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भौतिकता से परे हो हमारा शरीर

हठ योग को बड़े पैमाने पर लोग कसरत के रूप में लेते हैं. इसका मकसद वजन कम करना, कमर दर्द से निजात पाना और बेहतर स्वास्थ्य हासिल करना नहीं हैं. ये सभी चीजें हठ योग के परिणाम हैं, उसका मकसद नहीं. ‘कसरत’ तो एक बहुत नयी सोच है. पुरानी पीढ़ियों में केवल पहलवान और योद्धा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2016 6:21 AM
हठ योग को बड़े पैमाने पर लोग कसरत के रूप में लेते हैं. इसका मकसद वजन कम करना, कमर दर्द से निजात पाना और बेहतर स्वास्थ्य हासिल करना नहीं हैं. ये सभी चीजें हठ योग के परिणाम हैं, उसका मकसद नहीं.
‘कसरत’ तो एक बहुत नयी सोच है. पुरानी पीढ़ियों में केवल पहलवान और योद्धा ही कसरत किया करते थे. बाकी लोग सिर्फ काम करते थे. उसी में उन्हें भरपूर शारीरिक मेहनत करनी पड़ती थी, जिससे उन्हें अलग से कसरत करने की जरूरत नहीं होती थी. लोगों के दिमाग से इस बात को निकालना कि हठ योग कसरत करने का कोई तरीका है, अपने आप में एक बेहद मुश्किल काम है. इसके बिना असली योग संभव नहीं है. उदाहरण के लिए जब आप सूर्य नमस्कार करते हैं तो अपनी मांसपेशियों पर ध्यान मत दीजिए. आपका लक्ष्य होना चाहिए. इस सौर्यमंडल में ऊर्जा के स्त्रोत के साथ लयबद्ध होना. ऐसा करने में कितना समय लगेगा? योगी बनने में कितना वक्त लगता है?
एक भक्त बनने में कितना समय लगता है? किसी के प्यार में पड़ने में कितना समय लगता है? देखिए, ये सब जीवन के बेहद सूक्ष्म पहलू हैं और इनके लिए आप समय की सीमा तय नहीं कर सकते. जीवन के केवल भौतिक पहलुओं के लिए ही आप समय-सीमा तय कर सकते हैं. अगर भौतिकता न होती, तो समय भी न होता. जो भौतिक से परे है, वहां समय जैसी कोई चीज नहीं होती. इस भौतिक सिस्टम की चक्रीय प्रकृति में ही समय का अस्तित्व है. अगर आपका शरीर न होता, तो आपको समय का कोई अहसास ही न होता और न ही आपको स्थान का ही कोई ज्ञान होता. स्थान भी सिर्फ भौतिक सृष्टि में ही होते हैं.
अगर कोई चीज सूक्ष्म है, अगर कोई चीज भौतिकता से परे है, तो उसे समय की सीमा में नहीं बांधा जा सकता. हो सकता है एक पल में चीजें घटित हों, हो सकता है सदियां लग जाएं और यह भी मुमकिन है कि ऐसा कभी हो ही न. अगर आपका लक्ष्य एक योग शिक्षक बनना है, तो साढ़े पांच महीने का वक्त काफी है. लेकिन अगर आपको योगी बनना है तो हो सकता है कि ऐसा साढ़े पांच सेकंड में ही हो जाये और यह भी संभव है कि ऐसा होने में साढ़े पांच जन्म लग जाएं. यह इस बात पर निर्भर करता है कि कोई व्यक्ति किस तरह से इन चीजों को अपने साथ घटित होने की इजाजत देता है.
मेरी इच्छा है कि योगी होने का कम-से-कम एक तत्व तो आपके जीवन में आ जाए. ऐसा नहीं हुआ तो एक मौलिक चीज बरबाद हो जायेगी. अगर आप दिन भर उस तरह से नहीं रह सकते तो कुछ पल तो आप एक योगी की तरह बिता ही सकते है. अगर आप ऐसा करेंगे, तो जिन चीजों का आपने कभी अनुभव ही नहीं किया, वे आपके साथ घटित होने लगेंगी. अगर आप योगी नहीं बनते तो जीवन आपको कई तरह के हालातों से गुजारेगा. यही वजह है कि ज्यादातर लोग जीवन से छिपना चाहते हैं. अगर लोग अपने जीवन में दो-तीन से ज्यादा लोगों से बात नहीं कर सकते, अगर वे यूं ही खुले दिल से सड़कों पर घूम नहीं सकते, हर चीज को प्रेम नहीं कर सकते, तो इन सबका मतलब है कि वे जीवन से भाग रहे हैं. दरअसल वे सुरक्षित रहना चाहते हैं. तो मैं कहूंगा कि देखिए, ताबूत बेहद सुरक्षित स्थान है, स्टेनलेस स्टील का ताबूत लकड़ी से भी अधिक सुरक्षित होगा. आपको उसका ही प्रयोग करना चाहिए.
योगी होने का मतलब है बिना उस ताबूत के रहना. इसका मतलब भौतिकता की सीमाओं के परे जाना और इस जगत में मौजूद हर चीज का स्पर्श और अनुभव करना है. जब तक कोई इनसान इस तरह के गुण हासिल नहीं कर लेता, तब तक यही मानना चाहिए कि वह जीवन से भागने की कोशिश कर रहा है.
आप जीवन से तो बच सकते हैं, लेकिन मौत से नहीं बच सकते. हठ योग की प्रक्रिया इस तरह बनायी गयी है कि आपको कम से कम कुछ पल तो अवश्य मिल सकें जिसमें आप भौतिकता की सीमाओं से परे जा सकें. आपकी मनोवैज्ञानिक प्रकृति आपकी शारीरिक प्रकृति का ही नतीजा है. अगर आपके पास शरीर न होता, लेकिन बुद्धि और समझ ऐसी ही होती, तो आपका दिमाग अलग ही तरीके से काम करता.
निश्चित रूप से आप शरीर के अंगों के बारे में नहीं सोच रहे होते. अभी आपके दिमाग में जो विचार आ रहे हैं, उन्हें देखें और सोचें कि अगर आपके पास शरीर न होता तो इनमें से कितने विचार काम के होते. मैं तो कहता हूं कि आपके दिमाग में चलने वाले निन्यानबे फीसदी विचार अर्थहीन हैं, क्योंकि वे शारीरिक मजबूरियों के इर्द-गिर्द हैं.
अगर आपके पास शरीर न होता, तो आपके विचार संभावनाओं पर आधारित होते, चिंताओं पर नहीं. अभी हर विचार एक चिंता की तरह है – कल क्या होगा? मैं क्या खाऊंगा? मैं कैसे रहूंगा? ये सभी चिंताएं आपके मान में इसलिए उठती हैं, क्योंकि आपके पास शरीर है.
अगर आपके पास शरीर न होता तो सिर्फ एक ही सवाल होता कि एक इनसान के लिए सबसे बड़ी संभावना क्या है? आपको अपने दिमाग से इस विचार को बाहर कर देना चाहिए कि मेरा क्या होगा. आपका क्या होगा? आप मर जायेंगे. जीवन का असली रहस्य तो यही है.
अगर आप इस चिंता को छोड़ देंगे तो आपका शरीर आपको अगले आयाम में ले जाने का एक साधन बन जायेगा. अभी आपने इस शारीरिक तंत्र को एक बाधा बना रखा है, संभावना नहीं. और इसकी वजह यही है कि आपने इसके साथ अपनी पहचान स्थापित की हुई है. अगर आप इस एक विचार को हटा दें तो आप एक शानदार संभावना बन सकते हैं.
(साभार : ईशा लहर पत्रिका )

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