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सेना का मनोबल मजबूत करने की जरूरत

जहां सीमा-पार से निर्देशित और संचालित आतंकी हमलों के सिलसिले के लिए 2016 याद किया जायेगा, वहीं कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने तथा नियंत्रण रेखा पर सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के लिए भी उल्लेखनीय है. सालभर की घटनाओं के आधार पर ही अगले साल की स्थिति निर्धारित होगी. सीमाओं की सुरक्षा और सैनिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2016 6:17 AM
जहां सीमा-पार से निर्देशित और संचालित आतंकी हमलों के सिलसिले के लिए 2016 याद किया जायेगा, वहीं कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने तथा नियंत्रण रेखा पर सेना की सर्जिकल स्ट्राइक के लिए भी उल्लेखनीय है. सालभर की घटनाओं के आधार पर ही अगले साल की स्थिति निर्धारित होगी. सीमाओं की सुरक्षा और सैनिक गतिविधियों के लिहाज से बीते और आगत का एक विश्लेषण वर्षांत की इस विशेष प्रस्तुति में…
अफसर करीम
मेजर जनरल (रिटायर्ड)
वर्ष 2016 में भारत के सुरक्षा तंत्र के पहलू पर जब बात करेंगे, तो दो हिस्सों को ध्यान में रखना जरूरी होगा. एक हिस्सा पाकिस्तान के साथ जुड़ता है, और दूसरा यह कि दुनिया में भारत के सुरक्षा तंत्र की क्या पोजीशन है. पहले बात पाकिस्तान के साथ जुड़े हिस्से की करते हैं.
इस वर्ष पाक की ओर से कई आतंकी हमले हुए, जिसमें पठानकोट, उड़ी, पंपोर और नगरोटा प्रमुख हैं. इन हमलों ने भारत को बहुत दुखी किया. अब भी पाकिस्तान माननेवाला नहीं है और वह आगे भी ऐसे हमले करता रहेगा. हम चाहे सर्जिकल स्ट्राइक करें या न करें. सर्जिकल स्ट्राइक एक बहुत ही रेस्ट्रिक्टेड एक्सरसाइज (सीमित अभ्यास) थी, जिसे उड़ी हमले के बाद भारतीय सेना ने अंजाम दिया और इसके जरिये बताया कि भारत ने सिर्फ पाकिस्तानी आतंकियों पर हमला किया है, न कि पाकिस्तान पर. पाकिस्तान ने इसे स्वीकार भी नहीं किया, क्योंकि अगर वह ऐसा करता, तो वहां आवाज उठी होती कि उसे भी भारत के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए. लेकिन, इसका खामियाजा इस रूप में आया कि पाकिस्तानी सेना पर दबाव बढ़ गया और उसने हमले की गतिविधियां तेज कर दीं.
आतंकी गतिविधियां भी बढ़ गयीं, नतीजन पंपोर और नरगोटा जैसे हमले हुए. अब भी हमारे पास कोई ठोस रास्ता नहीं दिख रहा है.
दुनिया को दिखाने के लिए पाकिस्तान बदला ले रहा है कि वह कश्मीर में नागरिकों को नहीं, बल्कि सीमा पर जुल्म कर रही भारतीय सेना से लड़ रहा है. यह हालत हमारे लिए अच्छी नहीं है. इस ऐतबार से साल 2016 एक अच्छा साल नहीं रहा. इसलिए जरूरत है कि हम इस हालत को राजनीतिक तरीके से सुधारने की कोशिश करें. क्योंकि सेना बढ़ाते जाने से कोई फायदा नहीं होनेवाला है. दोनों तरफ से हमलों के सिवा कोई हल नहीं निकलेगा. जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी की सरकार के पास अच्छा मौका था इसमें सुधार करने के लिए, लेकिन साल 2016 इनके खींचतान में ही निकल गया. इस क्षेत्र में न कोई प्रगति दिखी और न ही ऐसी कोई नीति सामने आयी, जिससे कि राज्य में कोई बड़ा बदलाव दिखे. इसलिए यह जिम्मेवारी केंद्र की है कि वह राज्य सरकार को भरोसे में लेकर सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाये.
सीमा पार ही रोकना होगा हमलों को
पाकिस्तान के साथ एक दूसरी दिक्कत यह है कि अगर उसके खिलाफ भारत सुरक्षात्मक रवैया अपनायेगा, जैसे कि भारतीय सेना अपने बैरकों में बैठी हुई है और जब पाक हमला करेगा, तब उसके बाद भारतीय सेना जवाब देगी, तो यह भारत के लिए फायदेमंद नहीं हो सकता. भारतीय सेना को सीमा के उस पार ही इन हमलों को रोकना होगा, तभी पठानकोट, उड़ी, पंपोर और नगरोटा जैसे हमलों को रोका जा सकेगा. दुनिया की किसी भी सेना का यही कायदा है कि वह रक्षात्मक न होकर, आक्रामक रुख अपनाये रहे, ताकि उस पर हमला होने से पहले ही उसे नाकाम कर सके. हालिया हमलों से सीख लेते हुए हमें इसे गौर से सोचना होगा.
साल 2016 में इस सीख की कमी देखी गयी. सीमा पर पाक की ओर कम भारत की तरफ ज्यादा नागरिक रहते हैं, इसलिए नुकसान भारत का ही ज्यादा होता है. अगर जानें कम भी जायें, तो भी हमारे नागरिक खेती नहीं कर सकते, बच्चे स्कूल नहीं जा सकते. उनका पूरा जीवन संकटग्रस्त हो जाता है. इसलिए अटल सरकार के समय जो सीजफायर लागू की गयी थी, उसे फिर से रिवाइज कर लिया जाये, तो हमारी आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से अच्छा होगा.
भारत के सुरक्षा तंत्र की पोजीशन
दूसरा हिस्सा दुनिया में भारत के सुरक्षा तंत्र की पोजीशन का है. इसमें भी हमारी हालत अच्छी नहीं रही है. चीन और पाकिस्तान एक साथ मिल कर काम कर रहे हैं और उनकी सैन्य शक्ति बहुत ज्यादा है. हम तो सिर्फ आतंकवाद के बारे में ही सोचते रह जाते हैं. हमने जब सेना प्रमुख बनाने की बात की, तो यह देखा गया कि सीमा को लेकर उसका अनुभव काफी है.
यह सेना प्रमुख का काम नहीं है. उसका महत्वपूर्ण काम यह है कि अगर लड़ाई होती है, तो किस तरह जीता जाये. सेना प्रमुख कैसा बनाया जाये आदि को लेकर हमारी अंदरूनी खींचतान और दूसरी ओर कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति के चलते हमारी सेना का मोराल कुछ अच्छा नहीं दिखता कि वे बड़े हमलों को रोक सकें. सेना के लिए मोराल का मतलब एक माइंडसेट है कि हर हाल में हम ही जीतेंगे. अगर यह माइंडसेट जरा भी कमजोर हो जाये, तो दुश्मन को मात देने में सेना कमजाेर पड़ जाती है. भारतीय सेना को इस हालत से बचना चाहिए, नहीं तो बाहरी शक्तियों से लड़ने में काफी मुश्किलें पेश आयेंगी. अमेरिका और जापान के साथ हमारे अच्छे रिश्ते बन गये हैं और अब हमें अच्छी सामरिक तकनीक मिलेगी.
लेकिन, चिंता की बात यह है कि हमारा पुराना दोस्त रूस अब पाकिस्तान की मदद कर रहा है. पाकिस्तान से कुछ अच्छे की उम्मीद हम नहीं कर सकते. चीन के साथ हमारा संबंध जैसे चल रहा है, वैसे ही चलता रहेगा, लेकिन रूस जैसा हमारा दोस्त हमसे दूर हो रहा है, यह हमारे लिए बड़ी चिंता की बात है. क्योंकि, रक्षा खरीद को लेकर हम अन्य देशों पर निर्भर हैं और खरीद-प्रक्रिया भी बहुत धीमी है. हमें सोचना चाहिए कि कोई लड़ाई आमंत्रण देकर नहीं आती. इसलिए आनेवाले नये साल में हमें अपनी विदेश नीति के तहत अपने मित्र देशों से संबंधों को सुधारने के साथ-साथ अपनी रक्षा-खरीद, सैन्य प्रशिक्षण और मोराल को मजबूत करने की जरूरत है.
(वसीम अकरम से बातचीत पर आधारित)
वर्ष 2016 में बड़े आतंकी हमले
नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स के वार्षिक जर्नल ‘बॉम्बशेल-2016’ के अंक के मुताबिक, भारत में 2015 में सर्वाधिक आइइडी ब्लास्ट हुए. वर्ष 2016 में भी सैन्य शिविरों पर कई आतंकी हमले हुए, जिनमें अनेक सैनिक घायल हुए और कई शहीद हुए. उड़ी हमले के जवाब में भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी कैंपों को नष्ट कर दिया. 2016 में हुई बड़ी आतंकी वारदातें :
-पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर हमला : साल के पहले ही दिन सीमापार से आये चार आतंकी एयरफोर्स स्टेशन की चहारदीवारी को लांघ कर एयरबेस में दाखिल हो गये और अगले दिन तड़के 3:30 बजे हमला कर दिया. फाइटर एयरक्राफ्ट और अन्य सुरक्षा उपकरण आतंकियों के निशाने पर थे. एनएसजी के जवान आतंकवादियों को मार गिराने में सफल रहे, लेकिन बम निरोधक दस्ते के प्रमुख लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन और पांच डीएससी पर्सनल व एक गार्ड कमांडो शहीद हो गये.
– पंपोर हमला : पंपोर में फायरिंग अभ्यास कर लौट रहे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के एक काफिले पर आतंकियों ने एके-47 राइफल से हमला कर दिया. इसमें सीआरपीएफ के आठ जवान और 22 अधिकारी घायल हो गये. दोनों आतंकियों को ढेर कर दिया गया.
– उड़ी हमला : एलओसी से सात किमी दूर इंफेंट्री बटालियन के एडमिनिस्ट्रेटिव कैंप पर जेइएम के चार हथियारबंद आतंकियों ने हमला कर दिया. हमले में 17 सैनिक शहीद हो गये, जिसमें 13 सैनिकों की जान कैंप में आग लगने हुई. हमले में 32 अन्य जवान जख्मी हो गये. बाद में भारत ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया.
– नगरौटा हमला : जम्मू-कश्मीर के नगरौटा में आर्मी यूनिट पर हुए हमले में दो अधिकारियों समेत सात जवान शहीद हो गये. पुलिस यूनिफार्म में आये आतंकी ऑफिसर्स मेस कॉम्पलेक्स में दाखिले हुए और ग्रेनेड से हमला कर दिया. हालांकि, सेना ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 12 महिलाओं और बच्चों को वहां से सुरक्षित निकाल लिया.
– संघर्ष विराम का उल्लंघन : पाकिस्तान ने 2016 में करीब 430 बार सीजफायर का उल्लंघन किया. इस वर्ष एक नवंबर तक इन हमलों में आठ सैन्य अधिकारी शहीद और 74 से अधिक लोग घायल हुए. साथ ही बीएसएफ के चार जवान शहीद हुए, जबकि सात अन्य घायल हुए. सात नवंबर तक 111 घर व कई प्रतिष्ठान ध्वस्त हुए. भारत की तरफ से जवाबी हमले में 15 पाकिस्तानी रेंजर्स और 10 आतंकी मारे गये और कई चौकियां तबाह हुईं.

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