नोटबंदी से सामने आया उच्च और मध्य वर्ग का भ्रष्टाचार
परंजॉय गुहा ठकुरता संपादक, इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली नोटबंदी का परिणाम सही है या गलत, इसका उत्तर आने वाला समय देगा. मगर, अभी जो दिख रहा है कि एक तरफ दो हजार और पांच हजार की निकासी के लिए देशभर में लोग एटीएम और बैंकों की कतारों में घंटों खड़े रहने के लिए मजबूर हैं, […]
परंजॉय गुहा ठकुरता
संपादक, इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली
नोटबंदी का परिणाम सही है या गलत, इसका उत्तर आने वाला समय देगा. मगर, अभी जो दिख रहा है कि एक तरफ दो हजार और पांच हजार की निकासी के लिए देशभर में लोग एटीएम और बैंकों की कतारों में घंटों खड़े रहने के लिए मजबूर हैं, वहीं दूसरी तरफ लाखों-करोड़ों की नकदी बैंकों, नेताओं, व्यापारियों एवं अन्य पेशेवरों के पास से पकड़ी जा रही है.
यह स्थिति संस्थागत भ्रष्टाचार को रेखांकित करती है, साथ ही समाज के उच्च एवं मध्यवर्गीय तबके के एक हिस्से में व्याप्त बेलगाम लालच को भी इंगित करती है. देशभर से नकदी की बरामदगी के विभिन्न पहलुओं पर आधारित आज का यह विशेष प्रस्तुति…
बैंकों में छापेमारी और हजारों-लाखों रुपये के नोटों को छुपाये जाने की सूचनाओं के बीच से कुछ घरों-दफ्तरों में मारे गये छापे में जिस तरह से लाखों-करोड़ों की नकदी बरामद हुई है, अब भी हो रही है और आगे भी होने की उम्मीद है, मेरे लिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है.
यह सब तो होना ही था. आम लोग अपने पैसे को बचाने को लेकर लाइन में लगे-लगे परेशान हैं. लेकिन, अब जिस तरह नेता-व्यापारी-पूंजीपति आदि के पास से नये-पुराने नोटों के गट्ठर बरामद हो रहे हैं, उससे इस देश की आम जनता में इस फैसले को लेकर गुस्सा बढ़ रहा है. यह स्थिति एक बड़े लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. जाहिर है, आम जनता इन सबके लिए उसी को दोषी मानेगी, जो इसका जिम्मेवार है और वह है देश का प्रधानमंत्री मोदीजी. और मोदी जी ने तो खुद ही कहा था कि अगर यह फैसला कारगर नहीं हुआ, तो इसकी जिम्मेवारी उन्हीं की होगी. दूसरी बात यह है कि अब तक जितने भी छापे मारे गये हैं, वे बहुत ज्यादा नहीं हैं, क्योंकि आयकर विभाग के पास इतने लोग नहीं हैं कि वे पूरे देश में हर उस जगह छापा मार सकें, जहां इसकी आशंका हो.
एक तरफ छापे डाले जा रहे हैं और दूसरी तरफ संसद भी इसी मसले में फंस कर चल नहीं पा रही है. इस पूरी प्रक्रिया से भारतीय अर्थव्यवस्था को जो धक्का लगा है, उसने मोदीजी की छवि को खराब ही किया है. बैंक-अधिकारी-नेता-व्यापारी-पूंजीपति, इन सब के बीच अंदरखाने मिलीभगत नजर आ रही है और इनमें एक भ्रष्ट गंठबंधन चल रहा है, जिसके चलते बेशुमार नये नोट पकड़े जा रहे हैं.
विडंबना यह भी है कि इसमें बैंकों के कुछ अधिकारी भी शामिल हैं और जाहिर है, बैंक अधिकारियों की संलिप्तता के बिना यह सब इतनी आसानी से संभव भी नहीं है. इस बात की पुष्टि इससे भी होती है कि इस मामले में आरबीआइ के एक अधिकारी तक की संलिप्तता उजागर हुई है. जहां शीर्ष पदों पर बैठे लोग भ्रष्ट हों, वहां ईमानदारी की उम्मीद कैसे की जा सकती है? ऐसे में यह कह पाना बहुत मुश्किल है कि हमारी मौजूदा व्यवस्था में आखिर भ्रष्टाचार की जड़ें कहां तक गहरी हैं और इसको खत्म करने के क्या उपाय हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने आठ नवंबर को िडमोनेटाइजेशन के अपने फैसले के बाद जिस तरह से कहा था कि देश से कालाधन, जाली नोट और आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल होनवाले जाली पैसे आदि पर लगाम लग जायेगी, तो ऐसा होने से रहा, क्योंकि इसकी परिणति का सच कुछ और ही है.
हमारे देश में जुगाड़तंत्र में यकीन करनेवाले बेशुमार लोग हैं. नोट बदलने को लेकर इस जुगाड़तंत्र को अच्छी तरह देखा भी गया है कि किस तरह लोग कमीशन लेकर नोट बदल या बदलवाने का ठेका ले रहे हैं. यह अब नये तरह की कालाबजारी है, जो नये तरह के भ्रष्टाचार को जन्म दे रही है. इसमें ज्यादातर बड़े लोग शामिल हैं, क्योंकि बड़ी रकम उन्हीं लोगों के पास है. गरीब और आम आदमी के पास इतना पैसा ही नहीं है कि उसे इस तरह के नये भ्रष्टाचार में संलिप्त होने का मौका मिले. इसलिए वह रोज बैंकों में या एटीएम की लाइन में लग कर अपनी मेहनत की पूंजी को बचाने में ही परेशान है.
बीते एक महीने से आरइबीआइ कुछ कह रहा है और वित्त मंत्रालय के अधिकारी कुछ कह रहे हैं, जबकि अपने कड़े फैसले में सरकार ने कुछ और ही कहा था. नौ नवंबर के बाद सरकार ने साढ़े चौदह लाख करोड़ रुपये को रातों-रात गैर-कानूनी बना दिया, जिसका अब तक 80 प्रतिशत हिस्सा वापस बैंकों में आ गया. यानी सरकार ने पूरा का पूरा साढ़े चौदह लाख करोड़ रुपये को अर्थव्यवस्था से निकाल बाहर किया और इसकी जगह वह अभी चार लाख करोड़ रुपये के नये नोट भी अर्थव्यवस्था में नहीं डाल पायी है. जाहिर है, अर्थव्यवस्था में या हमारे आम-समाज में पैसों की अचानक कमी होगी, तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे और नये-पुराने नोटों के लेन-देन और अदला-बदली की कालाबाजारी होगी ही. मसलन, कमी के चलते एक समय सीमेंट की कालाबाजारी होती थी, केरोसिन तेल की कालाबाजारी होती थी, रसोई गैस सिलेंडर की कालाबाजारी होती थी, कुछ इसी तरह से आज नोटों की कालाबाजारी हो रही है. मुझे तो इस बात का भी अंदेशा है कि आगामी दिनों में सरकार को नये नोटों का आयात करना पड़ेगा.
कालाधन खत्म करने के लिए हुई नोटबंदी के बाद पलटी मारते सरकार अब जिस तरह से कैशलेस व्यवस्था की बात कर रही है, वह बहुत मुश्किल है. जो लोग यह कह रहे हैं कि इससे आगे आनेवाले समय में देश को बहुत फायदा होगा, तो मैं समझता हूं कि यह तो समय ही बतायेगा कि कितना फायदा होगा. लेकिन, इतना जरूर है कि नोटबंदी ने नसबंदी की याद दिला दी है, जिसने इंदिरा गांधी की सरकार गिरा दी थी. लेकिन, अभी मोदी सरकार ढाई साल पूरा करेगी, उसके बाद इसके फिर से सत्ता में वापसी होगी यह वक्त बतायेगा.
(वसीम अकरम से बातचीत पर आधारित)
नोटबंदी ने भारतीय समाज को नंगा कर दिया
भारत में अब तक नेताओं, अफसरों और पुलिसवालों की ही भ्रष्ट बताया जाता था, लेकिन नोटबंदी ने भारतीय समाज को आईना दिखा दिया है.
ओंकार सिंह जनौटी
रात में जब खाना खायें तो ईमानदारी से सड़क पर पैसा मांगने वाले बच्चे की कल्पना करें. सोचें कि आखिरी बार उसने दूध कब पिया होगा, क्या उसके पास भी पेंसिल बॉक्स है? फिर सरकारी अस्पताल की कल्पना करें, जहां हमेशा एक अजीब तरह की गंध होती है. खचाखच भीड़ में कई निराश आंखें होती हैं. पांच या दस रुपये की पर्ची कटाने के बाद भी उन्हें भगवान भरोसे बैठना पड़ता है. फिर लोगों से खचाखच भरी बसों या तिपहिया वाहनों की कल्पना करें जिनमें बैठे लोग, कारों की तरफ कौतूहल से देखते हैं.
लेकिन इनका नोटबंदी से कोई संबंध है? हां, बिल्कुल है. अरबों रुपये घर में दबाकर रखने वाले समाज ने कई दशकों ने इन्हीं लोगों का हक मारा है. जो पैसा टैक्स के जरिये सरकार और फिर इन जनसेवाओं तक पहुंचना चाहिए था, वो तिजोरियों में बंद रहा, बिल्कुल बेनामी ढंग से. भारत में गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या करीब 23 फीसदी है. इनकम टैक्स देने वाले सिर्फ 2 फीसदी लोग हैं. बाकी के 75 फीसदी कहां हैं, उनका पैसा कहां है? क्या केंद्र और राज्य की सरकारें विदेशी बैंकों से कर्ज लेकर अस्पताल और स्कूल चलाती रहें, सड़कें बनवाएं, नौकरियां दें और दो फीसदी लोग टैक्स को बोझ ढोते रहें, बाकी बस दो नंबर करें और मजा लूटें. यह काहिली की इंतहां है.
लाखों लोग अब भी पैसा ठिकाने लगाने का जुगाड़ खोज रहे हैं. नोटबंदी की घोषणा होते ही सुबह तक सुनारों की दुकानें खुली रहीं, करोड़ों का सोना खरीदा गया. सैकड़ों जगहों पर करोड़ों रुपये या तो जब्त हो रहे हैं या फेंके, जले या बहे हुए मिल रहे हैं. ट्रेनों के फर्स्ट क्लास के टिकटों में 2000 फीसदी का उछाल आ गया था. पेट्रोल पंपों पर मेला लगा रहा. सहकारिता के नाम पर खुले हजारों बैंकों ने नोटबंदी होते ही करोड़ों के काले धन को सफेद बना दिया. यही वजह थी कि कुछ राज्यों में रिजर्व बैंक को जिला सहकारी बैंकों के लेन देन पर प्रतिबंध लगाना पड़ा. दिल्ली समेत कई महानगरों और यहां तक कि छोटे शहरों में भी 30 परसेंट या 40 परसेंट लेकर बेनामी पैसे को व्हाइट करने का सिलसिला चल ही रहा है.
और पैसे बदलवाने के चक्कर में सिर्फ नेता और पुलिसवाले नहीं हैं. आस पास ऐसे कई मामले निकल रहे हैं जहां आम दिखने वाले लोग पैसा ठिकाने लगाने के लिए इमरजेंसी प्लानिंग में जुटे हैं. गेंहू के साथ घुन भी पिसता है, ये कहावत भारत में आम है. फिलहाल इसका सटीक उदाहरण भी दिखाई दे रहा है.
टैक्स फ्री रही नकदी पर मचे कोहराम ने आम लोगों को भी काफी परेशान कर रखा है. बेहतर तैयारी से शायद इस आपाधापी को कम किया जा सकता था. लेकिन तर्कसंगत आलोचना के साथ ही कुछ बेतुके स्वर भी उठ रहे हैं. टैक्स चुराकर जिन गरीबों का अप्रत्यक्ष रूप से शोषण किया गया आज कुछ लोग उन्हीं की आड़ ले रहे हैं. कहा जा रहा है कि नौकरों या मजदूरों का बैंक खाता नहीं है.
लेकिन ऐसी दलील देने वाले कितने लोगों ने कम आय वाले लोगों को 350 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से न्यूनतम वेतन दिया. सैलरी रजिस्टर बनाया? क्या हफ्ते में एक दिन छुट्टी दी गई? साल में 28 या 30 की पेड छुट्टी इन लोगों को भी दी? उनका बीमा या फंड बनाया? मजदूर महिलाओं को प्रसव अवकाश दिया? नहीं, ये सब देने के बजाए टैक्स चुराया और उन्हें झुग्गियों में जीने पर मजबूर किया.
असल में भारत में एक ऐसा वर्ग है जो अपना काम हर तिकड़म कर पूरा करवा लेता है. वो बाकी लोगों को भी ऐसा करने के लिए बाध्य या आकर्षित करता है. बीते दशकों के आर्थिक विकास के साथ यह वर्ग लगातार बड़ा होता गया, इसमें कई पेशों के लोग जुड़ते गए और देश ज्यादा भ्रष्ट होता गया. यकीन न आए तो अपनी जेब से ड्राइविंग लाइसेंस निकालिए और देखिये कि वह कैसे बना. बच्चों के नर्सरी एडमिशन का झमेला याद कीजिए. सरकारी अस्पताल में किसी बड़े टेस्ट के लिए लगाई जुगत याद कीजिए.
इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय समाज भ्रष्टाचार के कैंसर से जूझ रहा है. पैसे का भ्रष्टाचार अपने साथ अहंकार और मूल्यों का पतन भी लाया. वरना बलात्कार के वीडियो बिक नहीं रहे होते. नोटबंदी इसका पूरा इलाज नहीं है. लेकिन यह एक बड़ा कदम है. प्लानिंग की कमजोरी के लिए सरकार की आलोचना की जा सकती है. लेकिन जरूरत उस आईने को देखने की भी है जो बता रहा है कि आम जनमानस भी किस कदर भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है. इस कदम से ईमानदार लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा और ऐसे प्रोत्साहन में बुराई है क्या?
इन सब तर्कों के बाद भी कई लोग नुकसान की भरपाई करने की तैयारी कर रहे हैं. जागरूक समाज उन्हें रोक सकता है. वरना फिर जुगाड़बाजी होती रहेगी और जरूरतमंदों के हकों की बलि चढ़ती रहेगी.
(साभार : डीडब्ल्यू डॉट कॉम)
अब नोटों का भ्रष्टाचार
सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आखिर लोगों के पास इतने बड़े पैमाने पर नये नोट कहां से आ रहे हैं. इंडिया टुडे न्यूज चैनल द्वारा किये गये एक स्टिंग ऑपरेशन से पता चला है कि इन पैसों की अवैध निकासी का एक तरीका स्थानीय राजनेताओं की मिलीभगत भी है.
दरअसल, स्टिंग के दौरान चैनल के रिपोर्टरों ने व्यापारी बन कर नयी दिल्ली और इसके आस-पास के इलाके के चार राजनेताओं तक अपनी पहुंच बनायी. यहां यह भी बता दें कि इनमें से एक भी राजनेता भारतीय जनता पार्टी का नहीं था. उन नेताओं से व्यापारी बने रिपोर्टरों ने जब कहा कि उनके पास बड़ी मात्रा में पुराने नोट हैं और वे इसे नये नोट में बदलना चाहते हैं, तो इस पर चाराें राजनेताओं ने कहा कि 30 से 40 प्रतिशत दलाली पर वे इसका इंतजाम कर सकते हैं. वहीं 6 दिसंबर को भारतीय जनता पार्टी के एक राजनेता को पश्चिम बंगाल में 30.30 लाख (3.3 मिलियन) नये नोट के साथ पकड़ा गया.
अब तक जो तथ्य सामने आये हैं, उस आधार पर कहा जा सकता है कि कालेधन को सफेद करने में स्थानीय बैंक से लेकर भारतीय रिजर्व बैंक तक के कर्मचारी शामिल हैं. हालांकि, आरबीआइ ने इस मामले को दबाने की कोशिश की. इस मामले में फंसे अपने सीनियर स्पेशल असिस्टेंट के बारे में आरबीआइ का कहना था कि वह जूनियर फंक्शनरी है. अपनी साख पर बट्टा लगते देख आरबीआइ ने भारत के सभी बैंकों को सभी जमा और निकासी के पूरे रिकॉर्ड रखने के निर्देश जारी किये और जल्द ही बड़े पैमाने पर लेखा परीक्षण (ऑडिट) कराने का भी वादा किया.विमुद्रीकरण के जरिये भ्रष्टाचार मिटाने की कोशिश को लेकर मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर है, लेकिन लगातार नये नोटों की जब्ती के मिल रहे समाचार से वे गहरे अचंभे में हैं.
अचंभा इस बात का कि जितना वे समझ रहे थे, भष्टाचार की जड़ें अपने देश में उससे कहीं ज्यादा गहरी हैं. यह पिछले सप्ताह की ही बात है, होशंगाबाद के सेंट्रल सिटी में पुलिस ने जब एक मिनीवैन को रोका, तो उसमें काले कपड़े के बैग में रखे 40 लाख (चार मिलियन) नये नोटों के बंडल मिले. आश्चर्य की बात तो यह है कि कार के आगे मोटे सुनहरे अक्षरों में लिखा था : प्रेसिडेंट, एंटीकरप्शन सोसायटी.
(वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित मैक्स बीराक के लेख का अंश)
हवाई अड्डों पर जब्त 70 करोड़ रुपये और 170 किलो सोना
केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद से देशभर के विभिन्न हवाई अड्डों पर यात्रियों से 70 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी और 170 किलोग्राम से ज्यादा सोना जब्त किया गया है. हवाई अड्डों पर सुरक्षा की जिम्मेवारी संभालनेवाली केंद्रीय एजेंसी- सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (सीआइएसएफ) ने कहा है कि जब्त किये गये ज्यादातर नोट नये जारी किये गये हैं. सीआइएसएफ के डायरेक्टर जनरल ओपी सिंह ने कहा है कि अपने साथ नकदी और सोना लेकर जानेवाले यात्रियों को उनकी सुरक्षा एजेंसी ने पहले ही चेतावनी जारी की थी और उनकी चेतावनी की अनदेखी करनेवालों को गिरफ्तार किया जा सकता है.
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई समेत देश के 10 बड़े हवाई अड्डों पर बीते 10 नवंबर से सीआइएसएफ और आयकर विभाग की इंटेलिजेंस यूनिट ने स्पेशल सर्विलांस ऑपरेशन को अंजाम दिया था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 15 नवंबर से आठ दिसंबर के दौरान मुंबई हवाई अड्डे से 18 कराेड़ और कोलकाता हवाई अड्डे से करीब पांच करोड़ रुपये जब्त किये गये हैं. साथ ही चेन्नई हवाई अड्डे पर दिनांक आठ और नौ दिसंबर को करीब छह करोड़ रुपये व 109 किलोग्राम सोना जब्त किया गया.
बैंकों की गतिविधियों पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़ा हो गया है, खासकर प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में, जहां नोटबंदी की घोषणा के बाद से गड़बड़ियों की खबरें सामने आ रही हैं :
एक्सिस बैंक, चांदनी चौक, दिल्ली
एक्सिस बैंक की चांदनी चौक शाखा में आयकर अधिकारियों ने 44 फर्जी खातों में 100 करोड़ से ज्यादा रुपये जमा पाये. इन खातों में केवाइसी संबंधी दिशानिर्देशों का समुचित तरीके से पालन नहीं किया गया था. हालांकि, आय कर विभाग के अधिकारियों ने बीते सप्ताह भी यहां छापा मारा था, लेकिन कुछ खास अनियमितता नहीं पायी गयी. किंतु विभाग के खोजी दस्तों ने फिर से बैंक की तलाशी ली और अनेक गड़बड़ियां पायी गयीं.
एक्सिस बैंक, कश्मीरी गेट, दिल्ली
प्रवर्तन निदेशालय ने पुराने नोट के बदले नये नोट को अवैध तरीके से बदलने और मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त पाये जाने के आरोप में पांच दिसंबर को एक्सिस बैंक के दो मैनेजरों को गिरफ्तार किया और तीन किलो सोना जब्त किया है.
एचडीएफसी बैंक, गुड़गांव
अवैध रूप से करेंसी नोटों को बदलने के आरोप में गुड़गांव में एचडीएफसी बैंक के दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया. पुलिस का कहना है कि इन दोनों कर्मचारियों पर अवैध तरीके से पुराने नोटों के बदले नये नोटों को बदलने की शिकायतें आयी थीं.
एचडीएफसी, चंडीगढ़
चंडीगढ़ में एचडीएफसी बैंक की एक ब्रांच में बंद किये जा चुके नोटों को अवैध तरीके से बदलने में संलिप्त पाये जाने पर ब्रांच के कर्मचारियों को निष्कासित कर दिया गया. बैंक की आेर से जारी बयान में कहा गया कि तीन दिसंबर को सेक्टर-15 स्थित बैंक की शाखा में संबंधित कर्मचारियों के अवैध गतिविधियों में लिप्त पाये जाने के बाद से उन की सेवाएं टर्मिनेट की जाती हैं.
ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब
पंजाब पुलिस ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के एक ब्रांच मैनेजर और एक कैशियर को एक कमीशन एजेंट के साथ अवैध रकम के लेन-देन का संबंध पाये जाने पर पांच दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया. खबरों के मुताबिक, दोनों आरोपी 20 फीसदी कमीशन पर पुराने नोट बदल रहे थे.
बिना किसी दस्तावेजी पहचान के नोट बदलने का मामला
हैदराबाद पुलिस ने 14 नवंबर को सिंडिकेट बैंक के दो अधिकारियों द्वारा अवैध तरीके से पुराने नोट बदलने के आरोप में उनसे पूछताछ की है. इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने बिना दस्तावेजी पहचान के करीब छह लाख रुपये बदले हैं. बाद में इनमें से एक अधिकारी को बर्खास्त भी कर दिया गया.
एक्सिस बैंक, नोएडा
नोटबंदी की घोषणा के बाद फर्जी खातों में बड़े पैमाने पर रकम जमा होने के मामले में घिरे एक्सिस बैंक की नोएडा स्थित ब्रांच में कल गुरुवार यानी 15 दिसंबर को आय कर विभाग की टीम ने छापेमारी की. सेक्टर-51 स्थित ब्रांच में छापेमारी में 20 फर्जी कंपनियों के खाते होने की बात सामने आयी है. इन खातों में 60 करोड़ से अधिक की राशि जमा हुई है.
बेंगलुरु में बड़ी तादाद में बरामद हु ए नये नोट
14 दिसंबर को बेंगलुरु में बड़ी मात्रा में नये नोट बरामद हुए हैं. एक नाइटक्लब के संचालक के घर से 2.80 करोड़ रुपये बरामद किये गये, जिनमें से सवा दो करोड़ के नये नोट थे.
पुणे में लॉकर से मिले 10 करोड़ रुपये
पुणे स्थित बैंक आॅफ महाराष्ट्र के 15 लॉकरों में रखे करीब 10 करोड़ रुपये बरामद किये गये हैं. ये सभी लॉकर ह्यूस्टन की एक कंपनी के पुणे स्स्थित एशिया क्षेत्रीय कार्यालय के नाम से हैं. आय कर अधिकारियों ने इस मामले में बैंक अधिकारियों के शामिल होने की बात कही है और वे मामले की जांच में जुटे हैं.
15 दिसंबर, 2016
नोएडा में एक्सिस बैंक की शाखा से 60 करोड़ रुपये बरामद : नोएडा सेक्टर-51 में स्थित एक्सिस बैंक की शाखा से आयकर विभाग के अधिकारियों ने अवैध रूप से जमा किये गये 60 करोड़ रुपये पकड़े. बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत चल रही हेराफेरी में कई कंपनियों के 20 फर्जी खातों के नाम आये हैं. महीने भर में एक्सिस बैंक से जुड़ा यह दूसरा मामला है.
गुरुग्राम में दो वैन से मिले 40 लाख के नोट : गुड़गांव पुलिस ने दो वैन से 40 लाख रुपये की करेंसी पकड़ी, जिसमें 24 लाख रुपये से ज्यादा की रकम नये नोटों में है.
गुवाहाटी में 5.58 लाख रुपये की नयी करेंसी बरामद : गुवाहाटी पुलिस ने पिता-पुत्र से 5.58 लाख रुपये की रकम के नये नोट बरामद किये. जांच प्रक्रिया जारी है.
जयपुर में दो व्यापारियों से मिले 35 लाख रुपये के नये नोट : पुराने नोटों से नये नोटों की बदली कर रहे दो व्यापारियों को 35 लाख के नये नोटों के साथ पकड़ा गया.
ठाणे महाराष्ट्र में 21 लाख रुपये जब्त किये : महाराष्ट्र पुलिस ने कल्याण से 21 लाख रुपये की नकदी पकड़ी, जिसमें से 16 लाख रुपये की रकम 2000 और 500 की नयी नोटों में है.
दिल्ली में ज्वैलर्स के पास से मिले 30 लाख रुपये : आयकर विभाग के छापे में करोलबाग स्थित एक ज्वैलर्स के पास से 30 लाख की नकदी बरामद की, जिसमें नये नोट भी शामिल हैं.
14 दिसंबर, 2016
पुणे में बैंक ऑफ महाराष्ट्र की ब्रांच के लॉकर से 10 करोड़ रुपये सीज : आयकर विभाग के अधिकारियों ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र के पार्वती शाखा के लॉकर 10 करोड़ रुपये पकड़े. बैंक अधिकारियों की मिलीभगत और कालेधन में शामिल व्यक्ति की तलाश की जा रही है.
सिलीगुड़ी पुलिस ने 2.54 लाख रुपये की रकम के साथ पांच को पकड़ा : सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस ने 2000 के नोटों में 2.54 लाख रुपये की नकदी के साथ पांच लोगों को गिरफ्तार किया.
बेंगलुरु में बुजुर्ग महिला के फ्लैट से मिले 2.25 करोड़ : कर अधिकारियों ने बेंगलुरु में एक बुजुर्ग महिला के फ्लैट से 2.25 करोड़ रुपये बरामद किये. अधिकारियों ने जब फ्लैट में घुसने का प्रयास किया, तो महिला ने दो खतरनाक कुत्तों को छोड़ दिया.
दिल्ली पुलिस और अधिकारियों ने पकड़े 3.25 करोड़ रुपये : दिल्ली पुलिस और अायकर अधिकारियों ने एक होटल से 3.25 करोड़ की नकदी बरामद की. एयरपोर्ट स्कैनिंग मशीन से बचने के लिए पैसों को सूटकैश में टेप और वायर से लपेटा गया था.पुणे में मिली 67 लाख की नकदी : पुणे पुलिस ने वकाड में 67 लाख की नकदी के साथ चार लोगों को गिरफ्तार किया.
चंडीगढ़ में इडी ने जब्त की 2.18 करोड़ की नकदी : प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने 2.18 नकदी पकड़ी. इसमें से 17.74 लाख के नये नोट और 52 लाख के 100 रुपये के नोट थे.
पणजी में 68 लाख रुपये के नयी नोट : आयकर विभाग के अधिकारियों ने एक व्यक्ति को 68 लाख रुपये के नये नोटों के साथ पकड़ा.
13 दिसंबर, 2016
बड़ोदरा में व्यापारी से मिली 19.67 लाख की नकदी : बड़ोदरा पुलिस ने एक बिजनेसमैन के घर की आलमारी में छुपा कर रखी गयी 19.67 लाख की नकदी पकड़ी.
पटना में आरपीएफ ने पकड़े एक करोड़ रुपये : आरपीएफ अधिकारियों ने गुजरात जानेवाली ट्रेन से एक करोड़ रुपये सीज किये.
गोवा पुलिस ने तीन लोगों को 24 लाख के नये नोटों के साथ पकड़ा : गोवा पुलिस ने 24 लाख रुपये के नये नोटों के साथ तीन लोगों को गिरफ्तार किया.
दिल्ली में पुरानी नोटों के साथ चार को पकड़ा : काबुल से दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे चार यात्रियों से 1.35 लाख के पुराने नोट बरामद किये गये.
हैदराबाद में लुटेरे से मिले 52 लाख रुपये के नये नोट : हैदराबाद पुलिस ने 10 लुटेरों के एक गैंग से 52 लाख रुपये के नये नोट बरामद किये.
उल्हासनगर में 9.76 लाख रुपये के नये नोट : ठाणे पुलिस ने 20 प्रतिशत कमीशन पर नोटों को बदलने जा रहे तीन लोगों को 9.76 लाख की नये नोटों के साथ गिरफ्तार किया.
बेंगलुरु/ हैदराबाद से 17.36 करोड़ के नये व पुराने नोट मिले : सीबीआइ ने बैंक और पोस्ट ऑफिस से जुड़े अधिकारियों से 17.36 करोड़ की नकदी सीज की.
बालाघाट में दो परचून की दुकानों से मिली 15.40 लाख की नकदी : पुलिस ने दो परचून की दुकानों से नोटों की बदली कर रहे दुकानदारों के पास से 15.40 लाख कीनकदी बरामद की.
12 दिसंबर
दिल्ली में 13.48 करोड़ रुपये की नकदी के साथ वकील गिरफ्तार : आयकर विभाग के अधिकारियों ने दिल्ली में एक अधिवक्ता के पास से 13.48 करोड़ के नये-पुराने नोट बरामद किये.
11 दिसंबर
चल्लाकेरे में बाथरूम से मिले 5.7 करोड़ रुपये : आयकर विभाग के अधिकारियों ने बाथरूम में छिपा कर रखे गये 5.7 करोड़ रुपये के 2000 के नोट और 90 लाख के पुराने नोट बरामद किये. एक अन्य मामले में विद्यारन्यपुरम् में नयी नोटों में 22 लाख की नकदी पकड़ी गयी.
10 दिसंबर
दिल्ली में नयी-पुरानी नोटों में मिली आठ करोड़ की नकदी : दिल्ली के पॉश इलाके ग्रेटर कैलाश में एक लॉ फर्म से आठ करोड़ के नये-पुराने नोट बरामद किये गये.
भिलवाड़ा में 2000 की करेंसी में 7.2 लाख बरामद : आयकर विभाग के छापे में 2000 की नोटों में 7.2 लाख की नकदी पकड़ी गयी.
अहमदाबाद में 39.8 लाख मिले : गुजरात के दो कस्बों में नोटों के बदली के लिए लाये गये 39.8 लाख रुपये बरामदकिये गये.
9 दिसंबर
वेल्लोर में 96.89 करोड़ के पुराने और 9.63 करोड़ के नये नोट : राज्यव्यापी खोज अभियान के तहत आयकर विभाग के अधिकारियों ने 96.89 करोड़ रुपये के पुराने नोट और 9.63 करोड़ के नये नोट बरामद किये. इसमें केवल वेल्लोर से ही 24 करोड़ रुपये पकड़े गये.
8 दिसंबर
90 करोड़ के साथ पकड़ा गया रैकेट : आइटी अधिकारियों ने करेंसी एक्सचेंज में एक रैकेट के पास से 90 करोड़ बरामद किये, जिसमें 70 करोड़ रुपये नयी नोटों में थे.
7 दिसंबर
गोवा में मिले 1.75 करोड़ रुपये : आयकर विभाग के अधिकारियों और पुलिस की छापेमारी में 1.75 करोड़ रुपये के नये नोट मिले.
6 दिसंबर
पश्चिम बंगाल में पूर्व भाजपा नेता के पास मिले 33 लाख रुपये : एसटीएफ ने पूर्व भाजपा नेता महेश शर्मा के पास से 33 लाख की रकम 2000 रुपये के नोटों में बरामद की.
5 दिसंबर
जन-धन खाते में हुई अवैध 1.64 करोड़ रुपये की पहचान : वित्त मंत्रालय और आय कर विभाग ने जनधन खातों में अवैध रूप से आये 1.64 करोड़ रुपये की पहचान की.
4 दिसंबर
संभलपुर में 1.42 करोड़ रुपये की नकदी : पुलिस ने नोटों की बदली गिरोह से 1,42,91,500 रुपये बरामद किये.
1 दिसंबर
कर्नाटक/ तमिलनाडु से मिले 6 करोड़ रुपये : आइटी विभाग की छापेमारी में 6 करोड़ की रकम नयी और पुरानी नोटों में बरामद की गयी.
26 नवंबर
2 करोड़ के सोने और 7.5 लाख की नकदी सीज की : एयर इंटेलीजेंस यूनिट ने दो करोड़ के सोने और 7.5 को मुंबई एयरपोर्ट पर सीज किया.
18 नवंबर
भाजपा नेता के वाहन से मिले 91 लाख : महाराष्ट्र पुलिस ने स्थानीय भाजपा नेता सुभाष देशमुख के वाहन से 91 लाख रुपये बरामद किये.