अयोध्या से यूं जुड़े हैं दक्षिण कोरिया के तार

इतिहास : करीब दो हजार साल पहले हुई थी ग्लोबल शादी फैसल फरीद लगभग दो हजार साल पहले हुई एक शादी ने भारत की धार्मिक नगरी अयोध्या का अटूट संबंध हजारों मील दूर दक्षिण कोरिया से स्थापित कर दिया. इतिहासकार इसे पहली ग्लोबल शादी मानते हैं, जिसकी वजह से दो देश सांस्कृतिक रूप से जुड़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 2, 2016 7:04 AM
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इतिहास : करीब दो हजार साल पहले हुई थी ग्लोबल शादी

फैसल फरीद

लगभग दो हजार साल पहले हुई एक शादी ने भारत की धार्मिक नगरी अयोध्या का अटूट संबंध हजारों मील दूर दक्षिण कोरिया से स्थापित कर दिया. इतिहासकार इसे पहली ग्लोबल शादी मानते हैं, जिसकी वजह से दो देश सांस्कृतिक रूप से जुड़ गये. पढ़िए एक रिपोर्ट.

हजारों साल पहले अयोध्या में जन्मी राजकुमारी हो को उनके पिता ने समुद्र यात्रा पर भेजा था. राजकुमारी दक्षिण कोरिया पहुंचीं और उनका विवाह वहां के राजा सूरो से हुआ. यहां से कारा वंश की स्थापना हुई. वर्तमान में उनके वंशज किम नाम का प्रयोग करते हैं. लगभग दो हजार साल पहले हुई एक शादी ने भारत की धार्मिक नगरी अयोध्या का अटूट संबंध हजारों मील दूर दक्षिण कोरिया से स्थापित कर दिया.

अयोध्या को हिंदू समुदाय भगवान राम की नगरी मानता है. पिछले कई दशकों से अयोध्या का नाम राम जन्म भूमि-बाबरी मसजिद विवाद को लेकर आता रहा है. हजारों साल के ये रिश्ते धुंधले पड़ गये थे, लेकिन वर्ष 2000 में एक बार फिर कोरिया के कुछ इतिहासकारों ने इसको जीवंत किया. अयोध्या के तत्कालीन जिलाधिकारी नवनीत सहगल एक शिष्टमंडल के साथ सियोल गये और दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को ताजा किया. पिछले 16 सालों से लगातार अयोध्या और कोरिया के बीच आदान प्रदान बना हुआ है.

राज्य सरकार ने भी सहयोग दिया और रानी हो के भव्य स्मारक का निर्माण सरयू नदी के तट पर अयोध्या में करवाया गया है. स्मारक में लगे शिलालेख का पत्थर कोरिया से मंगवाया गया है. कोरिया के इतिहासकार और तमाम अन्य लोग अब लगातार अयोध्या आते रहते हैं. बहुत सी चीजें जैसे उत्तर प्रदेश के सरकारी चिह्न में दो मछलियों के निशान को भी रानी हो से प्रभावित मानते हैं.

अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डॉक्टर योगेंद्र प्रताप सिंह ने बताया, “ कोरिया के लोगों में रानी हो का दर्जा क्वीन मदर का है. अभी हम लोग 5-6 नवंबर को सियोल गये थे. वहां भव्य जन्मशती समारोह मनाया गया. कोरिया से एक डेलीगेशन भारत आ चुका है. रानी हो का स्मारक पहले ही बन चुका है अब उसको भव्य स्वरूप दिया जायेगा.” यह संस्थान प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग के अधीन है और अयोध्या के प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक उत्थान के लिए काम करता है.

सिंह के अनुसार कोरियाई प्रतिनिधि समूह लखनऊ में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी मिला था और राज्य सरकार ने इसके लिए 50 करोड़ रुपये की धनराशि दी है. इस धन से अयोध्या में रानी हो के स्मारक का विस्तार और सौंदर्यीकरण कराया जायेगा. इसके अलावा एक रिसर्च सेंटर, म्यूजियम, रेस्ट रूम और अन्य इमारतों का निर्माण होगा. डिजायन मंजूर हो चुकी है. समस्त अप्रूवल और डिजाइनिंग कोरियाई एक्सपर्ट्स द्वारा करवायी गयी है. सिंह ने बताया कि “निर्माण भी उनके देखरेख में होगा. इंजीनियर और आर्किटेक्ट कोरिया के होंगे और सारा निर्माण करवायेंगे.”

स्थानीय निवासी भी इस बारे में गर्व महसूस करते हैं. उन्हें इस बात की खुशी है कि धार्मिक नगरी अयोध्या का संबंध कोरिया की रानी से है और दोनों के बीच संपर्क लगातार बढ़ रहा है.

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