गजब! : मुंबई के ”मिर्ची एंड माइम” रेस्त्रां के सारे वेटर मूक-बधिर, इशारों में ऑर्डर होता है खाना

मुंबई का ‘मिर्ची एंड माइम’ रेस्त्रां अपने आप में खास है़ इस रेस्त्रां में काम करनेवाले सारे वेटर मूक-बधिर हैं, इसलिए यहां आपको अपना ऑर्डर देने के लिए बोलना नहीं पड़ता. बस इशारों में समझाएं और आपका ऑर्डर बेहतरीन तरीके से आपकी टेबल तक पहुंच जायेगा. इस अनोखे रेस्त्रां के बारे में आइए जानें तफसील […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2016 6:49 AM
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मुंबई का ‘मिर्ची एंड माइम’ रेस्त्रां अपने आप में खास है़ इस रेस्त्रां में काम करनेवाले सारे वेटर मूक-बधिर हैं, इसलिए यहां आपको अपना ऑर्डर देने के लिए बोलना नहीं पड़ता. बस इशारों में समझाएं और आपका ऑर्डर बेहतरीन तरीके से आपकी टेबल तक पहुंच जायेगा. इस अनोखे रेस्त्रां के बारे में आइए जानें तफसील से –

हमारे देश में लाखों की संख्या में छोटे-बड़े रेस्त्रां होंगे. हर किसी की अपनी खासियत होती है, जो लोगों को अपनी ओर खींच लाती है. किसी के खाने का स्वाद बढ़िया होता है, किसी की सेवा खास होती है, तो किसी की प्रस्तुति. लेकिन, मुंबई के पवई इलाके का ‘मिर्ची एंड माइम’ रेस्त्रां अपने ‘खास’ वेटर्स की वजह से देश-दुनिया में अपनी पहचान बना रहा है. दरअसल इस रेस्त्रां का खाना और उसकी प्रस्तुति तो अच्छी है ही, इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें काम करनेवाले सभी 25 वेटर मूक और बधिर हैं. ये इशारों में ही ऑर्डर लेते हैं और इसी तरह परोसते भी हैं. इस रेस्त्रां में सारे काम इशारों से होते हैं.
ग्राहक को अपना ऑर्डर देने के लिए बोलना नहीं पड़ता है. बस इशारों में समझाइए और आपका ऑर्डर बेहतरीन तरीके से आपकी टेबल तक पहुंच जायेगा.
दरअसल इस खास रेस्त्रां की शुरुआत की प्रेरणा इसके कर्ता-धर्ताओं – प्रशांत इस्सर और अनुज शाह को कनाडा के टोरंटो में पहले से चल रहे एक ऐसे ही साइलेंट रेस्त्रां से मिली. फिर क्या था! प्रशांत और अनुज ने इसके बाद अपने रेस्त्रां के बारे में सोचा और कुछ मूक-बधिर लोगों से संपर्क किया. चुने गये लोगों को ट्रेनिंग दी गयी. इसके लिए आठ हफ्तों का एक खास तरह का प्रोग्राम तैयार किया गया, जिसे चार हिस्सों में बांटा गया. इस बारे में प्रशांत बताते हैं कि पहले हिस्से में इन लोगों को बताया गया कि जिंदगी कैसे चलती है और कैसे काम करते हैं, क्योंकि इनमें से ज्यादातर ने कभी काम ही नहीं किया था. दूसरे हिस्से में इन लोगों को नौकरी की जरूरत के बारे में समझाया गया और तीसरे हिस्से में साधारण अंगरेजी पढ़ना सिखाया गया.
चौथे और अंतिम हिस्से में इन लोगों को हॉस्पिटैलिटी की ट्रेनिंग दी गयी. इसके बाद मूक-बधिर महिला और पुरुष वेटर वाले ‘मिर्च एंड माइम’ रेस्त्रां को ट्रायल के लिए प्रशांत और अनुज ने अपने दोस्तों-रिश्तेदारों के लिए खोला, जो यहां आकर मुफ्त में खाना खाते. इस दौरान सर्विस का सारा काम ये वेटर ही देखते थे. तीन हफ्तों में रिश्तेदारों से मिली अच्छी प्रतिक्रिया के बाद मई, 2015 में इन्होंने ‘मिर्ची एंड माइम’ आम लोगों के लिए शुरू कर दिया.
अपने यहां काम करने वाले मूक बधिर वेटरों की तारीफ करते हुए प्रशांत कहते हैं कि ये लोग अपने काम को लेकर काफी सजग होते हैं और हॉस्पिटैलिटी के तीनों गुण इनमें मौजूद रहते हैं. जैसे कि ये हमेशा मुस्कुराते हैं, दूसरा ये अपने काम को लेकर फोकस्ड रहते हैं, क्योंकि ये सुन नहीं सकते और तीसरा यह कि ये लोग दूसरों की भावनाओं को पढ़ लेते हैं. प्रशांत बताते हैं कि एक साथ 90 लोगों के बैठने की क्षमतावाले उनके रेस्त्रां में कुल 25 महिला और पुरुष वेटर काम करते हैं और उनकी औसत आयु 22 से 35 वर्ष के बीच है. प्रशांत बताते हैं कि हमने सर्विस स्टाफ की टी-शर्ट के पीछे एक स्लोगन लिखवाया है- “आइ नो साइन लैंग्वेज, व्हाट्स योर सुपरपॉवर”, यानी – मैं संकेतों की भाषा समझता हूं. आपका सुपरपावर क्या है?
इसका मकसद यह है कि कोई भी व्यक्ति इन्हें दया की नजरों से न देखे, ये भी आम लोगों की तरह हैं. प्रशांत आगे बताते हैं कि हमने अपने इन खास स्टाफ की सुरक्षा की भी व्यवस्था की है, जिसके तहत रात 10 बजे तक काम करने वाली महिला वेटर को उनके घर तक सुरक्षित छोड़ने का इंतजाम किया है, जबकि पुरुष वेटरों को हम नजदीक के बस या रेलवे स्टेशन पर पहुंचाते हैं.
‘मिर्ची एंड माइम’ के नाम के बारे में बताते हुए प्रशांत के पार्टनर अनुज शाह कहते हैं कि इस रेस्त्रां में भारतीय व्यंजन परोसे जाते हैं और भारतीय खाने की खासियत ही मिर्ची होती है.
और माइम का अर्थ होता है इशारों में अपनी बात कहना. इसलिए हमने अपने रेस्त्रां का नाम ‘मिर्ची एंड माइम’ रखा. अनुज बताते हैं कि इस रेस्त्रां में कार्यरत 20 लड़के और पांच लड़कियों के श्रमबल में से ज्यादातर ग्रेजुएट हैं और इस रेस्त्रां में फ्रंट डेस्क से लेकर रिसेप्शन, बार टेंडिंग, कैशियर अथवा सर्विस तक का हर काम बखूबी अंजाम देते हैं. सवा साल पहले शुरू हुए इस रेस्त्रां से मालिकों को दोगुना मुनाफा हुआ है. अनुज बताते हैं, लोग यहां दया दिखाने नहीं, बल्कि अच्छी सर्विस लेने आ रहे हैं, क्योंकि जब तक अच्छी सर्विस नहीं मिलेगी, लोग बार-बार नहीं आयेंगे.
‘मिर्ची एंड माइम’ आनेवाले ग्राहकों की नजर में यहां का माहौल, खाना और सर्विस अच्छी है. यहां आने पर मैनेजर आपको बताता है कि साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल कैसे करना है और सारा मेन्यू इतने अच्छे से आयोजित है कि खाना ऑर्डर करने में कोई परेशानी नहीं होती.
अनुज बताते हैं कि इस रेस्त्रां का एक अहम पहलू खाना भी लोगों को काफी पसंद आता है और हमारी योजना आने वाले तीन वर्षों में देश-विदेश में ‘मिर्ची एंड माइम’ की ऐसी 21 शाखाएं और खोलने की है, जिससे कम-से-कम 600 मूक-बधिर लोगों को रोजगार का बेहतर अवसर मिलेगा. इस बारे में अनुज कहते हैं कि अपनी सर्विस और अनूठेपन की वजह से हमें जितनी तेजी से पहचान मिल रही है, उससे उम्मीद है कि हम अपनी इस कोशिश में जरूर कामयाब होंगे.
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