अजीत नारायणन ने बनाया किफायती स्पीच सिंथेसाइजर
‘इनोवेशन में भारत की दस्तक’ शृंखला की चौथी कड़ी में आज पढ़ें अजीत नारायणन के बारे में, जिन्होंने बोलने में असमर्थ लोगों के लिए विशेष ऐप ‘आवाज’ और ‘फ्री स्पीच’ बनाया है, जो इनकी पढ़ाई से लेकर रोजमर्रा की जिंदगी में काम आता है. यह ऐप तसवीरों की शृंखला पर काम करता है. आइपैड पर काम करनेवाले इस ऐप में भारतीय और यूरोपियन भाषाओं के अलावा, कई और भाषाएं भी मौजूद हैं.
आइआइटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पोस्ट-ग्रैजुएट अजीत नारायणन ने बोलने में असमर्थ लोगों के लिए विशेष ऐप ‘आवाज’ और ‘फ्री स्पीच’ बनाया है, जो इनकी पढ़ाई से लेकर रोजमर्रा की जिंदगी में काम आता है. यह ऐप तसवीरों की शृंखला पर काम करता है और और उन्हीं के जरिये यूजर से इंटरेक्ट करता है.
इस ऐप को आइपैड पर भी काफी अच्छे से उपयोग किया जा सकता है. भारतीय और यूरोपियन भाषाओं के अलावा कई और भाषाएं भी ऐप में मौजूद हैं. अजीत के बनाये ‘फ्री स्पीच’ ऐप ‘आवाज’ का ही उन्नत संस्करण है. इस ऐप से नि:शक्त बच्चे शब्दों के साथ ही व्याकरण भी सीख सकते हैं.
अजीत नारायणन ने आइआइटी मद्रास से वर्ष 2003 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से पोस्ट-ग्रैजुएशन करने के बाद अमेरिका का रुख कर लिया. चार साल बाद वह उद्यमी बनने के इरादे के साथ वापस भारत आये. तब आइआइटी के कुछ प्रोफेसर कमजोर एवं नि:शक्त बच्चों के लिए काम कर रहे थे. उन्होंने अजीत से ऐसे बच्चों के लिए उत्पाद बनाने के लिए मदद की अपील की. अजीत बताते हैं कि तब मैंने किफायती स्पीच सिंथेसाइजर विकसित करने का फैसला किया. ऐसे बच्चों की जरूरतों को समझने के लिए अजीत ने विशेष स्कूलों के शिक्षकों और अभिभावकों से मुलाकात की. अजीत बताते हैं कि इस ऐप का विकास 25 स्कूलों और 500 बच्चों के साथ मिल कर केवल एक मकसद को ध्यान में रखकर किया गया है. यह मकसद था, बोलने में असमर्थ बच्चों की प्रभावी और इंटरेक्टिव संवाद में मदद करना.
आवाज तसवीरों का इस्तेमाल करता है और बढ़िया क्वालिटी वाले वाइस सिंथेसिस का इस्तेमाल कर संदेश बनाता है और भाषा को बेहतर बनाता है. यह एक तरह का स्पीच सिंथेसाइजर है, जिसे अजीत नारायणन के इन्वेंशन लैब्स में उन्होंने और उनकी टीम ने विकसित किया है.
अजीत बताते हैं कि यह उन बच्चों की मदद करता है जिन्हें बोलने में परेशानी है, लेकिन वे अच्छे से सुन सकते हैं. अगर ऐसे बच्चे नियमित रूप से इस पर अभ्यास करें, तो इसके नतीजे आते हैं. भारत में लगभग 50 लाख लोग मष्तिष्क पक्षाघात एवं अन्य प्रकार की अयोग्यताओं से ग्रस्त हैं, जिसकी वजह से वे बोलने में असमर्थ हैं. ऐसे लोगों के लिए उनका बनाया स्पीक सिंथेसाइजर आवाज, जिंदगी आसान बनाने का काम करेगा.
अजीत बताते हैं कि इस उत्पाद को विकसित करने में कुल 40 लाख रुपये का खर्च आया, जिसमें 10 लाख भारत सरकार ने लगाये. आवाज की कीमत 30,000 रुपये के लगभग है, जो ऐसे ही अमेरिकी उत्पाद की कीमत की लगभग आधी है.
आवाज को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए अजीत ने इसे विशेष बच्चों के लिए चलाये जा रहे विद्यालयों को लक्षित किया, जहां अध्यापकों से जानकारी पा कर अभिभावकों ने इसे खरीदा. अजीत बताते हैं कि स्पीच सिंथेसाइजर आवाज की मदद से अपने बच्चे को पहली बार बोलते देख कर कई अभिभावक भाव-विह्वल हो जाते हैं.
फिलहाल अजीत इस स्पीच सिंथेसाइजर को उन्नत बनाने के लिए बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान के साथ काम कर रहे हैं. वह कहते हैं, आवाज और फ्री स्पीच ऐप को नयी-नयी भाषाओं में बनाने के साथ वह दुनिया भर के नि:शक्त लोगों की मदद में और बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. फिलहाल उनकी सबसे बड़ी चुनौती इनवेस्टर्स तलाशना है.