महागंठबंधन सरकार का एक साल : बिहार का जो विकास हुआ है, उसे कायम रखना होगा

महागंठबंधन सरकार का एक साल : नीतीश कुमार बोलने से ज्यादा कुछ करने में िवश्वास रखते हैं लार्ड मेघनाद देसाई वरिष्ठ अर्थशास्त्री 20 नवंबर को नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागंठबंधन सरकार का एक साल पूरा होने जा रहा है. साल भर में राज्य सरकार ने कई बड़े कदम उठाये हैं. पूर्ण शराबबंदी कानून व […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2016 8:35 AM
an image

महागंठबंधन सरकार का एक साल : नीतीश कुमार बोलने से ज्यादा कुछ करने में िवश्वास रखते हैं

लार्ड मेघनाद देसाई

वरिष्ठ अर्थशास्त्री

20 नवंबर को नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागंठबंधन सरकार का एक साल पूरा होने जा रहा है. साल भर में राज्य सरकार ने कई बड़े कदम उठाये हैं. पूर्ण शराबबंदी कानून व लोक शिकायत निवारण एक्ट लागू किये गये. सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35% आरक्षण समेत सभी सात निश्चयों पर काम शुरू कर दिया गया.

नितीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में 12वें साल में प्रवेश करने जा रहे हैं. इस लिहाज से उनके कामकाज की समीक्षा जरूर होनी चाहिए. उन्होंने राज्य के लिए क्या किया और जनता की उनसे क्या अपेक्षाएं हैं? यह राज्य की जनता अच्छी तरह से जानती और समझती है.

उसी हिसाब से अपने नेता और मुख्यमंत्री का चुनाव भी करती है. यहां सवाल यह उठता है कि नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने से पहले राज्य की हालत क्या थी? और, उनके सीएम बनने के बाद राज्य में विकास और कानून- व्यवस्था में सुधार हुआ या नहीं? इस लिहाज से देखा जाये, तो नीतीश कुमार राज्य में अब तक के सबसे सफल मुख्यमंत्री साबित हुए हैं, क्योंकि उन्होंने विकास के साथ ही कानून-व्यवस्था को जिस तरह से कंट्रोल किया, त्वरित कार्रवाई की, अपने-पराये के भेद को मिटा कर, उससे साफ है कि उन्होंने राज्य के जनता के प्रति कितने समर्पित भाव से काम किया है.

साल 2005 में उन्होंने बहुत बड़ा इनिशिएटिव लिया. उन्होंने लॉ एंड आर्डर को ठीक करने का काम किया. उससे पहले लालू प्रसाद जी का शासन था, लेकिन वह विकास के बनिस्पत सम्मान की बात करते थे. इसका नतीजा यह हुआ कि उन्हें खास वर्ग का वोट मिला, सत्ता मिली, लेकिन राज्य का विकास नहीं हुआ, क्योंकि लालू जी ने कहा था कि उन्हें विकास नहीं, सम्मान चाहिए और दोनों चीजें एक साथ चलना आसान नहीं है. यही कारण रहा कि मॉस लीडर होते हुए भी लालू जी बिहार का विकास नहीं कर पाये, जबकि उनके चाहनेवालों का एक बड़ा वर्ग था. नीतीश कुमार की खासियत यह रही कि वह बोलने से ज्यादा कुछ करने में विश्वास करते हैं और उन्होंने वही किया, जिसकी जरूरत बिहार के विकास के लिए रही है. यही कारण रहा कि वह एक विकास पुरुष साबित हुए. कई लोग महागंठबंधन को लेकर तरह-तरह की आशंका व्यक्त करते हैं.

आशंका होना स्वाभाविक भी है. क्योंकि लालू प्रसाद जी के स्वभाव को जो लोग जानते हैं, वही लोग इस तरह की बात भी करते हैं. लेकिन, मेरा मानना है कि एक वर्ष से जदयू और राजद की सरकार अच्छा काम कर रही है. दोनों की अपनी-अपनी मजबूरियां भी हैं. इसलिए डर होते हुए भी दोनों दलों के बीच किसी तरह का बड़ा मतभेद हो, जिससे सरकार के अस्तित्व पर खतरा हो, ऐसा मुझे अभी नहीं दिख रहा है. जब लोकसभा का चुनाव आयेगा, तो निश्चित रूप से दोनों एक साथ मिल कर भाजपा को हराने की कोशिश करेंगे. नीतीश जी बिहार के पहले मुख्यमंत्री है, जो विकास पुरुष हैं. बिहार अब उन सब बातों से ऊपर उठ चुका है, जिसके लिए कभी बदनाम हुआ करता था.

विकास के मुद्दे पर नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी दोनों की सोच एक है. दोनों के बीच राजनीतिक मतभेद जो भी हो, एक-दूसरे की नीतियों के विराेधी हो, लेकिन डेवलपमेंट के मुद्दे पर दोनों की सोच एक जैसी है. नरेंद्र मोदी भी विकास की बात करते हैं और नीतीश कुमार भी विकास की बात करते हैं.

दोनों अच्छे राजनेता हैं. नीतीश कुमार अच्छे मुख्यमंत्री हैं और मोदी जी भी अच्छे मुख्यमंत्री रहे हैं. दोनों को पता है कि उन्हें क्या करना है, क्या जरूरत है और क्या चाहिए. उसी हिसाब से वे तत्काल निर्णय लेते हैं. मुझे लगता है कि बिहार को नीतीश जी की अभी ज्यादा जरूरत है. बिहार में जो विकास हुआ है, उसे अभी बरकरार रखने की जरूरत है, तभी बिहार आगे बढ़ेगा और यह काम नीतीश जी बखूबी निभा रहे हैं.

(अंजनी कुमार सिंह से बातचीत पर आधारित)

Exit mobile version