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ग्रहयोगों का संकेत : नये अमीर पैदा होंगे, पुराने होंगे बेहाल

ग्रहयोगों का संकेत : टेढ़ी चल रही सितारों की चाल सदगुरु स्वामी आनंद जीं इस समय सितारों की चाल टेढ़ी चल रही है. शनि अपने महाशत्रु मंगल के घर वृश्चिक में, तो वृहस्पति अपने वैचारिक विरोधी बुध के घर में बैठा हुआ है. राहु अपने कट्टर शत्रु सूर्य के गृह सिंह पर चढ़ा है, तो […]

ग्रहयोगों का संकेत : टेढ़ी चल रही सितारों की चाल

सदगुरु स्वामी आनंद जीं

इस समय सितारों की चाल टेढ़ी चल रही है. शनि अपने महाशत्रु मंगल के घर वृश्चिक में, तो वृहस्पति अपने वैचारिक विरोधी बुध के घर में बैठा हुआ है. राहु अपने कट्टर शत्रु सूर्य के गृह सिंह पर चढ़ा है, तो मंगल भी अपने धुर विरोधी शनि के घर में डटा है. ऐसे में समाज, राजनीति, अर्थव्यवस्था पर क्या-क्या नकारात्मक असर होंगे, इस बारे में जानिए एक ज्योतिषीय विश्लेषण.

इस समय शनि अपने महाशत्रु मंगल के घर वृश्चिक में बैठ कर अजीबोगरीब हालात पैदा किये हुए है, वहीं वृहस्पति अपने वैचारिक विरोधी बुध के घर कन्या लंगर डाल कर आमजन को बेचैन कर रहे हैं. राहु अपने कट्टर शत्रु सूर्य के गृह सिंह में चिढ़ा हुआ लग रहा है, वहीं मंगल भी अपने धुरविरोधी शनि के घर में बेचैन हो भी रहा है और कर भी रहा है. ऐश्वर्य के मालिक शुक्र भी बहुत अच्छी स्थिति में नहीं हैं. वो भी विरोधी खेमे के गुरु, वृहस्पति के घर धनु में खुन्नस के साथ गतिशील हैं.

शनि का शत्रु मंगल के घर में चक्रमण दो बरसों से नकारात्मक हालात पैदा किये हुए है. जैसा साल के आगाज पर अनुमान था, शनि ने वृश्चिक में बैठ कर जहां बरस को लहुलुहान किया, वहीं बड़े-बड़े व्यापारियों को जमींदोज और बाजार से धन को गायब कर देने का कारक बना. हालात को गंभीर बनाने में बड़ा हाथ वृहस्पति के कन्या में आगमन का रहा है. शत्रु राजकुमार बुध के घर देवगुरु कुछ विचित्र कारनामों के लिए जाने जाते हैं.

लेकिन, लगता है कि पिक्चर अभी भी बहुत बाकी है. जब सेनापति मंगल महाशत्रु शनि की राशि मकर से कुंभ में प्रविष्ट होकर हुंकार लगायेंगे, लोग सिहर जायेंगे. पेशानी पर और बल पड़ना अभी शेष है, क्योंकि मंगल की आक्रामक चाल से शनि पर न्याय का जुनून अभी और सर चढ़ कर बोलेगा. ये स्थिति आने वाले किसी अनिष्ट का संकेत समझी जा सकती है. ग्रहयोग देश और विश्व में किसी गंभीर बेचैनी की ओर इशारा कर रहे हैं. सितारे किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं. ये ग्रहस्थिति किसी कम समय के लिए ही सही, पर समाज और राष्ट्र को किसी बड़े असंगठित आंदोलन की ओर ढकेलेगी. वाद-विवाद और तनाव बढ़ेगा. हवाई/रेल/सड़क दुर्घटना के साथ बड़ी आगजनी में जन और धन की हानि की तसवीर उभर कर आ रही है.

विश्व के कई देशों में हिंसा परेशान करेगी. वर्ष के अंत से नये साल के मध्य तक किसी नेता या बड़े व्यक्ति से संबंधित बुरी खबर परेशान करेगी. शासकों की मामूली त्रुटि गले में हड्डी की तरह फंस जायेगी. सिर्फ विपक्ष ही नहीं, सत्ता पक्ष भी उलझन में नजर आयेगा. विपक्ष एकजुट होकर बुलंद आवाज उठायेगा. और एक बार फिर बिखर जायेगा. शासक क्रूर हो जायेंगे. वो मरहम लगाने की जगह डरायेंगे.

ये दौर नये अमीरों को जन्म देगा और पुरानों रईसों को नेस्तनाबूद करेगा. भारत में ये काल आर्थिक सुधारों की आधारशिला रखने के लिए ही नहीं, कालांतर में लक्ष्य से भटकने के लिए भी जाना जायेगा. सुधारों की दवा से जी मिचलायेगा. थोड़े समय के लिए ही सही, पर गरीब व्यक्ति अधिक कष्ट पायेगा. अपनी कड़वाहट से औषधि आसानी से हलक के अंदर भी नहीं जायेगी, ना ही बाहर आने का साहस कर पायेगी. बाजार कसक कर रह जायेगा. घरों के व्यापारी (बिल्डर) अपना खुद का घर न बचा पायेंगे. विश्व के कुछ देशों में परस्पर तनाव में इजाफा होगा. कुछ राष्ट्र थोड़ा लहू बहा कर भय के व्यापार से मोटा माल कमायेंगे. भारत-पाकिस्तान की परिस्थितियों पर यह कालखंड थोड़ा और नकारात्मक असर डालेगा. दोनों ओर की दिमागों की नसें तन जायेंगी और भुजाएं फड़क उठेंगी. मानवता सिसकती रहेगी.

सनक और जुनून अभी और परवान चढ़ेगी. जनवरी के आखिर तक अनिष्ट की संभावना बलवती रहेगी. कुछ और शहादत होगी. 26 जनवरी, 2017 के पश्चात् जुनून का गुब्बारा कुछ पिचक जायेगा और स्थिति में जादुई सुधार आयेगा, पर आने वाला लगभग ढाई-तीन साल का काल योग्य व्यक्तियों के हाशिये पर जाने और नाकाबिल लोगों के शीर्ष पर आने का होगा. योग्य और काबिल लोग नीचे फिसल जायेंगे और नाकाबिल लोग फलक पर बैठ कर झूठी होशियारी दिखायेंगे.

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