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कोशिशें रंग लाती हैं ऐसे ही अफसरों से

– काला धन उजागर करने का अभियान कालाधन खत्म करने की कोशिशें निरंतर जारी हैं. सरकार के कई महकमे कालाधन को उजागर करने के प्रयास में लगे हैं. ऐसी कोशिशों को असरदार और सफल बनाने में सरकारी अफसरों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. 2009 बैच के आइआरएस अफसर ध्रुव पुरारी सिंह ऐसे ही अफसर हैं, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 17, 2016 6:05 AM
– काला धन उजागर करने का अभियान
कालाधन खत्म करने की कोशिशें निरंतर जारी हैं. सरकार के कई महकमे कालाधन को उजागर करने के प्रयास में लगे हैं. ऐसी कोशिशों को असरदार और सफल बनाने में सरकारी अफसरों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. 2009 बैच के आइआरएस अफसर ध्रुव पुरारी सिंह ऐसे ही अफसर हैं, जिनकी अगुआई में बड़े-बड़े सिंडिकेटों का पर्दाफाश हुआ. पढ़िए एक रिपोर्ट.
ध्रुव पुरारी सिंह
इनकम डिस्कलोजर स्कीम मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जो एक जून, 2016 को लागू हुई थी, 30 सितंबर को खत्म हुई. काला धन समाप्त करने की दिशा में यह काफी सफल साबित हुई. इस योजना को सफल बनाने में इंडियन रेवेन्यू सर्विस ऑफिसर ध्रुव पुरारी सिंह का योगदान उल्लेखनीय है. ध्रुव पुरारी सिंह अभी नेशनल एकेडमी ऑफ डाइरेक्ट टैक्सेज, नागपुर के डिपुटी डायरेेक्टर हैं.- बाकी पेज 17 पर
कोशिशें रंग लाती हैं…
इस योजना को शुरू करने के दौरान उन्होंनेे अभियान चला कर ऐसा माहौल बनाया कि लोग इसकी गंभीरता को समझें कि अगर लोगों ने छिपा कर रखे गये धन के बारे में जानकारी नहीं दी तो कड़े से कड़े दंड के लिए तैयार रहना पड़ेगा.
निस्संदेह इस अभियान का असर हुआ. इस अभियान को रोकने की कोशिशें हुईं. इनवेस्टिगेशन रोकने के लिए चेतावनी भी दी गयी. जिन नेताओं और बिजनेसमैनों का नाम इसमें शामिल था, उन सब ने धमकियां भी दीं. उन सबके खिलाफ ध्रुव ने एफआइआर किया.
ध्रुव पुरारी सिंह बताते हैं कि आयकर विभाग पहले भी छापे डालती थी और करवंचकों को पकड़ती थी, मगर इनकम डिस्कलोजर स्कीम-2016 पूर्ववर्ती अभियानों से काफी अलग है. पहले जो सर्च या सर्वे होता था, वह किसी खास व्यक्ति या ग्रुप के खिलाफ होता था. इस स्कीम में पहली बार इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यह योजना बनायी कि किसी व्यक्ति या कंपनी के दफ्तर में छापा डालने की बजाय इंट्री ऑपरेटरों पर निशाना लगाया जाये. एक निश्चित समयावधि के अंदर छापे डाले गये और कंबाइंड रिपोर्ट बनायी गयी.
इस रणनीति का नतीजा निकला कि 34 शेयर ब्रोकिंग हाउस और 24 मनी लॉन्ड्रिंग करनेवालों ने काला धन बनाने में अपनी भूमिका कबूल की. डिफॉल्टरों के स्टेटमेंट का डाटाबेस बनाया गया. उन डिफॉल्टरों ने कबूल किया कि उन सबने देशभर में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए 15,0000 शेल कंपनियां बनायी हैं.
अवैध बैंक खातों (जिनका केवाइसी नहीं हुआ था और जिन्होंने प्रोपर रिटर्न फाइल नहीं किया था) से लगभग 17,000 करोड़ रुपये का पता चला.
उन्होंंने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग करनेवाले, फरजी कंपनी चलानेवाले, फ्रॉड शेयर कंपनियों और पेनी स्टॉक वालों की सूचनाओं की एक पीडीएफ फाइल बनायी गयी. इसमें फ्रॉड करनेवालों को 210 कबूलनामा था. सूचनाओं से भरी यह फाइल देशभर में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अफसरों को भेज दी गयी. पांच हजार फरजी कंपनियों की पहचान की गयी. फरजी कंपनियों के निदेशकों से शपथ के तहत बयान दर्ज किये गये. डिफॉल्टरों को यह बात अच्छी तरह से मालूम था कि उनका नाम मेरी लिस्ट में है. बाद में होनेवाली बेईज्जती और कड़े दंड के भय से उन सबने अपने अघोषित धन राशि के बारे में जानकारी दे दी.
ध्रुव पुरारी सिंह के इन्वेस्टिगेशन से इनकम टैक्स विभाग के आला अधिकारियों को ऑपरेशन चलाने में बड़ी मदद मिली. लांग टर्म कैपिटल गेेन की बहुत ही बड़ी राशि का पता चला. यह राशि लगभग 38,000 करोड़ रुपये की थी.
मार्च 2015 में जमा की गयी ध्रुव की रिपोर्ट के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने देश भर में सर्च-सर्वे के ऑपरेशन चलाया. उन्होंने प्रोजेक्ट बेस्ड इनवेस्टिगेशन चलाया, कॉरपोरेट एफेयर्स मंत्रालय और स्टॉक एक्सचेंज से सूचना मंगाकर बॉम्बेे स्टॉक एक्सचेंज से लिस्टेड 85 कंपनियों को चिह्नित कर उनकी गतिविधियों पर नजर रखी. कोलकाता इनकम टैक्स डाइरेक्टोरेट द्वारा 84 पेनी स्टॉक्स की जांच की गयी और पटना डाइरेक्टोरेट ने 85 की जांच की.
सारी पूछताछ अकेले ध्रुव पुरारी सिंह ने की. सितंबर 2015 तक कई नेताओं, अफसरों और व्यापारिक प्रतिष्ठान संचालकों ने राशि जमा की. लगभग 2000 करोड़ रुपये का डिस्क्लोजर हुआ. इनकी रिपोर्ट पर सेबी ने 30 पेनी स्टॉक्स की ट्रेडिंग सस्पेंड कर दी और बीएसई ने भविष्य में ऐसे मैनिपुलेशन से बचने के लिए एक नया सर्किट ब्रेकर लांच किया.
ध्रुव पुरारी सिंह जैसे अफसर उम्मीद की किरण हैं, न सिर्फ सरकार के लिए बल्कि समाज के लिए भी.
(इनपुट: ब्यूरोकरेसी टुडे)

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