टैक्स-रिटर्न्स
निम्न-मध्य वर्ग व छोटे व्यापारियों को राहत
2.5 लाख से 5 लाख रुपये तक की व्यक्तिगत आय पर टैक्स दर में पांच प्रतिशत की कमी
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने ढाई लाख रुपये और पांच लाख रुपये के बीच की आय वाले व्यक्तिगत करदाताओं के लिए कराधान की मौजूदा दर को 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है. इसके परिणामस्वरूप पांच लाख रुपये से कम आय वाले सभी करदाताओं की कर देनदारी घटकर शून्य (छूट सहित) हो जाएगी या उनकी मौजूदा देनदारी का 50 प्रतिशत रह जाएगी. वित्त मंत्री ने आज संसद में आम बजट 2017-18 पेश करते हुए कहा कि कराधान का वर्तमान बोझ मुख्यत: ईमानदार करदाताओं और वेतनभोगी कर्मचारियों पर है, जो अपनी आय को सही रूप में दर्शाते हैं. अत: विमुद्रीकरण के पश्चात इस वर्ग के लोगों की यह आशा जायज है कि उनके ऊपर से कर के बोझ को कम किया जाये. वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि यदि निम्न आय स्लैब के लिए टैक्स की दर को सामान्य रखा जाता है, तो बड़ी संख्या में लोग कर दायरे में आएंगे. उन्होंने भारत के सभी नागरिकों से यह अपील की कि यदि उनकी आय 2.5 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक के सबसे निचले स्लैब के अंतर्गत आती है, तो वे 5 प्रतिशत कर की छोटी सी अदायगी करते हुए राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनें.
एक पृष्ठ का रिटर्न फार्म : वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार कर के दायरे में ऐसे लोगों को भी लाने का प्रयास कर रही है, जो करों की चोरी कर रहे हैं. अत: कर दायरे को बढ़ाने के लिए व्यावसायिक आय से इतर 5 लाख रुपये तक की कर योग्य आय वाले करदाताओं के लिए आयकर रिटर्न के रूप में भरे जाने हेतु सिर्फ एक पृष्ठ का फॉर्म पेश करने का निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त इस श्रेणी के किसी भी व्यक्ति, जो प्रथम बार आयकर रिटर्न भरता है, को प्रथम वर्ष में तब तक किसी भी जांच का सामना नहीं करना पड़ेगा, जब तक कि उसके उच्च मूल्य वाले लेन-देन के बारे में विभाग के पास विशिष्ट सूचना उपलब्ध न हो.
अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि लाभ की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए लाभार्थियों के इस समूह को उपलब्ध छूट के मौजूदा लाभ को घटाकर 2500 रुपये किया जा रहा है, जो 3.5 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले करदाताओं के लिए ही उपलब्ध है. इन दोनों उपायों का संयुक्त प्रभाव यह होगा कि प्रति वर्ष 3 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों के लिए कर देनदारी शून्य होगी और 3 लाख रुपये से लेकर 3.5 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों के लिए कर देनदारी मात्र 2500 रुपये होगी. चूंकि 5 लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं की कर देनदारी घटाकर आधी की जा रही है. अत: बाद के स्लैबों में आने वाले करदाताओं की सभी अन्य श्रेणियों को भी प्रति व्यक्ति 12,500 रुपये का एक समान लाभ मिलेगा.
प्रवीण सिन्हा
नयी थीम के साथ वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत यह एक बेहद संतुलित एवं विकासोन्मुख बजट है. सरकार अपनी तीन प्राथमिकताओं को इस बजट में रेखांकित किया है. वे हैं ट्रांसफारमेशन, उत्साहवर्धन व स्वच्छता. अपने तमाम प्रयासों के बाद वित्तिय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 1.9 प्रतिशत पर नियंत्रित करना सराहनीय कार्य है. सरकार ने कृषि क्षेत्र में काफी ज्यादा विनिवेश करने का संकल्प लिया है. इस बजट को मैं दस में आठ अंक दूंगा.
अरविंद मोदी
टैक्स कलेक्शन, रिटर्न जमा करनेवालों की संख्या एवं विमुद्रीकरण के दौरान जाम किये गये नकद के आंकड़े चौंकानेवाले हैं. वित्त मंत्री की प्रतिक्रिया कि भारतीय समाज में टैक्स चोरी की प्रवृत्ति हावी है, अतिश्योक्ति नहीं होगी. एफआइपीबी को समाप्त करना एफडीआइ के लिए स्वागतयोग्य कदम है. विपरीत परिस्थितियों में संतुलन बनाने की कोशिश की गयी है. कैसलेस ट्रांजेक्सन के लिए चार्जेज को समाप्त करने की ओर कदम उठाने से और अच्छा हो सकता था. मैं इस बजट को दस में से सात अंक देता हूं.
संजय वाधवा
पांच राज्यों के चुनाव आड़े आये एक साहसिक बजट की उम्मीद पूरी नहीं हुई. वित्त मंत्री ने कर दाताओं का डाटा पेश कर करवंचना करने वालों को धमकी भरा संदेश दे दिया है. छोटी कंपनियों का कर घटना एक अच्छी पहल है. व्यक्तिगत कर देनेवाले को रियायत बढ़ायी जा सकती थी. नगदी के लेन-देन को रोकने की कोशिश कारगर होगी. आनेवाले सालों में बदलाव की संभावना बढ़ी है. मैं ऐसे बजट को 10 में 6.5 अंक दूंगा.
बिनोद कुमार बंका
विमुद्रीकरण के पश्चात आम जनता को अब थोड़ी राहत मिली. न्यूनतम कर सीमा ढाई लाख से बढ़ाकर तीन से साढ़े तीन लाख तक बढ़ाने की उम्मीद थी मगर शुरूआती स्लैब रेट में पांच प्रतिशत की कमी की गयी है. सरकार ने इसे बढ़ाने के लिए बजट में विभिन्न प्रावधान की व्यवस्था की है. कृषि क्षेत्र, आधारभूत संरचना शिक्षा एवं स्वास्थ्य में प्रस्तावित निवेश सराहनीय है. इनका क्रियान्वयन सुचारू रूप से होने से ही अनुमानित लाभ प्राप्त किया जा सकेगा. इसे में दस में आठ अंक देता हूं.
प्रभात पैनल
िवशेषज्ञों से जानिए बजट की बारीकियां
बजट के गणित को आप आसानी से समझ सकें, इसलिए प्रभात खबर ने जाने-माने चार्टर्ड अकाउंटेंट प्रवीण िसन्हा, िबनोद कुमार बंका, संजय वाधवा और अरविंद मोदी (बायें से दायें) की मदद से यह पन्ना तैयार किया है
राजनीतिक पार्टियां किसी एक व्यक्ति से नकद अंशदान 2000 से अधिक नहीं ले सकेंगी.
पांच लाख की कमाई करनेवाले, जिनकी व्यवसाय से कोई आय नहीं है, के लिए एक पेज का आयकर रिटर्न विवरणी का प्रावधान किया गया है.
50 हजार मासिक किराये भुगतान करने पर 5 प्रतिशत टीडीएस की कटौती करनी होगी. यह आवासीय किराये पर भी लागू होगा.
कॉरपोरेट को मिलने वाले मैट क्रेडिट संयोजन की अवधि 10 साल से बढ़ा कर 15 साल की गयी.
आयकर छूट की सीमा में कोई बदलाव नहीं
आयकर अधिनियम की धारा 44 एडी में कैशलेस प्राप्तियों के लिए शुद्ध आय की गणना बिक्री की आठ प्रतिशत से घटा कर छह प्रतिशत की गयी.
स्थायी परिसंपत्तियों के लांग टर्म कैपिटल गेन के लिए समय सीमा तीन साल से घटा कर दो साल की गयी. आधार वर्ष एक अप्रैल 1981 से बढ़ा कर एक अप्रैल 2001 किया गया.
डेवलपमेंट एग्रीमेंट के कर प्रावधानों में विवादों को विराम देते हुए आय के निर्धारण का वर्ष सुनिश्चित किया गया. अब जिस निर्धारण वर्ष में प्रोपर्टी डेवलप होगी एवं कंप्लीशन सर्टिफीकेट मिलेगा, आयकर उसी साल में देय होगा.
एक्सपर्ट व्यू
बजट ग्रामीण व आर्थिक विकास के लिए अहम
सुनील कनोरिया
अध्यक्ष, एसोचैम
वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किया गया बजट आर्थिक विकास को गति देने में सहायक साबित होगा. इस बजट में आम लोगों से लेकर उद्योगों के लिए लिए काफी रियायतों की घोषणा की गयी है. बजट में छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए करों में कमी करने से रोजगार के अवसर बढ़ेगे. पचास करोड़ से कम टर्नओवर वाले उद्यमों के लिए 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स करने से मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा. अधिक से अधिक लोगों को कर दायरे में लाने के लिए सरकार ने कम कमाई वालों को बड़ी छूट दी है और साथ ही आयकर रिटर्न भरने की प्रक्रिया को सरल बनाने की घोषणा की है. इससे खपत बढ़ेगी और आर्थिक गतिविधि तेज होगी. नोटबंदी के कारण कृषि और असंगठित क्षेत्र पर हुए असर को देखते हुए सरकार ने कई अहम घोषणाएं की हैं. विदेशी पूंजी निवेश को आकर्षित करने के लिए नियमों को अासान बनाने की घोषणा काफी अहम है. बजट में पूंजी खर्च पर काफी ध्यान दिया गया है. वित्त मंत्री ने माना कि निजी पूंजी के खर्च में समय लगता है, इसलिए सरकारी खर्च को पिछले साल के मुकाबले 24 फीसदी बढ़ाने की बात कही गयी है.
सरकारी खर्च बढ़ने का विभिन्न स्तरों पर व्यापक असर पड़ेगा. रोजगार के नये अवसर सामने आयेंगे और लोगों की आय बढ़ेगी. नोटबंदी के कारण लोगों के खर्च में काफी कमी आयी थी और इससे बाजार पर प्रतिकूल असर पड़ा. बजट की खास बात है कि सरकार ने खर्च बढ़ाने के साथ ही वित्तीय घाटे को काबू में रखने का लक्ष्य रखा है. बजट में ग्रामीण क्षेत्र के विकास, युवाओं, कौशल विकास और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ाने पर केंद्रित है. नोटबंदी के कारण आर्थिक विकास दर प्रभावित हुई है और अगर विकास दर बढ़ाने के लिए वित्तीय घाटा बढ़ता भी है तो इससे अर्थव्यवस्था को खास नुकसान नहीं होगा, क्योंकि आर्थिक विकास दर बढ़ने के साथ ही सरकार के पास वित्तीय घाटे को कम करने के कई विकल्प मिल जायेंगे. इज ऑफ डुइिंग बिजनेस का बेहतर माहौल बनाने, ब्याज दरों में कमी, मध्यवर्ग को करों में राहत देने से आर्थिक गतिविधियों के बढ़ने की पूरी संभावना है. सरकार नकद लेन-देन के दायरे को कम करने, आर्थिक गतिविधियों में पारदर्शिता लाकर अर्थव्यवस्था को नयी ऊंचाई पर पहुंचा सकती है. बजट में कृषि क्षेत्र को खास तवज्जो दी गयी है.
किसानों के लिए फसल बीमा योजना, सिंचाई की सुविधा बेहतर करने और सस्ते दर्ज पर कर्ज मुहैया कराने के उपायों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में व्यापक बदलाव की संभावना है. लोगों को सस्ते मकान मुहैया कराने के लिए ब्याज दरों में कमी से रियल इस्टेट सेक्टर की मंदी दूर होगी. कुल मिलाकर बजट को संतुलित और ईमानदार लोगों के लिए फायदेमंद माना जा सकता है. सरकार ने बजट के जरिये आर्थिक विकास के साथ सामाजिक विकास, वित्तीय घाटे को कम करने, महंगाई नियंत्रित करने और राष्ट्र निर्माण के बीच संतुलन बनाने का काम किया है. सरकार ने काले धन पर रोक लगाने के लिए कई अहम कदमों की घोषणा की है. इसमें राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिग और तीन लाख से अधिक का लेन-देन नकदी में नहीं करने की पाबंदी काफी मायने रखती है. नोटबंदी के प्रतिकूल असर को कम करने में यह बजट काफी कारगर साबित होगा. ग्रामीण विकास के लिए इसमें काफी अहम घोषणाएं की गयी हैं, लेकिन इसका बेहतर क्रियान्वयन ही सार्थक नतीजे दे पायेगा.
सेवा कर व केंद्रीय उत्पाद शुल्क
सेना के तीनों अंगों को दी गयी सेवा करमुक्त
केंद्रीय वित्त मंत्री ने इस वर्ष बजट में सेवा कर व केंद्रीय उत्पाद शुल्क की दरों में कोई विशेष परिवर्तन नहीं किया है. इस बजट के मुख्य बिंदु –
सिगरेट, पान मसाला एवं गुटके पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में बढ़ोत्तरी की गयी.
एलइडी लाइट तथा फिटिंग्स सस्ते होंगे
सौर ऊर्जा में काम आनेवाले टेंपर्ड ग्लास महंगे होंगे, लेकिन फोटो वोल्टाइक सेल के कल-पुर्जे सस्ते होंगे
फ्यूल सेल तकनीक पर आधारित पावर प्लांट के मशीन, उपस्कर केंद्रीय उत्पाद शुल्क से मुक्त
पॉस मशीन, फिंगर प्रिंट रीडर और उनके पुर्जे सस्ते होंगे
सेना के तीनों अंगों को दिये गये सेवा को सेवा कर से मुक्त किया गया
HIV की दवा और जीवनरक्षक दवाएं, नमक, LCD और LED टीवी, सिल्वर फॉइल, हीरे और दूसरे महंगे रत्नों से जड़ित आभूषण व CNG सस्ती हुई है.
जीएसटी
सरकार ने अपनी ओर से जीएसटी परिषद के गठन सहित संविधान संशोधन अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को तुरंत प्रभाव से लागू किया है, जीएसटी परिषद ने जीएसटी कर ढांचे की व्यापक रूपरेखा, समझौता योजना के लिए न्यूनतम छूट और मानदंड, जीएसटी लागू करने के कारण राज्यों को दी जानेवाली प्रतिपूर्ति का विवरण, नमूना जीएसटी कानून के मसौदे का परीक्षण, एकीकृत जीएसटी कानून और प्रतिपूर्ति कानून तथा जीएसटी के प्रशासनिक तंत्र सहित जीएसटी से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए नौ बैठकों का आयोजन किया. उन्होंने बताया कि जीएसटी के लिए आइटी प्रणाली की तैयारी भी की जा रही है
इसके लिए जरूरी आधारभूत संरचना तैयार करने का काम समयानुसार चल रहा है
सभी राज्यों के साथ जीएसटी के सभी विवादित मुद्दों पर सहमति बनी.
जीएसटी, आइजीएसटी, एसजीएसटी का मॉडल ड्राफ्ट तैयार है तथा उनके अधिनियमों को जल्द ही तैयार कर लिया जायेगा.
बजट गाइड
समझें, क्या हैं बड़े बदलाव
ढाई से पांच लाख आय पर आयकर 10 प्रतिशत से घटा कर 5 प्रतिशत किया गया
आयकर अधिनियम की धारा 80जी के अंतर्गत नकद दान की सीमा 2000 निर्धारित की गयी.
विलंब से दाखिल की गयी आयकर विवरणी पर 5000 से 10000 के जुर्माने का प्रावधान.
50 लाख से एक करोड़ की आय वालों के लिए 10 प्रतिशत का अतिरिक्त अिधभार
नकद भुगतान की सीमा 20 हजार से घटा कर 10 हजार की गयी
50 लाख से 1 करोड़ की कमाई करने वाली कंपनियों पर पहली बार 7% का अतिरिक्त अधिभार
नकद लेन-देन को रोकने के लिए तीन लाख से अधिक भुगतान पर शत प्रतिशत पेनल्टी का प्रावधान.
मेरा टैक्स बेनििफट
विवरण िवत्तीय वर्ष 16-17 वर्ष 17-18
वेतन से कुल आय 500000 500000
कटौती : अध्याय छह
(ए) के तहत
80 सी के तहत कटौती 150000 150000
कुल कर योग्य आय 350000 350000
देय आयकर 10000 5000
87 ए के तहत छूट 5000 2500
एजूकेशन सेस (3%) 150 75
कुल देय अाय कर 5150 2575
इस वर्ष किये गये बदलाव के बाद
होने वाला कर लाभ 2575
वरिष्ठ नागरिक : 60 से 80 वर्ष को िमलनेवाले कर लाभ की गणना
विवरण वर्ष 16-17 वर्ष 17-18
कुल आय 650000 650000
कटौती : अध्याय छह
(ए) के तहत
80 सी के तहत कटौती 150000 150000
कुल कर योग्य आय 500000 500000
देय आयकर 20000 10000
87 ए के तहत छूट 5000 0
शेष देय आयकर 15000 10000
एजूकेशन सेस (3%) 450 300
कुल कर देयता 15450 10300
इस वर्ष किये गये बदलाव के बाद होने वाला कर लाभ 5150
फॉर्मूला लगाइए और जानिए
कितना टैक्स भरना है आपको
कमेंट
इस बजट में इंफ्रा पर खर्चे बढ़ाने, रेल और सड़क का विस्तार करने, स्किल और इनोवेशन को बढ़ावा देने, इकोनॉमी, सिस्टम और प्रॉसेस को डिजिटाइज करने की बात की गई है जो आगे चलकर देश को बहुत फायदा देगी.
सुनील कांत मुंजाल
कैपिटल मार्केट के नजरिए से देखें तो बजट 2017 काफी शानदार है. इसकी एक वजह तो ये हैं कि इस बजट में कोई निगेटिव न्यूज नहीं है दूसरे बजट में करों में कोई अतिरिक्त बढ़त नहीं की गयी है. ग्रोथ को भी बल मिलेगा.
मोतीलाल ओसवाल
इस बजट में निजी निवेश, कंजम्पशन और रोजगार तीनों मोर्चों पर फोकस किया गया है. इंफ्रा में निवेश बढ़ाया गया है, आम आदमी को टैक्स राहत देकर कंजम्पशन को बढ़ाने की कोशिश की गई है रोजगार बढ़ानें पर फोकस किया गया है.
शिखा शर्मा
इस बार बजट में लॉन्ग टर्म कैपटल गेन टैक्स, एक्साइज ड्यूटी बढ़ाए जाने का डर था लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो इन सबका कंपनियों पर सकारात्मक असर देखने को मिलेगा. अब बजट के बाद फरवरी से कंपनी की उत्पादन मांग में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
पवन गोयनका
टैक्स – रिटर्न्स
घर-परिवार
3.5 करोड़ युवाओं को दी जायेगी ट्रेनिंग
देश भर के 600 से अधिक जिलों में खुलेंगे प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को केंद्रीय आम बजट (2017-18) पेश किया. इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, युवा, महिलाएं औ बुजुर्गों पर विशेष ध्यान दिया गया है. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत 600 से अधिक जिलों में केंद्र खुलेंगे, ताकि 3.5 करोड़ युवाओं को बाजार आधारित ट्रेनिंग दिया जा सके. वहीं, महिलाओं को सशक्त करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को 500 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं.
नयी दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट (2017-18) में शिक्षा, कौशल और रोजगार के जरिये युवाओं में ऊर्जा भरने पर विशेष ध्यान दिया है. युवाओं को रोजगार लायक बनाने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 4,000 करोड़ रुपये का ‘संकल्प’ कार्यक्रम पेश किया गया, जिसके तहत देशभर में 3.5 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जायेगा. वहीं, सरकार ने प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों की संख्या मौजूदा 60 जिले से बढ़ा कर देशभर में 600 से अधिक जिलों तक पहुंचाने का प्रस्ताव किया है. इसके अलावा देशभर में 100 भारत अंतरराष्ट्रीय कौशल केंद्र स्थापित किये जायेंगे, जहां उन्नत प्रशिक्षण और विदेशी भाषाओं में पाठ्यक्रमों की भी पेशकश की जायेगी.
वर्ष 2017-18 में 2,200 करोड़ की लागत से स्ट्राइव योजना का अगला चरण शुरू किया जायेगा, जिसमें आइटीआइ में व्यवसायिक प्रशिक्षण की गुणवत्ता सुधारी जायेगी और उद्योग संकुल दृष्टिकोण से प्रशिक्षु कार्यक्रम को मजबूत किया जायेगा. जेटली ने कहा कि व्यापक पहुंच, लैंगिक समानता और गुणवत्ता में सुधार और स्थानीय नवोन्मेष को प्रोत्साहित करने के लिए माध्यमिक शिक्षा के लिए नवोन्मेष निधि सृजित की जायेगी. इस पूरी प्रक्रिया में सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आइसीटी) समर्थित ज्ञान रूपांतरण शामिल होगा.
यूजीसी में सुधार होंगे
जेटली ने कहा कि उच्च शिक्षा के अंतर्गत सरकार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) में सुधारों को लागू करेगी. उच्च गुणवत्तावाले संस्थानों को और ज्यादा प्रशासनिक एवं शैक्षणिक स्वायत्तता दी जायेगी. प्रत्यायन और रैंकिंग के आधार पर कॉलेजों की पहचान की जायेगी और उन्हें स्वायत्तता प्राप्त संस्थान का दर्जा दिया जायेगा. साथ ही परिणाम आधारित प्रत्यायन और क्रेडिट आधारित कार्यक्रमों के लिए एक संशोधित रूपरेखा तैयार किये जायेंगे. साथ ही ऑनलाइन शिक्षा के पाठ्यक्रमों के लिए ‘स्वयं’ शुरू करने की घोषणा की गयी. इसके तहत 350 ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के साथ ‘स्वयं’ प्लेटफॉर्म लांच किया जायेगा.
राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी
जेटली ने आम बजट में इंजीनियरिंग और मेडिकल आदि कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा को लेकर बड़ा एलान किया. अब सीबीएसइ और एआइसीटीइ जैसे संस्थान इंजीनियरिंग और मेडिकल के लिए प्रवेश परीक्षा नहीं लेंगे. इसके लिए अलग से राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी बनायी जायेगी. इससे सीबीएसइ, एआइसीटीइ और अन्य प्रमुख संस्थानों को इन प्रशासनिक उत्तरदायित्वों से मुक्त कर दिया जायेगा.
मेडिकल : हर वर्ष पीजी में बढ़ेंगी 5,000 सीटें
देश में बेहतर स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए इस बार आम बजट में पहल की गयी है. इसके लिए झारखंड और गुजरात में दो नये एम्स स्थापित किये जायेंगे. साथ ही दवाओं की उचित मूल्यों पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए औषधि और सौंदर्य प्रसाधन नियमावली में संशोधन किया जायेंगे. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1.5 लाख स्वास्थ्य उप-केंद्रों को स्वास्थ्य और सेहत केंद्रों में परिवर्तित करने का भी प्रस्ताव किया. बजट में विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता पर बल दिया गया है. इसके लिए प्रति वर्ष 5,000 अतिरिक्त पीजी सीटें सृजित करने का प्रास्तव है. वहीं, बड़े जिला अस्पतालों में डीएनबी कोर्स शुरू करने, चुनिंदा इएसआइ और नगर निगमों के अस्पतालों में पीजी कोर्स तथा मुख्य निजी अस्पतालों को डीएनबी कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव है.
महिला
500 करोड़ रुपये से 14 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों में सशक्त होंगी महिलाएं
1,84,632 करोड़ रुपये महिलाओं के कौशल विकास के लिए आवंटित
महिलाओं को सस्ता लोन देने के लिए नेशनल हाउसिंग बैंक को 20,000 करोड़ मिलेंगे
गर्भवती महिलाओं के खाते में 6000 रुपये सीधे ट्रांसफर किये जायेंगे
सेनीटेशन के लिए आवंटित बजट को 42 फीसदी से बढ़ा कर 60 फीसदी किया गया
ग्रामीण महिलाओं के लिए कौशल विकास, रोजगार, डिजिटल साक्षरता, स्वास्थ्य और पोषण के लिए वन स्टॉप सामूहिक की मदद
वरिष्ठ नागरिक
आधार कार्ड आधारित स्मार्ट स्वास्थ्य कार्ड
नयी एलआइसी योजना के तहत आठ प्रतिशत गारंटीशुदा रिटर्न का प्रावधान
पहल : अब डाकघरों में बनवा सकेंगे पासपोर्ट
दूर-दराज के लोगों को अब पासपोर्ट बनवाने के लिए ज्यादा चक्कर नहीं काटने होंगे. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट में डाकघरों में ही पासपोर्ट सुविधा मुहैया करवाने का एलान किया है. ये सुविधाएं देश के सभी जिलों के डाकघरों में उपलब्ध रहेगी. अब पोस्ट ऑफिस में ही पासपोर्ट के आवेदनों को प्रोसेस करके डिलिवरी की जायेगी. इसके लिए विदेश मंत्रालय पासपोर्ट एक्ट के तहत मिले अधिकार डाक विभाग के साथ साझा करेगा. पिछले महीने कर्नाटक के मैसूर और गुजरात के दाहोद में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ये सुविधा शुरू की गयी थी. सरकार की योजना अगले कुछ महीनों में ये सुविधा देश भर में मुहैया करवाने की है. पहले चरण में 38 जिलों के लोग मुख्य डाकघरों में पासपोर्ट बनवा सकेंगे. इसके लिए डाक विभाग के कर्मचारियों को खास ट्रेनिंग दी जायेगी.
विदेश मंत्रालय : अफगानिस्तान की परियोजनाओं में कटौती
आम बजट में विदेश मंत्रालय को 14,798 करोड़ रुपये दिया गया है, जो पिछले साल की तुलना में महज 135 करोड़ रुपये का इजाफा है. 2016-17 में 13,426 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था. वहीं, अफगानिस्तान में परियोजनाओं के लिए भारी कटौती करते हुए बजटीय आवंटन 520 करोड़ रुपये से घटा कर 350 करोड़ रुपये कर दिया गया. चाबहार बंदरगाह के लिए 150 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है. हालांकि, नेपाल के लिए बजट में 375 करोड़, भूटान को 3,714 करोड़ रुपये, अफ्रीकी देशों 330 करोड़, बांग्लादेश को 125 करोड़ और श्रीलंका को 125 करोड़ रुपये दिये गये हैं. इसके अलावा, तीर्थयात्रियों के लिए 3.50 करेाड़ रुपये आवंटित है.
पहल
एक करोड़ बेघरों को 2019 तक घर
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत मार्च, 2019 तक एक करोड़ घर बनाये जायेंगे. भवनहीन और एक या दो कमरे के कच्चे मकान में रहनेवाले गरीब परिवारों को इस कार्यक्रम में शामिल किया जायेगा. केंद्रीय बजट में इस योजना के अंतर्गत सभी ग्रामीण परिवारों को वर्ष 2022 तक सुरक्षित घर उपलब्ध कराने का प्रावधान है. वहीं, रीयल एस्टेट क्षेत्र में सुस्ती को खत्म करने के लिए सरकार ने बजट में सस्ते मकान क्षेत्र को बुनियादी ढांचा का दर्जा देने की घोषणा की है. साथ ही ऐसे डेवलपर्स जिनके पास बिना बिके मकान हैं, के लिए भी कर रियायतों की घोषणा की गयी है.
कारपेट एरिया से तय होगी सस्ते घर की परिभाषा
जेटली ने कहा कि सस्ते आवास अब आधारभूत संरचना का हिस्सा होंगे. इससे सस्ते आवास से जुड़ी परियोजनाओं को लाभ मिलेंगे. इसके लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किये गये हैं.
सबसे पहले 30 और 60 वर्ग मीटर के निर्मित क्षेत्र के बजाय इसमें 30 और 60 वर्ग मीटर के कारपेट क्षेत्र को शामिल किया जायेगा. चार महानगरों की निगम सीमा में यह 30 वर्ग मीटर की सीमा लागू होगी. शेष भारत में 60 वर्ग मीटर की सीमा लागू होगी. इस योजना के तहत कार्य शुरू करने के बाद भवन निर्माण को पूरा करने की अवधि को तीन साल से बढ़ाकर पांच साल किया गया है.
बिल्डरों को भी छूट
सरकार ने ऐसे बिल्डरों के लिए भी कर रियायतों की घोषणा की है, जिनके पास बड़ी संख्या में फ्लैट पड़े हैं, जो बिक नहीं पाये हैं और जिन पर पूर्णता प्रमाणपत्र मिल चुका है, उन पर एक अनुमानित किराया आमदनी के हिसाब से कर लगता है. अब जिस साल पूर्णता प्रमाणपत्र मिला है, उसके एक साल बाद ही इस पर कर लगेगा. इधर, भूमि एवं भवन के मामले में पूंजीगत लाभ कराधान प्रावधानों में भी कई बदलाव किये गये हैं.
एक्सपर्ट व्यू
बजट से यूनिवर्सल बेसिक इनकम रहा नदारद
शैबाल गुप्ता
सदस्य सचिव, आद्री
केंद्र सरकार के आर्थिक सर्वे के बाद यह उम्मीद थी कि बजट उन्हीं प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ायेगा. आर्थिक सर्वे में यूनिवर्सल बेसिक इनकम की बात कही गयी थी. वह बजट से नदारद है. यह बड़ा कदम हो सकता था. पर बजट में इसके बारे में कोई जिक्र ही नहीं किया गया. बिहार को लेकर भी गहरी चुप्पी रही. स्पेशल पैकेज या स्पेशल स्टेटस के बारे में कुछ नहीं कहा गया. ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार के मानसिक क्षितिज से बिहार पूरी तरह गायब है.
अलग-अलग क्षेत्रों में मांग बढ़ाने के उपायों के बारे में कुछ भी उल्लेख नहीं है. कृषि को लेकर ऐसा नजरिया सामने नहीं आया, जिससे भविष्य की उम्मीद जगती. हालांकि, सरकार ने कृषि सेक्टर में ग्रोथ का अनुमान किया है, पर इस अनुमान का आधार क्या होगा, यह समझ से परे है. विमुद्रीकरण के बाद वैसे ही इस सेक्टर पर असर पड़ा है. निजी या सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश बढ़ाने को लेकर कोई खाका नहीं दिख रहा है. ऐसे में ग्रोथ के लिए जिस शृंखला की जरूरत होती है, वह नहीं दिख रही है.
केंद्रीय बजट में रोजगार सृजन की संभावनाएं नहीं दिख रही है. विमुद्रीकरण से ग्रोथ पहले से ही एक फीसदी नीचे चला गया है. इससे एक लाख करोड़ का नुकसान है. इसका असर टैक्स पर भी पड़ेगा. सरकार ने जरूर रियल इस्टेट पर भरोसा जताया है. इससे कुछ निवेश बढ़ सकता है और रोजगार के मौके भी पैदा हो सकते हैं. पर इससे बुनियादी या अधिसंरचनात्मक ग्रोथ का पैमाना नहीं माना जा सकता. असल सवाल है कि सार्वजिनक या निजी क्षेत्र में निवेश कहां से आयेगा और इसके लिए क्या इंतजाम किये जा रहे हैं. सरप्लस प्रोडक्शन और डिमांड बढ़ाने के रास्तों का इस बजट में अभाव झलक रहा है.
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा है कि विमुद्रीकरण का असर पड़ा है पर दीर्घकाल में इससे हमें फायदा होगा. लेकिन, अहम बात यह है कि एक बार आपकी गाड़ी बेपटरी हो जाती है, तो उसे पटरी पर लाने के बाद ठीक-ठीक वैसे ही परिणाम का आप अनुमान नहीं लगा सकते. विमुद्रीकरण के बाद छोटे व मध्यम दर्जे की इंडस्ट्रीज पर असर पड़ा है. कृषि पर प्रतिकूल असर है. ऐसे में आप बेहतर भविष्य की बात किस आधार पर कह सकते हैं?
हम समझते हैं कि कॉरपोरेट और निजी टैक्स में छूट से बाजार में तेजी आयी. मगर यह बुलबुले की तरह है. समग्रता में इसे आमलोगों को ठगने वाला बजट कह सकते हैं.
बोले जेटली
स्वामी विवेकानंद के शब्दों में, जो शिक्षा आम लोगों को जीवन की खातिर संघर्ष करने के लिए सुसज्जित करने में सहायक नहीं होती…तो क्या ऐसी शिक्षा सार्थक है?
झलकियां
लोकसभा के वर्तमान सदस्य ई अहमद के निधन के कारण बजट गुरुवार को पेश करने की कुछ विपक्षी दलों की मांग के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को 2017-18 का बजट प्रस्ताव पढ़ा.
वामदलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया. हालांकि, इनमें से कुछ सदस्य थोड़ी देर बाद सदन में वापस आ गये.
अपने दो सांसदों की गिरफ्तार से नाराज तृणमूल कांग्रेस के सदस्य बजट पेश किये जाने के दौरान सदन में मौजूद नहीं थे.
सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहनेवालों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सपा नेता मुलायम सिंह यादव, केंद्रीय मंत्री मनोहर पर्रीकर, हरसिमरत कौर बादल और मेनका गांधी शामिल हैं.
अरुण जेटली ने अपना बजट प्रस्ताव करीब दो घंटे में पढ़ा, जिसमें हिंदी की उक्तियां, शेर शामिल थे. कुछ देर खड़े होकर बजट प्रस्ताव पढ़ने के बाद जेटली ने बाद में बैठ कर
बजट पढ़ा.
िवत्त मंत्री अरुण जेटली ने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा कि आज बसंत पंचमी का पवित्र दिन है और बसंत उम्मीदों का मौसम होता है.
किसे कितना धन
राष्ट्रपति कार्यालय को बजट में 66 करोड़ रुपये दिये गये हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 17 फीसदी से भी अधिक हैं. पिछले वर्ष 56 करोड़ रुपये दिये गये थे.
37,435 करोड़ रुपये विज्ञान से जुड़े मंत्रालयों को आवंटित किया गया है. इसमें अंतरिक्ष विभाग को आवंटित 9,093 करोड़ में से 4,155 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लिए दिया गया है.
गृह मंत्रालय के लिए 78,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं, जिनमें से 1577 करोड़ रुपये आइबी के व्यय के लिए हैं. बजट में सात अर्धसैनिक बलों के लिए 54,985.11 करोड़ मिले हैं.
उम्मीदें… जो पूरी न हो सकीं
सभी को महंगाई से निजात पाने की उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने बजट में इसके लिए कुछ प्रावधान नहीं किया है. उलटे कुछ चीजों पर टैक्स बढ़ा कर जेब से पैसा निकालने का मन बना लिया है.
नये शिक्षण संस्थान और ट्रेनिंग सेंटर की घोषणा होने उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने गुजरात और झारखंड में एम्स देकर खानापूर्ति कर ली है.
बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के लिए कुछ विशेष पैकेज की उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने इस दिशा में ध्यान नहीं दिया है. इससे लोगों को निराशा हुई है.
महिलाओं को अपनी सुरक्षा को लेकर सरकार से उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने इसके लिए कुछ खास घोषणा नहीं की है.
कमेंट
मोदी सरकार ने चंदा लेने की कैश लिमिट को दो हजार कर दिया है जो गलत है. अभी तो उनकी पार्टी को कैश मिलने लगा था, यह बजट पूरी तरह से उनके विरोध में बनाया गया. वह इस बजट के विरोध में एक घंटे का फास्ट रखेंगे.
अरविंद केजरीवाल, सीएम, दिल्ली
केंद्रीय बजट में पिछड़ों, गरीबों, मजदूरों, किसानों और कर्मचारियों के लिए कुछ भी नहीं है. उन्हें सिर्फ सपने दिखाये गये हैं और जनहित की योजनाओं को नजरअंदाज किया गया है. बजट में खोखले वादे किये गये हैं. देश की जनता की परेशानी बढ़ेगी.
मायावती , बसपा प्रमुख
बजट में किसान और कृषि सेक्टर के लिए किये गये प्रावधान के लिए प्रधानमंत्री एवं केंद्रीय वित्त मंत्री को देश के किसानों की ओर से आभार. मोदी सरकार देश के गांव, गरीब व किसान के लिए समर्पित है. इसका प्रकटीकरण हुआ है.
राधा मोहन सिंह, कृषि मंत्री
बजट तो सामान्य है, कोई नयी सोच नहीं है. हमें इस बात की खुशी है कि यूपीए सरकार की कृषि के लिए जो योजनाएं थी उन्हें आगे बढ़ाया है. ऐसा कोई पहल नहीं हुआ जिससे महत्वपूर्ण फसलों की पैदावार बढ़ाया जा सके.
पी.चिंदबरम, पूर्व वित्तमंत्री
बजट नॉलेज
सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने का रेकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम है. सात बार बजट पेश करने वालों में प्रणब मुखर्जी, पी चिदंबरम, यशवंत सिन्हा, वाइबी चौहान, सीडी देशमुख हैं. मोरारजी को दस बार बजट पेश करने का मौका मिला है. मनमोहन सिंह और टीटी कृष्णामाचारी ने छह बार बजट पेश किये हैं.
गांव-किसान
10 लाख करोड़ कृषि ऋण का लक्ष्य
मनरेगा को अब तक का सबसे अधिक आबंटन, कृषि मंत्रालय का बजट छह फीसदी बढ़ा
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एनडीए सरकार के चौथे बजट का फोकस किसानों और गांवों पर रखा है. बजट में जहां एक ओर किसानों के लिए खेती को फायदेमंद बनाने की कोशिश की गयी है, तो दूसरी तरफ गांव के इनफ्रास्ट्रक्चर सुधारने की भी पहल की गयी है. ग्रामीण इलाकों में आवागमन सुधारने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क का आवंटन भी बढ़ाया गया है. आधी आबादी को सशक्त बनाने के लिए भी पहल की गयी है.
सिंचाई, डेयरी के लिए धन बढ़ाया गया
नयी दिल्ली : वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य के साथ सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य 11 % बढ़ा कर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया है. इसके साथ ही लघु सिंचाई और डेयरी प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करने के लिए बजट में 13,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ दो विशेष कोष बनाने की घोषणा की गयी है. बुधवार को पेश 2017-18 के बजट में सरकार ने कृषि मंत्रालय के बजट आबंटन को भी छह प्रतिशत बढ़ा कर इस बार के 48,072 करोड़ रुपये (संशोधित अनुमान) की जगह वर्ष 2017- 18 के लिए 51,026 करोड़ रुपये कर दिया है. अगले वित्त वर्ष के लिए कृषि एवं सहायक क्षेत्रों के लिए कुल आबंटन 58,663 करोड़ रुपये है जो पहले 52,821 करोड़ रुपये था.
संसद में वर्ष 2017-18 के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने नयी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाइ) के तहत अगले वित्त वर्ष में 40 % कृषि रकबे को दायरे में लेने का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस योजना के लिए 9,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा,’ वर्ष 2017-18 में कृषि ऋण के लिए लक्ष्य को 10 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है जो एक नया रिकार्ड है.’ जेटली ने कहा कि सरकार पूर्वी राज्यों के साथ – साथ जम्मू कश्मीर में कृषि के लिए ऋण के पर्याप्त प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास करेगी.
जेटली ने कहा कि बेहतर मॉनसून के कारण कृषि क्षेत्र की वृद्धि चालू वित्त वर्ष में 4.1 % रहने की उम्मीद है. प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ किसानों को बचाने के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार द्वारा शुरू की गयी फसल बीमा योजना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इसके तहत बीमित रकबे को 30% प्रतिशत से बढ़ा कर 2017-18 में 40% और वर्ष 2018-19 में 50 % किया जायेगा.’
जेटली ने कहा कि मनरेगा के अंतर्गत, लक्षित पांच लाख तालाबों के विपरीत मार्च, 2017 तक करीब 10 लाख तालाबों का निर्माण पूरा किये जाने की उम्मीद है. इससे सूखा से प्रभावित ग्राम पंचायतों को जल की कमी से निजात मिल जायेगी. वर्ष 2016-17 में मनरेगा के अंतर्गत 38,500 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान को वर्ष 2017-18 में बढ़ा कर 48,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. वित्त मंत्री ने संसद को बताया कि मनरेगा के लिए आवंटित बजट में अब तक की यह सबसे बड़ी राशि है.
चीनी : पीडीएस पर नहीं मिलेगी सब्सिडी
केंद्र सरकार अगले वित्त वर्ष से राशन की दुकानों के जरिये बिक्री किये जाने वाले चीनी के लिए राज्यों को 18.50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से दी जाने वाली सब्सिडी नहीं प्रदान करेगी. सरकार ने पहले के दावों के निपटान के लिए बजट में केवल 200 करोड़ रुपये का आवंटन किया है. बजट में सरकार ने पीडीएस चीनी सब्सिडी योजना के तहत बकाया दावों के भुगतान के लिए 200 करोड़ रुपये का आवंटन किया है जबकि चालू वित्तवर्ष के लिए बजट आवंटन 4,500 करोड़ रुपये है.
मनरेगा
मनरेगा के लिए 48,000 करोड़ रुपये का प्रावधान. अब तक का सबसे अधिक आवंटन
2016-17 में आबंटन से ज्यादा खर्च. 38,500 करोड़ मिले. खर्च 46 हजार करोड़
इस साल दस लाख तालाब बनाने का लक्ष्य.
काम की सेटेलाइट से होगी निगरानी.
डेयरी
डेयरी उद्योग के लिए नाबार्ड के जरिये आठ हजार करोड़ रुपये का इंतजाम.
दुग्ध पैदावार बढ़ाने के लिए 2000 करोड़ का शुरुआती फंड.
किसान को मिलने वाले कर्ज पर ब्याज में कटौती.
किसानों को लोन के लिए दस लाख करोड़ रुपये.
खेती
फसल अच्छी रहने से कृषि विकास दर 4.1% रहने की उम्मीद
कांट्रैक्ट खेती के लिए आयेगा नया कानून
माइक्रो सिंचाई के लिए 5000 करोड़ का फंड
किसानों के लोन के लिए दस लाख करोड़ का लक्ष्य, कर्ज में व्याज पर कटौती.
हाइटेक गांव
डेढ़ लाख गांवों में ब्रॉडबैंड सेवा पहुंचायी जायेगी.
महिला शक्ति केंद्र स्थापना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान.
गामीण इलाकों में अब 60 फीसदी सैनिटेशन प्रबंध.
मार्च 2018 तक सभी गावों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.
आय बढ़ाने के उपाये
2019 तक एक करोड़ परिवारों को गरीबी से बाहर लाने का लक्ष्य, 50 लाख पंचायतों को गरीबी हटाने की घोषणा.
फसल बीमा के लिए नौ हजार करोड़
पांच साल में किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य
हर परिवार की आजिविका के लिए होगा काम
ग्राम सड़क
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में रिकार्ड तेजी से बन रही सड़क.
वर्ष 2019 तक लक्ष्य पूरा करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध
वर्ष 2017-18 में इस योजना में 19,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी सरकार.
गांव में शौचालय निर्माण पर दिया जायेगा जोर.
लघु सिंचाई के लिए बनेगा कोष
कृषि क्षेत्र में बेहतर पानी के इस्तेमाल पर जोर देते हुए जेटली ने सूचित किया कि नाबार्ड में पहले ही दीर्घावधिक सिंचाई कोष को स्थापित किया गया है जिसके कोष को हाल में बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये किया गया है. उन्होंने कहा कि अब इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नाबार्ड में एक समर्पित लघु सिंचाई कोष को स्थापित किया गया है, ‘प्रति बूंद अधिक फसल’. इस कोष में आरंभ में 5,000 करोड़ रुपये का कोष होगा.
किसानों के लिए डेयरी क्षेत्र को अतिरिक्त आय का महत्वपूर्ण स्रोत बताते हुए जेटली ने नाबार्ड में अलग से ‘डेयरी प्रसंस्करण एवं आधारभूत ढांचा विकास कोष’ का निर्माण करने की घोषणा की जिसका तीन वर्षो में कुल कोष 8,000 करोड़ रुपये का होगा और आरंभिक कोष का आकार 2,000 करोड़ रुपये का होगा.
कृषि बाजार सुधार के बारे में मंत्री ने कहा कि राज्यों से शीघ्र नष्ट होने वाले कृषि उत्पादों को कृषि मंडी कानून की सूची से बाहर करने की अपील की जायेगी ताकि किसानों को ऐसा उत्पाद बेचने के अधिक विकल्प उपलब्ध हो और वे बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकें. वित्तमंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रानिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (इ नाम) के दायरे को मौजूदा 250 बाजार से बढ़ाकर 585 मंडियों तक किया जायेगा. उन्होंने कहा कि हरेक इ-नाम बाजार को साफ सफाई, ग्रेडिंग करने और पैकेजिंग सुविधाओं की स्थापना के लिए 75 लाख रुपये तक की सीमा तक सहायता प्रदान की जायेगी. इससे किसानों के उत्पादों का मूल्यवर्धन होगा.
उन्होंने कहा कि चूंकि 40 % छोटे और सीमांत किसान ऋण के लिए सहकारी संस्थाओं पर निर्भर करते हैं इसलिए प्राथमिक ऋण समितियां (पैक्स) इस क्षेत्र के लिए ऋण सहायता उपलब्ध कराने के अग्रिम मोरचे की भूमिका निभाती हैं. जेटली ने कहा कि नाबार्ड को 63,000 क्रियाशील पैक्स को जिला सहकारी बैंकों के कंप्यूटर आधारित कोर बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने के लिए मदद दी जायेगी. यह काम तीन साल में पूरा किया जायेगा और इसमें 1,900 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा. इसमें राज्य सरकारें भी मदद करेंगी. मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने के काम में गति लाने के लिए जेटली ने सभी 648 केवीके कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में नयी छोटी प्रयोगशालाओं को स्थापित करने की घोषणा की.
मिशन अंत्योदय : 50 हजार ग्राम पंचायतों के लिए
अरुण जेटली ने बताया कि सरकार, किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के जीवन और पर्यावरण में सुधार लाने के लिए उनसे घनिष्ठ सहयोग के साथ कार्य करती रहेगी. 2017-18 में ग्रामीण, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए कुल आवंटन 1,87,223 करोड़ रुपये किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक है. उन्होंने कहा कि सरकार महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर एक करोड़ परिवारों और 50 हजार ग्राम पंचायतों को 2019 तक गरीबी से बाहर लाने के लिए मिशन अंत्योदय शुरू करेगी. सरकार ने किसानों की आमदनी दोगुनी करने के संकल्प के समर्थन में मनरेगा को अभिमुख बनाने के लिए गंभीर प्रयास किये हैं.
पहल : गांवों को मिलेगा हाइ स्पीड ब्रॉडबैंड
सरकार ने ग्राम पंचायतों को हाइस्पीड ब्रॉडबैंड से जोड़ने की महत्वाकांक्षी भारतनेट परियोजना के लिए 2017-18 में 10000 करोड़ रुपये का बढ़े हुए बजट का प्रावधान किया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में आम बजट पेश करते हुए यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 1.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर के जरिये हाइस्पीड ब्राडबैंड, किफायती दरों पर उपलब्ध कराया जायेगा. मंत्री ने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी के जरिये टेलीमेडिसिन, शिक्षा व कौशल उपलब्ध कराने के लिए ‘डिजि गांव’ पहल की जायेगी. उन्होंने कहा कि 2017-18 में भारत नेट के लिए आवंटन बढ़ा कर 10,000 करोड़ रुपये किया गया है.
एक्सपर्ट व्यू
किसानों की तकलीफ तो शायद ही दूर हो
डॉ डीएम दिवाकर
अर्थशास्त्री
वित्तमंत्री ने मंदी और नोटबंदी से लुढ़के देश की अर्थव्यवस्था की चुनौतियों के बीच वर्ष 2017–18 के लिए लोक सभा में बजट प्रस्तुत किया है. आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि विकास दर 4.1 फीसदी दर्शाया गया है. बजट भाषण में खेती के लिए कई प्रावधान किये गये हैं. केंद्रीय योजना परिव्यय में खेती के लिए 2016–16 में 10942 करोड़ था जिसे बढ़ा कर 19394 करोड़ कर दिया गया है. खेती, सहकारिता एवं किसान कल्याण में 6259 से बढ़ कर 13951 करोड़ का प्रस्ताव स्वागत योग्य कदम है, किंतु सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण पर खर्च 2016–17 के 1105 करोड़ से घटा कर 1024 करोड़ कर दिया गया है. यह बिहार जैसे बाढ़ प्रवण क्षेत्र के लिए निराशाजनक है.
ग्रामीण विकास में भी केंद्रीय योजना परिव्यय में 3027 करोड़ से घट कर 2751 हो गयी है. पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्यपालन के केंद्रीय योजना परिव्यय में 1142 से घटा कर 1058 करोड़ का प्रस्ताव है, यह चिंताजनक है. राज्य एवं संघ क्षेत्र में कृषि मंत्रालय में 9583 करोड़ से बढ़ा कर 13274 करोड़ करने का प्रस्ताव है. हरितक्रांति के लिए खेती उन्नति के लिए 7579.79 करोड़ एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए 5400 करोड़, प्रधानमंत्री खेती सिंचाई योजना के तहत हर खेत के लिए पानी को 500 करोड़, त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के लिए 1377 करोड़, प्रति बूंद अधिक फसल के लिए 2340 करोड़, और एकीकृत जलसंरक्षण प्रबंधन के लिए 1500 करोड़ अर्थात कुल 5717 करोड़ का प्रावधान किया गया है. इस प्रकार हर खेत को पानी पता नहीं कितने वर्षों में पहुंच पायेगा.
दो माह की ब्याज माफी और 10 लाख करोड़ रुपये किसानों के लिए ऋण की व्यवस्था पैक्स के लिए की गयी है. नाबार्ड के लिए 40000 करोड़ का कोष का निर्माण, आदि सतही तौर पर देखने से उत्साहवर्द्धक लगता है.
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार भाजपा ने किसानों को समर्थन मूल्य का डेढ़ गुणा देने का वादा किया था. साथ ही किसानों की आमदनी को दोगुना करने का वादा भी किया था, किंतु समर्थन मूल्य में महज पचास रुपये की वृद्धि की गयी. नोटबंदी के कारण सब्जियंा बिक नहीं पायीं. उनके भरपाई का कोई प्रावधान इस बजट में नहीं किया गया है. पिछले साल 5 लाख तालाब के लक्ष्य के सापेक्ष 10 लाख तालाब की उपलब्धि रोमांचक है क्योंकि इतनी बड़ी खबर कभी समाचार की सुर्खियॉ नहीं बन पायी. यह संदेह पैदा करता है, अत: इसकी पड़ताल होनी चाहिए. मनरेगा के तहत 48000 करोड़ की अब तक की सर्वाधिक राशि का प्रावधान पिछले संशोधित बजट से मात्र 1000 करोड़ अधिक है.
कृषि ऋण, फसल बीमा योजना सकारात्मक उपाय
मुंबई. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2017-18 के केंद्रीय बजट में देश के कृषि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए कई उपाय किये हैं जैसे कि अधिक कृषि ऋण की व्यवस्था, सिंचाई परियोजनाओं के लिए अधिक आवंटन, फसल बीमा योजना इत्यादि. साख निर्धारक एजेंसी इक्रा के निगमित क्षेत्र रेटिंग के समूह प्रमुख के रविचंद्रन ने कहा, ‘अधिक कृषि ऋण, सिंचाई परियोजनाओं के लिए अधिक आवंटन, फसल बीमा योजना और मनरेगा योजना के अलावा इ-नाम के दायरे का विस्तार अधिक मांग के जरिये उर्वरक कंपनियों को मध्यावधि में मदद करेगा.’ उर्वरक क्षेत्र के लिए घोषित किये गये बजट प्रस्तावों पर टिप्पणी करते हुए रविचंद्रन ने कहा कि वर्ष 2017-18 में उर्वरक क्षेत्र के लिए दी गयी सब्सिडी 70,000 करोड़ रुपये होगी जो स्तर वर्ष 2016-17 में था. उन्होंने कहा कि हालांकि फास्फोटिक और पोटाशिक (पी एंड के) खंड के लिए सब्सिडी को मामूली छह प्रतिशत बढ़ाया गया है जो पी एंड के उर्वरकों के विनिर्माताओं और व्यापारियों के लिए सकारात्मक कदम है.
आरएमएल एग्रीटेक के प्रबंधन साझेदार और सीइओ राजीव तेवतिया ने कहा कि वित्तमंत्री ने कृषि क्षेत्र के लिए अच्छा बजट पेश किया है. इसमें किसानों के सम्पूर्ण और सघन विकास के लिए सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर जोर दिया गया है. भारत नेट परियोजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ और 1.5 लाख पंचायतों तक तीव्र गति वाले इंटरनेट की पहुंच कायम करने का लक्ष्य कृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रांति की आधारशिला रखेगा. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रानिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (इ – नाम) को 250 से बढ़ाकर 585 एपीएमसी तक करना एक और स्वागतयोग्य कदम है. यह किसानों को अपने उत्पाद को बेचने का अधिक विकल्प प्रदान करेगा.
उम्मीदें… जो पूरी न हो सकी
सिचाई के लिए सस्ती दर पर बिजली की बात बजट में नहीं की गयी है.
फसल बीमा का आवंटन बढ़ाया गया, उसकी प्रक्रिया आसान नहीं बनायी गयी है.
ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए कुछ नहीं किया गया है.
स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए उठाये गये कदम का बजट में जिक्र नहीं है.
जैविक खाद को बढ़ावा देने के संबंध में बजट में कुछ नहीं है. पूरे विश्व में जैविक खाद को बढ़ावा िदया जा रहा है.
फ्लैशबैक 2016-17
1.23 करोड़ रुपये किसानों के लिये, 35984 करोड़ रुपये कृषि और किसान कल्याण के लिये
नौ लाख करोड़ रुपये कृषि ऋण देने के लिए,12157 करोड़ रुपये सिंचाई का कर्ज चुकाने के लिये
50 लाख का पुरस्कार, कृषि विज्ञान केंद्रों में प्रतियोगिता का आयोजन होगा
87165 करोड़ रुपये ग्रामीण विकास के लिये थे
2000 करोड़ रुपये, गरीब परिवारों को रसोईघर के लिये आवंटित थे
65000 करोड़ रुपये, नयी बस्तियों को सड़क से जोड़ने के लिये
655 करोड़ ग्राम स्वास्थ्य योजन के तहत
कमेंट
बजट में किसानों के लिए कुछ भी नहीं है. यह युवाओं के लिए रोजगार सृजन के बारे में भी कुछ नहीं कहता है. बजट में किसानों, बेरोजगार युवकों और नोटबंदी की योजना के बारे में बातें हैं. खेती की उत्पादकता बढ़ाने की योजना नहीं.
शरद यादव, जदयू
बजट किसान विरोधी है, इसमें किसानों के लिए लोगों को जनता के लिए कुछ नहीं किया गया है. बीजेपी हमेशा से सिर्फ नारे देती है जमीन पर कुछ नहीं करती है. बजट में उत्तर प्रदेश की जनता के लिए कुछ नहीं किया गया है
डिंपल यादव, सपा सांसद
मोदी सरकार का यह बहुत ही सकारात्मक बजट है. इसमें साफ दिखायी देता है कि जेटली इस बजट से भारतीय अर्थव्यवस्था को सही रास्ते पर लायेंगे. किसानों का विशेष ध्यान रखा है. डेयरी को बढ़ावा देने के लिए भी प्रावधान हैं.
शाहनवाज हुसैन, भाजपा
बजट में कोई बड़ा विचार दूर-दूर तक नहीं था. अगर आप अपनी आंखें बंद कर लें तो यह चिदंबरम का भाषण जैसा लग सकता है. देखने में यह सबकी बात करता है, लेकिन इससे किसी को फायदा नहीं होने वाला है.
योगेंद्र यादव, विश्लेषक
बजट नॉलेज
प्रधानमंत्री ने भी पेश किये बजट- वैसे तो देश का वित्त मंत्री ही बजट पेश करता है. लेकिन इतिहास में ये मौके भी आये जब जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को प्रधानमंत्री रहते बजट पेश करना पड़ा था. उस वक्त उनके वित्त मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था.
इकोनॉमी
डिजिटल पटरी पर सुधारों का सफर
अब कैशलेस होना फायदेमंद . तीन लाख रुपये से अधिक कैश लेन-देन पर पाबंदी
आम बजट 2017-18 में डिजिटल व कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किये गये हैं. इसी कड़ी में पीओएस मशीनों पर ड्यूटी घटा दी गयी है, फिंगरप्रिंट स्कैनर्स पर सीवी, एसएडी ड्यूटी खत्म कर दी गयी है. तीन लाख रुपये से ज्यादा कैश में ट्रांजैक्शन को प्रतिबंधित किया गया है. डिजिटल पेमेंट के लिए नया रेगुलेटरी बोर्ड का भी जिक्र है. बजट में इकोनॉमी, सिस्टम और प्रॉसेस को डिजिटाइज करने की बात है, जो आगे चल कर देश की दिशा बदलेगी. कुल मिला कर कहा जा सकता है कि यह बजट डिजिटल पटरी पर सुधारों का सफर है.
नयी दिल्ली : नोटबंदी के बाद पैदा हुई कैश की समस्या से निबटने व कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए कैश ट्रांजेक्शन पर सरकार ने नयी लिमिट तय की है. अब देश में तीन लाख रुपये से अधिक की रकम में कैश ट्रांजेक्शन पर पूरी तरह से प्रतिबंध होगा. इसको लेकर इनकम टैक्स एक्ट में जरूरी संशोधन किया जायेगा. वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में एक नये ‘क्षितिज’ का निर्माण हुआ है. इसमें सकल घरेलू उत्पाद -जीडीपी के विकास की दर तुलनात्मक रूप से अधिक होगी. अर्थव्यवस्था अधिक पारदर्शी व वास्तविक होगी. यह कदम भ्रष्टाचार, कालेधन, जाली नोट और आतंकी गतिविधियों को खत्म करने के लिए बेहद अहम है. वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार में कमी, अर्थव्यवस्था का डिजिटलाइजेशन और वित्तीय बचतों में वृद्धि हुई है. इससे जीडीपी और टैक्स रेवेन्यू में इजाफा होगा. नोटबंदी के बाद डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्रियों की समिति ने कैश ट्रांजेक्शन को टैक्स के दायरे में लाने की सिफारिश की थी.
डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय
भीम एप को अधिक पॉपुलर किया जायेगा. इसके लिए दो नयी स्कीम लॉन्च होगी. भीम एप रेफर करने पर बोनस और मर्चेंट की ओर से इसके इस्तेमाल पर कैशबैक स्कीम शामिल है.
आधार बेस्ड पेमेंट सिस्टम के मर्चेंट वर्जन जल्द शुरू होगा. इसका सीधा फायदा उन लोगों को होगा, जो डेबिट व क्रेडिट कार्ड की सुविधा के साथ मोबाइल वॉलेट व मोबाइल फोन की सुविधा से लैस नहीं हैं.
2017-18 में सरकार की कोशिश यूपीआइ, यूएसएसडी, आधार पे, आइएमपीएस और डेबिट कार्ड के जरिये 2,500 करोड़ डिजिटल ट्रांजेक्शन कराने का है.
डिजिटल पेमेंट को बढ़ाने के लिए बैंकों को मार्च, 2017 तक 10 लाख नये पीओएस टर्मिनल लगाने होंगे. सितंबर 2017 तक 20 लाख आधार बेस्ड पीओएस मशीनों का इस्तेमाल शुरू करना होगा.
छोटे कारोबािरयों का ख्याल, टैक्स में राहत
नोटबंदी के प्रभाव को कम करने और छोटी कंपनियों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए 50 करोड़ रुपये तक सालाना कारोबार करने वाली छोटी इकाइयों पर कर की दर मौजूदा 30 प्रतिशत से घटा कर 25 प्रतिशत किया गया है. 2015-16 आकलन वर्ष के आंकड़ों के मुताबिक 6.94 लाख कंपनियां रिटर्न दाखिल करतीं हैं, जिनमें से 6.67 लाख कंपनियां इस श्रेणी में आतीं हैं. इस लिहाज से 96 प्रतिशत कंपनियों को कम कर सुविधा का लाभ मिलेगा. इससे एमएसएमइ क्षेत्र बड़ी कंपनियों के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धी बनेगा. काॅरपोरेट कर में कटौती से सरकारी खजाने को 7,200 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
महंगा
सिगरेट, पान मसाला, सिगार, बीडी, चिलम और खैनी, एलइडी लैंप उपकरण, काजू्, सेका हुआ और नमकीन, अल्यूमीनियम खनिज और सांद्रण, आप्टिकल फाइबर के विनिर्माण में उपयोग होने वाले पालीमर कोटेड एमएस टेप, चांदी के सिक्के और मेडल.
सस्ता
आॅनलाइन रेलवे टिकट की बुकिंग, घरों में उपयोग होने वाले आरओ मेम्ब्रेन, एलएनजी.
सौर पैनलों में उपयोग होने वाले सोलर टेम्पर्ड ग्लास, पवन उर्जा चालित जनरेटर.
चमड़ा उत्पादों विनिर्माण में शोधन के लिये काम आने वाले वनस्पति सत.
पीओएस मशीन कार्ड और अंगुली के निशान को पढने वाली मशीन.
रक्षा सेवाओं में सामूहिक बीमा.
रोजगार
बुनियादी ढांचा क्षेत्र व कारोबार सुगमता से रोजगार बाजार पर सकारात्मक असर होगा.
डिजिटलीकरण, कामकाज और राजनीति में पारदर्शिता, महिलाओं और युवाओं को सशक्त करने, शिक्षा की गुणवत्ता पर जोर.
सब्सिडी बिल
2.4 लाख करोड़ रहने का अनुमान
2017-18 में खाद्य, उर्वरक व पेट्रोलियम सब्सिडी चालू वित्त वर्ष की तुलना में तीन प्रतिशत अधिक यानी 2.4 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.
2017-18 में सब्सिडी 2,40,338.6 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.
संशोधित बजट अनुमान के अनुसार2016-17 में सब्सिडी बिल 2,32,704.68 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.
श्रम कानून में सुधार
मौजूदा श्रम कानूनों को सरल व तर्कसंगत बनाने और चार संहिताओं में इनका विलय करने के लिए विधायी सुधारों को लागू किया जायेगा.
इन चार संहिताओं पारिश्रमिक, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण और सुरक्षा व कार्य हैं.
जीएसटी
जीएसटी के लिए व्यापार और उद्योग तक पहुंच बनाने के लिए व्यापक प्रयास 01 अप्रैल, 2017 से शुरू होंगे.
जीएसटी स्वतंत्रता के बाद सबसे बड़ा कर सुधार है.
कई टीमें इसे अंतिम रूप देने के लिए कार्य कर रही है.
डिजिटल सुरक्षा
साइबर अपराध से िनपटने को कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पोंस टीम
नोटबंदी के बाद सरकार डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए साइबर सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन, चिंता की बात है कि साइबर क्राइम की संख्या भी बढ़ी है. साइबर घपलों व धोखाधड़ी से निपटने के लिए बजट में कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पोंस टीम गठित करने का प्रस्ताव है. यह टीम वित्तीय क्षेत्र के सभी नियामकों व अन्य भागीदारों के साथ तालमेल कर काम करेगी. पिछले साल विभिन्न बैंकों के 32 लाख से अधिक डेबिट कार्डों से जुड़ी जानकारी में सेंधमारी की गयी. यह भारत में बैंकों से जुड़ा अपनी तरह का सबसे बड़ा घपला था. वित्तीय फर्मों के प्रस्ताव से जुड़ा एक विधेयक भी संसद के मौजूदा बजट सत्र में पेश किया जायेगा.
कैशलेस अर्थव्यवस्था सस्ती होंगी पीओएस
डिजिटल अर्थव्यवस्था काे बढ़ावा देने के लिए प्वाइंट आॅफ सेल यानी पीओएस व अंगुली के निशान को पढ़ने वाले जैसे नकदरहित लेन-देन में उपयोग होने वाले उपकरणों पर सभी प्रकार के शुल्क हटाने का एलान किया है. बजट में 1.5.1 संस्करण के लिए छोटे कार्ड रीडर, प्वाइंट आॅफ सेल सूक्ष्म एटीएम स्टैंडर्ड, अंगुली के निशान और आंखों के आधार पर पहचान बताने वाले बायोमेट्रिक मशीन और स्कैनर्स पर लगाने बीसीडी (मूल सीमा शुल्क), उत्पाद शुल्क, सीवीडी (प्रतिपूरक शुल्क), एसएडी (विशेष अतिरिक्त शुल्क) से छूट देने का प्रस्ताव करता हूं. इन उपकरणों से संबंधित कल-पुर्जों के लिए कर छूट देने का भी प्रस्ताव है.
आरबीआइ में भुगतान नियामक बोर्ड का प्रस्ताव
भुगतान प्रणालियों में ढांचागत सुधार के प्रयासों के तहत भारतीय रिजर्व बैंक में भुगतान नियामक बोर्ड (पीआरबी) गठित करने का प्रस्ताव है. इस छह सदस्यीय बोर्ड की अध्यक्षता आरबीआइ गवर्नर करेंगे. बजट प्रस्ताव के मुताबिक आरबीआइ में भुगतान नियामक बोर्ड बनाने के लिए वित्त विधेयक, 2017 में जरूरी संशोधन का प्रस्ताव किया गया है. यह मौजूदा भुगतान व निपटान प्रणालियों के नियमन व निगरानी के लिए मौजूदा बोर्ड की जगह लेगा. आर्थिक मामलात विभाग द्वारा डिजिटल भुगतान संबंधी समिति ने भुगतान प्रणालियों में ढांचागत सुधारों की सिफारिश की थी.
माल्या जैसों पर शिकंजा भगोड़ों की जब्त होगी संपत्ति
बैंकों का कर्ज लेकर विदेश भाग जाने वालों पर कार्रवाई और कर्ज का पैसा वापस वसूलने के लिए सरकार ने बजट में विशेष प्रावधान का एलान किया है. सरकार इस संबंध में एक नया कानून लायेगी, जिसमें बैंकों से कर्ज लेकर विदेश भागने वाले भगोड़ों की संपत्तियों को जब्त करने का मजबूत प्रावधान होगा. मालूम हो कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक को बैंकों का पैसा लेकर बैठे सबसे बड़े डिफॉल्टर्स का नाम बताने का निर्देश दिया था. इसके बाद बैंकिंग क्षेत्र के नॉन-परफॉर्मिंग असेट्स (एनपीए )की स्टडी के लिए एक संसदीय परामर्श समिति का गठन किया गया. इस समिति ने सरकार को सलाह दी थी कि सरकारी बैंकों द्वारा जिन-जिन लोगों के कर्जों को राइट-ऑफ किया गया, उनके नाम सामने रखे जाएं.
दूरसंचार में राजस्व का अनुमान घटा कर 44,300 करोड़
स्पेक्ट्रम नीलामी को लेकर उत्साह के अभाव के बीच 2017-18 के लिए दूरसंचार क्षेत्र से राजस्व प्राप्ति के अनुमान को 55 % घटा कर 44,342.2 करोड़ रुपये कर दिया है. संकेत मिलता है कि अगले वित्त वर्ष में स्पेक्ट्रम की कोई बिक्री नहीं होगी. सरकार ने संचार से राजस्व प्राप्ति 44,342.2 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है. इसमें लाइसेंस शुल्क और नये आॅपरेटरों से एकबारगी प्रवेश शुल्क शामिल है.
अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए 180 करोड़ रुपये
सरकारी अधिकारियों की खातिर प्रशिक्षण सुविधाओं में वृद्धि के लिए आम बजट में कार्मिक मंत्रालय को 180 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. आवंटित कुल राशि में से 60.61 करोड़ रुपये मंत्रालय को लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी आॅफ एडमिनिस्ट्रेशन, मसूरी और दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट आॅफ सेक्रेटेरिएट ट्रेनिंग एंड मैनेजमेंट के स्थापना संंबंधी व्यय को पूरा करने के लिए दिये गये हैं.
सरकारी बैंकों के लिए 10,000 करोड़ का प्रावधान
बैंकिंग सेक्टर लंबे समय से बढ़ते एनपीए से जूझ रही है. ऐसे में सरकार ने बजट में इंद्रधनुष योजना के तहत बैंकिंग सेक्टर में 10 हजार करोड़ रुपये पूंजी निवेश का फैसला किया है. जरूरत होने पर अतिरिक्त आवंटन भी किया जायेगा. योजना की शुरुआत 22 करोड़ रुपये पूंजी के साथ 2015 में की गयी थी. अब तक इसमें 70 हजार करोड़ रुपये तक पूंजी डाला जा चुका है. यह योजना 13 पब्लिक सेक्टर बैंकों को उबारने के लिए है. इंद्रधनुष योजना के तहत सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अगले चार साल में 70,000 करोड़ रुपये डालेगी. इसके अलावा बैंकों को वैश्विक जोखिम नियमों की जरूरत को पूरा करने के लिए बाजार से 1.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने होंगे.
एक्सपर्ट व्यू
राहत की सांस लीजिए, ये बजट नहीं, मरहम है
संजय पुगलिया
एडिटोरियल डायरेक्टर द क्विंट
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जो बजट पेश किया है, उसकी समझदारी और सादगी यह बताती है कि सरकार को ये अच्छी तरह पता है कि नोटबंदी ने ठीक-ठाक चल रही अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया है. ये बजट पॉपुलिस्ट नहीं है और न ही सुधार के बड़े और कड़े कदम इसमें उठाये गये हैं. हमारे कई अंदाज गलत निकले. यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम (यूबीआइ)नहीं आयी. लॉन्ग टर्म गेन्स टैक्स में भी कोई बदलाव नहीं किया गया और ना ही कालाधन खत्म करने के लिए कोई नयी और बड़ी तलवार निकाली गयी. नोटबंदी का नुकसान चूंकि गरीबों को हुआ है. इसलिए ढेर सारे एलान गरीबों,गांवों, बेरोजगारों और किसानों को समर्पित हैं, ताकि हर तरह का गुस्सा कम किया जा सके. खास बात है कि इस गुस्से को कम करने के लिए सरकार ने कोई बड़ा खजाना भी नहीं लुटाया है.
विधानसभा चुनाव को देखते हुए ये स्वाभाविक था कि सबसे पहले गरीब वोटर और उसके बाद छोटे कारोबारियों को मरहम लगाया जाये, इसलिए पचास करोड़ से नीचे आमदनी वाले कारोबार पर कॉरपोरेट टैक्स 30 प्रतिशत से घटा कर 25 प्रतिशत कर दिया गया. मध्यम वर्ग की नाराजगी दूर करने के लिए इनकम टैक्स के निचले स्तरों पर टैक्स की थोड़ी राहत और ज्यादा आमदनी वालों यानी सालाना 50 लाख रुपये से ज्यादा कमाने वालों पर 10 परसेंट सरचार्ज लगाया गया है. यह अमीर-बनाम गरीब के स्लोगन में भी पूरी तरह से फिट बैठता है.
सरकार को लगता है कि प्राइवेट सेक्टर अब भी निवेश के लिए आगे नहीं आयेगा और सरकारी बैंकों के फंसे हुए कर्ज की वसूली के भी आसार नहीं दिखते. इसलिए सरकार ने मान लिया है कंजम्पशन और ग्रोथ को वो सरकारी खर्चों से ही बढ़ा सकती है. यह ग्रोथ बढ़ाने का कारगर तरीका नहीं है. दुनिया की आर्थिक हालत देखते हुए विदेशी निवेश की उम्मीद भी शायद पूरी न हो.
कहीं पब्लिक का मूड खराब न हो जाये, इसलिए एक्साइज और कस्टम ड्यूटी और सर्विस टैक्स भी नहीं बढ़ाये गये. ऐसे में सरकार पैसे कहां से लायेगी? वित्तमंत्री की उम्मीद बेहतर टैक्स वसूली और डिसिन्वेस्मंट पर टिकी है. लेकिन डिसिन्वेस्मंट के साल दर साल के आंकड़ों को देख कर तो यही लगता है कि इस मामले में भी 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का टारगेट महत्वाकांक्षी ही है. सरकारी बीमा कंपनियों और रेलवे की कुछ सब्सिटियरिज की लिस्टिंग होगी और सरकार की हिस्सेदारी कम होगी, ये भी एक अच्छा एलान है. सरकार को ये लालच रहा होगा कि वो गरीबों पर कुछ और पैसा लुटा दें.
बजट गाइड
रक्षा बजट 6.2% बढ़ा कर 2.74 लाख करोड़ रुपये किया गया है. अभी यह 2.58 लाख करोड़ रुपये का है. आधुनिकीकरण कार्यक्रमों के लिए पूंजीगत व्यय में 10.05 प्रतिशत की वृद्धि की गयी है. रक्षा व्यय कुल बजट का 12.77 प्रतिशत है. नये उपकरणों, हथियारों, विमान की खरीद के लिए तीनों सेनाओं के िलए 86,488 करोड़ का प्रावधान है. 2,74,114 करोड़ रक्षा व्यय के लिए आवंटित हैं, जिनमें पेंशन शामिल नहीं है.
रुपया कहां से आयेगा, कहां जायेगा
सख्ती और राहत
चैक बाउंस मामलों पर कसेगा और िशकंजा
चैक बांउस से जुड़े मामलों से सख्ती व तेजी से निबटने के लिए नेगोशिएबल इंस्ट्रयूमेंट कानून में संशोधन होगा. चैक बाउंस के लाखों मामले हैं. सरकार चाहती है कि ऐसे विवादों के निपटान की समय-सीमा कम हो. वित्तीय सेवा विभाग इस बारे में काम कर रहा है.
भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा टैक्स फ्री
िवत्त मंत्री जेटली ने कहा कि भूमि अधिग्रहण पर मिलने वाला मुआवजा पूरी तरह से टैक्स फ्री होगा. अभी अधिग्रहण के दौरान मिलने वाली राशि पर सरकार टैक्स वसूलती थी. यह एलान किसानों के लिए एक अच्छी खबर है.
फ्लैशबैक 2016-17
10000 किमी नया हाइवे का निर्माण किया जायेगा
20075 करोड़ रुपये से प्रधानमंत्री आवासों का निर्माण कराया जायेगा
19000 करोड़ रुपये ग्राम सड़क योजना के लिए
5000 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम
450 करोड़ रुपये, सागर माला परियोजना
1448 करोड़ रुपये राष्ट्रीय औद्याेगिक गलियारे के लिए
9700 करोड़ रुपये सड़क पर खर्च किये जायेंगे
कमेंट
बजट में कोई रोडमैप नहीं है और यह केवल आंकड़ों और खोखले शब्दों की बाजीगरी है. विवादास्पद बजट 2017 अनुपयोगी, आधारहीन, मिशनविहीन और क्रियाहीन है. इसमें आम जनता के िलए कुछ खास नहीं है .
ममता बनर्जी ,सीएम, प बंगाल
हर साल बजट पेश करने की जरूरत ही क्या है? क्या पिछले साल वाले बजट में की गयी सारी घोषणाएं पूरी की जा चुकी हैं. इस बजट में देश के विकास और आम आदमी के िलए कोई िवशेष उपाय नहीं किये गये हैं.
उद्धव ठाकरे, शिवसेना प्रमुख
इस बजट से राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता आयेगी. चुनाव सुधार की दिशा में यह कदम दूरगामी साबित होगा. प्रधानमंत्री ने चंदे में पारदर्शिता लाने की बात कही थी उस दिशा में यह बड़ा कदम है. आने वाले समय में व्यापक असर दिखेगा
प्रकाश जावेडकर, केंद्रीय मंत्री
बजट में ‘स्पष्ट दृष्टि’ की कमी रही और इसमें किसानों, युवाओं एवं नौकरियां पैदा करने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है.सिर्फ शेर-शायरी वाला बजट है.हम जोरदार आतिशबाजी की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन यह फुस्सी बम निकला.
राहुल गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष
बजट नॉलेज
हिंदी में बना बजट- 1955-56 से पहले आम बजट के दस्तावेज अंगरेजी में बनते थे. जिससे देश की आधी जनता को यह समझ में ही नहीं आते थे. हालांकि, इस बजट के दस्तावेज हिंदी में भी तैयार किये जाने लगे.
कारोबार – निवेश
आम बजट पर झूम उठा शेयर बाजार
कर छूट के मरहम से बाजार में ऊर्जा का संचार, सेंसेक्स 486 अंक उछला
आम बजट में राजकोषीय स्थिति दुरुस्त करने पर ध्यान दिये जाने और एफपीआइ कराधान पर रुख स्पष्ट होने से बुधवार को शेयर बाजार झूम उठा और बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 486 अंक उछल कर तीन महीने के उच्च स्तर 28,142 अंक पर बंद हुआ. वित्तीय और रीयल्टी कंपनियों के शेयरों में तेजी का रुख रहा. इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र की कई कंपनियों के शेयरों में काफी तेजी गयी. पूरे दिन में एक बार ही ऐसा हुआ कि बाजार कुछ नीचे आया.
नयी दिल्ली : बाजार ने आम बजट को हाथों हाथ लिया जिससे बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 486 अंक उछला. बाजार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 10,000 करोड़ रुपये पूंजी डालने के बजटीय प्रस्ताव और दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ कर एवं अल्पकालीन कर की दर अपरिवर्तित रखे जाने का स्वागत किया है. इसके अलावा, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रस्ताव दिया कि वर्ग एक और दो के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को अप्रत्यक्ष अंतरण पर कराधान से मुक्त रखा जाना चाहिए. इससे निवेशक काफी खुश हुए. दोनों प्रमुख सूचकांकों- सेंसेक्स और निफ्टी ने अक्तूबर, 2016 के बाद एक दिन की सबसे बड़ी तेजी दर्ज करते हुए 28,000 और 8700 का स्तर पुन: हासिल कर लिया.
बुधवार को संसद में बजट पेश किये जाने के तुरंत बाद सेंसेक्स एक सीमित दायरे में डोलता रहा और फिर इसने चढ़ना शुरू किया और 485.68 अंक ऊपर 28,141.64 अंक पर बंद हुआ. पिछले साल 24 अक्तूबर के बाद से यह सेंसेक्स का सर्वोच्च बंद स्तर है. उस दिन सेंसेक्स 28,179.08 अंक पर बंद हुआ था. इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 155.10 अंक चढ़ कर 8,716.40 अंक पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान यह दिन के उच्च स्तर 8,722.40 अंक पर चला गया था.
एनपीएस को प्रोत्साहन देने की पहल
एनपीएस को प्रोत्साहित करने के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस महत्वाकांक्षी सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में निवेश पर व्यक्तियों (स्वरोजगार करने वालों) को अधिक कर छूट का प्रस्ताव किया और योजना में अंशदान के 25 प्रतिशत अंशदान की निकासी की अनुमति दी. यह कटौती एक कर्मचारी के मामले में वेतन के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती.
बजट अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव लाने या रूपांतर करने वाला है. इसमें हम विवेकाधीन से नीति आधारित तथा नकदी से नकदीरहित व्यवस्था की ओर बढ़े हैं.
आर पी संजीव, चेयरमैन, गोयनका समूह
जुमलेबाजी करने में वित्त मंत्री, प्रधानमंत्री और भाजपा अध्यक्ष की श्रेणी में पहुंच गये हैं. और यह आम बजट इसका शानदार
उदाहरण है.
सीताराम येचुरी , माकपा महासचिव
पहल : एफआइपीबी समाप्त एफडीआइ और उदार होगा
वित्त मंत्री ने 5,000 करोड़ तक विदेशी निवेश के प्रस्तावों को मंजूरी देने वाला निकाय एफआइपीबी को समाप्त करने की घोषणा की. उन्होंने एफडीआइ नीति को आगे और उदार बनाने की भी घोषणा की. जेटली ने कहा कि एफआइपीबी ने सफलतापूर्वक इ-फाइलिंग और एफडीआइ आवेदनों का ऑनलाइन प्रसंस्करण को सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया. 2017-18 में एफआइपीबी समाप्त होगा. कुछ महीनों में इसपर घोषणा की जायेगी. देश में 90 प्रतिशत एफडीआइ स्वत: मार्ग से आ रहा है. जो क्षेत्र स्वत: मार्ग के अंतर्गत आते हैं, उन्हें एफआइपीबी से कोई मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होती और उन्हें केवल क्षेत्र से संबंधित कानून का पालन करना होता है.
बदलाव : सूचीबद्ध होंगे रेलवे के सार्वजनिक उपक्रम
सरकार रेलवे के सार्वजनिक उपक्रमों, आइआरसीटीसी, इरकॉन तथा आइआरएफसी को सूचीबद्ध कराने की अपनी योजना पर आगे बढ़ेगी. केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसइ) की समयबद्ध सूचीबद्धता के लिए सरकार प्रक्रिया लायेगी. अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को मजबूत करने तथा नये सीपीएसइ एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (इटीएफ) के विकल्प पर 2017-18 में विचार करेगी. जेटली ने कहा कि हम सीपीएसइ, आइआरटीसी, आइआरएफसी तथा इरकॉन की समयबद्ध सूचीबद्धता के लिए प्रक्रिया लायेंगे. 10 पीएसयू शेयरों वाला नया इटीएफ 2017-18 में शुरू किया जायेगा.
मसाला बांडों को और अधिक कर लाभ
नयी दिल्ली : रुपये में जारी किये जाने वाले अपतटीय बांडों जिन्हें मसाला बांडों के तौर पर जाना जाता है को और अधिक कर लाभ मिलेंगे. आम बजट में अनिवासी भारतीयों के बीच इन बांडों के हस्तांतरण को कराधान से मुक्त कर दिया गया है, जबकि निवेशकों के लिए 2020 तक पांच प्रतिशत की दर लागू होगी. मसाला बांडों के संबंध में पांच प्रतिशत की दर से स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) एक अप्रैल, 2016 से प्रभावी मानी जायेगी. आम बजट 2017-18 पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रियायती पांच प्रतिशत की दर का विस्तार कर इसमें मसाला बांडों को शामिल करने की घोषणा की.
बड़े एनबीएफसी आइपीओ में क्यूआइबी कोटा के पात्र
बड़ी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) अब आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आइपीओ) में पात्र संस्थागत खरीदारों (क्यूआइबी) के लिए आरक्षित कोटा के लिए पात्र होंगी. इससे ये बैंक और बीमा कंपनियां के समकक्ष आ जायेंगी.
बाजार मध्यस्थों के पंजीकरण के लिए ऑनलाइन व्यवस्था
सरकार ने व्यापार सुगमता बढ़ाने के लिए ब्रोकरेज कंपनियों, म्यूचुअल फंड, पोर्टफोलियो प्रबंधकों तथा अन्य बाजार मध्यस्थों के पंजीकरण के लिए कागजरहित ऑनलाइन प्रणाली की घोषणा की, साथ ही डिमैट खातों को आधार से जोड़ने का ऐलान किया. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 के अपने बजट भाषण में कहा कि जिंस और प्रतिभूति डेरिवेटिव बाजारों को समन्वित किया जायेगा. इसके लिए प्रतिभागियों, ब्रोकरों और परिचालनात्मक मसौदे को समन्वित किया जायेगा.
एक्सपर्ट व्यू
बजट ने विकास की गति पर दिलाया भरोसा
राजीव रंजन झा
इंवेस्टमेंट
ए क्सपर्ट
शेयर बाजार ने इस बजट को खुल कर सराहा है और बजट के दिन सेंसेक्स में 486 अंक या 1.76% की जबरदस्त उछाल दिखी है. बाजार को इस बजट से यह भरोसा चाहिए था कि विकास दर को नोटबंदी के चलते जो झटका लगा है, वह तात्कालिक ही रहेगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने न केवल बजट भाषण में आश्वस्त किया कि नोटबंदी का असर अगले वित्त वर्ष में नजर नहीं आयेगा, बल्कि विकास दर को सहारा देने के लिए बुनियादी ढांचा क्षेत्र में होने वाले खर्च में 79% की जबरदस्त वृद्धि करने की घोषणा भी की.
यह घोषणा बाजार को भरोसा दिलाने में सफल रही कि सरकार के इस कदम से आगे चल कर निवेश चक्र में तेजी आ सकेगी. दूसरी ओर शेयर बाजार को यह चिंता सता रही थी कि कहीं लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लागू न कर दिया जाये या किसी अन्य रूप में कोई नया कर बोझ न आ जाये. प्रधानमंत्री के हाल के एक बयान के चलते यह आशंका बनी थी। लेकिन इस बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) के प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
सस्ते आवासों को बुनियादी ढांचे का दर्जा दे कर सरकार ने जहां रियल एस्टेट क्षेत्र की एक बड़ी मांग पूरी कर दी है, वहीं राजनीतिक लिहाज से भी यह एक फायदेमंद कदम है.
बुनियादी ढांचा का दर्जा मिलने से रियल एस्टेट डेवलपरों को ऐसी परियोजनाओं के लिए बैंकों से पैसे आसानी से मिल सकेंगे और बैंकों की रिस्क वेटेज कम होगी जिससे बैंकों से मिलने वाला यह कर्ज सस्ता भी होगा. हालांकि रियल एस्टेट क्षेत्र को अब भी थोड़ी शंका है कि सस्ते आवासों की परिभाषा क्या होगी. लेकिन कुल मिला कर इस कदम से रियल एस्टेट क्षेत्र को मंदी से बाहर निकलने के लिए एक नया अवसर मिल सकता है. बजट में 2.50 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक की सालाना आय की श्रेणी में आय कर की दर जरूर 10% से घटा कर 5% कर दी गयी है, लेकिन 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये के निवेश पर मिलने वाली कर छूट जस-की-तस है.
यदि इस सीमा को बढ़ाया जाता तो बाजार के लिए ज्यादा उत्साहजनक हो जाता. खास कर म्यूचुअल फंडों के माध्यम से शेयर बाजार में होने वाले निवेश को अच्छी गति मिलती.
इस समय बाजार की चाल भी ठीक है और म्यूचुअल फंडों की ओर निवेशकों का झुकाव भी बढ़ा हुआ है. ऐसे में 80सी के तहत अतिरिक्त छूट मिलने से ऐसे निवेशकों को और अधिक प्रोत्साहन मिलता.
(लेखक आर्थिक पत्रिका ‘निवेश मंथन’ और समाचार पोर्टल शेयर मंथन (www.sharemanthan.in) के संपादक हैं.)
बजट गाइड
समझें, क्या हैं बड़े बदलाव
एफडीआइ पर आवेदनों के लिए एकल खिड़की मंजूरी की पेशकश
एफडीआइ की अर्जी ऑनलाइन होगी.
राजीव गांधी इक्विटी स्कीम पर कर छूट खत्म करेगी सरकार
कमोडिटी स्पॉट-फ्यूचर्स को जोड़ने के लिए कमेटी बनेगी.
टूरिज्म सेक्टर के लिए पांच जोन बनाने और टूरिज्म पर फोकस बढ़ने से टूर और ट्रैवल कंपनियों को फायदा, इन्क्रेडिबल इंडिया का सेकंड कैम्पेन भी लॉन्च होगा.
लेदर, फुटवियर सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किये जायेंगे.
व्यापारियों के लिए कैशबैक योजना का प्रस्ताव.
इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र में बढ़ावा और प्रोत्साहन के लिए 45 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया.
सरकार पोंजी समस्या पर अंकुश लगाने के लिए जल्द लायेगी नया कानून
निर्यात के लिए नयी योजना
वित्त वर्ष 2017-18 में निर्यात के लिए ढांचा बनाने को एक नयी योजना शुरू की जायेगी. इस कदम का मकसद व्यापारियों के लिए लेनदेन की लागत को कम करना है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा कि 2017-18 में निर्यात ढांचे के लिए एक नयी और पुनर्गठित केंद्रीय योजना, ट्रेड इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर एक्पोर्ट स्कीम (टीआइइएस) पेश की जायेगी. भारतीय निर्यातकों को ढांचागत मोर्चे पर बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
विशेषरूप से राज्यायें में, अपर्याप्त ढांचे की वजह से लेनदेन लागत बढ़ती है, वैश्विक बाजारों मंे भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा प्रभावित होती है. निर्यातकों के संगठन फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन (फियो) ने कहा कि इस योजना से आधुनिक ढांचा बन सकेगा. मसलन बंदरगाह के अंतिम छोर तक संपर्क, परीक्षण प्रयोगशाला और प्रमाणन केंद्र. फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि यह एक स्वागत योग्य कदम है. इस योजना से राज्यों में निर्यातकों के लिए ढांचे को आधुनिक करने में मदद मिलेगी.
3.5 लाख करोड़ रुपये की उधारी लेगी सरकार: सरकार 2017-18 में बाजार से 3.5 लाख करोड़ रुपये की उधारी लेगी जो कि मौजूदा वित्त वर्ष की तुलना में 75,000 करोड़ रुपये कम है. पुनर्खरीद के बाद सरकार की शुद्ध बाजार उधारी को 3.48 लाख करोड़ रुपये पर रखने का प्रयास है जोकि पूर्व साल में 4.25 लाख करोड़ रुपये रही. हालांकि, 2017-18 के लिए सकल उधारी 5.8 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है. सरकार बाजार स्थिरीकरण योजना (एमएसएस) के तहत एक लाख करोड़ रुपये मूल्य के बांड जारी करेगी.
बजट नॉलेज
सर्विस टैक्स जुड़ा-आजादी के बाद बजट में ब्लैक मनी उजागर की प्रकिया शुरू हुई. वहीं राजीव गांधी ने 1987 के बजट में काफी फेरबदल किये. पहली बार कॉरपोरेट टैक्स का न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स जोड़ने के बाद 1994 में सर्विस टैक्स का ऑप्शन जोड़ा गया.
जेटली साहेब इस बार खूब बोले
एक्सपर्ट व्यू
शशांक भारद्वाज
जोनल वीपी, च्वाइस ब्रोकिंग लिमिटेड
जेटली साहेब इस बार बोले और खूब बोले. लगभग दो घंटे और वह भी खड़े होकर. हमने उन्हें बैठ कर भी बजट पढ़ते देखा है. हालांकि पांच राज्यों के चुनाव सर पर थे. एक पॉपुलिस्टिक बजट की आशंका जतायी जा रही थी. केंद्रीय वित्त मंत्री ने अर्थव्यवस्था अवं राजनीति के बीच खूब संतुलन साधा और जोरदार बजट पेश किया. शेयर बाजाराें में बजट प्रस्ताव के बाद सेंसेक्स में 485 अंकों की शानदार तेजी आयी और यह शेयर बाजार के द्वारा स्वागतघोष था. लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स में कोई निगेटिव प्रस्ताव को लेकर शेयर बाजार में आशंका थी. वित्त मंत्री ने इस पर कोई उल्लेखनीय परिवर्तन न कर शेयरों में निवेश को आकर्षक बनाये रखा है. हाउसिंग क्षेत्र में बड़ी रियायतों की घोषणा विशेष कर अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए प्रोत्साहन अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों स्टील सीमेंट, व्हाइट गुड्स, सेनेटरी आदि को बहुत सहारा देंगें. ग्रामीण अर्थव्यस्था के लिये बढ़े फंड का आवंटन अर्थव्यस्था का विस्तार करेगा. ग्रामीण सड़क निर्माण में तेजी का प्रस्ताव एक और शुभ संकेत है.
यह कहा जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ही भविष्य का ग्रोथ छिपा है. कृषि पर विशेष फोकस, किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य, ग्रामीण विद्युतीकरण तो स्वागतयोग्य कदम है ही, साथ ही विदेशी निवेश का बढ़ावा देने के लिए ऑटोमेटिक रूट, अंतर कारपोरेट इक्विटी पर टैक्स छूट, पर्यटन में चार स्पेसिफिक जोन, डिजिटलाइजेशन के लिए विशेष मुहिम, रेलवे के आवंटन में वृद्धि आदि अर्थव्यवस्था के लिए तो अच्छी खबर है, शेयर बाजार के लिए भी उत्साहजनक है.
साथ ही आकड़ों की ओर चलें, तो फिस्कल डिफिसिट जीडीपी का 3.2 प्रतिशत रखना, अगले तीन वर्षों में इसे तीन प्रतिशत रखने का लक्ष्य टैक्स कलेक्शन में उल्लेखनीय वृद्धि भी सकारात्मक संकेत है. आइआरसीटीसी एवं इरकॉन आदि चार पीएसयू की लिस्टिंग स्वागतयोग्य है. इससे सरकार के पास और भी विनिवेश के साधन आ जायेंगे. जिससे उसकी वित्तीय स्थिति और भी मजबूत हो जायेगी. मोदी जी और जेटली जी भी अच्छी तरह से जानते हैं कि अर्थव्यवस्था को गति दिये बिना वे अच्छी राजनीति नहीं कर सकते हैं और राजनीतिक बढ़त बनाये रखने के लिए उन्हें अर्थव्यस्था को मजबूत करना ही होगा.
अच्छे दिनों का रास्ता अच्छी अर्थव्यवस्था से ही होकर जाता है. इसलिए बजट में राजनैतिक संदेश के साथ पूरा अर्थशास्त्र भी है. नोटबंदी जैसे साहसिक कदम के बाद इस बार के बजट की बड़ी आतुरता से प्रतीक्षा की जा रही थी. जेटली जी ने इसको एक सुखद रूप देने की भरपूर कोशिश की है. इस बजट में यही सबसे अच्छा है कि इसमें कुछ खास खराब नहीं है.
वरना यह देखा जाता रहा है कि कोई न कोई गलत बात आ ही जाती थी और शेयर बाजार में झटका लग जाता था. पर इस बार बजट भाषण समाप्त होने के बाद से लगभग पूरे सेशन तेजी बनी रही. यही अपने आप में एक संकेत देता है कि इस बजट में अर्थव्यस्था व शेयर बाजार के लिए सब ठीक-ठाक सा है. आंतरिक आर्थिक कारकों के आधार पर तो चीजें ठीक हैं. अब अमेरिका में ट्रंप इफेक्ट और भारत में पांच राज्यों के चुनाव परिणाम ही अब भारतीय शेयर बाजार की तेजी को प्रभावित कर सकते हैं. शेयर बाजार के लिए सकारात्मक एवं संतुलित बजट है. कुल मिला कर देश अच्छे दिनों की ओर है.
इन्फ्रास्ट्रक्चर/रेल
3500 किमी बिछेगी नयी रेल लाइन
3500 किमी बिछेगी नयी रेल लाइन
आम बजट का हिस्सा बन गया रेल बजट : ‘प्रभु’ की ट्रेन जेटली ने चलायी
इस साल रेल बजट आम बजट के साथ पेश किया गया. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेल बजट को आम बजट के साथ पेश करने के कदम को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने बताया कि यह वर्ष 1924 से चली आ रही औपनिवेशिक परंपरा का खत्म किया. जेटली ने रेलवे को देश की आधारभूत संरचना का केंद्र माना. उन्होंने कहा कि माल ढुलाई के दायरे को बढ़ाना होगा. उन्होंने रेल के लिए कोई नयी घोषणा नहीं की. यात्री सुरक्षा के लिए एक लाख करोड़ की घोषणा की.
रेलवे के लिए एक लाख करोड़ का सुरक्षा कोष
नयी दिल्ली : रेल क्षेत्र में हाल के समय में कई हादसे हुए हैं. इसके मद्देनजर सरकार ने बजट 2017-18 में रेलवे के लिए एक लाख करोड़ रुपये के विशेष सुरक्षा कोष की स्थापना का प्रस्ताव किया है.
इसके तहत ट्रैक और सिगनल प्रणाली का उन्नयन किया जायेगा. मानवरहित क्रॉसिंग खत्म की जायेगी. इस बार रेल बजट को आम बजट में मिला दिया गया है. इसमें 3,500 किमी की नयी लाइनें बिछाने का भी प्रस्ताव है. 2016-17 के लिए यह लक्ष्य 2,800 किमी का है. रेलवे को नये वित्त वर्ष में बजट से सकल 55,000 करोड़ रुपये की सहायता मिलेगी. वित्त मंत्री जेटली ने अगले वित्त वर्ष के लिए रेलवे का योजना आकार 1,31,000 करोड़ रुपये रखने का प्रस्ताव किया है. चालू वित्त वर्ष के लिए यह 1,21,000 करोड़ रुपये है. जेटली ने एक लाख करोड़ रुपये के कोष से ‘राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष’ की स्थापना का प्रस्ताव किया है. बजट में रेलवे की सुरक्षा पर जोर दिया गया है. इसके तहत 2020 तक ब्रॉड गेज नेटवर्क पर सभी मानवरहित क्रॉसिंग को समाप्त करने का प्रस्ताव है. वित्त मंत्री ने 500 रेलवे स्टेशनों पर दिव्यांगों के लिए सुविधाओं की भी घोषणा की. बजट में सभी रेल कोचों में बायो टायलेट का भी प्रस्ताव किया गया है. साथ ही यात्रियों के लिए ‘क्लीन माइ एप्प’ की भी घोषणा की गयी है.
वित्त मंत्री ने आइआरसीटीसी से बुक कराये जानेवाली इ-टिकट पर सर्विस टैक्स खत्म करने की भी घोषणा की है.
काकोदकर कमेटी की सिफारिशों पर विचार: वित्त मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि उनका जोर आधारभूत संरचना के विकास, संरक्षा, सुरक्षा और सफाई पर होगा. जेटली ने एक लाख करोड़ का रेल संरक्षा कोष बनाने की घोषणा की. यह महत्वपूर्ण है कि रेल सुरक्षा के लिए बनी काकोदकर कमेटी ने रिपोर्ट में इसके लिए अलग से बजट का प्रावधान करने की सिफारिश की थी, जिसमें सुरक्षा के लिए पांच वर्षों के लिए एक लाख करोड़ रुपये खर्च करने का सुझाव दिया था. वित्त मंत्री ने कहा कि रेलवे के चार क्षेत्रों सुरक्षा, सुविधा, स्वच्छता और विकास पर खास ध्यान होगा. पुराने बजट की भांति सरकार ने नयी घोषणा न करते हुए यह बताने का प्रयास किया है कि रेलवे का जाल गांवों से लेकर सुदूर पूर्वोतर के राज्यों तक फैलाया जायेगा.
स्टेशन पर लिफ्ट और एक्सलेटर:
यात्री सुविधा के लिए चुनिंदा स्टेशनों पर एक्सलेटर व लिफ्ट लगाया जायेगा. वित्त मंत्री ने 3,500 किमी की ट्रैक बिछाने की घोषणा की है. लेकिन पहले से घोषित जो पुरानी परियोजना है वह कब तक पूरी होंगी, इस पर भी ध्यान दिये जाने की जरूरत है.
इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए हुआ रिकाॅर्ड आबंटन
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए रिकॉर्ड 3.96 लाख करोड़ रुपये के आवंटन की घोषणा की. भाषण में कहा कि इस तरह के निवेश से आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी.
रोजगार के अधिक अवसर पैदा किये जा सकेंगे. बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए 2017-18 में कुल आवंटन 3,96,135 करोड़ रुपये का होगा.’ पूरे परिवहन क्षेत्र रेलवे, सड़क, जहाजरानी के लिए मैं 2,41,387 करोड़ रुपये के प्रावधान का प्रस्ताव करता हूं. मुझे आजाद भारत का पहला संयुक्त बजट पेश करते हुए गर्व हो रहा है. अब हम रेलवे, सड़क, जलमार्ग और नागर विमानन क्षेत्र में निवेश में तालमेल बैठाने की स्थिति में होंगे.
रेलवे
वर्ष 2020 तक सभी बड़ी लाइनों पर मानव रहित क्रासिंग को खत्म करने का प्रस्ताव
देश के 500 रेलवे स्टेशनों को अशक्त जनों के अनुकूल बनाया जायेगा.
रेल के हर डिब्बे को बायो टॉयलेट से लैस करने का वादा
यात्रियों के लिए ‘क्लीन माइ कोच’ एप्प की घोषणा
मेट्रो
देश भर में मेट्रो परियोजनाओं के लिए 17,810 करोड़ रुपये का आवंटन
पिछले वर्ष के आवंटन के मुकाबले करीब 14 प्रतिशत की अधिक वृद्धि
मेट्रो क्रियान्वयन अभिनव मॉडलों के साथ स्वेदशीकरण पर फोकस
एक नयी विस्तृत मेट्रो रेल नीति की घोषणा जल्द होगी.
कानूनों को तर्कसंगत बनाकर मेट्रो रेल अधिनियम बनेगा
मेट्रो निर्माण एवं परिचालन में और निजी भागीदारी बढ़ेगी.
सड़क
सड़कों के लिए आवंटन बढ़ा कर 64,000 करोड़ रुपये किया गया.
रेल, सड़क, जहाजरानी के लिए 2.41 लाख करोड़ रुपये का आवंटन.
टेलीकॉम
जेटली ने टेलीकॉम सेक्टर को बुनियादी ढांचे के परितंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक बताया.
हाल ही में की गयी स्पेक्ट्रम नीलामी से देश में स्पेक्ट्रम की किल्लत समाप्त होगी.
ग्रामीण एवं दूर-दराज के क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों के हित में ब्रॉडबैंड और डिजिटल इंडिया को काफी बढ़ावा मिलेगा.
एयरपोर्ट
दूसरी श्रेणी के शहरों में चुनिंदा हवाई अड्डों को परिचालन व विकास सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर किया जायेगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि नयी मेट्रो रेल योजना में वित्तपोषण के नवोन्मेषी तरीके होंगे.
उद्योगजगत ने सराहा
बुनियादी ढांचा उद्योग ने बजट में इस क्षेत्र पर जोर दिये जाने का स्वागत करते हुए कहा कि बजट प्रस्तावों से इस क्षेत्र को बल मिलेगा. केपीएमजी इंडिया के मनीष अग्रवाल ने कहा है कि बजट में बजटीय खर्च का इस्तेमाल करते हुए इस क्षेत्र को बल देने का प्रस्ताव किया गया है. बजटीय प्रस्तावों से इस क्षेत्र की वृद्धि नये दौर में प्रवेश करेगी. विश्वास उदगिरकर ने कहा,‘रेल सुरक्षा कोष के साथ रेल सुरक्षा पर जोर दिया गया है.’
रेलवे लगायेगा सेफ्टी सेस, बढ़ेगा किराया!
नयी दिल्ली. रेल सफर करनेवाले यात्रियों को अब ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं. रेल मंत्रालय सेफ्टी फंड के लिए एक लाख 20 हजार करोड़ की राशि जुटाने को लेकर रेल किराये पर सेस लगानेवाला है.
ये सेस राष्ट्रीय रेल संरक्षण कोष में जमा होगा. स्लीपर, सेकंड क्लास और एसी 3 पर सेस ज्यादा लगेगा जबकि एसी 1 और एसी 2 पर यह मामूली रूप से लगाया जायेगा. इस सेस का असर स्लीपर श्रेणी में सफर करनेवालों पर ज्यादा पड़ सकता है. फरवरी की पहली तारीख को पेश किये जानेवाले बजट 2017-18 में वित्त मंत्री अरुण जेटली सेफ्टी सेस को लागू करने और ट्रेन के किराये में इजाफे की घोषणा कर सकते हैं. पिछले महीने रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने जेटली से सेफ्टी फंड की पूरी फंडिंग करने की मांग की थी. जिसे वित्त मंत्रालय ने नामंजूर कर दिया था. मंत्रालय ने केवल 25 फीसदी राशि देने पर सहमत हुआ था.
नागर विमानन मंत्रालय को 22 % ज्यादा धन
नागर विमानन मंत्रालय के बजटीय आवंटन में 22 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की गयी है. आम बजट 2017-18 में नागर विमानन मंत्रालय के लिए 5,167.60 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन का प्रस्ताव किया गया है, जो लगभग 22 प्रतिशत अधिक है. मंत्रालय के बजट का बड़ा हिस्सा एयर इंडिया के लिए है जिसे 1800 करोड़ रुपये मिलेंगे. कंपनी को दी जाने वाली राशि उस राहत पैकेज का हिस्सा है जिसकी घोषणा 2012 में यूपीए सरकार ने की थी. एयर इंडिया को सरकार ने 30,231 करोड़ रुपये के वित्तीय राहत पैकेज के तहत 1,800 करोड़ रुपये का आबंटन किया है. एयर इंडिया ने 2017-18 के लिए सरकार से इक्विटी के रूप में 2,844 करोड़ का समर्थन मांगा था.
इन्फ्रास्ट्रक्चर विवाद के लिए बनेगी व्यवस्था
नयी दिल्ली : बुनियादी ढांचा क्षेत्र में विवाद निबटाने के लिए एक प्रणाली बनायी जायेगी. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को वित्त वर्ष 2017-18 का बजट पेश करते हुए यह घोषणा की. कहा,‘अंशधारकों के साथ गहन विचार विमर्श के बाद हमने तय किया है कि इसके लिए मध्यस्थता एवं सुलह सफाई कानून, 1996 के हिस्से के तहत इस बारे में जरूरी व्यवस्था को संस्थागत किया जाये. इस बारे में संशोधन विधेयक जल्द पेश किया जायेगा.
64000 करोड़ रुपये से चमकेंगे देश के हाइवे
राजमार्ग क्षेत्र के लिए आबंटन 2017-18 में बढ़ा कर 64,000 करोड़ रुपये किया जा रहा है. इससे पिछले वित्त वर्ष में यह राशि 57,676 करोड़ रुपये थी. जेटली ने कहा कि सड़काें के लिए मैंने बजट आबंटन 2016-17 के 57,676 करोड़ रुपये से बढ़ा कर 2017-18 में 64,000 करोड़ रुपये किया है. निर्माण एवं विकास के लिए 2,000 किमी की तटीय संपर्क सड़कों की पहचान की गयी है. जेटली ने कहा कि 2014-15 से मौजूदा वर्ष तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना सहित अन्य कुल 1,40,000 किमी सड़कों का निर्माण किया गया है, जो इससे पिछले तीन सालों से उल्लेखनीय रूप से अधिक है. मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर से देश के विकास को गति मिलेगी.
ओड़िशा, राजस्थान में बनेंगे तेल के भंडारगृह
वैश्विक तेल बाजार में उतार-चढ़ाव के प्रभाव से देश को संभालने के प्रयास में सरकार ओड़िशा और राजस्थान में कच्चे तेल के भंडारण के लिए दो और दो भूमिगत भंडारण सुविधाएं तैयार करेगी. ओड़िशा के चांदीखोल और बीकानेर में दो नयी घोषणा करते हुए जेटली ने रणनीतिक भंडारगृहों में बिक्री से बचे स्टाक रखने के लिए विदेशी कंपनी को आयकर से छूट भी दी. भारत विशाखापत्तनम में 13.3 लाख टन, मंगलोर में 15 लाख टन और पडूर में 25 लाख टन क्षमता के भूमिगत भंडारगृह तैयार कर चुका है.
तीर्थाटन पर्यटन को 1,840.77 करोड़ मिले
सरकार ने बजट में पर्यटन मंत्रालय को 1,840.77 करोड़ रुपये का आवंटन किया जिसमें विशेष थीम (स्वदेश दर्शन योजना) के सर्किटों के विकास के लिए 959.91 करोड़ रुपये शामिल है. इसके अलावा 100 करोड़ रुपये का आवंटन तीर्थाटन पुनरुद्धार एवं आध्यात्मिक उत्थान अभियान (प्रसाद) के लिए किया गया है. पर्यटन मंत्रालय के विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के संवर्धन एवं प्रचार के लिए 412 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये गये हैं. स्वदेश दर्शन के तहत 13 विषयात्मक सर्किटों की पहचान की गयी है.
सौर ऊर्जा को आम जनजीवन में लोकप्रिय बनाने की कवायद
जेटली ने स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सौर और पवन ऊर्जा में लगनेवाले सामान पर उत्पाद एवं सीमा शुल्क में बड़ी कटौती का प्रस्ताव किया. दूसरे चरण में 20,000 मेगावाट क्षमता के सौर पार्क बनाने की घोषणा की. जेटली ने कहा,‘सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हम 20,000 मेगावाट अतिरिक्त क्षमता सृजित करने के लिये दूसरे चरण के सौर पार्क विकास का प्रस्ताव करते हैं.’ इसके अलावा मंत्री ने मध्यम अवधि में 7,000 रेलवे स्टेशनों को सौर बिजली से संचालित करने का प्रस्ताव किया. 300 स्टेशनों पर पहले ही यह काम किया जा रहा है. 1,000 मेगावाट सौर मिशन के तहत 2,000 रेलवे स्टेशनों पर काम शुरू किया जायेगा. पीयूष गोयल ने कहा कि मंत्रालय जल्दी ही 20,000 मेगावाट के सौर पार्कों की नीलामी शुरू करेगा.
एक्सपर्ट व्यू
रेल यात्रियों की सुरक्षा व विकास पर केंद्रित बजट
आरएन मल्होत्रा
पूर्व चेयरमैन, रेलवे बोर्ड
देश में पहली बार रेल बजट को अलग से पेश नहीं किया गया. इस बजट में रेलवे की सुरक्षा के लिए काफी अहम घोषणाएं की गयी हैं. सुरक्षा के लिए अलग से एक लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. इसके लिए राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष का गठन किया जायेगा.
बड़ी रेल लाइनों पर 2020 तक मानव रहित क्रासिंग को खत्म करने का प्रयास करने की बात कही गयी है. मौजूदा समय में रेलवे के लिए सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है. रेल हादसों की बढ़ती संख्या के कारण सुरक्षा का सवाल काफी अहम हो गया है. दिनों-दिन रेलवे पर लगातार बोझ बढ़ रहा है. यात्रियों की बढ़ी संख्या के लिहाज से रेलवे का विस्तार नहीं किया गया.
आधुनिकीकरण पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया. यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए रेलवे ने क्षमता से अधिक नयी ट्रेनें चलाने का सिलसिला जारी रखा. इससे रेलवे ट्रैकों पर क्षमता से दोगुना दबाव पड़ने लगा. ट्रैकों पर दबाव के कारण न सिर्फ ट्रेनों के संचालन में देरी हो रही है, बल्कि दुर्घटना की संभावना भी काफी बढ़ गयी है. आजादी के बाद चीन में भारत के मुकाबले रेल नेटवर्क आधा था, लेकिन चीन ने रेलवे में निवेश कर रेल नेटवर्क को भारत से दोगुना कर दिया है. यही नहीं वहां हाइ स्पीड ट्रेनों का सफल संचालन हो रहा है. बजट में रेलवे के विकास के लिए बजट में 1.31 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. 70 नये प्रोजेक्ट के लिए 55 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान हुआ है. देश में मेट्रो रेल के विस्तार के लिए नयी नीति बनाने की बात कही गयी है. इससे देश के बड़े शहरों में मेट्रो के विकास में मदद मिलेगी. रेलवे के सामने सबसे बड़ी समस्या पूंजी की रही है, लेकिन बजट में पूंजी जुटाने के नये तरीके अपनाने के साथ ही फंडिग के लिए नये तरीके अपनाने पर जोर दिया गया है.
अगले वित्त वर्ष में 3500 किलोमीटर नयी रेल लाइन बनाने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन सुरक्षा, आधुनिकीकरण के साथ रेलवे को अपनी आय बढ़ाने के उपायों पर गौर करना चाहिए. माल भाड़े में रेलवे की हिस्सेदारी लगातार कम होती जा रही है. इसके लिए अलग से बनाये जा रहे डेडिकेटेड फेट कॉरिडोर का काम जल्दी से पूरा करना चाहिए और माल भाड़े को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है. मौजूदा समय में रेलवे संचालन पर 33 हजार करोड़ का नुकसान उठा रही है. लेकिन इसे कम करने के लिए सरकार ने कई अच्छे कदम उठाये हैं.
उम्मीद है कि आने वाले समय में रेलवे का राजस्व बढ़ेगा. रेलवे की माली हालात के लिए इसका राजनीतिक फायदे के लिए उपयोग किया जा रहा है. पूर्व में कई योजनाएं वित्तीय मानदंडों को दरकिनार कर लागू करने की कोशिश की गयी. यही वजह है कि आज लाखों करोड़ रुपये की योजनाएं लंबित पड़ी हुई है. अच्छी बात है कि इस बार सरकार ने लोकलुभावना घोषणाओं की बजाय तर्कसंगत कदम उठाने की बात कही है. आज भी देश में सुरक्षा के लिहाज से रेलवे डिब्बों की बड़े पैमाने पर कमी है. यात्रियों की सुरक्षा के लिए इसे बदलने के साथ ही ट्रेनों में एंटी कॉलिजन डिवाइस, बेहतर सिंगनलिंग सिस्टम को अपनाने की आवश्यकता है.
आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश
स्टार्ट-अप के लिए छूट की अवधि बढ़ कर सात साल
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्टार्ट-अप को राहत प्रदान करते हुए तीन साल के लिए कर छूट का लाभ लेने के लिये समय अवधि बढ़ा कर सात साल किये जाने की घोषणा की. इसकी गणना कंपनी के अस्तित्व में आने के बाद पहले सात साल के लिए की जायेगी.
स्टार्ट-अप के लिए लाभ से संबद्ध पांच साल में तीन साल की छूट की मियाद को बढ़ा कर सात साल में तीन साल किया गया है. इसके तहत अब स्टार्ट-अप कंपनियां यह छूट सात साल में ले सकती हैं. स्टार्ट-अप में नुकसान को आगे बढाने के मकसद के लिए 51 प्रतिशत मतदान का अधिकार को बरकरार रखने की शर्त में छूट दी गयी है. हालांकि यह इस शर्त पर निर्भर है कि मूल प्रवर्तक : प्रवर्तकों की हिस्सेदारी बनी हुई हो. इससे स्टार्ट-अप को राहत मिलने की उम्मीद है क्योंकि वे परिचालन के शुरुआती कुछ साल में मुनाफा नहीं कमा पाते. न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) को हटाने के मुद्दे पर वित्त मंत्री ने कहा,‘यह मैट को फिलहाल हटाने या उसमें कमी लाना व्यवहारिक नहीं है. हालांकि कंपनियों को मैट क्रेडिट का आगे के वर्षों में उपयोग की अनुमति देने के लिए मैं मैट को आगे बढ़ाने की अवधि 10 साल से बढ़ा कर 15 साल करने का प्रस्ताव करता हूं.’ जेटली ने 50 करोड़ तक के कारोबारवाली छोटी कंपनियों के आयकर को कम कर 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है.
रेल मंत्री की राय
रेल में निवेश से हो रहा फायदा : सुरेश प्रभु
रेलवे के लिए कुल पूंजी और विकास व्यय 1,31,000 करोड़ रपये रहने का अनुमान
नयी दिल्ली : लोकसभा में वित्त मंत्री की ओर से पेश किये गये बजट को नये युग की शुरुआत करार देते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि इसमें प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण की स्पष्ट छाप दिखायी देती है.
प्रभु ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा कि सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी बजट में रेलवे के पूंजी परिव्यय के लिए 1.31 लाख करोड़ रुपये के प्रावधान कर इसे अभूतपूर्व बनाया है. कहा कि बजट विकासोन्मुख है. वित्तमंत्री की ओर से आम बजट प्रस्तुत किये जाने के बाद प्रभु ने कहा कि केवल राजकोषीय सूझबूझ का ही नहीं, बल्कि ठीक उसी समय सामाजिक न्याय को लाते हुए एक नये दौर की शुरुआत की गयी है. प्रभु ने कहा कि विकास भारी निवेश के कारण होगा जो हो रहा है. रेलवे में पूंजी परिव्यय के लिए 1.31 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान रेलवे के इतिहास में अभूतपूर्व है. आधारभूत ढांचा निवेश से विकास में गति आयेगी जबकि सामाजिक क्षेत्र का परिव्यय के लिए समानता और देश में एक नयी अर्थव्यवस्था को लायेगा. बजट में प्रधानमंत्री के विचारों का अक्स है. बजट के दूरगामी परिणाम होंगे.
उम्मीदें… जो पूरी न हो सकीं
क्लीन माइ कोच: पिछले बजट में हुई घोषणा के मुताबिक एक एसएमएस से कोच में सफाई की सुविधा लागू नहीं हो पायी.
कोंकण रेलवे में दिव्यांग बुजुर्गों के लिए सारथी सेवा
महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों के लिए आस्था सर्किट ट्रेनें
चार सुपर फास्ट ट्रेनों की घोषणा हुई थी. जिसमें अब तक अंत्योदय एक्सप्रेस और उदय एक्सप्रेस शुरू नहीं हुए.
फ्लैशबैक 2016-17
रेल विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा
व्यस्त रूटों पर जनल बोगी की एक्सप्रेस ट्रेनें
311 रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे लगेंगे
400 रेलवे स्टेशनों का होगा पुर्नगठन
एक घंटे के आधार पर बुक होगा रिटायरिंग रूम
दिव्यांगों के लिए विशेष टॉयलेट सीट
रेलवे 20 हजार करोड़ रेलवे लेगा उधार
हैंड हैल्ड टर्मिनल के जरिये टिकट की बिक्री
65 हजार शायिकाओं का किया गया निर्माण
हर ट्रेन में 120 बर्थ बुजुर्गों के लिए आरक्षित
महिला यात्रियों के लिए 24 घंटे की हेल्पलाइन
स्टेशनों पर बार कोडवाली टिकट और स्कैनर
कमेंट
यह हताशा और निराशावाला बजट है. जब रेल मंत्री बजट नहीं पेश कर सकते हैं, तो ऐसे में उनकी क्या जरूरत है. बजट में रोजगार का कहीं जिक्र नहीं. नोटबंदी से देश में हालात खराब हुई, मंहगाई बढ़ी, दिहाड़ी मजदूरों का रोजगार छिना.
लालू प्रसाद, राजद सुप्रीमो
बजट गरीबों और किसानों के लिए हितकर है. कौशल विकास के प्रावधान से ग्रामीणों और युवाओं को फायदा मिलेगा. मोदीजी ने राजनीति में पारदर्शिता लाने के 2014 में किये अपने चुनावी वादे को पूरा किया.
अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष
सरकार का बजट बेहद निराशानजक है. बजट में जो घोषणाएं की गयी हैं, उसमें में 99 फीसदी हमारा काम किया हुआ है, नयी सरकार ने कुछ भी नया नहीं किया है.सब पूर्ववत है. सारे आइडिया हमारे ही हैं.
अभिषेक मनु सिंघवी, कांग्रेस नेता
इस बजट से आम जनता को बहुत लाभ मिलेगा. सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में जनता से किये गये अधिकतर वादों को अपने बजट में शामिल किया गया है. इसमें मुद्रास्फीति को संभालते हुए विकास करने की कोशिश की है.
मुरली मनोहर जोशी, सांसद भाजपा
बजट नॉलेज
आम बजट से अलग, रेलवे बजट को 10 सदस्यीय एक्वर्थ कमेटी की सिफारिशों के आधार पर पहली बार 1924 में पेश किया गया था. सबसे अधिक बार रेल बजट करने का रिकॉर्ड जगजीवन राम के नाम पर है जिन्होंने लगातार सात सालों तक रेल बजट पेश किया. जगजीवन राम वर्ष 1956 से लेकर 1962 तक रेल मंत्री रहे.
विश्लेषण
विकास को बरकरार रखनेवाला बजट
आलोक पुराणिक
वाणिज्य प्राध्यापक, दिल्ली विश्वविद्यालय
आम बजट को ‘कामचलाऊ’, ‘लोकलुभावन’ और ‘ऐतिहासिक’ जैसी संज्ञाएं दी जा रही हैं. लेकिन, इसे न तो पूरी तरह से लोगों के अलग-अलग तबकों को तुष्ट करने के इरादे से लाया गया है, और न ही इसमें आर्थिक सुधारों को गति देने की कोई ठोस पहल की गयी है. सरकार ने गांव और गरीब पर फोकस तो किया है, पर
और बेहतर की गुंजाइश बनी हुई है. बजट के विभिन्न आयामों के विश्लेषण पर आधारित आज की विशेष प्रस्तुति.
बजट ठीक वैसा नहीं निकला, जैसा विपक्षी दल चाहते थे. मतलब वह चाहते थे कि कुछ ऐसा करे बजट कि इस सरकार को सूट-बूट की सरकार साबित करने का मौका मिले, पर यह बजट गांव-खेत में इंटरनेट चलाता हुआ, डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ाता हुआ दिखा. आयकर के मामले में इस बजट ने राहत दी है. ढाई लाख से पांच लाख की इनकम पर पहले आय कर दस प्रतिशत होता था, जिसे घटा कर पांच प्रतिशत कर दिया गया है. इससे अंतत: अर्थव्यवस्था में कुछ खरीद क्षमता पैदा होगी. अर्थव्यवस्था में बड़ी समस्या यह है कि मांग कमजोर है. मांग मजबूत हो, तो उद्योगपति नये निवेश के लिए प्रेरित होंगे. नये रोजगार वहां पैदा हो सकते हैं.
ग्राम, कृषि और संबंधित क्षेत्रों में 1,87,223 करोड़ रुपये का प्रावधान यानी पिछले साल के मुकाबले 24 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के प्रति दो वजहों से ज्यादा संवेदनशील है, एक तो कई राज्यों में चुनाव हैं, दूसरे पांच सालों में किसानों की आय को दोगुना करने का इरादा है. यह आसान काम नहीं है. मनरेगा के लिए सरकार ने 48,000 करोड़ रुपये रखे हैं और सुनिश्चित किया है कि राहत अर्थव्यवस्था के उस तबके को मिले, जो संपन्नतम तबके में नहीं आता. किसानों की इनकम पांच सालों में दोगुनी हो जायेगी, यह बात मोदी सरकार लगातार कहती आयी है. बजट ने कहा है कि नाबार्ड के कंप्यूटराइजेशन पर ध्यान होगा, ताकि किसानों को आसानी से कर्ज दिया जा सके.
छोटा बनाम बड़ा कारोबार
वित्त मंत्री ने छोटी कंपनियों पर कर दायित्व कम कर दिया है. बजट के मुताबिक 50 लाख रुपये तक सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों पर 30 प्रतिशत कर नहीं, 25 प्रतिशत रहेगा. बाकी कंपनियों पर कर दर तीस प्रतिशत ही रहेगी. बड़ी कंपनियों की मांग यह थी कि कर की दर में एक प्रतिशत बिंदु की कमी की जाये. पर, यह 25 प्रतिशत की दर अभी सिर्फ छोटी कंपनियों के लिए ही लायी गयी है, बड़ी कंपनियों को इसके लिए इंतजार करना होगा.
नौकरी बनाम रोजगार
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का लक्ष्य 2017-18 में दो लाख 44 करोड़ रुपये रखा गया, जो पिछले साल के मुकाबले दोगुना है. गौरतलब है कि नौकरियों की बढ़ोत्तरी की गति धीमी है. कांग्रेस ने आर्थिक सर्वेक्षण से पूर्व पेश अपने दस्तावेज में मोदी सरकार के सामने सवाल उठाया था कि रोजगार को लेकर मोदी के दावे क्या हुए. मुद्रा योजना के तहत खास तौर पर छोटे कारोबारियों का कर्ज दिया जाता है. यानी रोजगार के लिए कर्ज सरकार दिलाना चाहती है. रोजगार और नौकरी का फर्क साफ है, नौकरियां अगर ज्यादा पैदा नहीं हो रही हैं, तो लोगों को स्वरोजगार की सोचनी चाहिए. मुद्रा योजना के तहत 2017-18 में सरकार ज्यादा कर्ज देगी. आर्थिक सर्वेक्षण में भी रोजगार की अनिश्चितता की बात कही गयी थी.
सबको न्यूनतम आय यानी यूनिवर्सल बेसिक इनकम की वकालत करते हुए आर्थिक सर्वेक्षण ने कहा था कि सबको न्यूनतम आय से इस मसले पर कुछ राहत मिल सकती है. मुद्रा योजना के तहत छोटे कारोबार के संवर्धन के प्रयास संभव है. दरअसल यह बात सरकार को भी समझ में आ रही है कि रोजगार के अवसर पैदा करना संभव है, सबके लिए नौकरियां पैदा कर पाना संभव नहीं है. नयी परियोजनाओं के आने के बाद भी नौकरियां पैदा होने के अवसर ज्यादा नहीं बन रहे हैं.
कंस्ट्रक्शन को महत्व
इस बजट ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण घोषणा की है कि सस्ते मकानों के निर्माण को एक बुनियादी उद्योग का दर्जा दिया गया है. मोदी सरकार का लक्ष्य 2020 तक 2 करोड़ मकान बनाने का है. कंस्ट्रक्शन को बजट ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका दी है. हाउसिंग को जो महत्व दिया गया है, उसका सीधा और परोक्ष असर कंस्ट्रक्शन पर पड़ता है. कंस्ट्रक्शन में उछाल आता है, तो स्टील, सीमेंट समेत कई कारोबारों में बेहतरी आती है और कंस्ट्रक्शन वह उद्योग है, जहां कम अशिक्षित लोगों को भी रोजगार मिल सकता है. कंस्ट्रक्शन को बढ़ावा दरअसल एक साथ कई उद्योगों को, रोजगार को बढ़ावा देना है.
राजकोषीय घाटा
राजकोषीय घाटा 1917-18 में जीडीपी का 3.2 प्रतिशत रहेगा, यानी कुल मिला कर राजकोषीय घाटे को लेकर चिंता की जरूरत नहीं है. गौरतलब है कि राजकोषीय घाटे को लेकर काफी चिंताएं थीं, क्योंकि इसका ताल्लुक क्रेडिट रेटिंग से होता है. अगर राजकोषीय घाटा ज्यादा हो जाये, तो क्रेडिट रेटिंग कम होने की आशंका हो जाती है. गौरतलब है कि भारत सरकार अपनी उन क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों से नाराज है, जो भारत की रेटिंग को बेहतर नहीं करती हैं. आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम ने साफ तौर पर क्रेडिट रेटिंग में पक्षपात का आरोप लगाया कि चीन के मुकाबले भारत की स्थिति बेहतर होने के बावजूद चीन की क्रेडिट रेटिंग इंडिया के मुकाबले बेहतर रखी गयी है.
खेत पर नेट
भारत नेट योजना के लिए सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये रखे हैं, इसके तहत हाइ-स्पीड ब्राॅड-बैंड इंटरनेट की व्यवस्था की जायेगी. डिजिटल इकोनॉमी की दिशा में यह बड़ा कदम है. कैशलेस इकोनॉमी के लिए तेज गति का इंटरनेट जरूरी है. टेक इंडिया हमारा अगले साल का एजेंडा- ऐसा वित्त मंत्री ने कहा. पारदर्शिता के लिए डिजिटल इकोनॉमी पर जोर दिया गया है. नाबार्ड के कंप्यूटराइजेशन पर ध्यान दिया है, ताकि किसानों को आसानी से कर्ज दिया जा सके. इंटरनेट अब सिर्फ संवाद का नहीं, आर्थिक गतिविधि का भी केंद्र है.
चुनौतियां आगे हैं
इस बजट को बजट का भाग एक माना जाना चाहिए. बजट का दूसरा भाग जुलाई में या इसके बाद तब आ सकता है, जब जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स की व्यवस्था ठोस शक्ल लेगी. तब आय के क्या इंतजाम किये जायेंगे, साफ होगा. अभी माना जाना चाहिए कि सरकार खर्च और आय के नये आंकड़े भी पेश कर सकती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भावों का रुख लगातार ऊपर जा रहा है. गौरतलब है कि बरसों से वित्त मंत्री जेटली को कच्चे तेल के गिरते भावों का फायदा मिलता रहा है, पर अब वह फायदा मिलना संभव नहीं है. इसलिए आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि कुछ समय बाद बजट का भाग दो भी दिखायी पड़े.
मध्यवर्ग को जरा-सी राहत
प्रो मुनीर आलम
प्रोफेसर, आइइजी, दिल्ली
यह बजट कोई चौंकानेवाला बजट नहीं रहा, खासतौर पर इनकम टैक्स को लेकर जब हम बजट से पहले चर्चा कर रहे थे, तो लोग यही सोच रहे थे कि आयकर छूट की सीमा ढाई लाख से बढ़ा कर चार लाख तक हो सकती है. जबकि, मैंने कहा था कि यह सीमा तीन लाख के आस-पास रहेगी, और इस बजट में यही सीमा निर्धारित की गयी. अगर आयकर छूट सीमा चार लाख से ऊपर हुआ होता, तो मध्यवर्ग को इससे ज्यादा खुश हुआ होता. हालांकि, ढाई से पांच लाख तक की आय पर सिर्फ पांच प्रतिशत टैक्स देना होगा, जो अब तक दस प्रतिशत देना होता था, इससे वेतनभोगी मध्यवर्ग को कुछ राहत जरूर मिलेगी. इसकी चर्चा बहुत दिनों से हो भी रही थी, इसलिए इसे तो होना ही था.
ऐसे में यह सोचने की जरूरत नहीं है कि इस बजट में कोई बहुत नयी बात सामने आयी है. हालांकि, मुझे इस बात की उम्मीद थी कि दस लाख तक की आय वाले लोगों को सरकार कुछ राहत देती, ताकि लोग सही-सही अपनी आय बताते, क्योंकि लोग आय को छुपाते-फिरते हैं. सरकार को छिपे स्रोतों से ही अंदाजा लगाना पड़ता है कि भारत में लोगों की आय क्या है.
जब भी मध्यवर्ग की बात होती है, तो हम सिर्फ टैक्स पर आकर ठहर जाते हैं कि बजट में मध्यवर्ग को टैक्स में कितनी छूट मिली. बाकी सारी चीजों को हम छोड़ देते हैं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य या फिर दूसरे क्षेत्रों में सरकार ने क्या कुछ दिया है. मध्यवर्ग के लिए इन सभी चीजों पर भी ध्यान देने की जरूरत है. मध्यवर्ग एक ऐसा वर्ग है, जो सबसे ज्यादा खरीदारी करता है और यही वजह है कि कंजम्पशन भी बढ़ रहा है. मध्यवर्ग की जीवनशैली कुछ खर्चीली होती है, जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात है. लेकिन, यहां एक बुनियादी चीज नजर आती है कि मध्यवर्ग की आय के आंकड़े और उसके उपभोग के आंकड़े में अंतर है.
इस बजट से एक चीज जरूर देखने को मिली कि सरकार के पास बहुत-कुछ देने के लिए था ही नहीं, इसलिए अपनी सीमाओं में रह कर ही वह जितना कर सकती थी, उसने किया है. लेकिन, इसके बावजूद बजट की तीन बातें महत्वपूर्ण हैं. पहला, भाजपा की सरकार होते हुए भी यह कॉरपोरेट सेंट्रिक बजट नहीं लग रहा है. इस बजट में ग्रामीण क्षेत्र में आय बढ़ाने की ओर ध्यान दिया गया है. यानी बजट की दिशा जो अक्सर कॉरपोरेट की ओर रहा करती थी, वह इस बार नहीं देखने को मिली.
दूसरी बात, सरकार ने राजनीतिक फंडिंग में टैक्स डिक्लरेशन के लिए जो दो हजार रुपये की सीमा की बात की है, वह काबिले-तारीफ है. हालांकि, खुद राजनीतिक पार्टियां इस पर कितना खरा उतरती हैं, यह तो देखनेवाली बात होगी. इससे यह तो सिद्ध होता है कि सरकार भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर है.
तीसरी जो मुख्य बात यह है कि इस बजट कृषि क्षेत्र में ध्यान देने की बात की गयी है और सरकार ने पांच साल में किसानों की आय दोगुना करने की प्रतिबद्धता दोहरायी है. दरअसल, कुछ समय से निजी निवेश में कमी देखी गयी है, इसलिए उस गैप को भरने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आय को बढ़ाने का प्रयास किया जाये, ताकि गरीबी उन्मूलन में मदद मिल सके. इसलिए सरकार ने सरकारी व्यय (पब्लिक एक्सपेंडिचर) के जरिये इस दिशा में कदम बढ़ाने की कोशिश की है. यह भारत के लिए बहुत जरूरी भी है, क्योंकि हमारी ज्यादातर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में ही रहती है.
खेती को उद्योग से जोड़ना जरूरी
ब्रजेश झा
अर्थशास्त्री, इंस्टीट्यूट ऑफ इकॉनोमिक ग्रोथ
आम बजट में सबसे अच्छी बात यह हुई है कि लघु सिंचाई पर काफी जाेर दिया गया है. शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि बजट में सरकार ने आउटले यानी खर्चों के साथ आउटकम यानी नतीजों की भी बात की है. यानी अब सरकार कह रही है कि इतने हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा मुहैया करायी जायेगी, जबकि पहले महज आबंटित धनराशि के बारे में बताया जाता था.
आउटकम पर फोकस करना गवर्नेंस के लिहाज से अच्छी बात है. रोजाना 100 किमी से अधिक ग्रामीण सडकों का निर्माण इस लिहाज से अच्छा है, क्योंकि पहले आम तौर पर इस मद में बजट आबंटन पर चर्चा होती थी. पहले सरकार कहती थी कि इस मद में बीते वर्ष इतना खर्च किया गया और इस वर्ष इतना खर्च किया जायेगा़
फसल बीमा का दायरा सरकार भले ही व्यापक कर रही है, लेकिन किसानों के नजरिये से देखा जाये, तो यह व्यावहारिक नहीं है. इससे किसानों को उतना फायदा नहीं मिल रहा है, जितना सरकार इस मद में खर्च कर रही है. दरअसल, इस मद में सरकार जितनी वित्तीय मदद किसानों के लिए आबंटित करती है, उन तक उतना पहुंच नहीं पाता है. इससे बेहतर यह होगा कि किसानों को लागत के हिसाब से बेहतर दाम मिलने चाहिए. इसलिए फसल बीमा पर ज्यादा जोर देना ठीक नहीं है. किसानों को उनकी उपज का ज्यादा दाम मिले और उन्हें फायदा पहुंचे, इसके लिए सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में भंडारण क्षमता बढ़ानी चाहिए. यूनीफाइड एग्री मार्केट की संख्या बढ़ाने से ज्यादा-से-ज्यादा किसानों को उसका फायदा मिल सकेगा.
मौजूदा केंद्र सरकार ने एक बार फिर इस बजट में किसानों की आय को पांच वर्षों में दोगुना करने के लिए प्रतिबद्धता जतायी है, लेकिन इसे हासिल कर पाना आसान नहीं है. यदि हम पिछले दशक के ही आंकड़ों को देखें, तो भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2002-3 से 2012-13 यानी 10 वर्षों के दौरान किसानों की अामदनी में केवल दो ही राज्यों (हरियाणा और राजस्थान) में 60 फीसदी तक की वृद्धि हो पायी है. हालांकि, सरकार अपनी ओर से इस दिशा में काम कर रही है, लेकिन मेरा मानना है कि आगामी पांच वर्षों में इस लक्ष्य को हासिल कर पाना वाकई में बेहद मुश्किल लक्ष्य है.
बजट में ग्रामीण विद्युतीकरण पर जोर दिया गया है, जिससे निश्चित रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. किसानों को मुहैया कराये जानेवाले कर्ज की रकम भी बढ़ायी गयी है, जो उनके हित में होगा.
लेकिन, सबसे बड़ी चीज है किसानों को उसके फसल की उचित कीमत मिलना. इस नजरिये से एक बड़ी चीज है फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री का विस्तार, जिस पर इस बजट में ज्यादा जोर नहीं दिया गया है. यह ऐसी इंडस्ट्री है, जो रुरबन क्लस्टर (रूरल और अरबन का मिश्रण यानी कस्बाई इलाकों) में आसानी से शुरू की जा सकती है. इससे आसपास के गांवों में किसानों को आमदनी बढ़ाने का बड़ा जरिया मिल जाता है.
इसके अलावा, सेल्फ-हेल्प ग्रुप को प्रोमोट करना होगा. इसके लिए उन्हें मल्टी-लाइवलीहुड की ओर ले जाना होगा. इसके जरिये सभी सदस्यों को उद्योगों से जोड़ना होगा. तय मानिये कि उद्योगों से जोड़े बिना किसानों की आमदनी को बढ़ाना बहुत मुश्किल है. तभी जाकर किसानों की आमदनी बढ़ायी जा सकती है. माइक्रो-क्रेडिट का दायरा बढ़ा कर ज्यादा-से-ज्यादा किसानों तक ले जाना होगा.
(बातचीत : कन्हैया झा)
जानिए क्या है आम बजट
– भारतीय संविधान के अनुच्छेद-112 के तहत हर वर्ष वित्तीय विवरण के रूप में आम बजट प्रस्तुत किया जाता है. राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित तिथि पर (बजट सत्र हर वर्ष फरवरी से मई के बीच) केंद्रीय वित्त मंत्री बजट को
पेश करते हैं.
– बजट में किसी वित्त वर्ष (1 अप्रैल-31 मार्च) में सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय को शामिल किया जाता है.
– संसद के दोनों सदनों द्वारा बजट पास करने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलती है और इसके बाद यह 1 अप्रैल से प्रभावी हो जाता है.
इस बार बजट में बदलाव
– इस वर्ष से आम बजट को फरवरी माह के पहले कार्यदिवस पर प्रस्तुत करने की परंपरा शुरू की गयी है. इससे पहले आम बजट फरवरी माह के अंतिम कार्यदिवस पर बजट पेश किया जाता था.
– बजट प्रस्तुत करने के समय में बदलाव के पीछे सरकार तर्क है कि अप्रैल माह में शुरू होनेवाले नये वित्त वर्ष से नये सुधारों और कार्ययोजनाओं को लागू करने में समय और सहूलियत मिलेगी.
– 92 वर्षों में पहली बार आम बजट के साथ रेल बजट को शामिल करते हुए प्रस्तुत किया गया है. इससे पहले रेल मंत्रालय द्वारा रेलवे के आय-व्यय का विवरण रेल बजट के रूप में प्रस्तुत किया जाता था.
बजट के प्रमुख घटक
आम बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री के बजट भाषण के साथ 14 प्रमुख दस्तावेजों को शामिल किया जाता है.
– वार्षिक वित्तीय विवरण
– अनुदान मांगें
– विनियोग विधेयक
– वित्त विधेयक
– वित्त विधेयक, संबंधित वर्ष में किये गये उपबंधों का व्याख्यात्मक ज्ञापन
– संबद्ध वित्त वर्ष के लिए वृहत-आर्थिक रूपरेखा विवरण
– वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय नीतिगत कार्ययोजना का विवरण
– मध्यावधि राजकोषीय नीतिगत विवरण
– व्यय बजट खंड-1
– व्यय बजट खंड-2
– प्राप्ति बजट
– बजट एक नजर में
– बजट की मुख्य बातें
– वित्त मंत्री के पिछले वित्त वर्ष के बजट भाषण में की गयी घोषणाओं का कार्यान्वयन विवरण.
– बजट में शामिल वित्त विधेयक और विनियोग विधेयक के 1 अप्रैल से लागू होने से पहले इनका लोकसभा और राज्यसभा में पास होना अनिवार्य है.
बजट से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
– मौजूदा राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी अपने राजनीतिक कैरियर में वित्त मंत्री के रूप में सात बार आम बजट प्रस्तुत कर चुके हैं.
– पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने वित्त मंत्री रहते हुए रिकॉर्ड 10 बार बजट प्रस्तुत किया है, जिसमें वर्ष 1959 और 1964 का अंतरिम बजट भी शामिल है.
– बजट से पहले दस्तावेज तैयार करने में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों को एक समारोह के तहत हलवा परोसा जाता है.
– बजट प्रस्तुत किये जाने से लगभग एक हफ्ता पहले कर्मचारियों को घर-परिवार से दूर पूर्ण रूप से वित्त मंत्रालय के अधीन तत्पर होना पड़ता है.
– वर्ष 1973-74 में पेश किये गये बजट को ‘काला बजट’ कहा जाता है, क्यों उस समय देश 550 करोड़ रुपये के घाटे में था.
– देश का पहला आम बजट 1947 में तत्कालीन वित्त मंत्री आरके शानुखम चेट्टी द्वारा प्रस्तुत किया गया था.
नोटबंदी के प्रभावों को कम करने की कोशिश
अभिजीत मुखोपाध्याय
अर्थशास्त्री
आम बजट में आये प्रस्तावों और घोषणाओं से स्पष्ट है कि सरकार ने ग्रामीण जनता और मध्य वर्ग को खुश करने का प्रयास किया है. सरकार को लगभग तीन साल होने जा रहे हैं. वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर विशेष रूप से फोकस किया था. इसके लिए मेक इन इंडिया जैसे कुछ बड़े कार्यक्रम भी लांच किये गये. इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए भी निवेश पर फोकस किया गया. इसके अलावा, एक्सपोर्ट बढ़ाने और एफडीआइ लाने के लिए सरकार ने तेजी से प्रयास किये. लेकिन, दुर्भाग्य से अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं आये. इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए तो हर साल कुछ न कुछ बजट आवंटन हो रहा है. इसमें दो बाते हैं, एक तो इसमें अपेक्षित तेजी नहीं आयी, दूसरा बहुत सारे प्रोजेक्ट को पीपीपी मॉडल में डाला गया. लेकिन, इसके परिणामों पर बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है. इस बजट में इन बातों पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत थी.
वित्त मंत्री कह रहे हैं कि ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए 2.41 लाख रुपये और इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के लिए 3.69 लाख दे दिया. यदि आवंटन बढ़ता है, तो अच्छी बात है, लेकिन अच्छा परिणाम अच्छा आना जरूरी है. इससे तो आपके इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में बदलाव तो नहीं हुआ. गौर करनेवाली बात यह है कि ग्रामीण और कृषि क्षेत्र में सरकार की जो पहल दिख रही है, दरअसल वह नोटबंदी के प्रभावों को कम करने की दिशा में उठाया गया कदम है. सरकार मान रही है ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा परेशानी हुई है, इसलिए इन्हें कुछ राहत दे दी जाये.
बजट नोटबंदी के प्रभावों के इर्द-गिर्द घूम रहा है. बजट से उम्मीदें बहुत थीं, कुछ नया सोचने की जरूरत थी. अगर आपको लगता है कि नोटबंदी से लोग नाराज होकर वोट नहीं देंगे और यूपी, पंजाब में हार जायेंगे. ऐसे में बचने के लिए आप कदम उठा रहे हैं, तो यह सही नहीं है. सरकार ने पंचायतों में इंटरनेट सुविधा के लिए 10,000 करोड़ देने की बात कही है. यदि 10,000 करोड़ से पंचायतें वाइ-फाइ हब बन जाती हैं, तो सवाल खड़ा होता है कि क्या सबके पास स्मार्टफोन खरीदने के लिए पैसा है? दरअसल, विमुद्रीकरण को सही साबित करने के लिए यह सब करना पड़ रहा है. जहां तक रोजगार की बात है तो सरकार इस मोर्चे पर लगभग विफल रही है. यदि सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं तलाश रही है, तो इसको भी छह महीना, साल भर करके देख सकते हैं.
हालांकि, ग्राम सड़क योजना जैसी कुछ प्रमुख योजनाओं में ठीक-ठाक काम हुआ है. यदि आप आवास योजना और ग्राम सड़क योजना पर विशेष रूप से फोकस कर रहे हैं, तो आप नयी स्कीम लाकर ग्रामीण क्षेत्रों में कम आय वालों को सब्सिडी रेट पर कर्ज देने का प्रावधान कर सकते थे. बजट में नया और बहुत परिवर्तनकारी नहीं दिख रहा है. पहले के बजट को नये रूप में पेश किया गया है. रेल बजट को इसमें जोड़ दिया गया और इसमें कुछ नहीं किया गया. यात्री भाड़े की जो हालत है, उससे अब सस्ती फ्लाइट से इसकी तुलना करना आसान हो गया है. इससे स्पष्ट है कि आपकी मंशा प्राइवेट एयरवेज की तरफ यात्रियों को प्रोत्साहित करना है. कुल मिला कर रेलवे में जनता को निराशा हाथ लगी है.
बातचीत : ब्रह्मानंद मिश्र
स्टैंड-अप इंडिया इनिशिएटिव के तहत ढ़ाई लाख से अधिक अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने की सरकार की पहल सराहनीय है. आदिवासियों को सशक्त बनाने के लिए वनबंधु कल्याण योजना के तहत चौदह विभिन्न क्षेत्रों की पहचान की गयी है. उम्मीद है कि इससे महिलाएं लाभान्वित होंगी. वहीं, मनरेगा में महिलाओं की भागदारी बढ़ा कर 55 प्रतिशत तक कर दी गयी है.
इससे ग्रामीण क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी. इस बजट में महिला कौशल विकास के लिए आवंटित राशि को बढ़ाकर 1.84 लाख करोड़ रुपये करने के साथ ही 100 भारत-अंतरराष्ट्रीय कौशल केंद्र की स्थापना करने का प्रावधान भी किया गया है. इससे महिलाओं के लिए कौशल विकास और रोजगार के अवसर को बढ़ावा मिलेगा. महिलाओं और बच्चों के लिए इस बजट में 1,84,632 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. आशा है कि इससे गरीबी उन्मूलन और पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लक्ष्य में मदद मिलेगी.
विनिता बिंभेट, फिक्की महिला संगठन की अध्यक्ष
यह एक विकासोन्मुखी बजट है, जिसमें निवेश के लिए काफी मात्रा में सार्वजनिक निधियों (पब्लिक फंड) का आवंटन किया गया है. विकासोन्मुखी बजट पेश करने के साथ ही वित्त मंत्री ने आर्थिक अनुशासन (फिस्कल डिसिप्लीन) की दिशा को भी बनाये रखा है मेरा मानना है कि इस बजट में ग्रामीण क्षेत्र में निवेश, डिजिटल, युवा, कौशल विकास पर खास तौर से ध्यान केंद्रित करने के साथ ही आर्थिक अनुशासन की दिशा को भी बनाये रखा गया है.
चंदा कोचर, एमडी व सीइओ,
आइसीआइसीआइ बैंक
विकास दर की वापसी तक आर्थिक घाटे में नाममात्र की वृद्धि (मार्जिनल इंक्रीज) संतोषजनक है. लगभग 3.2 प्रतिशत के आर्थिक घाटे के लक्ष्य से मैं बहुत ज्यादा चिंतित नहीं हूं.
दीपक पारेख, अध्यक्ष, एचडीएफसी
सरकार ने अगले वर्ष के लिए एक व्यावहारिक और यथार्थवादी बजट पेश किया है, आर्थिक दृढ़ता पर जोर देने के साथ ही 0.5 प्रतिशत अनुमानित घाटे से उलट जीडीपी के घाटे में आ रही गिरावट को 0.3 प्रतिशत कम किया गया है. कृषि क्षेत्र, ग्रामीण विद्युतीकरण, ग्रामीण आवास योजना, मनरेगा आवंटन, सिंचाई योजना और फसल बीमा के क्षेत्र में व्यय कर ग्रामीण विकास और संरचना को मजबूती प्रदान की गयी है.
राधिका राव, अर्थशास्त्री, डीबीएस बैंक
जहां तक अप्रत्यक्ष कर की बात है तो यहां कोई प्रमुख बदलाव नहीं किये गये है. सरकार का यह कदम जीएसटी को जल्द से जल्द लागू करने की प्रतिबद्धता को दुहराता है. सेवा कर की दर में वृद्धि नहीं होने से आम आदमी खुश है. शुल्क संरचना को युक्तिसंगत बना कर घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने की कोशिश की गयी है. कर प्रशासन पर ज्यादा जोर देना भी स्वागत योग्य कदम है.
प्रतीक पी जैन, पार्टनर व लीडर, अप्रत्यक्ष कर – पीडब्ल्यूसी
यह एक तर्कसंगत व व्यावहारिक बजट है और पूर्व के दोनों बजट की तरह ही आर्थिक प्रशासन को बनाये रखनेवाला बजट है. बजट से पता चलता है कि सरकार का उद्देश्य वृहत् पैमाने पर सुधार करना है. वित्त वर्ष 2018 के लिए आर्थिक घाटे का लक्ष्य 3.2 फीसदी रखा गया है, जो अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक होना चाहिए.
दिनेश ठक्कर, अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक, एंजेल ब्रोकिंग
बजट में पूंजीगत व्यय पर ध्यान दिया गया है और वित्त मंत्री ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि निजी पूंजीगत व्यय कुछ समय ले रहा है. इस समय की जरूरत सरकार द्वारा खर्च करना था- सरकारी पूंजीगत व्यय पिछले वर्ष की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक है, जो कि सराहनीय है.
सुनील सिंघानिया, सीआइओ-इक्विटी इंवेस्टमेंट्स, रिलायंस एमएफ