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कैलिफोर्निया विवि को इनसे मिला बड़ा दान

चर्चा में : भारतीय अमेरिकी भौतिकशास्त्री मणि भौमिक के नाम पर यूसीएलए में थियोरेटिकल फिजिक्स इंस्टीट्यूट भारतीय मूल के अमेरिकी भौतिकशास्त्री डॉ मणि लाल भौमिक ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय को 11 मिलियन डॉलर (करीब 74 करोड़ रुपये) का दान किया है. इस रकम से कैलिफोर्निया विवि में मणि लाल भौमिक इंस्टीट्यूट फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स की शुरुआत […]

चर्चा में : भारतीय अमेरिकी भौतिकशास्त्री मणि भौमिक के नाम पर यूसीएलए में थियोरेटिकल फिजिक्स इंस्टीट्यूट
भारतीय मूल के अमेरिकी भौतिकशास्त्री डॉ मणि लाल भौमिक ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय को 11 मिलियन डॉलर (करीब 74 करोड़ रुपये) का दान किया है. इस रकम से कैलिफोर्निया विवि में मणि लाल भौमिक इंस्टीट्यूट फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स की शुरुआत होगी़ डॉ मणि की जड़ें पश्चिम बंगाल के मिदनापुर से जुड़ी हैं. उन्होंने वर्ष 1958 में आइआइटी खड़गपुर से डॉक्टरेट किया. 1959 में जब वह कैलिफोर्निया गये थे, उनकी जेब में सिर्फ तीन डॉलर थे. प्लेन का किराया गांव के लोगों ने जुटाया था.
पश्चिम बंगाल के मिदनापुर क्षेत्र स्थित सिउरी गांव के गरीब परिवार में वर्ष 1931 में जन्मे मणि लाल भौमिक ने अपना बचपन बड़ी दुश्वारियों के बीच बिताया़ वह छह भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं. उनके पिता गुणाधर भौमिक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा था़ ऐसे में घर की हालत खस्ता होना लाजिमी था़ इन्हीं हालातों से जूझते हुए मणि ने अपनी पढ़ाई पूरी की़ उन्होंने कृष्णगंज कृषि शिल्प विद्यालय से शुरुआती शिक्षा पायी़ इसके बाद कलकत्ता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से बैचलर ऑफ साइंस और कलकत्ता विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री ली़ यहां उन्हें प्रख्यात भौतिकशास्त्री सत्येंद्र बोस का मार्गदर्शन मिला़ वर्ष 1958 में, मणि भौमिक आइआइटी खड़गपुर से भौतिकी में डॉक्टरेट करने वाले पहले छात्र बन गये थे.
डॉ मणि को पहली बार विदेश यात्रा का मौका तब हाथ लगा, जब वह स्लोन फाउंडेशन की पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप पर 1959 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (यूसीएलए) गये़ यूसीएलए को दिये एक बयान में उन्होंने अपने बीते दिनों को याद करते हुए कहा, उस समय मेरी जेब में सिर्फ तीन डॉलर थे.
उनके लिए हवाई जहाज का किराया उनके गांव के लोगों ने जुटाया था. वह कहते हैं कि 16 साल की उम्र तक मेरे पास एक जोड़ी भी जूते नहीं थे. मैं रोजाना चार मील पैदल चल कर स्कूल जाता था और नंगे पैर ही वापस आता था.
आज की तारीख में मणि लाल भौमिक को ऐसे शख्स के रूप में जाना जाता है, जिसने गरीबी का दंश झेलते हुए एक प्रख्यात वैज्ञानिक बनने का सफर तय किया है. उन्होंने लेजर तकनीक विकसित करने में एक अहम भूमिका निभायी, जिससे ‘लेजिक आई सर्जरी’ का रास्ता खुला.
वर्ष 1961 में जेरॉक्स इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम्स से बतौर लेजर साइंटिस्ट जुड़ने वाले मणि ने 1973 में, दुनिया के पहले एक्सिमर लेजर के समग्र प्रदर्शन की घोषणा की. बताते चलें कि यह पराबैंगनी लेजर का एक स्वरूप है, जिसका उपयोग अब उच्च सटीकता के लिए मशीनों में और जैविक ऊतकों को सफाई से काटने के लिए किया जाता है. अमेरिकन फिजिकल सोसाइटी और इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स के फेलो मणि भौमिक को 2011 में पदमश्री से नवाजा जा चुका है.
पिछले दिनों डॉ मणि लाल भौमिक ने सैद्धांतिक भौतिकी के अनुसंधान व बौद्धिक जांच और प्रकृति के मूल नियमों की जानकारी को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित एक केंद्र स्थापित करने के लिए कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (यूसीएलए) को 11 मिलियन डॉलर, यानी लगभग 74 करोड़ रुपये की राशि दान में दी.
यह इस विश्वविद्यालय के इतिहास में अब तक दान में दी गयी सबसे बड़ी राशि है. यूसीएलए के चांसलर जीन ब्लॉक ने इप पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा, मैं मणि भौमिक के कल्याणकारी नेतृत्व के लिए और यूसीएलए में यकीन दिखाने के लिए उनका शुक्रिया अदा करता हूं.
इस मौके पर विश्वविद्यालय द्वारा जारी किये गये आधिकारिक बयान के मुताबिक, हम मणि लाल भौमिक इंस्टीट्यूट फॉर थियोरेटिकल फिजिक्स को सैद्धांतिक भौतिकी के अनुसंधान और बौद्धिक जांच के लिए विश्व का प्रमुख केंद्र बनायेंगे़ भौमिक इंस्टीट्यूट यहां आने वाले कई विद्वानों की मेजबानी करेगा, अकादमिक समुदाय के लिए गोष्ठियां और सम्मेलन आयोजित करेगा और समुदाय को यूसीएलए के भौतिकशास्त्रियों द्वारा की गयी वैज्ञानिक प्रगति के बारे में बताने के लिए एक सार्वजनिक संपर्क कार्यक्रम भी आयोजित करेगा.
वहीं, अपने इस कदम की उपयोगिता साबित करते हुए मणि भौमिक ने कहा है, इस क्षेत्र (सैद्धांतिक भौतिकी) के लिए धन जुटाना बहुत मुश्किल है क्योंकि लोग यह नहीं जानते कि सैद्धांतिक भौतिकशास्त्री करते क्या हैं? लेकिन हमारे अस्तित्व से जुड़े मूल सवालों के जवाब भौतिकी में हैं. जरा कल्पना कीजिए कि ये सवाल यहां यूसीएलए में सुलझाये जा सकते हैं.
अध्यात्म -विज्ञान में संतुलन पर लिख चुके हैं किताब
मणि ने भौमिक अध्यात्म और विज्ञान के संतुलन पर एक किताब लिखी है, नाम है-‘कोड नेम गॉड’. यह किताब दर्शाती है कि इनसानों के लिए अध्यात्म और विज्ञान दोनों कैसे जरूरी हैं और इन दोनों के बीच किस प्रकार सही संतुलन बनाये रखा जा सकता है. बेस्ट सेलर किताब ‘द ताओ ऑफ फिजिक्स’ के लेखक फ्रिट्जोफ कापरा, ‘कोड नेम गॉड’ के बारे में एक जगह लिखते हैं कि इनसान और निर्माता के बीच की खाई बहुत पहले ही चौड़ी हो गयी थी और कई लोगों का यह मानना है कि विज्ञान ही इसका कारण है. क्या भगवान अब भी कहीं हैं?
क्या धर्म और संप्रदाय लोगों को सिर्फ बहकाने का काम करते हैं? विज्ञान के विकास और दार्शनिक संशयवाद में प्रगति के साथ, भगवान में इनसान का विश्वास मिटता सा लगा. लेकिन बाद में विज्ञान भी एक झूठा भगवान साबित हुआ, जिसने इनसान को निराशा की नींद से जगाया और मोहभंग की हालत में छोड़ दिया. ‘कोड नेम गॉड’ ईश्वर बोध का सहज और आसानी से समझ में आने वाला वैज्ञानिक तरीका उपलब्ध कराती है. लेखक ने आध्यात्मिकता और पश्चिमी विज्ञान के बीच आम आधार ढूंढने की बेजोड़ कोशिश की है.

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