पिता के नाम
सुशांत सुप्रिय संपर्क 08512070086 पूज्य पिताजी, सादर प्रणाम. चालीसवें जन्मदिन पर आपका बधाई-कार्ड मिला. आपके अक्षर सत्तर साल की उम्र में भी वैसे ही गोल-गोल मोतियों जैसे हैं जैसे पहले होते थे. आपकी हर चिट्ठी को मैंने सहेज कर रखा है. अपने खजाने में. ये चिट्ठियां मेरी धरोहर हैं , विरासत हैं. भाग-दौड़ भरे जीवन […]
सुशांत सुप्रिय
संपर्क 08512070086
पूज्य पिताजी, सादर प्रणाम.
चालीसवें जन्मदिन पर आपका बधाई-कार्ड मिला. आपके अक्षर सत्तर साल की उम्र में भी वैसे ही गोल-गोल मोतियों जैसे हैं जैसे पहले होते थे. आपकी हर चिट्ठी को मैंने सहेज कर रखा है. अपने खजाने में. ये चिट्ठियां मेरी धरोहर हैं , विरासत हैं. भाग-दौड़ भरे जीवन के संघर्षों में कभी अकेला या कमज़ोर पड़ने लगता हूं तो आपकी चिट्ठियां खोल कर पढ़ लेता हूं. बड़ा संबल मिलता है.
पिताजी, उम्र के इस पड़ाव पर आकर पीछे मुड़ कर देखना अच्छा लगता है. आज मैं आपको कुछ बताना चाहता हूं. कुछ अनकही बातें हैं जिन्हें कहना चाहता हूं. कुछ अनछुए कोने हैं जिन्हें छूना चाहता हूं.
पिताजी, मुझे हमेशा इस बात का गर्व रहा कि मुझे आप जैसा पिता
मिला. जब मैं छोटा था तो आपने मुझे गहरी जड़ें दीं. जब मैं बड़ा हुआ तो आपने मुझे पंख दिए. आपने मुझे प्रेरित किया कि मैं अपनी आंखों से सपने देखूं, दूसरों की आंखों से नहीं. जब मैं खुद को ढूंढ़ने की यात्रा पर निकला तो आपने मुझे उम्मीद दी. जब मैं अपनी नियति को पाने निकला तो आपने मुझे उत्साह दिया. आपने मुझे अपने हृदय की आवाज़ सुनना सिखाया. आपने हर सुबह मुझे मुस्कराने की कोई वजह दी. आपने मेरी हर शाम को उल्लास दिया, उमंग दी. आपने मुझे सिखाया कि मुश्किलों के बावजूद यह दुनिया रहने की एक खूबसूरत जगह है.
बचपन में आपने मुझे छोटी-छोटी खुशियां दीं. मुझे याद आता है एक बच्चा जो हलवाई की दुकान पर गरम-गरम जलेबियां और समोसे खा रहा है. रविवार को रामबाग़ में गुब्बारे उड़ा रहा है. झूलों पर झूल रहा है. तितलियां पकड़ रहा है. इंद्रधनुष देख कर किलक रहा है. चिड़िया-घर में जीव-जंतु देख कर देख कर चहक रहा है. पतंगें उड़ा रहा है. कंचे खेल रहा है. जुगनुओं के पीछे भाग रहा है. कबूतरों को दाना डाल रहा है. हर फूल को, कली को सहला रहा है. कुत्ते-बिल्लियों के बच्चों को पुचकार रहा है और उसका पिता उसकी हर ख़ुशी में उसका संगी है, दोस्त है, राजदार है. रोज सुबह कैम्पस में सैर करने जाना. छुट्टी वाले दिन बागवानी करना. आपके संग आलू, गोभी, गाजर, मूली, टमाटर और हरी मिर्च उगाते हुए मैं खुद भी उगा-बढ़ा.
पिताजी, आपका पोता अब बड़ा हो गया है. कल आपका ‘ ई-मेल अकाउंट ‘ पूछ रहा था. अपने दादा से इंटरनेट पर ‘ चैट ‘ करना चाहता है. जब मैंने बताया कि दादाजी के पास कंप्यूटर नहीं है तो वह दुखी हो गया.
पिताजी, मैं चाहता हूं कि अपने बेटे को भी वे छोटी-छोटी खु़शियां दूं जो मैंने आपसे पाईं. वह दस साल का हो गया है पर उसने आज तक पतंग नहीं उड़ाई. गिल्ली-डंडा नहीं खेला. कंचे नहीं खेले. वह आम या जामुन के पेड़ पर नहीं चढ़ा. मैं चाहता हूं कि वह इन सब के भी मजे ले. उसका बचपन अधूरा नहीं रहे. पर वह नई ‘जेनरेशन’ का लड़का है जिसे कारें भी ‘ सेक्सी ‘ लगती हैं. वह कम्प्यूटर और मोबाइल फोन पर ‘ वीडियो गेम्स ‘ खेलता है. वह केबल टीवी के असंख्य चैनल देख कर बड़ी हो रही पीढ़ी का लड़का है. ‘पोगो’ और ‘कार्टून चैनल’ उसके ‘फ़ेवरिट’ चैनल हैं. उसे ‘ मैकडाॅनल्ड ‘ और ‘ पिज्जा हट ‘ के बर्गर , फिंगर चिप्स और चीज-टोमैटो पिज़्ज़ा अच्छे लगते हैं. उसे हिंदी में एक से सौ की गिनती ‘ डिफिकल्ट ‘ लगती है और वह उनासी और नवासी में ‘ कनफ्यूज ‘ हो जाता है. वह ‘ इम्पोर्टेड ‘ चीज़ों और ‘फौरेन ब्रांड्स’ का दीवाना है.
पिताजी, याद है एक बार छुट्टियों में आप मुझे गांव में दादाजी के पास छोड़ गये थे क्योंकि मुझे दादाजी बहुत अच्छे लगते थे. मैं उनके साथ गांव के पास बहती नदी में मछलियां पकड़ने जाता था. अक्सर उन्हें जलतरंग बजाते हुए सुनता था. जलतरंग बजाता उनका वह मुस्कराता चेहरा मुझे आज भी याद है.
पापा, जलतरंग को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
पत्र पढ़ कर बगल में बैठा बेटा मुझसे पूछ रहा है.
वह टी. वी. पर चल रहा भारत-पाक वन-डे क्रिकेट मैच देख रहा है. सचिन तेंदुलकर ने शोएब अख्तर के बाउंसर पर थर्ड-मैन बाउंड्री के ऊपर से छक्का दे मारा है. बेटा खुशी से झूमते हुए मुझसे पूछ रहा है — पापा , आप क्रिकेट खेलते थे ?
नहीं बेटा, मैं पतंगें उड़ाता था. कंचे खेलता था. गिल्ली-डंडा खेलता
था. गांव के पास बहती नदी में चपटे पत्थर से ‘ छिछली ‘ खेलता था — मैं कहता हूं.
पापा, गांव कैसा होता है ? गिल्ली-डंडा को इंग्लिश में क्या कहते हैं?
‘ छिछली ‘ इंग्लिश में क्या होती है — बेटा पूछ रहा है.
पिताजी, मुझे बेटे के बहुत सारे सवालों के जवाब देने हैं, इंग्लिश में.
सहवाग ने सकलैन मुश्ताक़ की गेंद पर छक्का जड़ दिया है. बेटा खुशी से उछलता हुआ पूछ रहा है — पापा, आप क्रिकेट क्यों नहीं खेलते थे ?
यादों की गली में एक लड़का कटी हुई पतंगें लूट रहा है. उसके एक हाथ में एक लंबी-सी टहनी है और दूसरे हाथ में कुछ लूटी हुई पतंगें. उसके हाथ-पैर धूल से सने हैं पिताजी, पर उसके चेहरे पर विजेता की मुस्कान है. उसकी पीठ जानी-पहचानी-सी लग रही है. एक और कटी हुई पतंग लूटता हुआ वह आंखों से ओझल हो गया है.
एक बार गांव के पास बहती नदी में मछलियां पकड़ते हुए मैंने दादाजी से पूछा था — दादाजी, आपने कभी भूत देखा है ?
दादाजी मेरे सवाल पर मुस्करा दिये थे.
दादाजी, आप भूतों से डरते हैं? मैंने फिर पूछा था.
भूतों से नहीं, बुरे लोगों से डरना चाहिए.दादाजी ने कहा था.
पर मेरा दोस्त कहता है, भूत खतरनाक होते हैं. मैंने शंका प्रकट की थी.
बुरे लोग भूतों से ज्यादा खतरनाक होते हैं. दादाजी ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर कहा था.
दादाजी, बुरे लोग क्या करते हैं? मैंने जिज्ञासा प्रकट की थी.
बुरे लोग पेड़ काट देते हैं. जंगल उजाड़ देते हैं.नदी-नाले गंदे कर देते हैं. इंसानों और पशु-पक्षियों को मार डालते हैं. कहते-कहते दादाजी का चेहरा गंभीर हो गया था.
दादाजी, मैं बड़ा हो कर सभी बुरे लोगों को मार डालूंगा. मैंने गुस्से से भर कर कहा था. मुझसे दादाजी का गंभीर चेहरा देखा नहीं गया था. दादाजी तो मुस्कराते हुए ही अच्छे लगते थे.
बुरे लोगों को नहीं, बुराई को मारना, बेटा. मेरी बात सुनकर दादाजी मेरी पीठ थपथपा कर मुस्करा दिए थे.
बेटा, दूध पी लो. हार्लिक्स मिला दिया है. आपकी बहू रसोई में से आवाज लगा रही है.
मौम, ब्रेक के बाद. क्रिकेट मैच देखने में व्यस्त बेटा जवाब दे रहा है.
नाउ वी टेक अ शाॅर्ट ब्रेक. स्टार स्पोर्ट पर एक मशहूर कमेंट्रेटर बोल रहा है. अब कोका कोला पीती कुछ अधनंगी लड़कियां बेशर्मी से कूल्हे मटका रही हैं. क्या जमाना आ गया है.
पिताजी, इच्छा तो थी कि एक बार बेटे को भी उसके परदादा के गांव लेकर जाता. कहता-देख, यहां तेरे पापा के दादाजी रहते थे. उसे गांव के खेत-खलिहान दिखाता. भूसे के ढेर दिखाता. गांव के पास बहती नदी में वह भी मछलियां पकड़ता. वह भी गांव के आम, अमरूद, जामुन और इमली के पेड़ों पर चढ़कर उनके फल खाता. बेटे को गांव की बोली सिखाता. उसे गांव के बड़े-बूढ़ों से मिलवाता. उसे गांव के मंदिर में ले जाता. वह भी गांव के कुएं पर नहाता. पर अब न गांव रहा , न दादाजी.
पिताजी, अच्छा हुआ दादाजी पहले चले गए. उन्होंने गांव के पास बहती नदी पर बांध बनने के बाद गांव को जलमग्न होते नहीं देखा. उन्होंने नदी के उस पार उगे घने जंगल को कटते हुए नहीं देखा. उन्होंने अच्छे लोगों के भेस में बुरे लोगों को नहीं देखा. अच्छा हुआ दादाजी पहले चले गये. वे यह सब नहीं देख पाते.
पिताजी, इस बार छुट्टियों में मैं आप के पोते को आपसे मिलाने लाऊंगा. मैं चाहता हूं कि वह भी अपने दादाजी के पास रहे. उनसे ढेर सारी कहानियां सुने. उसे बताइएगा कि कैसे एक बार एक बैंक के कैशियर ने गलती से मुझे ज्यादा रुपये दे दिये थे तो आप मुझे अपने साथ लेकर बैंक गये थे और आपने वे रुपए उस कैशियर को वापस लौटा दिये थे. उसे बताइएगा कि ऐसा करना बेवकूफ होने की निशानी नहीं है , बल्कि अपनी निगाहों में गिरने से बचना है. उसे अंतरात्मा की आवाज सुनना सिखाइएगा. उसे बताइएगा कि किसी चीज़ का केवल विदेशी या ‘ इम्पोर्टेड ‘ होना ही उसके अच्छे होने की निशानी नहीं है. वह आप की बातें जरूर समझ जाएगा.
आपकी बहू खाना खाने के लिए आवाज़ दे रही है. बैंगन का भरता और अरहर की दाल बनी है. आप होते तो कहते — वाह, क्या खाना है. आपको ये दोनों चीजें कितनी अच्छी लगती हैं. आप साथ होते हैं तो लगता है जैसे सिर पर किसी बड़े-बुजुर्ग का साया है. आपको याद करता आपका बेटा प्रशांत.