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चीन ने बढ़िया बॉल पेन बनाने की गुत्थी सुलझायी

अच्छी क्वालिटी के स्टील की वजह से अड़चन थी चीन ने अंतरिक्ष में रॉकेट भेज दिया, हाइस्पीड ट्रेनें दौड़ा दीं और भी बहुत कुछ कर दिखाया. लेकिन वह एक अच्छी बॉल पेन नहीं बना सका था. लेकिन, उसने बढ़िया बॉलपेन बनाने की गुत्थी सुलझा ली है. इसे चीन का सबसे महत्वपूर्ण इनोवेशन माना जा रहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 20, 2017 6:31 AM
अच्छी क्वालिटी के स्टील की वजह से अड़चन थी
चीन ने अंतरिक्ष में रॉकेट भेज दिया, हाइस्पीड ट्रेनें दौड़ा दीं और भी बहुत कुछ कर दिखाया. लेकिन वह एक अच्छी बॉल पेन नहीं बना सका था. लेकिन, उसने बढ़िया बॉलपेन बनाने की गुत्थी सुलझा ली है. इसे चीन का सबसे महत्वपूर्ण इनोवेशन माना जा रहा है. पढ़िए एक रिपोर्ट.
वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के दावोस(स्विटजरलैंड) सम्मेलन में मुक्त व्यापार की तरफदारी कर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है. मगर दूसरी तरफ चीन बॉल पेन बनाने की क्षमता हासिल करने पर काफी गदगद है. चीन में इस बात पर खुशियां जाहिर की जा रही हैं कि अब उसे दूसरे देश से बॉल पेन आयात नहीं करना पड़ेगा. यह जानना रोचक होगा कि चीन में बॉलपेन बनता तो था, मगर वे उसकी हाइ क्वालिटी टिप नहीं बना पाते थे. उन्हें टिप आयात करनी पड़ती थी. दुनिया में खपत होने वाले कुल बॉल पेन का 80 फीसदी चीन में ही बनता है. चाइना डेली के अनुसार, यह आंकड़ा 38 बिलियन बॉलपेन प्रति वर्ष का है.
साल भर पहले की बात है. चीन के प्रधानमंत्री ली कचियांग राष्ट्रीय टेलिविजन पर आये थे. उनके भाषण में झल्लाहट झलक रही थी. प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका देश आज भी एक अच्छी क्वालिटी की बॉल पेन बनाने में नाकाम है. ली ने कहा कि चीन में जो बॉल पेन बनायी जा रही हैं, वे जर्मनी, स्विट्जरलैंड और जापान के पेन के मुकाबले बहुत ही रफ हैं.
बॉल पेन बनाना बहुत ही मुश्किल : रोजमर्रा की जिंदगी में हम भले ही बॉल पेन पर ज्यादा ध्यान न देते हों, लेकिन अच्छी पेन बनाने में हालत खस्ता हो जाती है. बॉडी और रिफिल तो कोई भी बना लेता है, लेकिन अच्छी टिप बनाना हर किसी के बस की बात नहीं. टिप के भीतर एक बहुत ही छोटी धातु की बॉल होती है. बहुत ही उच्च क्षमता और बारीकी वाली मशीनों के जरिये अत्यंत शक्तिशाली स्टील की प्लेटों को काटा जाता है. और फिर उनसे बहुत ही छोटी बॉल्स बनायी जाती हैं. बॉल को टिप में इस ढंग से फंसाया जाता है कि वह न तो बाहर निकले, न ही भीतर घुसे और आसानी से घूमती भी रहे. यही बॉल हर वक्त स्याही के संपर्क में रहती है. जब बॉल पेन से लिखते हैं तो टिप के भीतर फंसी बॉल लगातार स्याही में घूमती है, लिखावट को मुमकिन बनाती है.
तो आखिर चीन अच्छी बॉल पेन बनाने के मामले में कहां फंसता रहा है. सीधे शब्दों में कहा जाये तो स्टील में. चीन के पास अच्छी क्वालिटी की स्टील ही नहीं है, इसी वजह से वह अच्छी टिप नहीं बना पा रहा है. चीन के 3,000 से ज्यादा पेन निर्माता जापान,जर्मनी और स्विटजरलैंड से स्टील वाली टिप आयात करते हैं. स्टील आयात पर पेन उद्योग 1.73 करोड़ डॉलर खर्च करता है.
लेकिन, चीन के सरकारी अखबार पीपुल्स डेली का दावा है कि अब अच्छी बॉलपेन बनाने की गुत्थी सुलझा ली गयी है. सरकारी ताइयुआन आयरन एंड स्टील कंपनी ने पांच साल की रिसर्च के बाद इस समस्या का हल खोजने का दावा किया है. अखबार के मुताबिक, नये स्टील से बनी 2.3 मिलीमीटर बॉलप्वाइंट पेन तैयार की जा रही है. लैब टेस्ट पूरे होने के बाद इन्हें बाजार में लाया जायेगा. चीन को उम्मीद है कि दो साल के भीतर वह विदेशों से बॉल पेन खरीदना पूरी तरह बंद कर देगा.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाली उथल-पुथल की मार झेल चुका चीन अब अपने घरेलू बाजार को मजबूत करना चाहता है. सरकार ने ‘मेड इन चाइना 2025’ प्रोग्राम लॉन्च किया है. इसके तहत कम मूल्य वाले प्रोडक्ट जैसे- बॉल पेन आदि भी देश में ही बनाये जायेंगे.
हाइटेक इंजीनियरिंग में पीछे : हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर जॉर्ज हुआंग कहते हैं, “ऐतिहासिक तौर पर भी, चीन कभी बहुत ही अच्छे ढंग से बारीक इंजीनियरिंग करने के लायक नहीं रहा, बॉल प्वाइंट पेन इसी का एक उदाहरण है. इसके पार्ट्स बहुत ही छोटे और बेहद बारीकी वाले होते हैं और इस चुनौती को सुलझाना आसान नहीं.”
चीन रक्षा और अंतरिक्ष अभियानों में भारी निवेश करता आया है. यह देश दुनिया भर के लिए स्मार्टफोन्स और कंप्यूटर तो बनाता है, लेकिन उनमें लगने वाली उच्च क्षमता वाली चिप अब भी जापान और ताइवान से आती है. प्रोफेसर जॉर्ज मैंडेरिन भाषा के शब्द ‘फुजाओ’ का हवाला भी देते हैं. फुजाओ का अर्थ है, न तो 100 फीसदी सॉलिड, न ही विश्वसनीय. वह कहते हैं, ‘यहां की संस्कृति जापानियों और जर्मनों से अलग है.’ जर्मनी और जापान इंजीनियरिंग के मामले में सबसे चोटी के देश माने जाते हैं.
गौर करने वाली बात यह है कि अच्छी गुणवत्ता वाले बॉलपेन बनाने में कामयाबी पाने के लिए चीन सरकार ने एकाग्रचित्त होकर काम किया है. चीन ने इन दिनों तकनीकी तरक्की हासिल करके दुनिया के बड़े औद्योगीकृत देशों का ध्यान अपनी ओर खींचा है.
(इनपुट: डीडब्ल्यू डॉट कॉम और अन्य एजेंसियां)

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