डोनाल्ड ट्रंप के सिपहसालार
अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भावी प्रशासन के प्रमुख नामों पर सीनेट की कमेटियों ने या तो मुहर लगा दी है या फिर उन पर विचार किया जा रहा है. निर्वाचित उप राष्ट्रपति माइक पेंस और महत्वपूर्ण जिम्मेवारियां संभालने जा रहे लोगों के विचारों और अनुभवों से ही ट्रंप प्रशासन की रूप-रेखा बनेगी. […]
अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भावी प्रशासन के प्रमुख नामों पर सीनेट की कमेटियों ने या तो मुहर लगा दी है या फिर उन पर विचार किया जा रहा है. निर्वाचित उप राष्ट्रपति माइक पेंस और महत्वपूर्ण जिम्मेवारियां संभालने जा रहे लोगों के विचारों और अनुभवों से ही ट्रंप प्रशासन की रूप-रेखा बनेगी. चुनाव अभियान में अक्सर विवादास्पद बयानों और अब तक की नीतियों के उलट चलने की घोषणाओं के कारण ट्रंप की नीतियों के बारे में भरोसे से कुछ कह पाना संभव नहीं है, पर उनके सहयोगियों के विचारों के आधार पर यह जरूर कहा जा सकता है कि अगले राष्ट्रपति को चुनावी वादों से अलग निर्णय लेने पड़ सकते हैं. ट्रंप के घोर विरोधी अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने आश्चर्यजनक तरीके से आगामी रक्षा सचिव के रूप में जनरल जेम्स मैटिस के चयन को उचित निर्णय बताते हुए लिखा है कि यह अच्छी बात है कि मैटिस ट्रंप के चुनावी बयानों से भिन्न राय रखते हैं.
वे रूस को लेकर सशंकित हैं, नाटो का पूरा समर्थन करते हैं, ईरान से परमाणु समझौते को कायम रखना चाहते हैं और सेना में महिलाओं और समलैंगिकों के शामिल करने के पक्ष में हैं. नामित विदेश सचिव रेक्स टिलरसन भी रूस के प्रति ट्रंप के दोस्ताना संकेतों से असहमति रखते हैं और भावी सीआइए प्रमुख माइकल पोम्पिओ की तरह जलवायु परिवर्तन के खतरे को गंभीर मानते हैं. इनके साथ ट्रंप प्रशासन में खास भूमिकाएं निभानेवाले कई अन्य लोगों ने मुसलिम आप्रवासियों को प्रतिबंधित करने की निर्वाचित राष्ट्रपति के प्रस्ताव से असहमति जतायी है. ऐसे में कहा जा सकता है कि ट्रंप प्रशासन उस हद तक अतिवादी नहीं होगा, जैसा कि आम तौर पर चिंता की जा रही है.
पर, इस संदर्भ में बहुत आश्वस्त होना भी ठीक नहीं है. जैसा कि ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ में क्रिस मूनी ने लिखा है, टिलरसन और पोम्पिओ भले ही जलवायु परिवर्तन को ट्रंप की तरह एक निराधार बात नहीं मानते हैं, पर उसके खतरों से निपटने के लिए उठाये जानेवाले कदमों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता सवालों के घेरे में हैं. लेकिन, विदेश नीति के क्षेत्र में चीन को लेकर ट्रंप के तीखे तेवरों को उनके सहयोगी समर्थन दे सकते हैं.
हालांकि अलग बयानों और रवैये से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिकी नीतियों को लेकर भ्रम की स्थिति बनने के अंदेशे से इनकार नहीं किया जा सकता है. रूस, नाटो और यूरोप को लेकर संभावित अनिश्चितता पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकती है. हालांकि ऐसा कोई पहली बार नहीं होगा, जब राष्ट्रपति और उनकी टीम के सदस्यों के बीच बड़े मामलों में मतांतर हो, लेकिन अब शायद एक अराजक स्थिति भी पैदा हो सकती है. बहरहाल, यह भी दिलचस्प है कि व्हाइट हाउस से मीडिया की स्थायी जगह खत्म की जा रही है. ट्रंप प्रशासन के कुछ बहुत महत्वपूर्ण चेहरों की परिचयात्मक प्रस्तुति आज के इन-डेप्थ में…
वाइस प्रेसिडेंट : माइक पेंस
व्यावहारिक और अनौपचारिक ताकतों के अभाव में वाइस प्रेसिडेंसी को थोड़ा अलग समझा जाता है. हालांकि, इस पद का सांकेतिक महत्व और उच्च पब्लिक प्रोफाइल जरूर कायम है. वैसे सही मायनों में वाइस प्रेसिडेंट का प्रभुत्व राष्ट्रपति के नजरिये पर भी निर्भर करता है. वैसे, अब तक ज्यादातर वाइस प्रेसिडेंट के जिम्मे ज्यादा जिम्मेवारी नहीं रही है, लेकिन माना जा रहा है कि माइक पेंस प्रमुख रणनीतिक सलाहकार के तौर प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं. इंडियाना के गवर्नर रह चुके माइक पेंस की खासियताें को देखते हुए ट्रंप ने उन्हें चुनाव अभियान की जिम्मेवारी सौंपी थी.
चीफ ऑफ स्टाफ : रेंस प्रीबस
पारंपरिक तौर पर चीफ ऑफ स्टाफ का जॉब व्हाइट हाउस में टॉप पोजिशन पर माना जाता है. इनका मुख्य कार्य व्हाइट हाउस के प्रमुख कार्यों को निपटाना होेता है. राष्ट्रपति अपनी ओर से कुछ चीफ ऑफ स्टाफ को ज्यादा ताकत मुहैया कराते हैं, ताकि एग्जीक्यूटिव ब्रांच के जरिये उनकी नीतियों और इच्छाओं को लागू किया जा सके. इससे राष्ट्रपति के निर्णय लेने की प्रक्रिया को भी मैनेज किया जाता है. राजनीतिक रणनीति बनाने में अन्यों के मुकाबले इन्हें ज्यादा मजबूत माना जा रहा है. रिपब्लिकन पार्टी से इनका जुड़ाव बेहद मजबूत रहा है और शायद इसी कारण से ट्रंप ने इस कार्य के लिए इनका चयन किया है, लेकिन सरकारी स्तर पर काम करने का इनका अनुभव नहीं है.
चीफ स्ट्रेटजिस्ट : स्टीव बेनन
व्हाइट हाउस में बड़े स्तर की रणनीतियों पर खास फोकस करने के लिहाज से कई राष्ट्रपति चीफ ऑफ स्टाफ के अतिरिक्त पूरक के तौर पर चीफ स्ट्रेटजिस्ट की नियुक्ति करते हैं. हालांकि, आम तौर पर ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ रोजाना के मैनेजमेंट को देखता है, लेकिन ट्रंप ने इस नये ‘चीफ स्ट्रेटजिस्ट’ की भूमिका महत्वपूर्ण बनाने की राह तैयार की है और कहा है कि ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ के साथ ये समान साझेदार होंगे.
कॉमर्स सेक्रेटरी : विलबर रॉस
कॉमर्स डिपार्टमेंट का मिशन है – इकोनॉमिक ग्रोथ और अवसरों के लिए बेहतर माहौल तैयार करना. लेकिन, व्यावहारिक रूप से विभाग के साथ ऐसा नहीं है. माना जा रहा है कि विलबर रॉस डोनाल्ड ट्रंप के कारोबारी एजेंडा को लागू करने में समर्थ होंगे, जो उन्होंने चुनाव अभियान के दौरान लोगों से वादा किया है. विलबर रॉस अमेरिका के जॉब मार्केट में नये अवसरों को पैदा करनेवालों में शुमार हैं. पिछले एक दशकों के दौरान मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में इन्होंने एक लाख से ज्यादा रोजगार मुहैया कराया है. वैश्विक अर्थव्यवस्था के लड़खड़ाते दौर में ये अमेरिका को आगे ले जाने सक्षम हो सकते हैं.
राष्ट्रपति की काउंसेलर : केलयाने कनवे
उच्चस्तरीय सलाहकार के रूप में काउंसेलर को अमेरिकी राष्ट्रपति के सबसे भरोसेमंद व्यक्ति का दर्जा प्राप्त होता है. राष्ट्रपति चुनाव के आखिरी तीन महीनों में ट्रंप के कैंपेन मैनेजर के रूप में जिम्मेवारी संभालनेवाली 49 वर्षीय केलयानी कनवे को यह कार्यभार सौंपा गया है. हालांकि, कनवे की भूमिका क्या-क्या होगी, ज्यादा स्पष्ट नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि आम मुद्दों पर सलाह देने और संदेश तैयारी करने और आंतरिक मामलों में रणनीति बनाने में कनवे की भूमिका अहम होगी. ओबामा के दूसरे कार्यकाल में यह भूमिका जॉन पेडेस्टा और बुश कार्यकाल में करेन ह्यूजेस निभा चुके हैं. अगस्त माह में ट्रंप का कैंपेन मैनेजर बनने के बाद कनवे टीवी कार्यक्रमों में ट्रंप का बचाव और उनका पक्ष मजबूती से रखती रहीं.
संयुक्त राष्ट्र में राजदूत : निक्की हेली
सुरक्षा परिषद और महासभा में अमेरिकी प्रतिनिधित्व की जिम्मेवारी के लिए साउथ करोलिना की गवर्नर रह चुकीं 44 वर्षीय निक्की हेली को चुना गया है. संयुक्त राष्ट्र राजदूत दुनिया के सामने सेक्रेटरी ऑफ स्टेट के बाद अमेरिका का दूसरा सबसे प्रमुख चेहरा होता है. इस पद के लिए सीनेट की मंजूरी आवश्यक है. भारतीय मूल की निक्की हेली वर्तमान में अमेरिकी में सबसे कम उम्र की गवर्नर हैं. मुसलिमों को अमेरिका में प्रतिबंधित किये जानेवाले ट्रंप के बयान की उन्होंने आलोचना की थी. रिपब्लिकन पार्टी में उनके बढ़ते कद की वजह से विदेश नीति का अनुभव नहीं होने के बावजूद उन्हें यूएन राजदूत जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए चुना गया है.
डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस : डैन कोट्स
अमेरिका की सरकार 16 विविध एजेंसियों से इंटेलिजेंस संबंधी आंकड़े एकत्रित करती हैं, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशी मामलों समेत सीअाइए, एनएसए, डीआइए और एफबीआइ के इंटेलिजेंस ब्रांच से जुड़े महत्वपूर्ण आंकड़े भी शामिल हैं. वर्ष 2000 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले के बाद से इस पद की महत्ता बढ़ गयी. राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के तौर पर डैन कोट्स को नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोमिनेट करने के पीछे खास कारण उनके प्रति भरोसा होना है. ट्रंप ने एक बयान में कहा है कि उन्हें भरोसा है कि सीनेटर डैन राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के तौर पर सेवा देने के लिए बिलकुल सही व्यक्ति होंगे.
ट्रेजरी सेक्रेटरी : स्टीवेन मिन्यूकिन
अमेरिकी कैबिनेट में ट्रेजरी विभाग सबसे महत्वपूर्ण वित्त एजेंसी के रूप में काम करता है और सेक्रेटरी देश की अर्थ नीति तय करनेवाला प्रमुख चेहरा होता है. फेडरल रिजर्व के बाद अर्थव्यवस्था को प्रभावित करनेवाला यह दूसरा सबसे अहम विभाग है. देश की कर प्रणाली, सरकार के राजस्व संग्रह, ऋणों का प्रबंधन, करेंसी प्रिंटिंग और आर्थिक संकट में सरकार के सबसे भरोसेमंद विभाग के रूप में काम करने की जिम्मेवारी ट्रेजरी सेक्रेटरी की होती है. इस भूमिका के लिए ट्रंप ने 53 वर्षीय अरबपति निवेशक स्टीवेन मिन्यूकिन को चुना गया है. स्टीवेन ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान फंड इकट्ठा करने में प्रभावी भूमिका निभायी थी. विशेषज्ञों का अनुमान है कि वह करों में बड़ी कटौती का पक्ष ले सकते हैं.
वरिष्ठ सलाहकार : जैरेड कुशनर
ट्रंप के दामाद जैरेड कुशनर उनके वरिष्ठ सलाहकार होंगे. 35 वर्षीय कुशनर की शादी ट्रंप की बेटी इवांका से हुई है. राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान चंदा एकत्रिक करने की रणनीति बनाने का कुशनर का अहम योगदान माना जाता है. कुशनर चीफ ऑफ स्टाफ रेंस प्रीबस और व्हाइट हाउस के प्रमुख रणनीतिकार स्टीफेन बैनन के साथ मिल कर काम करेंगे.
ट्रंप का कहना है कि यह तिकड़ी एक प्रभावी नेतृत्व देनेवाली टीम होगी. माना जा रहा है कि उनकी भूमिका घरेलू और विदेश नीति से जुड़ी हुई होगी, जिनमें मध्य पूर्व में कारोबार संबंधी सौदे भी शामिल होंगे. ट्रंप के मुताबिक कुशनर उनकी टीम के महत्वपूर्ण सदस्य होंगे, जो उनके महत्वाकांक्षी एजेंडे को अमल में लाने में सहयोग करेंगे. ट्रंप की तरह कुशनर भी एक रीयल एस्टेट डेवलपर और निवेशक रहे हैं.