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अगले कुछ वर्षों में भारत बन सकता है सबसे बड़ी डिजिटाइज्ड अर्थव्यवस्था

टेक्नोलॉजी फॉर ट्रांसफॉर्मेशन पिछले सप्ताह नयी दिल्ली में नीति आयोग के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में बिल गेट्स ने अपने विचार रखे. भारत के भविष्य के बारे में वे बेहद आशान्वित हैं. टेक्नोलॉजी से धनी बने गेट्स पिछले कई वर्षों से न केवल भारत आ रहे हैं, बल्कि यहां के तकनीकी विकास में उनका भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 22, 2016 6:35 AM

टेक्नोलॉजी फॉर ट्रांसफॉर्मेशन

पिछले सप्ताह नयी दिल्ली में नीति आयोग के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में बिल गेट्स ने अपने विचार रखे. भारत के भविष्य के बारे में वे बेहद आशान्वित हैं. टेक्नोलॉजी से धनी बने गेट्स पिछले कई वर्षों से न केवल भारत आ रहे हैं, बल्कि यहां के तकनीकी विकास में उनका भी योगदान माना जा रहा है. ‘टेक्नोलॉजी फॉर ट्रांसफॉर्मेशन’ नामक इस लेक्चर में उन्होंने भारत में हो रहे तकनीकी बदलावों पर खुल कर अपने विचार रखे. आज के आलेख में प्रस्तुत है बिल गेट्स द्वारा दिये गये भाषण का संपादित अंश…

बतौर उद्यमी इंजीनियर, बिजनेस लीडर और अब एक फिलेंथ्रॉपिस्ट यानी समाजसेवी के रूप में भारत से जुड़े मेरे अनेक अनुभव रहे हैं, जिनका मैं यहां जिक्र कर रहा हूं. प्रधानमंत्री मोदी ने मुझसे कहा कि भारत आज जिन चुनौतियों से जूझ रहा है और तकनीक की मदद से उन्हें कैसे सुलझाया जा सकता है, ताकि भारत को तेजी से तरक्की की राह पर आगे ले जाया जा सके, मैं उस बारे में खुल कर अपनी बात रखूं. पिछले दो दशकों के दौरान मैं भारत के अनेक क्षेत्रों का दौरा कर चुका हूं. निस्संदेह भारत को समझने के मामले में नौसिखिया हूं मैं. भारत अपनेआप में एक रोचक और मिश्रित स्थान है, शायद उन लोगों के लिए भी, जो यहां के निवासी हैं. मेरे वक्तव्य सलाह के रूप में हैं, जो मैं बतौर मित्र देना चाहता हूं.

पहली बार मैं भारत माइक्रोसॉफ्ट के लिए आया था. मैं यहां के महान इंजीनियरों को देख कर चकित था. आइटी सेक्टर में भारत को बड़ी कामयाबी दिलाने में इनका व्यापक योगदान है. गेट्स फाउंडेशन के कार्यों के संदर्भ में मैं नियमित रूप से भारत आता रहा हूं. मुझे न केवल बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे महानगर, बल्कि अनेक छोटे शहरों में भी जाने का मौका मिला है. और मैंने देखा है कि वहां व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं.

भारत का पहला और सफल अनुभव

भारत में हमारे फाउंडेशन ने सबसे पहले एचआइवी से लोगों को बचाने के लिए सरकार के साथ साझेदारी में काम शुरू किया. यह बेहद जटिल कार्यक्रम था, क्योंकि इसमें सेक्स वर्कर्स जैसे लोगों तक पहुंच बनानी थी और उन्हें एचआइवी से बचाव के बारे में जागरूक करना था. बिहार और उत्तर प्रदेश में सरकार की सहभागिता में यह कार्यक्रम कामयाब रहा और मैंने बहुत कुछ सीखा. इसमें मातृत्व और बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, साफ-सफाई, वित्तीय समावेशन और खेती पर ज्यादा फोकस किया गया.

एनर्जी सेक्टर में इनोवेशन

घरेलू और वैश्विक दोनों ही आधार पर आज हम हाइड्रोकार्बन एनर्जी पर टिके हुए हैं, जो भविष्य में एक बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है. घरेलू और वैश्विक प्रदूषण को कम करने के लिए अब समय आ गया है कि एनर्जी सेक्टर को हम इनोवेट करें. इनोवेशन के लिहाज से यह आज सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र बन चुका है. क्लाइमेट चेंज की प्रवृत्ति इससे करीब से जुड़ी है.

खाद्य सुरक्षा पर भी इसका असर देखने में आयेगा. भारत में करीब 55 से 60 फीसदी खेती की जमीन बारिश-आधारित है, लिहाजा क्लाइमेट चेंज का बड़ा असर हो सकता है, इसलिए इससे निबटना बड़ी चुनौती है. खेती सेक्टर में इनोवेशन की जरूरत है, ताकि पानी के युक्तिसंगत इस्तेमाल से उत्पादकता बढ़ायी जा सके.

बीमारियों का बढ़ता जोखिम

अनेक विकासशील देशों की तरह भारत को भी महामारियों का सामना करना पड़ता है. संक्रामक रोगों ने अब तक यहां पैर फैला रखे हैं. डायबिटीज और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों ने हेल्थ सिस्टम के लिए एक नयी चुनौती पैदा कर दी है. एंटी-माइक्रोबियल रेसिस्टेंस की समस्या से निबटने के लिए इनोवेशन की जरूरत है.

समाजसेवा से आगे बढ़ सकता है देश

मौजूदा दौर में फिलेंथ्रॉपी यानी परोपकार या समाजसेवा में सकारात्मक बढ़ोतरी देख रहा हूं मैं. वैसे परोपकार अब सरकार के लिए विषय नहीं हो सकता. और सरकार के लिए इसका कोई विकल्प नहीं है. लेकिन, इसके जरिये आम जनों की मुश्किलों को आसान होने से सरकार इसके तहत पायलट प्रोग्राम के लिए रकम मुहैया करा सकती है. मैं दुनियाभर के समाजसेवियों से मिलता रहा हूं और इस ट्रेंड से मैं प्रोत्साहित हूं. मैं देख रहा हूं कि ज्यादा-से-ज्यादा सफल और धनी लोग, और यहां तक कि सामान्य हैसियत वाले भी अपना धन जनहित से जुड़े कार्यों के लिए दे रहे हैं.

इंडिया फिलेंथ्रॉपी इनिशिएटिव की एनुअल मीटिंग में मुझे बुलाया गया है, जहां अनेक लोग यह जानना चाहते हैं कि कैसे वे बेहतर तरीके से समाजसेवी कार्यों को अंजाम दे सकते हैं. भारत में अनेक आैद्योगिक घरानों में समाजसेवा की पुरानी परंपरा रही है. नये शाेधकार्यों और उन्हें बेहतर तरीके से लागू करते हुए समाजसेवी ऐसा काम कर सकते हैं, जो एक तरीके से सरकार का पूरक हो सकती है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

गूगल और माइक्रोसाॅफ्ट जैसी अनेक कंपनियों के अलावा विभिन्न यूनिवर्सिटी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में तेजी से बदलाव ला रहे हैं. कंप्यूटर आज इनसान की तरह देख सकते हैं और भाषाओं को समझ सकते हैं. यह कामयाबी हमने पिछले महज कुछ वर्षों में हासिल की है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस डिवाइस बाजार में बड़ा बदलाव लायेंगे. इन तकनीकों द्वारा इस्तेमाल किये जानेवाले ऑटोमेशन के जरिये अपेक्षाकृत कम कुशलतावाले ज्यादातर मैन्यूफैक्चरिंग जाॅब खत्म हो जायेंगे. पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों में उद्योग-धंधों पर इसका बड़ा असर पड़ सकता है. इससे जाॅब मार्केट में बड़ा उथल-पुथल आयेगा. इसलिए हमें इससे सीखने की जरूरत है और मौजूदा आद्योगिक मॉडल को अपडेट करना होगा. भारत का बेहद मजबूत आइटी सेक्टर इस कार्य के लिए सक्षम है.

विमुद्रीकरण : वित्तीय समावेशन आज एक महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म है और इस मामले में यह रोचक है कि बैंकिंग का इस्तेमाल ज्यादातर ऐसे लोग ही करते हैं, जिनके पास बहुत अधिक रकम है. डिजिटल दायरे में इस समस्या से निबटा जा सकता है. वास्तव में डिजिटल दायरे में अनेक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. बड़े मूल्य के नोट को बंद करने और उन्हें नये नोट से बदलना साहसिक कदम है और पारदर्शी अर्थव्यवस्था कायम करने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है. मेरे विचार से भारत में अब डिजिटल ट्रांजेक्शन में नाटकीय परिवर्तन आयेगा. अगले कुछ वर्षों में भारत दुनिया की सबसे बड़ी डिजिटाइज्ड अर्थव्यवस्था बन सकता है. और यह न केवल आकार में होगा, बल्कि फीसदी के हिसाब से भी बड़ा होगा.

स्वास्थ्य और साफ-सफाई

बायोलॉजी की बेहतर समझ के जरिये हमने अनेक दवाएं विकसित की हैं. मुझे उम्मीद है कि आगामी पांच से 10 वर्षों में हम अनेक बीमारियों की वैक्सिन का विकास कर पायेंगे. स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहे इनोवेशन बड़ा बदलाव लाने में सक्षम होंगे. यहां तक कि साफ-सफाई के क्षेत्र में भी नयी तकनीक से चीजें बेहतर हो रही हैं और लोगों के रोजाना की जिंदगी में बदलाव आ रहा है.

पोलियाे पर िवजय हािसल

करना बड़ी कामयाबी

पोलियाे को जड़ से खत्म करने में भारत सफल रहा है और शायद यह भारत के लिए सबसे ज्यादा गर्व की बात होनी चाहिए. दुनिया में अनेक लोग यह सोचते थे कि भारत जैसे देश में पोलियाे से मुक्ति पाना मुश्किल है. लेकिन, भारत ने यह कार्य करके दिखा दिया और दुनियाभर के पोलियाे उन्मूलन अभियान को इससे बड़ी प्रेरणा मिली.

शिक्षा क्षेत्र में बदलाव

जहां तक शिक्षा जगत की बात है, तो डिजिटल क्रांति ने अब तक इसमें बड़ा बदलाव नहीं किया है, लेकिन अब इसमें भी होगा. छोटे बच्चों के लिए कम लागत के सेल फोन बनाने का आइडिया कामयाब रहा है और इनमें इंस्टॉल किये गये गेम्स के जरिये बच्चों में विविध न्यूमेरिक स्किल डेवलप हुए हैं. टैबलेट के जरिये शिक्षक छात्रों की समस्याओं का समाधान करने में जुटे हैं और छात्र सेल फोन की मदद से अपना होमवर्क कर रहे हैं. हम उनके समय को बेहद प्रभावी तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं. छात्रों के लिए आज दुनिया के बेहतर कंटेंट और बेहतर लेक्चर कम-से-कम कीमत पर उपलब्ध हैं.

फसलों के उत्पादन पर असर

खेती आज भी भारतीय वर्कफोर्स का सबसे बड़ा सेक्टर है. पिछली आधी सदी के दौरान भारत में हरित क्रांति और इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के योगदान से यह कामयाबी हासिल हुई है. लेकिन, खेती आज भी एक चुनौती बनी हुई है. बढ़ती आबादी के साथ लोगों को पोषक खानपान मुहैया कराने की समस्या से निबटने के लिए उत्पादकता बढ़ानी होगी. क्लाइमेट चेंज जैसी समस्या से यह चुनौती और बढ़ेगी. तापमान में महज तीन डिग्री बढ़ोतरी होने से चावल का उत्पादन 40 फीसदी तक कम हो सकता है. गेहूं के उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है.

आज भले ही भारत अन्न के मामले में आत्मनिर्भर है, लेकिन ऐसा ज्यादा दिनों तक नहीं रह सकता. वर्ष 2020 तक किसानों की आबादी को दोगुना कर पाना मुश्किल हो जायेगा. लेकिन, अच्छी खबर यह है कि विज्ञान इन बीजों को एडवांस बनाने और उन्हें बदलने में जुटा है, जो भविष्य में पैदा होनेवाली संभावित हालात से निबटने में सक्षम हो सकते हैं.

प्रस्तुति कन्हैया झा

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