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यात्री परिवहन क्षेत्र में चुनौतियों के बीच स्टार्टअप के लिए छिपे हैं मौके!

इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट सिस्टम भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में एडटेक और फैशन व लाइफस्टाइल से जुड़े इ-कॉमर्स जैसे स्टार्टअप पर ज्यादा जोर दिया जाता है. इन स्टार्टअप्स की लोकप्रियता के बीच मौजूदा समय में शहरी रोड ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े कारोबार ने तेजी से लोगों को आकर्षित किया है. ट्रांसपोर्ट सेक्टर में कुछ ऐसे स्टार्टअप्स उभरे हैं, जो […]

इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट सिस्टम
भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में एडटेक और फैशन व लाइफस्टाइल से जुड़े इ-कॉमर्स जैसे स्टार्टअप पर ज्यादा जोर दिया जाता है. इन स्टार्टअप्स की लोकप्रियता के बीच मौजूदा समय में शहरी रोड ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े कारोबार ने तेजी से लोगों को आकर्षित किया है. ट्रांसपोर्ट सेक्टर में कुछ ऐसे स्टार्टअप्स उभरे हैं, जो इस क्षेत्र के बढ़ते कारोबार को इंगित करता है. यातायात सुविधाओं को सरल आैर सहज बनाने में ये स्टार्टअप्स व्यापक संभावनाओं से भरे हैं़ आज के आलेख में जानते हैं यात्री परिवहन सेवा की समस्याओं को सुलझाते हुए इस क्षेत्र में स्टार्टअप के लिए किस तरह के मौजूद हैं मौके …
आप देश के किसी भी शहर में रहते हों, रोड ट्रांसपोर्ट से स्वाभाविक रूप से इतर नहीं हो सकते. प्रदूषण और ट्रैफिक जैसी चुनौतियों से लोगों को रोज निपटना होता है. ट्रांसपोर्ट सेक्टर में कुछ खास दिक्कतें उन स्टार्टअप्स के साथ आती हैं, जो यात्रियों की संरक्षा और सुरक्षा समेत संबंधित संसाधनों का समावेशी इस्तेमाल करते हुए सड़कों पर भीड़ कम करने में अहम भूमिका निभाते हैं. हालांकि, इस दिशा में अनेक स्टार्टअप स्मार्ट सिटीज ट्रांसपोर्टेशन प्रोजेक्ट के तहत बुनियादी ढांचे के विकास पर उनकी उम्मीदें टिकी हैं.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट संबंधी नीतियों में बदलाव से ग्रोथ की उम्मीद
यदि आप देशभर के सार्वजनिक परिवहन संरचना पर निगाह डालेंगे, तो पायेंगे कि कितनी अराजक स्थिति रहती है इनमें. बसें, ट्रेनें और मेट्रो जैसे सार्वजनिक परिवहन के साधनों में आपको हमेशा भीड़ और अन्य अनियमितताएं नजर आयेगी. विशाल आबादी के दबाव में सरकारी- नियंत्रण में संचालित सार्वजनिक परिवहन भी हांफते नजर आते हैं. हालांकि, प्राइवेट सेक्टर ने इस दिशा में कुछ उम्मीद जरूर जगायी है, लेकिन जनसंख्या के हिसाब से वह भी पर्याप्त नहीं है. इन असुविधाओं के अलावा पुरानी नियामक नीतियों का फ्रेमवर्क भी इस दिशा में बड़ी सिरदर्दी है, जिस कारण कुछ निजी उद्यमी भी बदलाव लाने में सक्षम नहीं हो पाये हैं. हालांकि, इस बीच कुछ अच्छे संकेत सामने आ रहे हैं और धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है.
कार-शेयरिंग को प्रोत्साहन
सड़कों पर निजी कारों के कम चलने और कार-शेयरिंग के प्रति लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए दिल्ली प्रदेश सरकार ने ऑड-इवन नियम लागू किया था. इससे न केवल सड़कों पर भीड़ कम करने में कामयाबी मिली, बल्कि प्रदूषण नियंत्रण के लिहाज से भी सफल रहा. ट्रांसपोर्ट सेक्टर के उपभोक्ताओं में भी यह समझ पैदा हुई कि इस ट्रेंड को अपना कर किन-किन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. ट्रांसपोर्टेशन स्पेस में कई स्टार्टअप्स उभर कर सामने आये, जिन्होंने मांग और सुविधाजनक सेवाओं की आपूर्ति के गैप को कम करने में योगदान दिया.
कैब संचालकों की चुनौतियां
कार-फ्री डे जैसी पहल और स्थानीय प्रशासन द्वारा इसे व्यावहारिक रूप से लागू करने में मदद करने से दो फायदे सामने आये हैं. इससे संगठित ऑनलाइन सिस्टम और यात्रियों को लास्ट-माइल कनेक्टिविटी की सुविधा मिलती है, जिसे अब तक का सार्वजनिक परिवहन सिस्टम नहीं उपलब्ध करा पाया है.
इसके अलावा, नीतिगत मामलों में भी बहुत सी खामियां हैं और सेवा संबंधी सरकारी नियमों व अधिनियमों को भी नये सिरे से तैयार करने की जरूरत है. नियामकों से जुड़ी खामियों के कारण वेंचर कैपिटलिस्ट और एंजल इनवेस्टर इस ओर कम ही रुख करते हैं. हालांकि, निवेशकों में इस बाजार के प्रति भरोसा पैदा हुआ है और बड़ा निवेश भी हो रहा है, लेकिन अब भी इस ओर वे अपने कदम फूंक- फूंक कर रखते हैं. उनका मानना है कि बेहतर तकनीकों के इस्तेमाल से इस क्षेत्र को ज्यादा व्यापक बनाया जा सकता है और लोगों को समुचित सेवाएं मुहैया करायी जा सकती हैं.
नये क्षेत्रों की ओर बढ़ रहा रुझान
दैनिक यात्री और कर्मचारियों को परिवहन सुविधा मुहैया कराना, ये दो ऐसी चीजें हैं इस सेक्टर में, जिनमें नये उद्यमियों के लिए व्यापक मौके छिपे हुए हैं. इंपलॉयी ट्रांसपोर्टेशन फ्लीट मैनेजमेंट कंपनियां, सेल्फ-ड्राइविंग कार या कार शेयरिंग के लिए व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं. मौजूदा ट्रेंड के तहत देखा जा रहा है कि व्यक्तिगत वाहनों से इतर लोगों का रुख अब बदल रहा है. ट्रैफिक और रोड कंजेशन जैसी समस्याओं से पीड़ित ज्यादातर लोग अब अन्य विकल्पों को तलाश रहे हैं.
इनाेवेटिव तकनीकों से बेहतरी
इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि इनोवेटिव तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए स्थानीय स्तर पर एकजुट होकर स्टार्टअप्स इस सेक्टर में बदलाव ला सकते हैं और सरकार के लिए अब तक जो चीजें चुनौतीपूर्ण रहीं हैं, उसका समाधान कर सकते हैं. ऑन-डिमांड सेवाओं, यात्रियों के अनुभवों के आधार पर सेवा में बदलाव लाने, प्रोडक्ट इनोवेशन और कनेक्टेड मोबिलिटी जैसी चीजों को शामिल करते हुए इसे बेहतर बनाया जा सकता है. इंटेग्रेटेड ट्रांसपोर्ट सिस्टम का हिस्सा बनते हुए निजी उद्यमी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को कड़ी टक्कर दे सकते हैं और कामयाब हो सकते हैं.
कामयाबी की राह
बेहतर संवाद से बढ़ायी जा सकती है कर्मचारियों की कार्यक्षमता
आम तौर पर बड़े शहरों के कारोबारी इलाके में बिजनेस के लिए ऑफिस चलाना महंगा पड़ता है. ऐसे में अनेक स्टार्टअप दूरदराज इलाकों में अपना आॅफिशियल सेट-अप लगाते हैं. हालांकि, तकनीक की मदद से अब एक ही जगह से सभी लोकेशन की निगरानी आसानी से की जा सकती है, लेकिन इसके बावजूद कुछ चीजों पर खास ध्यान देने की जरूरत पड़ती है. खासकर इस बात का हमेशा ख्याल रखना पड़ता है कि दूर बैठा हुआ आपका कोई टीम मेंबर किसी गलत कार्य को अंजाम नहीं दे रहा हो, अन्यथा आपके स्टार्टअप को उसका नुकसान झेलना पड़ सकता है. जानते हैं दूर बैठ कर कैसे प्रभावी तरीके से इसे अंजाम दिया जा सकता है :
टीम का हिस्सा होने का जुड़ाव महसूस होना : रिमोट वर्कफोर्स यानी दूर बैठ कर काम करने की दशा में एक समस्या यह होती है कि आपके टीम मेंबर को यह एहसास होता है कि शायद टीम का हिस्सा नहीं हैं. समय-समय पर इन कर्मचारियों को उनके कार्यों के लिए प्रोत्साहित करते रहना चाहिए. किसी प्रोजेक्ट पर काम करते समय सुदूर मौजूद टीम के सदस्य कई बार स्वयं का जुड़ाव महसूस नहीं कर पाते. ऐसे में कर्मचारियों में सामुदायिक रूप से पैदा होनेवाला तनाव बढ़ता है और इससे वहां का माहौल प्रभावित होता है.
सभी कर्मचारियों से संपर्क : रिमोट लोकेशन पर मौजूद कर्मचारियों से स्टार्टअप उद्यमी को रोजाना संवाद कायम करना चाहिए और संबंधित कार्यों के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान करना चाहिए. इससे वे खुद को जरूरी कार्य का एक हिस्सा समझ सकते हैं. साथ ही बतौर उद्यमी आपको कुछ नया आइडिया मिल सकता है, जो आपके कारोबार को आगे ले जाने में कारगर साबित हाे सकता है.
भौतिक रूप से मौजूद होने का एहसास : आम तौर पर दूसरे शहरों में या स्थानों पर मौजूद कर्मचारियों से ऑनलाइन संपर्क ही कायम किया जाता है. यदि आप चाहते हैं कि दूरदराज की टीम के साथ आपका बेहतर तालमेल कायम रहे, तो आपको उन्हें वहां भौतिक रूप से मौजूद होने का एहसास दिलाना होगा. उसके साथ संवाद कायम करते समय यदि आप उन्हें यह एहसास दिलाने में सक्षम रहे जैसेकि आप उनके साथ उनके ही केबिन या कार्यालय में मौजूद हैं, तो तय मानिये कि इससे उनकी कार्यक्षमता बढ़ती है और अपनी जिम्मेवारियों के प्रति ज्यादा दिलचस्पी पैदा होती है.
डाटा & फैक्ट्स
इंडियन हेल्थटेक फंडिंग रिपोर्ट
भा रत में हेल्थकेयर सेक्टर अब तक असंगठित रहा है और इसका वितरण भी असमान देखा गया है. महानगरों को छोड़ कर देश के अन्य शहरों में डॉक्यूमेंटेशन और मेडिकल हिस्ट्री पर ज्यादा जोर नहीं दिया गया है. लेकिन, हेल्थटेक स्टार्टअप्स के आने के बाद इस सेक्टर में की तसवीर बदल रही है.
183 हेल्थटेक स्टार्टअप्स को फंडिंग हासिल हुई है वर्ष 2014-16 (अक्तूबर तक) की अवधि में.
600 मिलियन डॉलर की रकम का निवेश किया गया भारतीय हेल्थटेक स्टार्टअप्स में उपरोक्त अवधि के दौरान.
टीयर -1 शहरों में बेंगलुरु सबसे आगे है, जहां देश के करीब एक-तिहाई हेल्थटेक स्टार्टअप्स कार्यरत हैं. चेन्नई समेत ये दोनों शहर भारत में मेडिकल हब के तौर पर उभरे हैं.
टीयर-2 शहरों में हैदराबाद और पुणे इस मामले में अव्व्ल रहे हैं.
60 फीसदी स्टार्टअप संबंधी डील्स, जो सीड फंडिंग के तहत किये गये थे, उनसे महज सात प्रतिशत का निवेश ही आया, जबकि इस सेक्टर में 37 फीसदी निवेश सीरीज ए राउंड के तहत हासिल हुए थे.
स्टार्टअप क्लास
लोक कला को नये तरीके से
पेश करते हुए कमा सकते हैं पैसा
– बिहार और झारखंड की लोक कला को प्रचारित करते हुए कोई स्टार्टअप खोल सकते हैं क्या? – रौशन कुशवाहा, मोतिहारी
आपका सवाल काफी अच्छा है. बिहार और झारखंड में काफी ऐसी लोक कलाएं हैं, जो बाजार में काफी मांग रखती हैं, लेकिन प्रचार-प्रसार की कमी के कारण वे लोगों तक नहीं पहुंच पाती हैं. बिचौलियों के चक्कर में न तो कलाकार की आमदनी अच्छी होती है, न ही उसको मान-सम्मान मिल पाता है. कुछ ऐसी ही कलाएं आल्हा और मधुबनी पेंटिंग हैं. इसको बाजार में लाने के लिए कुछ नुस्खे इस प्रकार हैं :
(क) मधुबनी पेंटिंग : आप स्थानीय कलाकारों के साथ मिल कर पेटिंग के साथ-साथ इनको कपड़ों जैसे- सलवार कमीज और दुपट्टों पर भी बनवा सकते हैं. साथ ही लैंप शेड और कुशन कवर और चादरों पर भी बनवा कर बड़ी इ-कॉमर्स साइट पर डाल कर मार्केटिंग कर सकते हैं. साथ ही निर्यात का काम भी कर सकते हैं. इसमें आपको काफी मुनाफा होगा.
(ख) लोक संगीत : लोक संगीत एक ऐसा उद्योग है, जो मुश्किल तो है, लेकिन काफी बड़ा भी है. आजकल भोजपुरी गानों के स्तर में आयी गिरावट को पाट कर अगर आप छोटे कलाकारों को ऑनलाइन प्रमोट कर सकते हैं, तो उनके मैनेजमेंट में आप काफी पैसे कमा सकते हैं.
मोबाइल रिपेयर का काम रहेगा मंदा, इलेक्ट्रॉनिक्स का व्यापार कर सकते हैं शुरू
– अब तक मैं मोबाइल रिपेयर का काम करता रहा हूं. लेकिन अब यह काम मंदा हो रहा है. मोबाइल की मुझे बारीक समझ है. मुझे किस तरह के स्टार्टअप शुरू करने के बारे में सोचना चाहिए?
– नीरज कुमार
जैसे-जैसे मोबाइल के दाम कम होते जा रहे हैं, वैसे ही उनको रिपेयर करने की जरूरत भी कम होती जा रही है.मैं खुद ही अपने खराब फोन को ठीक कराने की जगह बदल देता हूं, क्योंकि ठीक करवाने में 2,000 रुपये लगते हैं और नया फोन खरीदने में 3,500 रुपये. इसी कारण से यह धंधा अब मंदा रहेगा. आपने यह पूछा है कि आपको कौन सा काम शुरू करना चाहिए. इसका जवाब आप खुद ही ढूंढ सकते हैं. इसके पीछे आपको यह देखना होगा कि आपकी समझ किस चीज की है और आपके पास पूंजी कितनी है. आपने खुद ही बताया है कि आप मोबाइल की अच्छी समझ रखते हैं. मैं यह भी मान सकता हूं कि आपकी तकनीकी समझ इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में अच्छी होगी. इसका मतलब है कि आप इलेक्ट्रॉनिक्स का कोई व्यापार कर सकते हैं. दूसरा सवाल पूंजी का है. अगर आपके पास छोटी पूंजी है, तो आप इलेक्ट्रॉनिक्स की छोटी दुकान खोल सकते हैं. अगर मध्यम पूंजी है, तो आप डीलर या डिस्ट्रीब्यूटर बन सकते हैं और अगर ठीक-ठाक पूंजी जुटाने की क्षमता है, तो आप इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स की छोटी फैक्ट्री डाल सकते हैं. यह आपको खुद तय करना होगा.
नये आइडिया के साथ ट्रांसपोर्ट बिजनेस होगा कामयाब
– क्या माल ढोने और बड़े ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में तकनीक पर आधारित कुछ किया जा सकता है? यदि हां तो इसमें क्या सुधार लाया जा सकता है? – राकेश कुमार, मधुबनी
देखिये पूरे देश में माल ढुलाई के काम में छोटी बड़ी कंपनियां काम कर रही हैं. यह पूरा उद्योग तकनीकी तौर पर पिछड़ा और बिखरा हुआ है. इसका प्रमुख कारण इसमें काम करनेवाले लोगों की सामाजिक और शैक्षिक योग्यता है. साथ ही भारत में सड़कों की खराब हालात के कारण इस उद्योग में काम करने के हालात काफी खराब हैं. इस क्षेत्र की कमियां इस प्रकार हैं :
(क) आॅर्डर लेने और देने का तरीका : अभी तक आॅर्डर लेने और देने में ज्यादातर फोन और बुकिंग सेंटर का ही इस्तेमाल होता है. छोटे शहरों में इसका अभाव होता है. साथ ही रियल टाइम ट्रैकिंग की कमी के चलते ट्रांसपोर्टर को अक्सर खाली या आधा भरा ट्रक ही वापस भेजना पड़ता है. इस समस्या का समाधान उबर या ओला जैसे आर्डर बुकिंग सिस्टम बना कर किया जा सकता है. इस तकनीक से ट्रक मालिकों को अपने रास्ते में पड़ने वाले माल ढुलाई के आर्डर मिलते रहेंगे, जिससे उनको ज्यादा काम मिलेगा और लागत काम आयेगी.
(ख) रास्ते और मौसम की जानकारी : आज भी हमारे ट्रक ट्रैफिक और मौसम के हालात से अनभिज्ञ होते हैं, जिससे उन्हें नुकसान होता है. तकनीक के साथ उनकी ये मुश्किल दूर की जा सकती है. अगर आप इन बातों का ध्यान रखते हुए स्टार्टअप खोलते हैं, तो वह सफल होगा.
काम करके ही हासिल होता है कारोबार का अनुभव
– किसी स्टार्टअप के कॉन्सेप्ट के संबंध में नयी-नयी जानकारी हासिल करने के लिए कोई संगठन या इस बारे में व्यापक समझ के लिए कोई कोर्स है? कृपया बताएं. – संजय कुमार, गोपालगंज
स्टार्टअप कोई नयी चीज नहीं है. कोई भी व्यापार, जो नये तरीके या नयी तकनीक से किया जाता है, उसे हम स्टार्टअप कहते हैं. लोगों में नौकरी से हट कर अपना व्यापार करने की इच्छा बढ़ रही है.
लोग इनके बारे में ज्यादा जानना चाहते हैं. चूंकि स्टार्टअप कोई नया व्यापार नहीं होता, तो आपको इसके बारे में कुछ नया नहीं पढ़ना. आप किसी भी इंजीनियरिंग िडग्री और साथ में एमबीए कर के स्टार्टअप के बारे में जान सकते हैं. हां, यह जरूरी है कि स्टार्टअप खोलने के लिए आपके पास अनुभव होना चाहिए. आपको किसी बड़े व्यापार के साथ काम करके यह पता करना होगा कि व्यापार होता कैसे है. व्यापार की अंतर्निहित बातें किसी भी कोर्स में नहीं पढ़ाई जाती. यह अनुभव की बात होती है, जो काम कर के ही प्राप्त होता है.

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