स्मार्टफोन डाटा हैकिंग : चीन की कंपनी ने लाखों स्मार्टफोन्स में इंस्टॉल किये सर्विलांस सॉफ्टवेयर
व्यक्तिगत आंकडे़ हो रहे थे लीक यदि आप सोचते हैं कि स्मार्टफोन में सेव की गयी आपकी व्यक्तिगत जानकारियां सुरक्षित हैं, तो ठहरिए और इस बारे में दोबारा सोचिए़ खबरों के मुताबिक, चीन की एक स्मार्टफोन निर्माता कंपनी ने इस डिवाइस में चुपके से कुछ ऐसे फीचर इंस्टॉल कर दिये, जो यूजर्स की व्यक्तिगत जानकारियों […]
व्यक्तिगत आंकडे़ हो रहे थे लीक
यदि आप सोचते हैं कि स्मार्टफोन में सेव की गयी आपकी व्यक्तिगत जानकारियां सुरक्षित हैं, तो ठहरिए और इस बारे में दोबारा सोचिए़ खबरों के मुताबिक, चीन की एक स्मार्टफोन निर्माता कंपनी ने इस डिवाइस में चुपके से कुछ ऐसे फीचर इंस्टॉल कर दिये, जो यूजर्स की व्यक्तिगत जानकारियों को शंघाई स्थित सर्वर को भेज रहे थे. साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने चीन में बने और अमेरिका में बेचे गये कुछ खास स्मार्टफोन में इसकी पहचान की है. आज के आलेख में जानते हैं इससे संबंधित खास पहलुओं के बारे में और साथ ही स्मार्टफोन को बार-बार चार्ज करने से छुटकारा मिलने की उम्मीदों के बारे में …
अमेरिका के साइबर सिक्योरिटी से जुड़े शोधकर्ताओं ने हाल ही में पता लगाया है कि एंड्राॅयड स्मार्टफोन के कुछ खास मॉडल में गुप्त रूप से कुछ ऐसी चीजें इंस्टॉल की गयी हैं, जो चीन में स्थित सर्वर तक लोगों की व्यक्तिगत सूचनाएं प्रेषित कर रहे हैं. हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कितने डिवाइस में यह समस्या है, लेकिन शोधकर्ताओं का दावा है बीएलयू नामक कम-से-कम एक फोन निर्माता इसमें शामिल है, जो अमेजन के जरिये अमेरिका में इसे बेचता है. समझा जा रहा है कि करीब 1,20,000 स्मार्टफोन में चुपके से पिछले दरवाजे से ये खास सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर दिये गये हैं.
‘साइंस अलर्ट’ के मुताबिक, सिक्योरिटी फर्म क्रिप्टोवायर के शोधकर्ताओं ने सबसे पहले यह पाया कि विदेश यात्रा पर गये एक कर्मचारी के स्मार्टफोन से आंकड़े लीक हुए हैं. फोन में कुछ खास सेटिंग बदलते समय इस कर्मचारी को नेटवर्क संबंधी गतिविधियों में कुछ संदिग्ध चीजें नजर आयीं और जब इसका विश्लेषण किया गया, तो पाया गया कि शंघाई में एक सर्वर तक यह मैसेज भेज रहा था. बाद में व्यापक जांच में दर्शाया गया कि वह सर्वर शंघाई एडुप्स टेक्नोलॉजी का था. हालांकि, इस कंपनी का कहना है कि इस बैकडोर फीचर को मूल रूप से एक अन्य चीनी फोन निर्माता ने डिजाइन किया है, जो एक प्रकार से उपभोक्ताओं के व्यवहार की निगरानी करता है और स्पैम मैसेज व कॉल्स को स्क्रीन करने में मदद करता है. यह फीचर केवल चीन में बिकनेवाले डिवाइस में लगाया गया था और अमेरिका व इंटरनेशनल मार्केट में बेचनेवाले डिवाइस में इसे लगाने का इरादा नहीं था.
अमेरिका में एडुप्स के वकील लिली लिम ने कंपनी की इस हरकत का बचाव करते हुए कहा है कि इस कारगुजारी को एक अन्य निजी कंपनी ने अंजाम दिया है, जो एडुप्स के लिए बैकडोर फीचर बनाती है. लेकिन इस ‘गलती’ का नतीजा आनेवाले समय में सामने आ सकता है.
उधर क्रिप्टोवायर का कहना है कि टेक्स्ट मैसेज समेत यह फोन कॉन्टेक्ट लिस्ट, कॉल हिस्ट्री, सभी टेलीफोन नंबर और आइएमइआइ यानी इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटिटी जैसी चीजों को चीन स्थित सर्वर तक भेज रहा था. डिवाइस में इंस्टॉल किया गया यह बैकडोर फिचर दूर से ही एप्स के इस्तेमाल को प्रोग्राम्ड करने में सक्षम पाया गया है यानी डिवाइस के मालिक की इजाजत के बिना ही इसमें नया कोड या एप्स इंस्टॉल कर दिया गया. कंप्यूटर विज्ञानियों को इस तरह की आशंका थी, लिहाजा वे इस तरह की हरकतों के बारे में पहले भी आगाह कर चुके थे. एक मोबाइल सिक्योरिटी रिसर्चर के हवाले से इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संबंध में जानकारी देने के लिए कंपनी से बड़ी मुश्किल से संपर्क कायम हो सका.
शोधकर्ताओं ने ज्यादा ऊर्जा सक्षम सुपरकैपेसिटर का निर्माण करने में कामयाबी हासिल की है. यह खास तकनीक आपके माेबाइल फोन की बैटरी को रिप्लेस कर सकती है और इससे फोन महज कुछ सेकेंड में चार्ज हो जायेगा. सुपरकैपेसिटर्स में बड़े पैमाने पर विखंडन होता है, जिससे ऊर्जा निकलती है और यही खासियत इस तकनीक को आश्चर्यजनक रूप से पावर मुहैया कराती है. फिलहाल इसमें समस्या यह है कि बैटरी की तरह ऊर्जा का ज्यादा भंडारण नहीं किया जा सकता, लेकिन विशेषज्ञों ने उम्मीद जतायी है कि यह जल्द ही सभी चीजों में बदलाव लाने में सक्षम होगी. मूल रूप से ‘एएससी नैनो’ में प्रकाशित इस रिपोर्ट के हवाले से इस शोध और यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा से जुड़े शोधकर्ता नितिन चौधरी का कहना है, ‘सुपरकैपेसिटर्स से यदि मौजूदा बैटरियों को रिप्लेस किया जा सका, तो महज कुछ सेकेंड में मोबाइल चार्ज हो जायेंगे और एक सप्ताह तक चार्ज करने की जरूरत नहीं होगी.’
मौजूदा सुपरकैपेसिटर लिथियम-आयन बैटरी के मुकाबले बहुत ज्यादा ऊर्जा को स्टोर करके रखने में सक्षम नहीं हैं. लेकिन शोधकर्ता टू-डाइमेंशनल नैनोमैटेरियल्स के नये तरीके से इसे जोड़ा है, जिससे उन्हें न केवल आकार में छोटे, बल्कि ज्यादा हलके और फ्लेक्सिबल सुपरकैपेसिटर्स बनाने में कामयाबी हासिल की है, जो ज्यादा ऊर्जा स्टोरेज कर पायेंगे. सामान्य तौर पर लिथियम-अायन बैटरियाें को 1,500 बार से भी कम ही रिचार्ज किया जा सकता है, लेकिन इन नये सुपरकैपेसिटर्स से 30,000 से ज्यादा बार रिचार्ज किया जा सकता है. हालांकि, सुपरकैपेसिटर्स की क्षमता बढ़ाने के लिए शोधकर्ता पिछले कई वर्षों से नैनोमैटेरियल्स के इस्तेमाल की कोशिशों में जुटे हैं. लेकिन, मैटेरियल को प्रभावी तरीके से मर्ज करने में अब तक उन्हें काफी दिक्क्त हो रही थी. प्रमुख शोधकर्ता येओनवुंग इरिक जंग कहते हैं, ‘टू-डाइमेंशनल मैटेरियल के जरिये ऊर्जा संरक्षण की बड़ी समस्या का समाधान छिपा हुआ है.’ जंग और उनकी टीम ने सामान्य केमिकल सिंथेसिस का इस्तेमाल करते हुए सुपरकैपेसिटर्स को टू-डी मैटेरियल्स से एकीकृत किया, जिससे उसकी क्षमता बढ़ गयी. इस तकनीक के इस्तेमाल से टू-डी मैटेरियल्स के आवरण पर नैनोमीटर्स की कोटिंग करते हुए नये सुपरकैपेसिटर्स का सृजन किया गया.
नितिन चौधरी कहते हैं, ‘छोटे इलेक्ट्रिक उपकरणों के लिए यह मैटेरियल वैश्विक स्तर पर ऊर्जा संरक्षण, पावर डेनसिटी और साइकल स्टेबिलिटी जैसे पारंपरिक प्रचलित शब्दों को खत्म कर सकता है. सुपरकैपेसिटर्स को ज्यादा ऊर्जा सक्षम बनाते हुए यह इलेक्ट्रिक वाहनों में भी क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है.’ फिलहाल, इलेक्ट्रिक कार एक बड़ी चीज है, लेकिन अधिकांश ऊर्जा सक्षम कारों की बैटरियों को चार्ज करने में बहुत ज्यादा वक्त लगता है.
कल्पना कीजिये के यदि इन बैटरियों को सुपरकैपेसिटर्स से रिप्लेस कर दिया जायेगा, तो ये महज कुछ सेकेंड में चार्ज हो जायेंगे. जंग कहते हैं कि कॉमर्शियल लेवल पर इस तकनीक को आने में अभी काफी समय लगेगा, लेकिन प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट डिमॉन्सट्रेशन यानी तकनीक के सिद्धांत को साबित किया जा चुका है और यह अध्ययन दर्शाता है कि इसका असर अनेक तकनीकों पर होनेवाला है. यह पूरी टीम इस तकनीक को पेटेंट कराने की दिशा में कार्यरत है और उम्मीद जतायी गयी है कि उन्हें इस मकसद में कामयाबी मिल सकती है.
बैटरी की नहीं होगी जरूरत चंद सेकेंड में चार्ज होगा मोबाइल फोन
सुपरकैपेसिटर एक उच्च-क्षमता का इलेक्ट्रोकेमिकल कैपेसिटर है, जिसमें क्षमतावर्धन की गुणवत्ता अन्य कैपेसिटर्स के मुकाबले बहुत ज्यादा होती है और यह इलेक्ट्रोलिटिक कैपेसिटर्स और रिचार्जेबल बैटरियों के बीच के गैप को भरने में कामयाब हो सकती है. इलेक्ट्रोलिटिक कैपेसिटर्स के मुकाबले यह ऊर्जा को प्रति यूनिट वाॅल्यूम को 10 से 100 गुना ज्यादा तक स्टोर करने में सक्षम है. साथ ही बैटरियों के मुकाबले ज्यादा तेजी से चार्ज होने में सक्षम है और इसका डिस्चार्ज साइकल भी बहुत ज्यादा है.
चीन के वैज्ञानिकों ने सफलतापूर्वक एक सुपरकैपेसिटर का विकास किया है, जिसकी एनर्जी स्टोरेज की क्षमता पहले से बेहतर है. विख्यात शोध पत्रिका ‘साइंस’ के मुताबिक, इस सुपरकैपेसिटर का विकास नाइट्रोजन और ग्राफीन जैसे कार्बन से किया गया है. शंघाई इंस्टीट्यूट ऑफ सेरामिक्स के पदार्थ रसायनविद हुआंग फुकियांग का कहना है, ‘हम कार्बन से एक काफी बेहतर सुपरकैपेसिटर बनाने में कामयाब हुए हैं.’ संस्थान के अनुसंधान दल ने बताया कि नये पदार्थ से बननेवाली बैटरी को चार्ज करने में महज सात सेकेंड लगेगा और इससे वाहन 35 किमी तक जाने में सक्षम होंगे.
चीन ने पहले सुपरकैपेसिटर ट्राम का निर्माण करते हुए हुनान प्रांत में हाल ही में इसे यात्रियों के लिए सड़क पर उतारा है. सीआरआरसी कॉरपोरेशन लिमिटेड के तहत झूझू इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव कंपनी के मुख्य अभियंता सुओ जियांगुओ के मुताबिक, यह ट्राम सुपरकैपेसिटर ऊर्जा से संचालित होता है और इसमें बाहर से कोई तार भी नहीं लगा है. यह ट्राम महज 30 सेकेंड में पूरी तरह चार्ज हो जाता है, जिसके बाद यह तीन से पांच किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है. इस सुपरकैपेसिटर ट्राम में 380 यात्री बैठ सकते हैं. एक ट्राम एक घंटा में 70 किमी की दूरी तय कर सकती है. इसमें इस्तेमाल की गयी तकनीक का निर्माण चीन में ही किया गया है.