय मंत्री के नजदीकी रहे भाजपा के एक नेता के साथ एक साल में 355 बार बातचीत का ब्योरा है. जांच एजेंसियों को भंडारी के साथ फुंगचम वुंगमाई नाम के एक व्यक्ति से एक साल में करीब 2500 कॉल ने चौंका दिया है.
जब आयकर ने तहकीकात की, तो पता चला कि जिस नंबर पर यह कॉल किया गया है, उसका पता साउथ दिल्ली का है, लेकिन बताये गये पते पर इस नाम का कोई व्यक्ति नहीं मिला. इससे यह संदेह गहरा रहा है कि किसी फरजी नाम पर मोबाइल लिया गया था.
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