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कविता, कहानी, जिंदगानी
हिंदी साहित्य में किताबों की दुनिया दिन-प्रतिदिन बड़ी होती जा रही है. आज के साहित्य सोपान पन्ने पर आपके लिए हम कुछ नयी किताबें लेकर आये हैं, जो विभिन्न प्रकाशन संस्थानों से हमें मिली हैं. जीवन के विविध पहलुओं को छूती इन पुस्तकों पर आइए डालें एक नजर- ‘ब्रांड मोदी का तिलिस्म’ लोकसभा चुनाव 2014 […]
हिंदी साहित्य में किताबों की दुनिया दिन-प्रतिदिन बड़ी होती जा रही है. आज के साहित्य सोपान पन्ने पर आपके लिए हम कुछ नयी किताबें लेकर आये हैं, जो विभिन्न प्रकाशन संस्थानों से हमें मिली हैं. जीवन के विविध पहलुओं को छूती इन पुस्तकों पर आइए डालें एक नजर-
‘ब्रांड मोदी का तिलिस्म’ लोकसभा चुनाव 2014 से लेकर दिल्ली और बिहार के विधानसभा चुनावों के दौरान देश में ऐतिहासिक सियासी बदलावों, उनके रंग-ढंग के साथ जीत और हार के हर पहलू पर आंकड़ों और घटनाओं के गहन विश्लेषण से कुछ नयी सच्चाइयों की ओर ले जाती है.
2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी की जीत क्यों हुई, क्या मुख्य वजहें थीं? क्या वजह है कि बिहार और दिल्ली में मोदी का जादू छू-मंतर हो गया? आंकड़ों के विश्लेषण के जरिये यह भी जानने की कोशिश की गयी है कि आगे की सियासी डगर किस ओर मुड़ सकती है. किन तरीकों से मोदी का जादू कायम हुआ और कैसे टूटने लगा़ चुनाव के आसानी से दृष्टिगोचर पहलुओं जैसे पार्टी नेतृत्व, रणनीति, मीडिया के साथ-साथ वोट के सामाजिक-आर्थिक आधार जैसे पहुलओं की पड़ताल भी इसमें है. किताब में आंकड़ों के साथ ब्रांड मोदी की कहानी बतायी गयी है़
किताब में कुल 13 अध्याय अलग-अलग पहलुओं पर पूरी तरह रिसर्च पर आधारित हैं. इसमें बदलाव के तमाम राजनैतिक और सामाजिक पहलुओं को समेटने की कोशिश की गयी है और विस्तृत आंकड़ों के जरिये मोदी की जीत और कांग्रेस की हार या मोदी की लहर के इतनी जल्दी सिमटने की वजहों की ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग में बदलते चुनावी रुझानों को दर्शाने की कोशिश की गयी है़
यह जानने की कोशिश की गयी है कि ये बदलाव कितने तात्कालिक और कितने दीर्घकालिक असर वाले हैं? इस किताब में लेखक ने बताया है कि मोदी के नेतृत्व ने भाजपा को पहली बार न केवल पूर्ण बहुमत दिलवाया, बल्कि भाजपा के आधार को भी ब्राह्मण, बनिया, पंजाबी से आगे निकलकर पिछड़ी जातियों, आदिवासी और दलित जातियों तक में फैलाया है. लेखक ने इस पुस्तक में उस पृष्ठभूमि को भी समझने-समझाने की कोशिश की है कि 2014 में इतना बड़ा बदलाव आखिर क्यों हुआ? उसके क्या कारण थे?
कांग्रेस सरकार के दस साल के कामकाज को जनता ने इतनी बुरी तरह क्यों नकारा? लेखक ने लिखा है कि देश के हर मतदाता वर्ग का कांग्रेस से मोहभंग हो चुका था. देश की जनता भ्रष्टाचार, महंगाई से त्रस्त थी. यही कारण है कि आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी की पहली बार इतनी बुरी हार हुई. दूसरी तरह, देश में 65 प्रतिशत युवा मतदाता थे, जिनको मोदी की निर्णायक नेता की छवि आकर्षित कर रही थी.
रचनाकार : धर्मेंद्र कुमार सिंह
प्रकाशक : वाणी प्रकाशन
पृष्ठ : 240
मूल्य : "325
नाराज़
रचनाकार : राहत इंदौरी
प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ : 129
मूल्य : "175
राहत इंदौरी राहत की पहचान के कई हवाले हैं – वो रंगों और रेखाओं के फनकार भी हैं, मकबूल फिल्मी गीतकार भी हैं और हर दिल अजीज मशहूर शायर भी. इन सबके साथ राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में इनसान की अंदरूनी और बाहरी कश्मकश के प्रत्यक्षदर्शी भी हैं. राहत की शायरी जितनी गहरी है, उससे भी गहरा है उनका अंदाज-ए-बयां. प्रचलित शब्दों के इस्तेमाल के कारण उनके शेर लोगों के दिल में सहज ही उतर जाते हैं. इस पुस्तक में गजलें तो नयी हैं, लेकिन अंदाज और शैली वही है जो पाठकों को आकर्षित करती है.
श्री हनुमान लीला
रचनाकार : वनमाली
अनुवाद : आशुतोष गर्ग
प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ : 314
मूल्य : "295
रामायण में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध हनुमान, अपने चंचल स्वभाव, आश्चर्यजनक शारीरिक शक्तियों तथा भगवान राम के प्रति निस्वार्थ भक्ति के कारण हिंदुओं के सबसे प्रिय देवताओं में से एक माने जाते हैं. वानर रूप में वे सदा अशांत रहने वाले मानव मस्तिष्क के प्रतीक हैं.
वे हमें सिखाते हैं कि हालांकि प्रत्येक व्यक्ति पशु रूप में जन्म लेता है, लेकिन कड़े अनुशासन और दृढ़ता द्वारा कोई भी आध्यात्मिक विकास की ऊंचाइयां प्राप्त कर सकता है. शक्तियां पाने के उद्देश्य से निस्वार्थ भक्ति द्वारा अपने मस्तिष्क को निर्दोष बनाकर हनुमान उस उच्चतम सामर्थ्य का मूर्त रूप बन गये हैं, जिसे हम प्राप्त कर सकते हैं. वनमाली इस पुस्तक में हनुमान के जन्म से लेकर रामायण में उनके साहसिक कारनामों तक के प्रसिद्ध कथाओं का वर्णन करती हैं और उनमें निहित आध्यात्मिक पाठों, यौगिक प्रथाओं एवं वैदिक ज्योतिष शास्त्र के पक्षों को उजागर करती हैं. वे दर्शाती हैं कि किस प्रकार हनुमान के भीतर अपने भक्तों को निस्वार्थ भक्ति और शक्ति प्रदान करने का सामर्थ्य है और हनुमान के उदाहरण का पालन करना, राम का आशीर्वाद प्राप्त करने का अचूक मार्ग है. वनमाली ने हिंदू देवी-देवताओं पर आधारित जो पुस्तकें लिखी हैं
उनमें श्री कृष्ण लीला, श्री राम लीला, श्री शिव लीला, शक्ति और भगवद गीता के अंगरेजी अनुवाद प्रमुख हैं. वे वनमाली गीता योग आश्रम ट्रस्ट की संस्थापक तथा अध्यक्ष हैं, जो सनातन धर्म के ज्ञान के प्रसार एवं बच्चों को धार्मिक सेवा देने के प्रति समर्पित है. वे उत्तर भारत में ऋषिकेश में स्थित वनमाली आश्रम में रहती हैं.
श्री शिव लीला
रचनाकार : वनमाली
अनुवाद : मदन सोनी
प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ : 212
मूल्य : "195
हिंदू देवताओं में सबसे प्राचीन और अंतर्भूत देवता शिव को अनेक परस्पर विरोधी रूपों में चित्रित किया गया है : संहारकर्ता और कल्याणकारी, वैरागी और गृहस्थ, भयानक राक्षसों का वध करने वाले और कैलाश की चोटी पर ध्यानमग्न प्रशांतचित योगी. हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ शिव महापुराण से (जिसके बारे में माना जाता है कि उसकी रचना स्वयं शिव ने की है) वनमाली ने शिव की महत्वपूर्ण कथाओं को चुना है, जिनमें उनका स्याह और निरंकुश पक्ष भी उभरता है और कल्याणकारी तथा सौम्य पक्ष भी.
वनमाली ने शिव के अनेक अवतारों की चर्चा की है जिनमें उनके शंभुनाथ और भोला के अवतार भी शामिल हैं और दक्षिणामूर्ति अवतार भी, जिन्होंने ऋषियों को शास्त्रों और तंत्रों की शिक्षा दी. उन्होंने दुर्गा, शक्ति, सती और पार्वती तथा उनके पुत्रों गणेश और कार्तिकेय के साथ शिव के संबंधों की व्याख्या की है.
शिव द्वारा विजांतीय शक्तियों को दी गयी स्वीकृति की गहराई में जाते हुए वनमाली हमें बताती हैं कि क्या कारण हैं कि भूत-प्रेत और पिशाच उनके गण हैं तथा राक्षसराज रावण जैसे लोग उनके परम भक्त हैं. अपने इस विमर्श में उन्होंने गंगा-अवतरण और समुद्र-मंथन जैसी कथाओं के साथ-साथ उन कथाओं को भी शामिल किया है जो हमें दीपावली जैसे पर्वों के उद्गम तथा अलौकिक युगल की रचना जैसी बातों के अलावा इस बारे में भी बताती है कि किस तरह शिव और पार्वती ने संसार को कुंडलिनी-शक्ति के रहस्यों की शिक्षा दी. पाश्चात्य और वैदिक विज्ञान के बीच का अंतर दर्शाने के लिए लेखिका ने शैव दर्शन का भी बेहतर उपयोग किया है.
आरोहण
रचनाकार : अभिजीत झा
प्रकाशक : क्विल्स इंक पब्लिशिंग
पृष्ठ : 40
मूल्य : "125
इस काव्य संग्रह के रचनाकार डीएवी पब्लिक स्कूल, गुमला में गणित के शिक्षक हैं. वह शौकिया तौर पर कविताएं लिखते हैं. 40 पृष्ठ वाले इस पुस्तक में 28 कविताएं हैं, जो कवि के सहज, स्वच्छंद मन की भावनाएं हैं और जो विविध रूपों में अभिव्यक्त हुई हैं.
कवि ने जीवन के विविध आयामों और उनके प्रति अपनी अनुभूतियों को इस काव्य संग्रह के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की है. धरती का अंतस रोता है, क्यों युद्ध होता है, किसान की व्यथा, बंद और हड़ताल जैसी कई कविताएं पाठक दिल को छू कर उन्हें सोचने को मजबूर करती हैं.
अनकहे स्वर
रचनाकार : संगीता चौधरी
प्रकाशक : वातायन
पृष्ठ : 120
मूल्य : "150
हर मनुष्य का जीवन जटिलताओं से भरा होता है, जिसमें समय चक्र के साथ शारीरिक (बचपन, जवानी, बुढ़ापा, बीमारी), मानसिक (खुशी, आंसू, आशा, निराशा, दोस्ती, दुश्मनी), प्राकृतिक (शरद, ग्रीष्म, वर्षा, बसंत) और समसामयिक विविध सामाजिक, पारिवारिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों से वह रूबरू होता है. इस काव्य संकलन में लेखिका ने जीवन के इन्हीं आयामों को क्रमश: आठ भागों- जीवन, मंथन/दर्शन, प्रेम/एहसास, आंसू/विरह, मौसम/प्रकृति, यथार्थ/समसामयिक, गीत/गजल व हास्य/व्यंग्य में विभाजित कर प्रस्तुत किया है.
अत्ता पत्ता
रचनाकार : देवेंद्र सिंह
प्रकाशक : नयी किताब
पृष्ठ : 184
मूल्य : "350
इस पुस्तक के जरिये लेखक ने अपना बचपन पाठकों के हाथ में सौंप दिया है़ इसे पढ़ कर एकबारगी आपको भी ऐसा ही लगेगा़ इस पुस्तक के एक अंश पर गौर करें- नरेंद्र अब पांचवीं कक्षा में था़ वह शनै:-शनै: अपने आप में ही सिमटता जा रहा था़ विद्यालय के बाद घर में ही घुसा रहता था़ बाहर के संसार से कटता जा रहा था़
उम्र के उसी कठिन पड़ाव पर उसे एक नया मीत मिला़ उसने न केवल उसका आंतरिक अकेलापन तोड़ा, वरन उसके लिए एक नये आलोक का द्वार भी खोल दिया़ वह आनंद-लोक था़ उस नये मीत ने नरेंद्र के जीवन को सुखों से भर दिया़ उसकी आत्मा को जगाया़ उसके अंदर सपने पैदा किये़ उस मीत से मिलवाया हरिमोहन काका ने़ उसका नाम था- किताब़ मीत के रूप में जो पहली किताब मिली, वह प्रेमचंद की थी. उम्र की उस अरुणोदय-बेला में ही जीवन और जगत से उसका बाहरी तार टूट गया. लेखक भागलपुर के रहनेवाले हैं और उन्हें उपन्यास, कहानी संकलन, पत्र-पत्रिकाओं में लेखन-संपादन के लिए जाना जाता है.
तमन्ना थी कि आज़ाद वतन हो जाए
रचनाकार : कला कौशल
प्रकाशक : उद्भावना
पृष्ठ : 70
मूल्य : "30
इस पुस्तक में 1857 के पात्रों एवं परिस्थितियों पर लिखी गयी कहानियां सहज व सरल ढंग से आगे बढ़ती हैं. पूरे संग्रह में ऐसा नहीं लगता है कि एेतिहासिकता अथवा लेखक की वैचारिकता कहानी के संदर्भ को आहत कर रही है. यह एक साहित्यकार की लेखकीय कला के लिए बड़ी बात है. देश की आजादी के इतिहास की सच्चाइयों से लोगों को अवगत कराना बड़ा बौद्धिक दायित्व है. इस कार्य को साहित्यकार कला कौशल ने बखूबी किया है. आज इतिहास पर जिस तरह हमले हो रहे हैं, यह पुस्तक उसका प्रतिवाद करने में सक्षम होगी.
आनंद का सरल मार्ग
रचनाकार : दलाई लामा/हावर्ड सी कट्लर
अनुवाद : आशुतोष गर्ग
प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ : 300
मूल्य : "225
आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने इस किताब में खुश रहने का तरीका बताया है और वह भी काफी व्यावहारिक तरीके से़ इस पुस्तक के लेखन में उनका सहयोग करनेवाले अमेरिकी मनोवैज्ञानिक हावर्ड सी कट्लर ने दलाई लामा की आध्यात्मिक परंपरा को पाश्चात्य दृष्टिकोण के साथ जोड़ कर देखा है. इससे इस पुस्तक में पूर्व और पश्चिम की परंपराएं घुल-मिल गयी हैं, जिसके जरिये आप जान सकते हैं कि किस तरह हम अपनी व्यस्त दिनचर्या को संतुलित कर खुशी से जी सकते हैं. यह पुस्तक मानसिक व आध्यात्मिक मुक्ति का साधन भी बताती है.
लामा के अनुसार, जीवन का उद्देश्य खुशी की तलाश करना है. खुशी की प्राप्ति के संदर्भ में वह आत्मीयता और करुणा के महत्व की चर्चा करते हैं. आखिर में वह मूलभूत आध्यात्मिक मूल्यों का उल्लेख करते हैं. वह आध्यात्मिकता व धर्म के अंतर को भी स्पष्ट करते हुए बताते हैं कि हरेक व्यक्ति का अपना अलग मार्ग हो सकता है.
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