Loading election data...

इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के दौर में सुरक्षा की चुनौतियों पर रहेगी नजर

इंटरनेट ने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बड़ी जरूरी जगह बना ली है. इसके विस्तार से जहां हमारे कामकाज और मनोरंजन से जुड़ी सुविधाएं बेहतर हुई हैं, वहीं इसकी सुरक्षा और निजता की मुश्किलें भी बढ़ी हैं. वर्ष 2017 में सोशल मीडिया, डिजिटल लेन-देन, ऑटोमेशन और संवाद सघन होंगे तथा साइबर स्पेस की सुरक्षा के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2017 6:32 AM
इंटरनेट ने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बड़ी जरूरी जगह बना ली है. इसके विस्तार से जहां हमारे कामकाज और मनोरंजन से जुड़ी सुविधाएं बेहतर हुई हैं, वहीं इसकी सुरक्षा और निजता की मुश्किलें भी बढ़ी हैं. वर्ष 2017 में सोशल मीडिया, डिजिटल लेन-देन, ऑटोमेशन और संवाद सघन होंगे तथा साइबर स्पेस की सुरक्षा के इंतजाम भी पुख्ता करने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाने की जरूरत होगी. दुनिया के सामने पेश चुनौती शृंखला की दूसरी कड़ी में इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर एक नजर आज की विशेष प्रस्तुति में…
इंटरनेट ने हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में बड़ी जरूरी जगह बना ली है. इसके विस्तार से जहां हमारे कामकाज और मनोरंजन से जुड़ी सुविधाएं बेहतर हुई हैं, वहीं इसकी सुरक्षा और निजता की मुश्किलें भी बढ़ी हैं. वर्ष 2017 में सोशल मीडिया, डिजिटल लेन-देन, ऑटोमेशन और संवाद सघन होंगे तथा साइबर स्पेस की सुरक्षा के इंतजाम भी पुख्ता करने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाने की जरूरत होगी. दुनिया के सामने पेश चुनौती शृंखला की दूसरी कड़ी में इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर एक नजर आज की विशेष प्रस्तुति में…
मौजूदा तकनीकी युग में इंटरनेट का दायरा निरंतर बढ़ता जा रहा है. हालांकि, कंप्यूटर और टैबलेट समेत स्मार्टफोन पर इंटरनेट के माध्यम से अनेक कार्यों को निपटाना आसान हो गया है, लेकिन इसके व्यापक नेटवर्क और बेलगाम फैलाव के बीच इसकी सुरक्षा से जुड़ी एक बड़ी चुनौती अब चिंता का विषय बनती जा रही है. अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नव वर्ष के माैके पर अपने संबोधन में इस ओर लोगों को आगाह करते हुए कहा है कि दुनिया का कोई भी कंप्यूटर आज सुरक्षित नहीं है.
बताया जाता है कि डोनाल्ड ट्रंप इमेल या कंप्यूटर का इस्तेमाल बहुत कम करते हैं. अमेरिकावासियों से संवाद के लिए वे अक्सर ट्विटर का इस्तेमाल करते हैं. ‘लाइव ट्रेडिंग न्यूज’ की एक रिपोर्ट में संबंधित विशेषज्ञ पॉल एबलिंग लिखते हैं कि पिछले साल उन्होंने ऑनलाइन कम्युनिकेशन की सुरक्षा को समझा और उसकी वास्तविकता से रू-ब-रू हुआ.
ट्रंप ने अपने हालिया संबोधन में कहा, ‘यदि कोई महत्वपूर्ण तथ्य आप किसी को भेजना चाहते हैं, तो बेहतर है कि उसे कोरियर जैसे पुराने तरीकों से भेजें.’ उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने कई बार यह आरोप लगाये कि रूस ने अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया में व्यवधान पैदा करने की कोशिश की थी. अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा भी रूस पर यह आरोप लगा चुके हैं कि स्पाइ एजेंसियों के माध्यम से रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की थी.
बिन इंटरनेट सब सून
इंटरनेट ने हमारे रहने, काम करने, उत्पादन और उपभोग के तरीके को बदल दिया है. व्यापक होते इसके दायरे ने डिजिटल टेक्नोलॉजी को विस्तार दिया है, जो हमारे मौजूदा कारोबारी और शासन प्रशासन व्यवस्था के मॉडल तक को बदल सकता है. एक पुरानी कहावत है- बिन पानी सब सून.
लेकिन, जिस तरह इंटरनेट हमारे रोजमर्रा के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है, वैसे में यह धारणा बदल सकती है और ‘बिन इंटरनेट सब सून’ इसकी जगह ले सकती है. इस धारणा को बदलने में स्मार्टफोन की बड़ी भूमिका देखी जा रही है, जिसकी पहुंच महानगरों से लेकर दूरदराज के गांवों तक बढ़ती जा रही है. इंटरनेट द्वारा संचालित तकनीकी ट्रांसफॉर्मेशन के दौर में आज हम चौथी आैद्याेगिक क्रांति के युग में प्रवेश कर रहे हैं. ऐसे में इंटरनेट की स्थिरता को बनाये रखना और सकारात्मक रूप से इसे मैनेज करके रखना अपनेआप में बड़ी चुनौती बन सकती है.
क्यों महत्वपूर्ण बन गये हैं आंकड़े?
इंटरनेट के केंद्र में मूल रूप से आंकड़े ही हैं. ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंटरनेट पर आंकड़ों का प्रवाह 40 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है और वर्ष 2020 तक यह 50 गुना तक हो जायेगा. सिंगापुर आधारित ऑरस एनालिटिक्स के अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में बनाये गये आंकड़ों का करीब 90 फीसदी हिस्सा पिछले महज दो-तीन वर्षों के दौरान ही हुआ है. मोबाइल का इस्तेमाल बढ़ने के साथ पर्सनल डाटा का वॉल्यूम बढ़ गया है.
51 फीसदी इंटरनेट यूजर्स हैं एशिया में पूरी दुनिया के मुकाबले.
1.3 अरब मोबाइल उपभोक्ता हैं चीन में, जबकि इस देश की आबादी करीब 1.36 अरब है.
91 करोड़ से ज्यादा मोबाइल उपभोक्ता हो चुके हैं भारत में, जबकि आबादी 1.25 अरब से ज्यादा हो चुकी है.
औद्योगिक आंकड़ों का बढ़ता प्रवाह
औद्योगिक आंकड़ों का प्रवाह तेजी से बढ़ रहा है. इस संबंध में विशेषज्ञ फर्म ‘गार्टनर’ ने यह अनुमान लगाया है कि कार, मकान और विविध अप्लायंस समेत औद्योगिक उपकरणों को मिला कर करीब 4.9 अरब डिवाइस कनेक्टेड हो चुके हैं. इस फर्म का अनुमान है कि वर्ष 2020 तक इसका दायरा और ज्यादा हो जायेगा व इसके तहत स्मार्ट मीटर से लेकर ऊर्जा सक्षम स्ट्रीट लाइटों आदि अनेक उपकरणों को शामिल किया जा सकेगा.
मौजूदा डिजिटल युग में इ-गवर्नमेंट और डिजिटल वॉलेट जैसी अनेक सेवाएं हमारे रोजमर्रा का हिस्सा बनती जा रही हैं. आज पूरा देश जिस तरह से नकदी से डिजिटल सेवाओं की ओर रुख कर रहा है, वैसे में डिजिटल इकॉनोमी के लिए सुरक्षित डिजिटल नेटवर्क की जरूरत बढ़ गयी है, ताकि लोगों का भरोसा इस आेर बना रहे. खुदरा बैंकिंग से लेकर डिजिटल भुगतान की प्रक्रिया में संवेदनशील आंकड़ों की संख्या बढ़ रही है और इसे सुरक्षित रखने के लिए जरूरी कदम उठाये जाने चाहिए, अन्यथा किसी भी गंभीर चूक की दशा में इसके बुरे नतीजे सामने आ सकते हैं.
दिनेश मलकानी के हवाले से ‘द फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि डिजिटलाइजेशन ने संगठनों को विस्तार करने और इनाेवेशन की राह में आगे बढ़ने का मौका दिया है, लेकिन इस नयी दुनिया में एक किस्म का जोखिम भी बढ़ रहा है. ‘सिस्काे’ द्वारा किये गये वैश्विक अध्ययन में 64 फीसदी सीनियर बिजनेस लीडर्स ने साइबर सुरक्षा के लिए एक नियामक बनाये जाने की कवायद की है. इस अध्ययन में करीब 71 फीसदी बिजनेस लीडर्स ने कहा कि साइबर सुरक्षा के लिए अपने संगठन में उन्होंने व्यापक इनोवेशन की प्रक्रिया अपनाने पर जोर दिया है.
डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और डिजिटल इंडिया के दौर में एक मजबूत साइबर सुरक्षा फाउंडेशन की जरूरत है, जो कंपनियों और सरकार को डिजिटल प्रक्रिया को भरोसेमंद तरीके से लागू करने के लिए निर्धारित मानदंडों का ध्यान में रखे और इनोवेशन व ग्रोथ में भागीदारी निभा सके.

Next Article

Exit mobile version