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अटल इनोवेशन मिशन के तहत नीति आयोग द्वारा चुने गये, स्टार्टअप इकोसिस्टम बनानेवाले संस्थान
भारत में स्टार्टअप्स को प्रोत्सािहत करने के लिए प्रतिबद्ध केंद्र सरकार ने पिछले वर्षों के दौरान अनेक कदम उठाये हैं. इसी पहल के तहत भारत सरकार के नीति आयोग ने अटल इनोवेशन मिशन के तहत देशभर में छह संस्थानों का चयन किया है, जो स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें वित्तीय मदद मुहैया कराते हैं. […]
भारत में स्टार्टअप्स को प्रोत्सािहत करने के लिए प्रतिबद्ध केंद्र सरकार ने पिछले वर्षों के दौरान अनेक कदम उठाये हैं. इसी पहल के तहत भारत सरकार के नीति आयोग ने अटल इनोवेशन मिशन के तहत देशभर में छह संस्थानों का चयन किया है, जो स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें वित्तीय मदद मुहैया कराते हैं. फंडिंग स्कीम के तहत चुने गये प्रत्येक इन्क्यूबेटर्स/ संस्थानों को दो साल की अवधि के लिए करीब 10 करोड़ की रकम समेत अन्य प्रकार की सुविधाएं दी जायेंगी. हालांकि, नीति आयोग को वर्ष 2016 में इस मकसद से 232 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 17 इन्क्यूबेटर्स/ संस्थानों को समीक्षा और साक्षात्कार के लिए शॉर्टलिस्टेड किया गया. आज के स्टार्टअप आलेख में जानते हैं इन्हीं छह इन्क्यूबेटर्स/ संस्थानों के बारे में…
सी-सीएएमपी
लोकेशन : कर्नाटक शुरुआत : 2012
सेक्टर्स : लाइफ साइंस, हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर, फार्मा, बायोफार्मा, डायग्नोस्टिक्स और मेडटेक.
इनवेस्टमेंट स्ट्रक्चर : सीड फंडिंग के जरिये सी-कैंप अर्ली-स्टेज हाइली इनोवेटिव स्टार्टअप्स या आइडिया को सपोर्ट करता है.
सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलेकुलर प्लेटफॉर्म्स (सी-कैंप) भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग की एक पहल है. इसके तहत लाइफ साइंस से संबंधित शोधकार्यों और इनोवेशन को अंजाम दिया जाता है. यह बेंगलुरु लाइफ साइंसेज क्लस्टर का भी एक सदस्य है. रिसर्च, डेवलपमेंट, ट्रेनिंग और सर्विस के क्षेत्र में यह उद्यमियों को अत्याधुनिक तकनीकी प्लेटफॉर्म्स के जरिये मदद मुहैया कराती है.
एनआइटी ट्रेक-स्टेप
लोकेशन : एनआइटी कैंपस, तिरुचिरापल्ली
शुरुआत : 2004 सेक्टर्स : क्लीनटेक, आइटी, इंजीनियरिंग, बायोटेक.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी, इनोवेशंस और नॉलेज-आधारित वेंचर्स को प्रोमोट करने व उन्हें विकसित करते हुए मुख्यधारा में लाने के लिए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग व तमिलनाडु सरकार समेत आइडीबीआइ, आइएफसीआइ, आइसीआइसीआइ व इस तरह के अन्य वित्तीय संगठनों ने वर्ष 1986 में इस संगठन को प्रोमोट किया था. तिरुचिरापल्ली रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज साइंस एंड टेक्नोलॉजी एंटरप्रेन्योर्स पार्क (ट्रेक-स्टेप) करीब 50 एकड इलाके में फैला अपनेआप में एक पूर्ण पार्क है.
हाइ-टेक व हाइ-ग्रोथ उद्यमों के लिए यहां खास प्रकार के टेक्नोलॉजी इनाेवेशन समेत रिसर्च को अंजाम देने के लिए अनुकूल माहौल उपलब्ध है, जिनके जरिये इन्हें पनपने में मदद मिलती है. रणनीतिक मदद, बुनियादी ढांचा, फंडिंग, आइपीआर स्ट्रेटजी फेसिलिटेशन और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी मदद के जरिये ट्रेक-स्टेप अंतिम रूप से स्टार्टअप को आगे बढने में मदद करता है.
एनएसआसीइएल
लोकेशन : बेंगलुरु, कर्नाटक शुरुआत : 2002
सेक्टर्स : इकॉमर्स, फिनटेक, हेल्थकेयर, एफएमसीजी, सोशल एंटरप्राइजेज, क्लाउड-आधारित आइटी सोलुशंस.
एनएस राघवन सेंटर फॉर एंटरप्रेन्योरियल लर्निंग (एनएसआरसीइएल) आइआइएम बेंगलुरु का एंटरप्रेन्योरशिप और इन्क्यूबेशन सेंटर है. यह सेंटर ऐसे आरंभिक चरणवाले उद्यमों को मदद करता है, जिसे अन्यत्र मदद मिलने की गुंजाइश कम होती है. एनएसआरसीइएल साल में कई वर्कशॉप आयोजित करता है. स्टार्टअप्स को यह सीड फंडिंग, इन्क्यूबेशन, मेंटरिंग, एजुकेशन, रिसर्च व लॉन्चपैड आदि के लिए मदद करता है. भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में यह खास माना जाता है, क्योंकि यह प्रत्येक माह करीब 250 से 400 तक स्टार्टअप्स के लिए विविध मकसद से वर्कशॉप आयोजित करता है.
91 स्प्रिंगबोर्ड
लोकेशन : दिल्ली शुरुआत : 2012
वर्ष 2012 में दिल्ली में इसकी स्थापना की गयी. 2013 से इसने काम शुरू किया और दिल्ली के अलावा यह गुरुग्राम, हैदराबाद, नोएडा, नवी मुंबई, बेंगलुरु में भी इसके हब हैं. कंपनी के दावे के मुताबिक, इसके सभी हब फायदेमंद बिजनेस यूनिट हैं. मौजूदा समय में यह 300 कंपनियों और 1,000 कोवर्कर्स के साथ काम कर रही है.
विगत वर्ष अगस्त में इसे अनेक तरीकों से व्यापक निवेश हासिल हुआ है. अपने सदस्याें को यह कोवर्किंग स्पेस में 24 घंटे ऑफिस इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट के अलावा नॉलेज शेयरिंग व कॉलेबोरेशन, नेटवर्किंग समेत अनेक सेवाएं मुहैया कराता है. इसमें इंटरनेट, कॉन्फ्रेंस रूम, फोटोकॉपी, प्रिंट, स्कैन जैसी सुविधाएं भी दी जाती हैं.
अमृता टीबीआइ
लोकेशन : कोल्लम, केरल. शुरुआत : 2008 सेक्टर्स : टेक्नोलॉजी, सोशल वेलफेयर, एग्रीकल्चर, आइसीटी.
अमृता टेक्नोलॉजी बिजनेस इन्क्यूबेटर (टीबीआइ) टेक्नोलॉजी और सोशल बिजनेस को फंड मुहैया कराने के साथ उन्हें आगे बढने के लिए सभी प्रकार के मदद मुहैया कराती है. किसी स्टार्टअप के आइडिया को यह ऐसा अनुकूलित माहौल मुहैया कराती है, जिससे वह न्यूनतम लागत में उत्पाद का निर्माण करने में सक्षम हो सके. इसके पास रणनीतिक, वित्तीय, मार्केटिंग, इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी, प्रोडक्ट मैनेजमेंट, माइक्रो-इंश्योरेंस, माइक्रो-फाइनेंस, इंटरनेट टेक्नोलॉजी आदि के क्षेत्र में मेंटर उपलब्ध हैं. साथ ही अमृता यूनिवर्सिटी से जुडे होने के कारण स्टार्टअप्स को इसके विविध कैंपस में पढनेवाले छात्रों में से प्रतिभाशाली उम्मीदवारों को चुनने में मदद मिलती है.
एसीएल इंडिया
लोकेशन : हैदराबाद शुरुआत : 2005
सेक्टर्स : हाशिये पर गुजारा कर रहे समुदायों के लिए इनोवेटिव आइडियाज.
एक्सेस लाइवलीहुड कंसल्टिंग इंडिया लिमिटेड (एसीएल इंडिया) एक सामाजिक उद्यम है, जो भारत के 17 से ज्यादा राज्यों में काम कर रहा है. इसका मुख्य मकसद रोजमर्रा के नये उत्पादों को तैयार करने में वंचित समुदाय के किसानों और बुनकरों की मदद करना है. साथ ही यह डेरी समेत अन्य उद्यमों के संचालन के लिए किसानों को तकनीकी और वित्तीय मदद मुहैया कराता है.
इसके अलावा यह उनकी मेंटरशिप भी करता है, ताकि वे अपने आइडियाज को आकार दे सकें और इस तरह से उनमें भरोसा पैदा हो. इस संगठन का दावा है कि मौजूदा समय में 60,000 किसानों और बुनकरों से इसकी साझेदारी है, जिन्हें यह मैक्रो लेवल पर इनोवेटिव प्लेटफॉर्म मुहैया कराया जाता है. इसके जरिये इन किसानों व बुनकरों को उद्यमिता से जोडने में अासानी होगी. देश के चार राज्यों में 37 उत्पादक कंपनियों से इसकी साझेदारी है, जिनके जरिये यह किसानों को मदद पहुंचाता है.
कामयाबी की राह
चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ने पर मिलेगी सफलता
स्टार्टअप्स का परिदृश्य और उसका दायरा दिन-ब-दिन बढता जा रहा है, जिस कारण इसमें अनेक अवसरों के छिपे होने की उम्मीदें जतायी जा रही है. इनकी शुरुआत एकदम शून्य से होती है, इसलिए इनके बेहद ऊंचाई तक जाने की संभावना होती है, लेकिन इसमें अनेक छेद भी होते हैं, जो स्टार्टअप्स की लुटिया डुबाेने में बडी भूमिका निभाते हैं. चूंकि इसके संस्थापक का सपना बडा होता है, लिहाजा वह अनेक स्रोतों से धन को निवेशित कराना चाहता है, ताकि अपने स्टार्टअप को काफी आगे ले जा सके. इसके लिए वह अनेक प्रकार की नयी-नयी विविधों को अपनाता है.
ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें बाइफोकल लेंस फ्रेमवर्क का इस्तेमाल करना चाहिए, जो उनके हितों को युक्तिसंगत बनाये रख सकता है. इससे वे छोटी-सी शुरुआत के जरिये भी अपने बडे सपने को पूरा करने में सक्षम हो सकते हैं. इसके लिए उन्हें चरणबद्ध तरीके से आगे बढना चाहिए.
डाइवरजेंट मॉडल : इस मॉडल के तहत उद्यमी को उन सभी संभावित विकल्पों के बारे में सोचना होता है, जिनका वह दोहन कर सकते हैं और आगे बढ सकते हैं. हालांकि, इसमें बहुत-सी चीजों पर प्रयोग करना होता है, लेकिन इसका फायदा यह होता है कि कई बार अच्छी चीजें निकल कर सामने आ जाती हैं.
कॉनवरजेंट मॉडल : अगले चरण के तहत उद्यमी को कॉनवरजेंट यानी केंद्राभिमुख तरीके से सोचना होता है. इस चरण में उद्यमी को किसी एक चीज को निर्धारित कर लेना होता है और उसे अपनाते हुए आगे बढना चाहिए, जिसमें वह अत्यधिक रूप से उत्कृष्ट कार्य करने में सक्षम हो सके. आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि कोई भी जादू काम नहीं करता, बल्कि आपके काम का तरीका ही सटीक रूप से काम करेगा.
निवेशकों को समझना : यह सच है कि निवेशक उन उद्यमियों का सम्मान करते हैं, जो अपने ग्राहकों से आय की उगाही करते हैं. आपके कारोबार में निवेश करने से पहले कोई निवेशक यह जरूर देखता है कि बाजार में आपकी हिस्सदारी और ग्रोथ की दर क्या रह सकती है. उपरोक्त सभी चीजों को समझने के लिए उद्यमी का बाइफोकल होना जरूरी समझा गया है.
स्टार्टअपक्लास
मैनपावर के बजाय तकनीक के जरिये संचालित करें ट्रांसपोर्ट कारोबार
दिव्येंदु शेखर
स्टार्टअप, इ-कॉमर्स एवं फाइनेंशियल प्लानिंग के विशेषज्ञ
– मैंने तीन साल पहले अपनी पूंजी लगा कर एक छोटी ट्रांसपोर्ट कंपनी खोली थी. आज मेरे पास तकरीबन पांच ट्रक और 20 टेंपो हैं. अब मैं चाहता हूं कि इसको एक बड़ा व्यापार बनाऊं. पूंजी तो मेरे पास है और एक निवेशक भी हैं, लेकिन समझ नहीं आ रहा कि इसको बड़ा कैसे किया जाए?
– श्रीमोहन, दिल्ली
मैं आपकी परेशानी समझ सकता हूं. मेरे पास आपके सारे सवालों का जवाब तो नहीं है, लेकिन कुछ मायने में सलाह दे सकता हूं. बड़ा व्यापार आप खुद ही बना लेंगे, लेकिन कुछ चीजों में निवेश करना पड़ेगा :
(क) संचालन यानी आपरेशन : ट्रांसपोर्ट एक ऐसा व्यापार है, जहां व्यापार पर आपकी पकड़ बहुत मजबूत होनी चाहिए. आपको कम-से-कम लोगों के सहारे इसका संचालन करना पड़ेगा, क्योंकि जितने ज्यादा लोग, उतनी ही गलती की संभावना, खर्च और सरदर्दी. इसके लिए आपको तकनीक में निवेश करना होगा.
इआरपी और जीपीएस जैसी तकनीक के साथ आप अपने वाहनों की बुकिंग, बिलिंग, उनकी ट्रैकिंग और साथ ही पैसों को एक जगह से ही मैनेज कर पाएंगे और इसमें ज्यादा लोगों की जरूरत भी नहीं होगी. मैं एक ऐसी कंपनी को जानता हूं, जो 1,500 ट्रकों को महज एक कार्यालय से चार लोगों द्वारा संचालित किया जाता है. उस कंपनी का टर्नओवर सैकड़ों करोड़ में है. यह संभव हुआ है तकनीक में निवेश और दूरदर्शिता से.
(ख) सेल्स : आपको अपनी टीम में अच्छे सेल्स के लोग रखने पड़ेंगे. यह टीम ही ये सुनिश्चित करेगी कि आपके ट्रक कभी खाली नहीं बैठें. ट्रक एक बड़ा निवेश है और जितने दिन खाली बैठेगा, उतना ही नुकसान आपको होगा. इसीलिए फील्ड सेल्स में अच्छे इंसेंटिव दें और टीम को ज्यादा से ज्यादा आॅर्डर लाने को कहें.
(ग) निवेश में सतर्कता : जब लोग बिजनेस बड़ा करने लगते हैं, तो निवेश में अक्सर गलती कर जाते हैं. आप अक्सर हर चीज खुद ही खरीद लेना चाहते हैं. इस कारण आपके पास वाहनों की फौज खड़ी हो जायेगी और अगर बाजार थोड़ा भी मंदा हुआ, तो आपको बड़ा घाटा होगा.
इससे बचने का उपाय है कि यदि आपको लगता है कि आपको 100 ट्रकों की जरूरत है, तो आप 60 ही खुद खरीदें. बाकी 40 लॉन्ग टर्म लीज पर ले लें. इससे फायदा यह होगा कि जब धंधा मंदा होगा, तो आप आसानी से ये 40 ट्रक लौटा सकते हैं और अपने 60 ट्रक चला कर ठीक-ठाक मुनाफा भी कमा सकते हैं.
(घ) गुणवत्ता : ट्रांसपोर्ट का व्यापार आपकी सर्विस की गुणवत्ता और ग्राहक सेवा पर ही चलता है. अर्थात आपके पास आपके ग्राहक की सेवा करने के लिए अलग से एक छोटी से टीम होनी चाहिए, जो हमेशा ग्राहक से संपर्क में रहे.
होमस्टे या बेड एंड ब्रेकफास्ट से कर सकते हैं कमाई
– मैंने हाल ही में अपने शहर बोधगया में एक नया मकान बनाया है. किसी ने सलाह दी है कि होमस्टे या बेड एंड ब्रेकफास्ट खोल दूं. कृपया उचित सलाह दें.
– संजय कुमार
चूंकि बोधगया एक टूरिस्ट स्पॉट है, इस कारण से ये दोनों ही यहां अच्छे चलेंगे. बेड एंड ब्रेकफास्ट वैसे घरों में होता है, जहां मालिक खुद रहते हैं और एक या दो खाली कमरों को सैलानियों को एक-दो दिन के लिए दे देते हैं. साथ ही खाना नाश्ता घर में ही करवा दिया जाता है.
ये कमरे होटल से सस्ते होते हैं और साथ ही घर का माहौल काफी लोगों को पसंद भी आता है. आपके साथ इसमें परेशानी यह होगी कि आप उस घर में नहीं रहते, तो आपको किसी के भरोसे देखभाल छोड़नी पड़ेगी. साथ ही आपको हमेशा ग्राहक नहीं मिलेंगे. अच्छी बात यह है कि इसमें आपको किराये से तीन गुनी ज्यादा आमदनी हो सकती है, क्योंकि ऐसे कमरों का किराया ज्यादातर 1,500 से 1,800 रुपये प्रतिदिन होता है.
अगर आप दो कमरे औसतन 10 दिन भी किराये पर चढ़ा सकें, तो 30,000 रुपये तक किराया हासिल होने की उम्मीद है. होमस्टे या सर्विस अपार्टमेंट थोड़ा अलग कांसेप्ट है. वहां आप पूरा घर या फ्लैट पूरे साजो-सामान के साथ थोड़े लंबे समय जैसेकि एक या दो महीने के लिए किराये पर देते हैं. इसमें सुविधा यह रहती है कि किराया भी अच्छा मिल जाता है और आपको रोज-रोज ग्राहक नहीं ढूंढने पड़ते. लेकिन इसमें दो तरीके की परेशानियां भी हैं. पहली यह कि आपको फर्नीचर आदि में बड़ा निवेश करना पड़ेगा और दूसरा यह कि इसमें लाइसेंस प्रक्रिया थोड़ी लंबी है.
कामयाबी दिला सकते हैं चलते-फिरते रेस्टोरेंट या फूड ट्रक
– मेरे पास एक बिजनेस प्लान है, जो चलते-फिरते रेस्टोरेंट या फूड ट्रक का है. क्या पटना जैसे शहरों में यह सफल हो सकता है?
– नीरज कुमार, लोहिया नगर, पटना
फूड ट्रक दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में काफी लोकप्रिय हैं, लेकिन यह लोकप्रियता चलते-फिरते होने के कारण नहीं, खान-पान के कारण हैं. इसमें मुनाफा ज्यादा होता है, क्योंकि जगह का किराया नहीं देना होता. यदि आप पटना या किसी और शहर में ऐसा कोई काम करना चाहते हैं, तो मेरी सलाह होगी कि पहले वहां के बाजार का अध्ययन करें. यह देखें कि वहां किस प्रकार का खान-पान प्रचलित है. इस पर भी ध्यान दें कि युवा किस प्रकार का खान-पान चाहता है, क्योंकि ज्यादातर ग्राहक युवा होते हैं. दूसरी बात कि बिहार में आपको इसके लिए लाइसेंस भी लेना पड़ेगा. इसमें काफी खर्च आता है, इसलिए बेहतर होगा कि आप पहले इसकी प्रक्रिया पता कर लें.
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