इन्वेस्टमेंट ट्रेंड
कई स्वास्थ्य संकेतकों पर आधारित एक ताजा वैश्विक अध्ययन के नतीजों में भारत को 188 देशों की सूची में 143वें पायदान पर रखा गया है. यह स्थिति देश में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली बयां करती है. लेकिन, इस बीच अच्छी खबर यह है कि इनोवेटिव आइडियाज पर आधारित कुछ हेल्थकेयर स्टार्टअप्स देश में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में मददगार साबित हो रहे हैं और इनमें व्यापक निवेश भी हो रहा है. जानते हैं इलाज को सुगम बनाते, डॉक्टर और दवाओं तक पहुंच आसान बनाते हेल्थ सेक्टर के कुछ स्टार्टअप्स के बारे में, जिनमें हाल के महीनों में निवेश होने की खबरें आयी हैं.
हेल्थकार्ट
यह कंज्यूमर हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स, खासकर डाइटेरी सप्लीमेंट्स और मेडिकल उपकरण मुहैया करानेवाला एक इ-कॉमर्स पोर्टल है. ‘टेक इन एशिया’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले माह सिकोइया कैपिटल और अन्य निवशकों ने इसमें 12 मिलियन डॉलर का निवेश किया है. इनमें कुछ ऐसे भी हैं, जिनका भारत में इ-कॉमर्स स्पेस में व्यापक कारोबार फैल चुका है.
पियांटा
हेल्थकेयर संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए विशेषज्ञों से सलाह के लिए समय लेने और फिजिकल थेरेपी, नर्सिंग व लैब सैंपल कलेक्शन करनेवाले इस स्टार्टअप को हाल के दिनों में सीड फंडिंग के जरिये निवेश की बड़ी रकम हासिल हुई है. यह अपना होम हेल्थकेयर प्रैक्टिस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर भी बेचता है, जो रीयल टाइम में स्टाफ को तलाशने और अन्य चीजों को मैनेज करने में मदद करता है व ग्राहक का डिजिटल रिकॉर्ड भी सुरक्षित रखता है.
जॉक्टर
हेल्थ चेकअप के लिए डॉक्टर से समय लेने और लोंग टर्म इंटेंसिव केयर समेत क्रोनिक केयर आदि सेवाएं मुहैया करानेवाले इस स्टार्टअप में इस साल बड़ी रकम का निवेश हुआ है, जिसमें ब्रांड कैपिटल इन्क्यूबेटर की बड़ी हिस्सेदारी है. जुलाई, 2015 में स्थापित इस स्टार्टअप का कारोबार देश के अनेक बड़े शहरों तक फैल चुका है.
कर्मा हेल्थकेयर
यह स्टार्टअप डॉक्टरों और टेलीमेडिसिन की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराता है. आधुनिक तकनीकों के जरिये यह ग्रामीण क्षेत्रों से मरीजों का रीयल-टाइम डाटा डॉक्टरों के पास भेज कर उनका इलाज आसान बनाता है. इस वर्ष इसे भी घरेलू निवेशकों से बड़ी रकम हासिल हुई है.
मित्रा बायोटेक
यह बायोटेक फर्म कैंसर के मरीजों को आधुनिक तकनीक आधारित सेवाएं और इलाज मुहैया कराता है. बायोप्सी रिपोर्ट के आधार पर यह डॉक्टरों और मरीजों को कम-से-कम समय में समुचित इलाज की सलाह देता है. सिकोइया इंडिया और सैंड्स कैपिटल वेंचर ने पिछले माह इसमें व्यापक निवेश किया है, जिससे इस फर्म को 27.4 मिलियन डॉलर की रकम हासिल हुई है.
मेड जीनोम
यह जीनोमिक्स आधारित डायग्नोस्टिक और रिसर्च कंपनी है, जो क्लिनिकल, जेनेटिक काउंसलिंग और जीनोमिक्स सोलुशंस जैसी सेवाएं मुहैया कराती है. ओंकोलॉजी और कार्डियोलॉजी जैसी बीमारियों के क्लिनीकल जेनेटिक टेस्टिंग के लिए यह डीएनए सिक्वेंसिंग का इस्तेमाल करती है, जो डॉक्टरों को यह निर्धारित करने में मदद करता है कि ये दवाएं कैसी प्रतिक्रिया करती हैं. सिकोइया इंडिया, इमर्ज वेंचर ने इसमें अच्छा निवेश किया है.
हेल्थकेयर सेक्टर के स्टार्टअप्स में निवेश
397.41 मिलियन डॉलर का कुल निवेश हुआ है इस वर्ष भारतीय हेल्थकेयर सेक्टर में 88 फंडिंग डील्स के जरिये.
113.45 मिलियन डॉलर का निवेश हुआ है भारतीय हेल्थकेयर सेक्टर के स्टार्टअप में, 73 डील्स के माध्यम से.
5,657 मिलियन डॉलर की कुल रकम हासिल हुई इस सेक्टर को वर्ष 2012 से अब तक, 558 फंडिंग डील्स के जरिये.
735 मिलियन डॉलर का निवेश हो चुका है हेल्थकेयर सेक्टर के स्टार्टअप में वर्ष 2012 से अब तक, 336 फंडिंग डील्स के माध्यम से. (स्रोत : वीसीसीएज)
सफलता में परफेक्ट टाइमिंग की अहम भूमिका
कामयाबी की राह
समान आइडिया के साथ शुरू हुए दो स्टार्टअप में से एक सफल हुआ और दूसरा डूब गया. आपको ऐसे अनेक उदाहरण मिल जायेंगे, जहां उस आइडिया ने एक उद्यमी को तो अरबपति बना दिया, लेकिन दूसरी ओर किसी अन्य को कुछ भी कमाई नहीं हुई. उदाहरण के तौर पर यूट्यूब से भी पहले 1997 में पहली वीडियाे शेयरिंग वेबसाइट शुरू हुई, लेकिन वह सफल नहीं हो सकी. जबकि उसके बाद यूट्यूब और ऐसी कई ऐसी वेबसाइट कामयाब हो चुकी हैं. समान आइडिया पर काम करते हुए कुछ उद्यम आगे बढ़ जाते हैं, जबकि कुछ पिछड़ जाते हैं. विशेषज्ञों ने इसके निम्न संभावित कारण गिनाये हैं :
1. सटीक समय पर शुरुआत : किसी कारोबार को कामयाब बनाने में इसका सर्वाधिक योगदान माना जाता है. उदाहरण के तौर पर ओला और उबर ने ऐसे समय में बाजार में दस्तक दी, जब इस आइडिया पर आधारित पूरा मैदान खाली था. लिहाजा ग्राहकों और ड्राइवरों समेत कैब मालिकों को अपने साथ जोड़ने में ये सफल रहे.
2. आइडिया का कार्यान्वयन : हालांकि, किसी उद्यम को सफल बनाने में आइडिया को सबसे बड़ी भूूमिका में समझा जाता है, लेकिन उसका कार्यान्वयन कैसे किया गया है, यह उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है. जैसे गूगल ने बाजार की जरूरतों के अनुरूप अपने आइडिया को कार्यान्वित किया और दुनियाभर में फैल चुका है.
3. ग्राहकों की जरूरत : बदलते समय के साथ ग्राहकों की जरूरतों में बदलाव होता रहता है. इसलिए बदल रहे समय और उसके अनुरूप ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के बेहतर विकल्पों के बारे में आपको लगातार सोचते रहना होगा. अन्यथा कोई अन्य उद्यमी ग्राहकों की नब्ज पकड़ कर नये कंसेप्ट के साथ नया कारोबार शुरू कर सकता है और आपके ग्राहक उस ओर मुड़ सकते हैं.
4. बिजनेस मॉडल : आपके स्टार्टअप का बिजनेस मॉडल तय होना चाहिए और आपको इस बात की स्पष्ट समझ होनी चाहिए कि किस तरह के ग्राहकों से आपकी आमदनी आयेगी. शुरुआत में इसके लिए आपको एक सीमित दायरा लेकर चलना होगा.
इन्हें भी जानें
टैक्स छूट लेने के लिए यहां से लें प्रमाण पत्र
पहले से ही अस्तित्व वाले किसी कारोबार के विभाजन या उसके पुनर्निर्माण के माध्यम से बनायी गयी किसी संस्था को ‘स्टार्टअप’ नहीं माना जायेगा. इस परिभाषा के मुताबिक पहचान किये गये किसी ‘स्टार्टअप’ को टैक्स छूट का लाभ हासिल करने के लिए अंतर-मंत्रालीय प्रमाणन बोर्ड से पात्र व्यवसाय का प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा, जिसमें निम्न शामिल हैं :
(क) संयुक्त सचिव, औद्योगिक नीति एवं
संवर्धन विभाग,
(ख) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रतिनिधि और
(ग) जैव-प्रौद्योगिकी विभाग के प्रतिनिधि.
स्टार्टअप क्लास
सोलर एनर्जी से जुड़े कारोबार के लिए मिलती है सब्सिडी
– मैं सोलर एनर्जी पैनल और इस्टेब्लिशमेंट सर्विसेज का कारोबार शुरू करना चाहता हूं. कृपया इसके लाइसेंस की प्रक्रिया और सरकारी मदद समेत पूरी लागत के बारे में बताएं?
– अनुराग सिन्हा
सोलर पैनल डिस्ट्रीब्यूशन और इस्टेब्लिशमेंट का काम अच्छा है और सरकार इसके प्रचार में मदद भी कर रही है. इसके लिए अलग से किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं है. आप पहले एक फर्म बना कर डिस्ट्रीब्यूटर बन जाएं. उसके बाद आपको बैंक तथा सिडबी दोनों से वर्किंग कैपिटल की मदद मिल सकती है.
साथ ही मिनिस्ट्री ऑफ रिन्यूएबल एनर्जी से आपको सब्सिडी भी मिलेगी. ‘स्किल इंडिया’ अभियान के तहत आपको अच्छे कारीगर भी मिल जायेंगे. ज्यादा जानकारी के लिए मिनिस्ट्री ऑफ रिन्यूएबल एनर्जी की वेबसाइट देखें.
बड़े शहरों में बड़ा है चिकेन का खुदरा व्यापार
– मैं चिकेन का खुदरा कारोबार करता हूं. इसे आगे कैसे बढ़ाया जा सकता है? – मोहम्मद फिरोज
बड़े शहरों में चिकेन का खुदरा व्यापार एक बड़ा कारोबार है. दिल्ली और मुंबई में सिर्फ चिकन बेचनेवाली बड़ी रिटेल चेन हैं. दिल्ली में ग्रीन चिक चोप और मुंबई में रिपब्लिक ऑफ चिकन इसका बड़ा उदाहरण है. बड़ा करने के लिए आपको दो तीन चीजों का ध्यान रखना होगा
(क) प्रोसेसिंग : कम लागत में आपको अच्छी प्रोसेसिंग मशीन मिल सकती है, जिससे चिकेन की गुणवत्ता अच्छी बनी रहेगी. साथ ही उत्पादन क्षमता भी ज्यादा होगी.
(ख) पैकेजिंग : अच्छी पैकेजिंग करें. इससे ग्राहकों का भरोसा आप पर बढ़ेगा और आप ज्यादा दाम भी ले पायेंगे.
(ग) मार्केटिंग : आपको ब्रांड में निवेश करना पड़ेगा. पहली दो-तीन दुकानें आप खुद की खोलें और अच्छी मार्केटिंग करें. इसके बाद आपको खुद फ्रेंचाइजी मिलने लगेंगे. ग्रीन चिक चोप दिल्ली में 150 से ज्यादा दुकानें चलाता है, जिसमें से 140 फ्रेंचाइजी हैं.
ऑनलाइन कारोबार के लिए तकनीक और बाजार की बेहतर समझ जरूरी
– मैं 12वीं का छात्र हूं. मैं आगे नहीं पढ़ना चाहता और बतौर स्टार्टअप कोई ऑनलाइन कारोबार शुरू करना चाहता हूं. कृपया उचित सलाह दें.
– निशांत कुमार
आप पढ़ाई मत छोड़ें. ऑनलाइन कारोबार आसान नहीं है. इसके लिए तकनीक व बाजार की समझ और अनुभव होना चाहिए. आपके पास इनका अभाव है. इसलिए आप कोई तकनीकी ट्रेनिंग लें और किसी व्यापार के साथ जुड़ कर अनुभव हासिल करें. दो-तीन वर्षों में आपको खुद ही पता चल जायेगा कि आप किस तरह का व्यापार करना चाहते हैं.
अपने राज्य में है दिक्कत तो दिल्ली में करा सकते है फर्म का रजिस्ट्रेशन
– बिहार और झारखंड में हमने स्टार्टअप शुरू किया, लेकिन किसी भी सरकारी विभाग से मदद नहीं मिल रही है़ यहां तक कि अनेक महकमों से एनओसी हासिल करने के लिए अवैध रकम देनी होती है़ ऐसे में स्टार्टअप कैसे आगे बढ़ेंगे? – एमए हक, पूर्णिया
आपकी बात से सहमत हूं. लेकिन, कई मामलों में समझ और लगन से आप इन परेशानियाें को दूर कर सकते हैं. मैं आपके व्यापार के बारे में ज्यादा नहीं जानता, इसलिए आपको पूरी सलाह नहीं दे सकता कि आपको एनओसी की जरूरत है भी या नहीं. लेकिन कुछ उपाय सुझा सकता हूं.
(क) रजिस्ट्रेशन : आप अपनी फर्म का रजिस्ट्रेशन बिहार या झारखंड में न करके दिल्ली में करवा लें. इसमें अलग से खर्च नहीं होगा. दिल्ली में ज्यादातर प्रक्रिया ऑनलाइन है, इसलिए आसानी से हो जायेगा. इसके लिए दिल्ली में एक पता रखना होगा, जिसका सालाना खर्च तीन-चार हजार रुपये हो सकता है.
(ख) सेल्स टैक्स और सर्विस टैक्स : इसका रजिस्ट्रेशन भी आप दिल्ली में करा लें और उसके बाद सेकेंडरी रजिस्ट्रेशन के लिए राज्य में जाएं. इस प्रक्रिया में वे आपके आवेदन को ज्यादा दिन नहीं रोक सकते. वैसे भी अब सेकेंडरी रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं रहेगी, क्योंकि सेल्स और सर्विस टैक्स खत्म कर जीएसटी लागू हो रहा है, जिसमें बस एक रजिस्ट्रेशन लेना होगा, जो किसी भी राज्य में हो सकता है.
(ग) एनओसी : अगर आप यह बता सकें कि आप किस व्यापार में हैं और किस प्रकार के एनओसी चाहते हैं, तो मैं मदद कर पाऊंगा. आप ‘प्रभात खबर’ को मेल करके यह जानकारी पा सकते हैं.
(घ) बैंक लोन : बैंक एक व्यापार कर रहा है, जिसकी अपनी एक सीमा है. वह किसी को प्रोत्साहित करने के लिए अपने कायदे नहीं बदलेंगे. आपको मदद सरकारी महकमों- जैसे एनएसआइसी और सिडबी जैसी संस्थाओं से मिल सकती है. सिडबी 30 लाख तक की मदद आपको दे सकता है.
शराबबंदी के माहौल में लिकर टूरिज्म की तलाश सकते हैं संभावना!
बिहार में शराब पर पाबंदी लगा दी गयी है और इसका सेवन करनेवाले विकल्प तलाश रहे हैं. इसका बेहतर विकल्प क्या हो सकता है, जिसका वैध कारोबार किया जा सके?
चूंकि बिहार में सेवन पर ही पाबंदी है, इसलिए इस प्रकार का कोई भी व्यापार बिहार में तो नहीं किया जा सकता.
अगर गुजरात का उदाहरण लें, तो वहां इससे जुड़ी दूसरी संभावनाएं खुली हैं. अनेक टूर और ट्रेवल कंपनियां वहां लिकर टूरिज्म कराती हैं. इसके लिए उन्होंने पड़ोसी राज्यों के होटल और बार से संपर्क साध रखा है और टैक्सी व बस से ऐसे लोगों को वहां तक लाने ले जाने का काम करती हैं. इसके अलावा होटल व बार की कमाई का एक हिस्सा उन्हें भी मिलता है. आप भी ऐसी संभावनाओं पर विचार कर सकते हैं