पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और उनके नतीजों पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की भी नजर थी. उन रिपोर्टों और टिप्पणियों में भाजपा के शानदार प्रदर्शन का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों और उनके प्रचार-अभियान को दिया गया है. इन विश्लेषणों में स्वाभाविक रूप से उत्तर प्रदेश केंद्र में है तथा इस आधार पर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की बढ़त को भी रेखांकित किया गया. कुछ चुनिंदा टिप्पणियों के साथ प्रस्तुत है आज का इन-डेप्थ…
मोदी के काम का जनमत संग्रह है चुनाव परिणाम
भारत के प्रमुख राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम में भारत की सत्ताधारी हिंदुवादी पार्टी ने भारी जीत हासिल की. भाजपा को मिली यह जीत असल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगभग तीन वर्ष के कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा किये गये काम का जनमत संग्रह था. इस चुनाव में भाजपा ने जहां हिंदी के गढ़ उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत दर्ज की, वहीं उत्तर भारत के एक अन्य राज्य उत्तराखंड में भी भाजपा ने कांग्रेस, जो की राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख विपक्षी पार्टी है, से सत्ता छीन ली. यहां कांग्रेस को महज 11 सीटों पर जीत मिली और उसने भाजपा के हाथों अपनी सत्ता गंवा दी. लेकिन इस चुनाव में पंजाब के परिणाम ने कांग्रेस की लाज रख ली. इस राज्य में कांग्रेस नेे बीजेपी और शक्तिशाली क्षेत्रिय पार्टी अकाली दल के गठबंधन काे हराकर सत्ता हासिल की. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हार से यह साबित हो गया कि इस प्रदेश में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी अपना प्रभाव छोड़ने में असफल रहे.
इस प्रदेश में मोदी ने धुआंधार चुनाव प्रचार किया था, जिस कारण उन्हें यहां इतनी बड़ी जीत मिली. इस जीत से मोदी का मनोबल काफी बढ़ जायेगा. इस प्रकार माेदी ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी जीत का सिलसिला बरकरार रखा है. जबकि नवंबर में भारत में हुए पांच सौ और हजार रुपये के नोट को बंद करने के सरकार के फैसले के बाद गरीबों को हुई परेशानी को देखते हुए कांग्रेस सहित भाजपा की दूसरी प्रतिद्वंद्वी पार्टियों ने यह उम्मीद जतायी थी कि इसके लिए चुनाव में जनता माेदी को दंड देगी.
– अशोक शर्मा/द वाशिंगटन पोस्ट
मोदी के काम का जनमत संग्रह है चुनाव परिणाम
भारत के प्रमुख राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम में भारत की सत्ताधारी हिंदुवादी पार्टी ने भारी जीत हासिल की. भाजपा को मिली यह जीत असल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगभग तीन वर्ष के कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा किये गये काम का जनमत संग्रह था. इस चुनाव में भाजपा ने जहां हिंदी के गढ़ उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत दर्ज की, वहीं उत्तर भारत के एक अन्य राज्य उत्तराखंड में भी भाजपा ने कांग्रेस, जो की राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख विपक्षी पार्टी है, से सत्ता छीन ली. यहां कांग्रेस को महज 11 सीटों पर जीत मिली और उसने भाजपा के हाथों अपनी सत्ता गंवा दी. लेकिन इस चुनाव में पंजाब के परिणाम ने कांग्रेस की लाज रख ली. इस राज्य में कांग्रेस नेे बीजेपी और शक्तिशाली क्षेत्रिय पार्टी अकाली दल के गठबंधन काे हराकर सत्ता हासिल की. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हार से यह साबित हो गया कि इस प्रदेश में कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी अपना प्रभाव छोड़ने में असफल रहे.
इस प्रदेश में मोदी ने धुआंधार चुनाव प्रचार किया था, जिस कारण उन्हें यहां इतनी बड़ी जीत मिली. इस जीत से मोदी का मनोबल काफी बढ़ जायेगा. इस प्रकार माेदी ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी जीत का सिलसिला बरकरार रखा है. जबकि नवंबर में भारत में हुए पांच सौ और हजार रुपये के नोट को बंद करने के सरकार के फैसले के बाद गरीबों को हुई परेशानी को देखते हुए कांग्रेस सहित भाजपा की दूसरी प्रतिद्वंद्वी पार्टियों ने यह उम्मीद जतायी थी कि इसके लिए चुनाव में जनता माेदी को दंड देगी.
– अशोक शर्मा/द वाशिंगटन पोस्ट
इस जीत से और मजबूत हुए हैं मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी अगुवाई में भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज कर खुद को और शक्तिशाली कर लिया है. इस जीत के साथ ही मोदी ने 2019 में होने वाले लाेकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने को लेकर अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिस प्रकार की जीत हासिल हुई है, वह स्तब्ध कर देने वाली है, क्योंकि यह चुनाव मोदी द्वारा नोटबंदी जैसे जोखिम भरे कदम उठाने के बाद हुआ था. इस चुनाव में मोदी ने जबरदस्त प्रचार किया था और यह जीत एक प्रकार से प्रधानमंत्री के कार्यों का जनमत संग्रह ही है. उत्तर प्रदेश में भाजपा को जैसी जीत मिली है, वह पिछले 30 वर्षों में किसी भी दल द्वारा प्राप्त की गयी जीत से बड़ी है. इस जीत से 2019 के आम चुनाव में मोदी को महत्वपूर्ण बढ़त प्राप्त होगी.
नतीजा, मोदी के दीर्घकालीक लक्ष्य कि वे ऐतिहासिक महत्व के नेता के तौर पर स्थापित हों, भारत ज्यादा समाजवादी और धर्म-निरपेक्ष देश की अपनी पूर्व की छवि से बाहर निकले, के और करीब पहुंच जायेंगे. इस चुनाव में कांग्रेस, जो एक समय भारतीय राजनीति की सबसे प्रभावशाली पार्टी थी, ने पंजाब में जीत दर्ज कर और दो छोटे राज्यों में प्रतिस्पर्धा में बने रहकर यह दिखा दिया है कि राष्ट्रीय स्तर पर अभी भी उसका प्रभाव है. वहीं भ्रष्टाचार का विरोध कर भारतीय राजनीति में उभरने वाली आम आदमी पार्टी की इस चुनाव में हुई हार ने यह साबित कर दिया है कि वह देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की जगह लेने के लिए अभी तैयार नहीं है.- गीता आनंद/ द न्यूयार्क टाइम्स
भाजपा की जीत से और मजबूत हुए मोदी
भारत के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य में भाजपा की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने कार्यकाल के दूसरे हिस्से में अधिक मजबूती मिलेगी. मोदी अब भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम और आर्थिक विकास के एजेंडे को जोर-शोर से लागू कर सकेंगे. हालांकि, संसद में मोदी सरकार के बिलों को रोकने में विपक्ष अब भी सक्षम बना रहेगा, लेकिन इस बड़ी जीत के बाद 2019 चुनावों से पहले मोदी सरकार को अपना एजेंडा लागू करने में काफी सहूलियतें मिलेगी. भाजपा इस जीत को मोदी के उस निर्णय के परिप्रेक्ष्य में देख रही है, जिसके तहत नवंबर में मोदी सरकार ने 86 प्रतिशत भारतीय मुद्रा को चलन से बाहर कर दिया था. इस फैसले से प्रभावित लाखों लोगों को बैंकों के सामने कतारों में खड़ा होना पड़ा था.
मोदी ने अपने इस फैसले को गरीबों के पक्ष में और समृद्ध कर चोरों के खिलाफ कार्रवाई के रूप दिखाया. इस समर्थन के बाद मोदी की कालेधन के खिलाफ जंग और तेज होगी. भाजपा के शासन के तहत आनेवाली देश की आधी से अधिक आबादी पर मोदी की पकड़ मजबूत हो गयी है. मोदी विरोधी उनके बढ़ते राजनीतिक प्रभावों को धार्मिक बहुलता और उदार लोकतंत्र के लिए खतरे के रूप में प्रदर्शित हैं. भाजपा की जड़ें हिंदू राष्ट्रवाद से जुड़ी हुई हैं, जो अब धीरे-धीरे मजबूत होंगी. यह अवधारणा लंबे समय से है, लेकिन अब तक कोई खास राजनीतिक रसूख नहीं था. इसमें खास तौर पर मुसलिम बहुल कश्मीर क्षेत्र के अलगाव पर बहस की खिलाफत, धार्मिक कानूनों को खत्म कर समान नागरिक संहिता लागू करना और विवादित राम मंदिर का निर्माण करना शामिल है.
– निहारिका मंधाना और रेमंड जोंग/ द वाल स्ट्रीट जर्नल
यूपी में भाजपा जीत है मोदी के लिए टर्निंग प्वाइंट
मई, 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा की धमाकेदार जीत के बाद 15 से अधिक राज्यों में चुनाव हो चुके हैं. ज्यादातर चुनाव एक साथ या एक-एक करके पांच मौकों पर हुए, यानी लगभग हर छह महीने बाद देश चुनावी कवायद से गुजरा. लेकिन, 11 मार्च को आये चुनाव परिणाम राजनीतिक दृष्टिकोण से अब तक का सबसे अहम चुनाव था. यूपी की 403 विधानसभा सीटों में अपने सहयोगियों के साथ भाजपा 325 सीटें यानी 80 फीसदी सीटें जीतने में कामयाब रही. आज तक कोई भी पार्टी, यहां तक कि इंदिरा गांधी (1980 में कांग्रेस ने 309 सीटें जीती थी) के कार्यकाल में भी कांग्रेस यह कारनामा नहीं कर सकी है. निश्चित ही यह जीत मोदी की नीतियों पर मुहर है. राज्य में मुसलिमों की बड़ी आबादी होने और मुसलिम प्रत्याशियों को टिकट नहीं देने के बाद भी भाजपा की यह जीत कई मायनों में अहम है.
यह जीत 86 प्रतिशत मुद्रा को विमुद्रित करने और पाकिस्तानी क्षेत्र में मिलिट्री स्टाइक के फैसले को प्रमाणित करती है. उक्त दोनों ही मुद्दों से मोदी ने बहुसंख्यक आबादी को आकर्षित करने और गरीबों को अपने पक्ष में करने की रणनीति बनायी. चुनाव परिणाम यह प्रदर्शित करते हैं कि मोदी की यह रणनीति सफल साबित हुई. वर्ष 2014 और अन्य राज्यों के चुनावों के प्रचार के दौरान मोदी हिंदू राष्ट्रवादी भावनाओं और लोकलुभावन आर्थिक व सामाजिक मुद्दों को समय-समय पर उठाते रहे.
– नीलांजन मुखोपाध्याय/ अलजजीरा
यूपी में जीत मोदी की नीतियों पर मुहर
भारत के सबसे बड़ी आबादी वाले और राष्ट्रीय राजनीति को सर्वाधिक प्रभावित करनेवाले राज्य पर नियंत्रण कर लेने से नरेंद्र मोदी का भारतीय राजनीति में कद और बढ़ गया है. यह चुनाव 2019 के चुनावों में सत्ता वापसी के लिए रास्ता तैयार कर दिया है. विमुद्रीकरण के फैसले के बाद देश के कई हिस्सों में नकदी समस्या हुई थी, लेकिन मोदी ने इसे कालेधन पर कार्रवाई के रूप में प्रदर्शित किया. यह रणनीति न केवल कामयाब हुई, बल्कि भाजपा का आधार मतदाता माने जानेवाले ऊंची हिंदू जातियों व व्यापारियों के अलावा अन्य तबकों में पहुंच बनी. इससे स्पष्ट है कि मोदी की लोकप्रियता प्रधानमंत्री बनने के लगभग तीन साल बाद भी बरकरार है. मोदी के व्यक्तित्व और विश्वसनीयता के स्तर पर विपक्ष का कोई नेता नहीं टिकता. भ्रष्टाचार का अब तक कोई मामला नहीं आने से मोदी सरकार की छवि साफ बनी हुई है. लोगों में यह विश्वास यह है कि यह व्यक्ति बिना थके पूर्ण ऊर्जा के साथ दिन के चौबिसों घंटे काम करता है. विपक्षी दलों के सेक्युलर सिद्धांतों के उलट भाजपा का घोषणापत्र हिंदू राष्ट्र की अवधारणा का समर्थन करता है. इसके बावजूद मुजफ्फरनगर समेत मुसलिम बहुल इलाकों में भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की है. मुख्यधारा की मीडिया में अपनी पहुंच रखनेवाले हर राजनीतिक दल ने जाति और धर्म को मुद्दा बनाया.
शायद ही किसी दल ने विकास के मुद्दे पर गंभीर बहस की हो. मुख्य लक्ष्य ध्रुवीकरण करना था, जिसके लिए हर दल ने अपना योगदान दिया. चार अन्य राज्यों में उत्तराखंड में भाजपा, पंजाब में कांग्रेस बहुमत के साथ उभरी. दो अन्य राज्यों में किसी को बहुमत नहीं मिला. भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के साथ खड़ी हुई आम आदमी पार्टी, जो खुद को राष्ट्रीय राजनीति में तीसरे विकल्प के रूप में तैयार कर थी, बड़ा झटका लगा है.
– माइकल सफी/ द गार्डियन
मोदी लहर से यूपी में सफाया
आबादी के लिहाज से भारत के सबसे बड़े राज्य यूपी में सात चरणों में चुनाव संपन्न हुए. सभी चरणों में मोदी ने बिना थके चुनाव प्रचार किया और अपने संसदीय क्षेत्र में तो तीन दिनों तक डेरा जमाये रखा. यूपी के अलावा उत्तराखंड, भारतीय पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभाओं के लिए चुनाव हुए. हिमालय के तलहटी क्षेत्र में स्थित उत्तराखंड में भाजपा ने कांग्रेस की खिलाफ बड़ी जीत दर्ज की, तो पंजाब में अपने सहयोगी अकाली दल के साथ हार गयी. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी चुनाव में नहीं दिखीं. माना जा रहा है कि वह किसी गंभीर बीमारी के लिए इलाज के लिए न्यूयार्क में हैं. गुजरात की भांति मोदी ने यूपी में किसी मुसलिम चेहरे को नहीं उतारा. माना जा रहा राज्य के इतिहास में पहली बार कोई सत्तारूढ़ दल मुसलिम समुदाय बिना भागीदारी के होगा.
भाजपा ने 403 में से 326 सीटें जीतीं, लेकिन मायावती इस चुनाव पर अलग राय रखती हैं. माना जा रहा है मुसलमानों का वोट भाजपा के पक्ष में गया है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में नहीं गया. यही वजह है कि मायावती और राज्य की सत्तारूढ़ दल समाजवादी पार्टी आश्चर्यचकित हैं. यूपी की आबादी में 19 प्रतिशत मुसलिम समुदाय है, जो दलितों के बाद दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है. स्थानीय मीडिया के अनुसार मुसलिम समुदाय की महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया. तीन तलाक के खिलाफ मुसलिम लड़कियों ने अावाज बुलंद की और भाजपा को अपना समर्थन दिया. भाजपा इस प्रथा को बंद करना चाहती है और यह मुहिम पार्टी के पक्ष में गयी.
दो महत्वपूर्ण राज्यों में जीत के बाद संसद के ऊपरी सदन में भाजपा सदस्यों की संख्या बढ़ेगी. यह परिणाम नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गयी कांग्रेस मुक्त भारत मुहिम को मजबूती देगी. गोवा और मणिपुर में कांग्रेस अपनी जीत को बहुमत की तब्दील नहीं कर सकी.
– जावेद नकवी/डान, पाकिस्तान