भविष्य आपका नहीं है और अतीत हमेशा ही बदलता रहता है
टोनी मॉरिसन, कई तरह से, प्रति-व्याख्यान दिया करती हैं. वे केवल उन चलताऊ मुहावरों तथा उपदेशों का इस्तेमाल नहीं करतीं, जो 98 प्रतिशत दीक्षांत भाषणों में सुनने को मिलते हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि वे इस अवसर के लिए क्यों पूरी तरह अनुपयुक्त होते हैं. ‘भविष्य आपका नहीं है और अतीत हमेशा ही बदलता रहता है. और यदि आपको यह बताने के लिए किसी अन्य व्यक्ति की जरूरत है कि वर्तमान की विभीषिकाओं के विषय में क्या किया जाये, तो आपको मिली शिक्षा व्यर्थ थी. ये आपके जीवन के सबसे बेहतरीन वर्ष नहीं हैं.’ आज पढ़िए दूसरी कड़ी.
टोनी मॉरिसन
मैडम प्रेसिडेंट, बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज, फैकल्टी के सदस्यों, रिश्तेदारों, मित्रों तथा छात्रों, मुझे आप सबके सामने एक स्वीकारोक्ति रखनी है. वेलेस्ली की कक्षा 2004 को संबोधित करने के आमंत्रण को स्वीकार करने में मुझे कुछ विरोधाभासी भावनाओं का सामना करना पड़ा.
एक ऐसे संस्थान के समारोह में भाग लेने का व्यक्तिगत तथा औपचारिक अवसर मिलने पर शुरू में स्वभावतः मुझे आंतरिक खुशी और आनंद की शक्तिशाली अनुभूति हुई, क्योंकि यह कॉलेज महिला शिक्षा के क्षेत्र में अपने 125 वर्षों के इतिहास, ग्रेजुएटों के एक स्पृहणीय मंच होने, विश्व में बदलाव लाने के प्रति इसकी पुरानी तथा अनवरत प्रतिबद्धता एवं महिला कॉलेजों के सामने उनके प्रारंभ से और सतत रूप से पेश चुनौतियों से इसके द्वारा किये गये सफल मुकाबले के लिए विख्यात रहा है. यह एक असाधारण रिकॉर्ड है और इस अवसर पर अपनी भागीदारी करने तथा इसके परिसर आने के आमंत्रण पर मैं आनंदित हो उठी.
मगर, मेरी दूसरी प्रतिक्रिया उतनी खुशी की नहीं रही. मैं इसे तय करते हुए बहुत चिंतित हुई कि मुझे इस खास कक्षा की 500 गरिमामय ढंग से शिक्षित महिलाओं और उनके रिश्तेदारों तथा मित्रों से इस खास मौके पर ईमानदारीपूर्वक क्या कहना चाहिए, जो सब इस पल निश्चिंतता का अनुभव करते हुए भी आशाओं-अपेक्षाओं से भरे तथा थोड़े आशंकित होंगे. यही बात कॉलेज की फैकल्टी तथा उसके प्रशासन के विषय में भी सच थी.
टोनी मॉरिसन का जन्म 1931 में ओहियो के लॉरेन में हुआ. वे एक कामगार परिवार की चार संतानों में दूसरी थीं. उन्होंने कम उम्र में ही साहित्य में अपनी रुचि प्रदर्शित की और होवार्ड तथा कोर्नेल यूनिवर्सिटियों में मानविकी में शिक्षा ग्रहण कर टेक्सास सदर्न यूनिवर्सिटी, होवार्ड यूनिवर्सिटी, येल में प्राध्यापन करते हुए 1989 से प्रिंस्टन में विभागाध्यक्ष बनीं.
उन्होंने अफ्रीकी-अमेरिकी साहित्य में विशेषज्ञता हासिल करने के साथ ही रैंडम हाउस के लिए एक संपादक का काम किया तथा अनेक सार्वजनिक व्याख्यान दिये. 1970 में एक उपन्यासकार के रूप में शुरुआत कर जल्दी ही उन्होंने अपने शक्तिशाली लेखन, दोषरहित संवादों तथा अश्वेत अमेरिका के काव्यात्मक तथा समृद्ध चित्रण से आलोचकों तथा पाठकों का ध्यान आकृष्ट कर लिया. वे 1981 से अमेरिकन अकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड लेटर्स की सदस्य रही हैं एवं 1988 में पुलित्जर पुरस्कार तथा 1993 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार समेत अनेक साहित्यिक सम्मान से नवाजी जा चुकी हैं.