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पांच राज्यों का सत्ता संग्राम : मणिपुर के लोगों में पैदा हो सुरक्षा की भावना

मणिपुर के लोगों में पैदा हो सुरक्षा की भावना पांच राज्यों का सत्ता संग्राम : दो चरणाें में 60 सीटाें पर होगा मुकाबला बीनालक्ष्मी नेपराम संस्थापक, मणिपुर वुमेन गन सर्वाइवर्स नेटवर्क मणिपुर में 60 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में चुनाव होंगे. पहले चरण की 38 सीटों पर चार मार्च को और दूसरे चरण में […]

मणिपुर के लोगों में पैदा हो सुरक्षा की भावना
पांच राज्यों का सत्ता संग्राम : दो चरणाें में 60 सीटाें पर होगा मुकाबला
बीनालक्ष्मी नेपराम
संस्थापक, मणिपुर वुमेन गन सर्वाइवर्स नेटवर्क
मणिपुर में 60 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में चुनाव होंगे. पहले चरण की 38 सीटों पर चार मार्च को और दूसरे चरण में 22 सीटों पर आठ मार्च को वोटिंग होगी. इस बार मुख्य मुद्दा सुरक्षा, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित मसले हैं. पेश है एक रिपोर्ट .
मणिपुर भारत का एक ऐसा राज्य है, जो केंद्र की उपेक्षा का शिकार होता रहा है. मणिपुर को हमेशा सौतेले बेटे के रूप में देखा जाता रहा है, मेरे अपने अनुभव के आधार पर यह मेरा अपना मानना है. किसी राज्य के प्रति इस तरह का व्यवहार उस राज्य के विकास और प्रगति में बाधक बनता है, इसलिए इस व्यवहार का उन्मूलन जरूरी है. ऐसे में मणिपुर विधानसभा चुनाव एक बहुत महत्वपूर्ण पड़ाव बन सकता है, राज्य की बेहतरी और विकास की संभावनाओं के लिए. दूसरी बात यह भी है कि मणिपुर में चुनाव एक चुनौती भी है, क्योंकि गये सालों में जितने भी मुद्दों पर सरकारें जीत कर आयीं, उन सबने अपने वादों पर जरा भी ध्यान नहीं दिया. अगर ध्यान दिया गया होता, तो उसके साथ सौतेला व्यवहार होता ही नहीं.
जिस दिन मणिपुर के साथ ऐसा व्यवहार बंद हो जायेगा, उस दिन यह राज्य तरक्की के रास्ते पर चल निकलेगा. इस बार के विधानसभा चुनाव में मणिपुर में जिन मुद्दों पर बात होनी है, उनमें तीन प्रमुख हैं- नागरिक सुरक्षा, रोजगार एवं शिक्षा. पहला मुद्दा नागरिक सुरक्षा का है और मणिपुर के लिए तो यह बेहद ही अहम मुद्दा है.
यह बहुत जरूरी है कि मणिपुर के आम लोगों के अंदर सुरक्षा की भावना पैदा करने की कोशिश की जाये. राजनीतिक दलों को भी चाहिए कि वे विकास की बातों के साथ नागरिक सुरक्षा की न सिर्फ बातें करें, बल्कि इस मामले में प्रभावी नीतियों की भी बात करें, ताकि आनेवाले दिनों में वहां के लोगों में सुरक्षा का एहसास हो सके. यह भावना हर मणिपुरी के अंदर बिठाने की जरूरत है कि जब तक मेरे ही देश में, मेरे ही राज्य में मेरी सुरक्षा का इंतजाम नहीं होगा, तब तक मैं आगे कैसे बढ़ूंगा या बढूंगी. सुरक्षा के मुद्दे पर ज्यादा से ज्यादा काम करने की जरूरत है. क्योंकि, एक सुरक्षित जीवन के बिना किसी भी तरह का विकास संभव नहीं हो सकता.
मणिपुर में दूसरा मुद्दा रोजगार का है. रोजगार के अवसरों के कम पैदा होने से मणिपुर के लोगों का पलायन होता है और वे कमजोर बने रहने के लिए अभिशप्त होते हैं. रोजगार न होने से अपराधों को बढ़ावा मिलता है और आम नागरिकों में असुरक्षा की दोहरी भावना पनपने लगती है. वहीं तीसरा मुद्दा शिक्षा का है, जिसके लिए अच्छी नीतियों की दरकार है. अच्छी नीतियों से तात्पर्य ऐसी शिक्षा व्यवस्था से है, जो लोगों को जागकरूक बना सके, ताकि लोग अपने स्वास्थ्य संबंधी चीजों के बारे में समझ सकें. ये तीन ऐसे मुद्दे हैं, जो आम लोगों के मन में हैं और इन्हीं मुद्दों पर बात करनेवाले लोगों को मणिपुर के लोग चुनेंगे, ऐसा मुझे लगता है.
मैं एक साधारण नागरिक हूं और राजनीति पर कोई चर्चा नहीं करना चाहती कि वहां किस दल की सरकार बनेगी. यह पूरी तरह से मणिपुर की जनता की सोच पर निर्भर है कि वह अपने मुद्दों को लेकर किसके पास जाती है. यह मैं इसलिए कह रही हूं, क्योंकि हम सरकारों से जो अपेक्षा रखते हैं, और हमें मिलता क्या है, यह हम सभी जानते हैं. सवाल यहां भी वही है कि अगर लोगों के मन में सुरक्षा की भावना, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी मसले हैं, तो वे जरूर अपने एतबार से अच्छा प्रतिनिधि चुनेंगे, ताकि उनका सर्वांगीण विकास हो सके. कुल मिला कर आखिर में मैं यही कहूंगी कि चुनाव का परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन मणिपुर के साथ सौतेला व्यवहार बंद हो, इसकी हरसंभव कोशिशें हाेनी चाहिए.

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