#दशहरा: मुस्लिम परिवार ने जीवित रखी पुतला बनाने की परंपरा
जम्मू : देश के मुस्लिम बहुल प्रांत जम्मू कश्मीर के हिन्दू बहुल जम्मू क्षेत्र में विजय दशमी की तैयारियां उत्तर प्रदेश के एक मुस्लिम परिवार के बिना पूरी नहीं होतीं जो पिछले 35 साल से रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाने का काम कर रहा है. कल शाम इन पुतलों के दहन के साथ […]
जम्मू : देश के मुस्लिम बहुल प्रांत जम्मू कश्मीर के हिन्दू बहुल जम्मू क्षेत्र में विजय दशमी की तैयारियां उत्तर प्रदेश के एक मुस्लिम परिवार के बिना पूरी नहीं होतीं जो पिछले 35 साल से रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाने का काम कर रहा है. कल शाम इन पुतलों के दहन के साथ ही मेरठ जिले के इस मुस्लिम परिवार की मेहनत भी फलीभूत हो गई.
पुतला बनाने वाले 40 कलाकारों की टीम के मुखिया मोहम्मद गयासुद्दीन कहते हैं कि जब हमारे द्वारा बनाए गए पुतलों का दहन होता है तो हमें ऐसा महसूस होता है जैसे हमें पुरस्कार मिल गया हो क्योंकि हम राक्षसों के इन पुतलों को विजय दशमी पर दहन के लिए ही बनाते हैं. हम ऐसे एकमात्र कलाकार हैं जो अपने उत्पाद का दहन चाहते हैं.
गयासुद्दीन का मानना है कि बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा देश में सांप्रदायिक सौहार्द तथा भाईचारे का भी उदाहरण है. लोग जानते हैं कि मैं मुसलमान हूं और वे खुली बांहों से मेरा स्वागत करते हैं क्योंकि उन्हें मेरी कला पसंद है. दशहरा पर्व सांप्रदायिक सौहार्द तथा भाईचारे का प्रतीक है.
कलाकारों के मुखिया का कहना है कि हमारे द्वारा बनाए जाने वाले पुतले समूचे जम्मू क्षेत्र में कई दशहरा मैदानों में इस्तेमाल किए जाते हैं. लोग राजौरी, पुंछ, डोडा और किश्तवाड जैसे दूरस्थ क्षेत्रों से भी पुतलों का ऑर्डर देने आते हैं. गयासुद्दीन अपने समूचे परिवार और 40 कलाकारों के समूह के साथ पुतला बनाने के लिए एक महीने पहले जम्मू पहुंच जाते हैं.
उनका कहना है कि वह जम्मू क्षेत्र में लोगों से मिलने वाले प्रेम और स्नेह से प्रभावित हैं. जम्मू क्षेत्र में कई दशहरा समितियां गयासुद्दीन के पहुंचने का इंतजार करती हैं, ताकि वे पुतलों का ऑर्डर दे सकें.