अब साइबर वार की शुरुआत ! : पाक हैकर्स ने हैक की 7000 भारतीय वेबसाइट्स

पाकिस्तान के हैकर्स ने 7000 से ज्यादा भारतीय वेबसाइट्स को हैक करने का दावा किया है. हर वेबसाइट पर एक हैक करनेवाले ग्रुप का एक लोगो है. इसके अलावा, इन वेबसाइट्स पर पाकिस्तानियों के बीच मशहूर देशभक्ति गीत भी बजाये जा रहे हैं. पाकिस्तानी हैकर्स के एक ग्रुप का दावा है कि उसने सात हजार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 7, 2016 6:05 AM
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पाकिस्तान के हैकर्स ने 7000 से ज्यादा भारतीय वेबसाइट्स को हैक करने का दावा किया है. हर वेबसाइट पर एक हैक करनेवाले ग्रुप का एक लोगो है. इसके अलावा, इन वेबसाइट्स पर पाकिस्तानियों के बीच मशहूर देशभक्ति गीत भी बजाये जा रहे हैं.
पाकिस्तानी हैकर्स के एक ग्रुप का दावा है कि उसने सात हजार से ज्यादा भारतीय वेबसाइट्स को हैक कर लिया है. हैकर्स ने पिछले दिनों इसकी सूची भी जारी की. हैक की गयी हर वेबसाइट पर हैकिंग ग्रुप का लोगो लगा हुआ है और इसके साथ ही इन वेबसाइट्स पर पाकिस्तानी देशभक्ति गीत भी बजता है, जिसके बोल इस प्रकार हैं – ऐ वतन तेरा इशारा आ गया, हर सिपाही को पुकार आ गया, तुमने सोचा था हमने करके दिखाया.
वैसे तो ये हैकर्स हमारे देश के महत्वपूर्ण संगठनों और विभागों की वेबसाइट्स पहले भी हैक करते रहे हैं, लेकिन इस बार इनका बड़ा शिकार बनी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की वेबसाइट. पाकिस्तानी हैकर्स ने एनजीटी की वेबसाइट को हैक कर वहां से सारे डाटा डिलीट कर दिये हैं.
इसके साथ ही हैकर्स ने वेबसाइट के होमपेज पर एक संदेश भी छोड़ा है, जिसमें लिखा है – हमें कोई हरा नहीं सकता. अब साइबर वार की शुरुआत होगी. यही नहीं, हैकर्स ने एनजीटी की इस वेबसाइट पर कश्मीर को लेकर अपशब्द भी लिखे हैं. एनजीटी की वेबसाइट खोलने पर पाकिस्तानी राष्ट्रगान की धुन सुनाई दे रहा था. हालांकि एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार इस बारे में कोई टिप्पणी करने से बचते रहे.
आइटी विशेषज्ञों के अनुसार, यह साइबर अटैक पाकिस्तानी हैकर्स ‘D4RK 4NG31’ ने सोमवार देर रात पाकिस्तान के गुजरावाला पंजाब प्रांत से किया. मंगलवार शाम लगभग 7.15 बजे इस साइबर अटैक के बारे में पता चला. विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि हैकर अब इनकम टैक्स और रेलवे की अन्य वेबसाइट्स भी हैक करने की कोशिश कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि एनजीटी की यह साइट नेशनल इंफॉर्मेशन सेंटर की होस्ट थी, यानी यह केंद्र सरकार के सिस्टम से जुड़ी थी, जिसमें हैकर ने प्रोग्रामिंग लूप के जरिये इसको हैक कर दिया है. एनजीटी की वेबसाइट खोलने पर सबसे ऊपर एक संदेश लिखा आ रहा है. यह संदेश है, ‘Website Stamped BY D4RK 4NG31’. इसके बाद इसमें एक बच्चे की तसवीर नजर आती है, जिसने अपनी एक उंगली उठा रखी है.
वेबसाइट पर एक हैशटैग #OpIndia लिखा हुआ भी दिखता है. भारत के खिलाफ हैकर्स ने लिखा है, कश्मीर के मासूम लोगों को मारकर इसे सेल्फ डिफेंस का नाम दे दिया गया. सीजफायर को तोड़कर उसे सर्जिकल स्ट्राइक कहा गया. अब साइबर वार झेलो. इस हमले के बाद एनजीटी की वेबसाइट बंद कर दी गयी है और नेशनल इंफॉर्मेशन सेंटर की तकनीकी टीम इसे ठीक करने में जुटी हुई है.
साइबर सिक्योरि‍टी एक्सपटर्स ने कहा है कि‍ हैकर्स ‘स्क्रिप्ट कि‍ड्स’, यानी नौसिखिए हैं. ये हैकर्स खुद के कोड नहीं लि‍ख सकते. वह केवल मौजूदा स्क्रिप्ट को इस्तेमाल कर वेबसाइट्स को हैक करते हैं. विभिन्न मीडि‍या रि‍पोर्टों के मुताबि‍क, पाकि‍स्‍तान का यह ग्रुप पहले भी भारतीय वेबसाइट्स को हैक कर चुका है. इससे पहले टाटा मोटर्स, एआइएडीएमके और ताज महल की वेबसाइट्स को भी हैक कि‍या जा चुका है. हैकर्स ने अपने संदेश में कहा है कि‍ अभी और भी वेबसाइट हैक होंगे. हालांकि इनमें से ज्यादातर गैर-सरकारी वेबसाइट्स होंगे. विशेषज्ञ बताते हैं कि भारतीय वेबसाइट्स पर बहुत बड़ा खतरा मंडरा रहा है क्योंकि हमारी वेबसाइट्स में बहुत सारी कमजोरियां हैं.
संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार जनवरी 2010 से दिसंबर 2015 के बीच 1490 सरकारी वेबसाइट्स को हैक किया जा चुका है. इस वर्ष के आंकड़े अभी जारी होने बाकी है. अब तक सरकारी वेबसाइट की सबसे बड़ी हैकिंग वर्ष 2013 में हुई थी. ‘फ्रोजनमिस्ट’ नाम के हैकर ने इलेक्ट्रॉनिक्स कॉपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की वेबसाइट को हैक कर लिया था. इस वेबसाइट से हैकर्स ने इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को चुरा लिया था.
वर्ष 2013 के बाद सरकारी वेबसाइट्स की हैकिंग में कुछ कमी जरूर आयी, लेकिन यह आंकड़ा वर्ष 2015 में फिर से बढ़ने लगा. इस बारे में अमेरिका के बिंघामटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरविंद प्रकाश बताते हैं, हमेशा इस बारे में बहस होती है कि हम हैकिंग रोकने के लिए कोई सॉफ्टवेयर क्यों नहीं खरीद लेते हैं. लेकिन, सॉफ्टवेयर बनाने और बेचनेवाली कंपनियों पर भी पूरी तरह से विश्वास नहीं किया जा सकता. अरविंद प्रकाश कहते हैं कि घुसपैठ और हैकिंग वहीं संभव हो पाती है, जहां कोई न कोई कमजोरी होती है.
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