यूनिसेफ के 70 साल : सभी बच्चों के लिए आशा की किरण

यूनिसेफ की स्थापना 11 दिसंबर, 1946 को न्यूयॉर्क में हुई थी. इसकी पहचान ऐसे संगठन के रूप में है, जो सभी बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए काम करता है. वर्ष 1949 में यूनिसेफ ने भारत में अपने काम की शुरुआत की. बहुत ही कम लोगों को मालूम होगा कि भारत के पहले पेनिसिलिन प्लांट, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 11, 2016 9:36 AM
an image
यूनिसेफ की स्थापना 11 दिसंबर, 1946 को न्यूयॉर्क में हुई थी. इसकी पहचान ऐसे संगठन के रूप में है, जो सभी बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए काम करता है. वर्ष 1949 में यूनिसेफ ने भारत में अपने काम की शुरुआत की. बहुत ही कम लोगों को मालूम होगा कि भारत के पहले पेनिसिलिन प्लांट, पहले डीडीटी प्लांट के निर्माण और भारत की श्वेत क्रांति में यूनिसेफ का अहम योगदान है. यूनिसेफ के 70 साल पूरे होने पर पढ़िए एक रिपोर्ट.
डॉ मधुलिका जोनाथन
प्रमुख, यूनिसेफ, झारखंड
द्वितीय विश्व के बाद यूरोप में बच्चों की बदहाल स्थिति को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर, 1946 में यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रेंस इमरजेंसी फंड (यूनिसेफ) की स्थापना की गयी. इसका उद्देश्य युद्ध से प्रभावित बच्चों के जीवन को संवारना और सुरक्षित बनाना था, ताकि विध्वंस के शिकार समाज का पुनर्निर्माण किया जा सके और एक नयी आशा का संचार किया जा सके. यूनिसेफ की स्थापना के साथ ही संयुक्त राष्ट्र की मूल प्रकृति के अनुसार यह घोषणा की गयी कि यह संगठन बच्चों को सहायता प्रदान करने में जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, राजनीतिक विचारधारा आदि किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं करेगा. इसी भावना के तहत यूनिसेफ के पहले कार्यकारी निदेशक मॉरिस पेट ने अपनी नियुक्ति के लिए शर्त रखी कि संगठन के द्वारा सभी बच्चों को सहायता प्रदान की जाएगी, जिसमें मित्र और पूर्व के शत्रु देशों के बच्चे भी शामिल होंगे.
1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संगठन को स्थायी मान्यता प्रदान की साथ ही एक छोटा नाम भी दिया, जिसे यूनिसेफ के नाम से जाना गया. हालांकि, यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रेंस फंड, जो नाम स्थापना के समय संगठन को दिया गया था और जिसके बैनर तले दुनिया भर में लोग बच्चों की भलाई के लिए जुड़े, वह भी बना रहा. विकासशील देशों में बच्चों की दीर्घकालीन आवश्यकताओं की पूर्ति के कार्य को पूरा करने हेतु यूनिसेफ ने आगे अपने कार्य का विस्तार किया.
यूनिसेफ यह मानता है कि प्रत्येक बच्चा स्वास्थ्य, सुरक्षित बचपन आदि के समान अधिकार के साथ पैदा होता है. इसका मिशन सभी बच्चों पर केंद्रित है, जिसमें बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षा, सामाजिक संरक्षण, सुरक्षित पेयजल एवं स्वच्छता आदि शामिल है. यूनिसेफ मानता है कि गरीबी, बीमारी और भुखमरी का चक्र वैश्विक विकास में बाधा है और यह बच्चों के मानवाधिकारों का उल्लंघन है. बच्चों के अधिकार यूनिसेफ के कार्यों को ऐसे विश्व के निर्माण के लिए दिशा प्रदान करता है, जहां सभी बच्चों के पास समान अवसर उपलब्ध हों.
समानता आधारित दृष्टिकोण पीछे छूट चुके बच्चों की प्रगति को गति प्रदान करने के लिए आवश्यक है. यह न केवल नैतिक अनिवार्यता है, बल्कि रणनीतिक आवश्यकता भी है.
यूनिसेफ के हजारों साहसी, समर्पित लोगों ने लगातार विश्व के कठिन और दुर्गम जगहों पर कमजोर और वंचित बच्चों तक पहुंचने के लिए दुनिया भर की सरकारों, साझेदारों, दानकर्ताओं, अन्वेषकों, सद्भावना राजदूतों और बच्चों के अधिकारों की वकालत करने वालों के साथ मिलकर काम किया है. इन सभी लोगों ने हमारे सामूहिक लक्ष्य यानि बच्चों के लिए संसाधन उपलब्ध कराने में सहायता प्रदान की है और लगातार उत्साहवर्द्धन किया है.
हमारे संगठन ने उस भरोसा और विश्वास को बरकरार रखने के लिए काम किया है, जो कि हमारे उपर 70 वर्ष पहले किया गया था. यह भरोसा था, बच्चों के अधिकारों को प्रोत्साहन देने का और दुनिया भर के बच्चों की भलाई को संरक्षण प्रदान करने का, चाहे वे बच्चे किसी भी देश के हों या फिर उनकी सरकारों की घरेलू राजनीति और अंतरराष्ट्रीय नीति चाहे कुछ भी हो.
70 साल बाद आज यूरोप शरणार्थी संकट से जूझ रहा है, ऐसा यूनिसेफ के गठन के बाद से अब तक देखा नहीं गया. यूनिसेफ की पहचान मानवतावादी संगठनों और विकास एजेंसियों के बीच ऐसे संगठन के रूप में है, जो न केवल आपदा और सशस्त्र संघर्ष के शिकार बच्चों की समस्याओं के समाधान में अपनी भूमिका अदा करता है, बल्कि सभी बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए भी कार्य करता है.
महत्वपूर्ण तारीखें
* 1959 में यूनिसेफ ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बच्चों के अधिकारों की घोषणा की और जिसे दुनिया के कई देशों ने अपनाया. बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर यह दुनिया की पहली अंतरराष्ट्रीय घोषणा थी.
* छह साल बाद, यूनिसेफ के योगदान को पहचान मिली, जब उसे 1965 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया. इस पुरस्कार को स्वीकार करते हुए कार्यकारी निदेशक हेनरी लेबुइज ने समिति से कहा : ‘‘आपने हमें नयी ताकत प्रदान की है’’
* यूनिसेफ की बच्चों के प्रति प्रतिबद्धता को एक बार फिर वैश्विक पहचान मिली, जब 1979 में संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल वर्ष मनाया गया. यूनिसेफ ने इस ऐतिहासिक पल को सरकारों द्वारा नीति निर्माण में बाल अधिकारों को स्थान देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया.
* वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकार समझौता को अपनाया. बच्चों को हिंसा, दुर्व्यवहार और प्रताड़ना से संरक्षण प्रदान करने के लिए यह अपनी तरह का पहला अंतरराष्ट्रीय मानक बना. इस समझौते को मानव अधिकार समझौता के रूप में स्वीकार किया गया, जो कि वैश्विक रूप से यूनिसेफ के कार्यों की आधारशिला बनी.
* इस समझौते से मिली ताकत का ही परिणाम था कि यूनिसेफ ने पहली बार बच्चों के लिए विश्व शिखर सम्मेलन बुलाई, जिसमें दुनिया के 71 देशों के प्रमुखों, सरकारों और वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया.
* 1990 में आयोजित शिखर सम्मेलन में आगामी दशकों के लिए बच्चों के जीवन, स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और संरक्षण के लिए विशिष्ट लक्ष्य का निर्धारण कर एक कार्ययोजना तैयार की गयी.
* नयी सहस्राब्दी में भी यूनिसेफ ने बच्चों की जरूरतों को विश्व के एजेंडे पर प्रमुखता से रखना जारी रखा. 2002 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा बच्चों पर आयोजित विशेष सत्र अपनी तरह का पहला आयोजन था, जो कि विशेश रूप से बच्चों पर केंद्रित था और जिसमें युवाओं को आधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में शामिल किया गया था.
* 2015 में जब सहस्राब्दी विकास लक्ष्य की समाप्ति हुई तो यूनिसेफ और साझेदारों ने बाल केंद्रित दूसरे वैश्विक लक्ष्य की वकालत की. सतत् विकास लक्ष्य के तहत सभी लड़कियों और लड़कों को संरक्षण और सामाजिक समावेशीकरण को शामिल किया गया है. यह यूनिसेफ और उनके साझेदारों के प्रयासों का ही परिणाम है. दुनिया में अब यह समझ बढ़ रही है कि वंचित बच्चों के लिए न्यायपूर्ण व्यवस्था और सामाजिक और आर्थिक विकास के बीच सीधा संबंध है.
आगे की दिशा
यूनिसेफ ने अपने भागीदारों के साथ मिलकर बीते 70 सालों में जो उपलब्धि हासिल की है, यह वर्षगांठ, उसका उत्सव मनाने का एक मौका है. इसके साथ ही यह हमें बच्चों के जीवन की बेहतरी के लिए जो कार्य करने बाकी रह गए हैं, उसे पूरा करने की भी याद दिलाता है. इन 70 सालों में यूनिसेफ ने बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की अपनी विशेषज्ञता को निखारा है. चिकित्सा सेवा, स्वास्थ्य देखभाल, पोषण और पेयजल एवं स्वच्छता के क्षेत्र में प्रगति से संगठन को लाभ हुआ है. मानवीय कौशल और नयी खोज यूनिसेफ का ट्रेडमार्क रहा है. दशकों से संगठन ने सरल और उच्च प्रभाव पैदा करने वाले उपायों का निर्माण किया है. चाहे वो शुरूआती दौर में पाश्चुरीकृत दूध का वितरण हो या फिर वर्तमान में मोबाइल फोन के माध्यम से सुदूरवर्ती क्षेत्र के बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण की निगरानी करना हो.
यूनिसेफ का अगला कदम बदलते विश्व को स्वीकार करने की हमारी क्षमता पर निर्भर करेगा. हम मानवीय कार्य और विकास कार्य के बीच संबंध पैदा कर सकते हैं और सार्वजनिक क्षेत्र की क्षमता और निजी क्षेत्र के नयी खोजों के बीच पुल निर्माण कर सकते हैं. हम डिजिटल प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया की शक्ति का उपयोग कर सकते हैं. हम सभी देशों में ‘बच्चों के लिए पहली कॉल’ को सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति का निर्माण कर भौतिक संसाधनों को सुरक्षित कर सकते हैं.हम पूरी आशा और दृढ़ता के साथ दुनिया के प्रत्येक बच्चे के सुनहरे भविष्य के लिए आगे की ओर देख रहे हैं.
Exit mobile version