स्टार्टअप इकोसिस्टम को चीन में ज्यादा प्रोत्साहन

स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए ज्यादातर देशों में सरकारी और गैर-सरकारी मदद के जरिये स्टार्टअप इकोसिस्टम का निर्माण किया जा रहा है. इसके माध्यम से विविध किस्म के स्टार्टअप्स को अनेक तरीकों से मदद मुहैया करायी जाती है. साथ ही, फंडिंग से लेकर टेक्नोलॉजी और बाजार तक पहुंच कायम करने में मदद मुहैया कराते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 20, 2017 6:52 AM
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स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए ज्यादातर देशों में सरकारी और गैर-सरकारी मदद के जरिये स्टार्टअप इकोसिस्टम का निर्माण किया जा रहा है. इसके माध्यम से विविध किस्म के स्टार्टअप्स को अनेक तरीकों से मदद मुहैया करायी जाती है. साथ ही, फंडिंग से लेकर टेक्नोलॉजी और बाजार तक पहुंच कायम करने में मदद मुहैया कराते हुए स्टार्टअप्स के विस्तार और उसके मुनाफे की राह आसान बनायी जाती है.
यह इकोसिस्टम जितना ज्यादा बेहतर होता है, उससे जुड़े स्टार्टअप्स के कामयाब होने की उम्मीद उतनी ज्यादा बढ़ जाती है. ‘स्टार्टअप जीनोम’ नामक एक संगठन ने इस संबंध में एक अध्ययन के आधार पर दुनिया के टॉप 20 स्टार्टअप इकोसिस्टम्स की सूची जारी की है और उनका विश्लेषण किया है. किन इकोसिस्टम स्पॉट को शामिल किया गया है इस सूची में समेत इसके विश्लेषण के प्रमुख पहलुओं के बारे में जानते हैं आज के स्टार्टअप आलेख में …
स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक देशों और इलाकों में इसके लिए एक स्टार्टअप इकोसिस्टम का निर्माण किया गया है. ‘स्टार्टअप जीनोम’ ने वर्ष 2017 के संस्करण के तहत दुनिया के टॉप स्टार्टअप इकोसिस्टम की सूची तैयार की है. हालांकि, इसमें बेंगलुरु को भी शामिल किया गया है, लेकिन इस बार इसकी रैंकिंग में गिरावट आयी है.
वर्ष 2015 में जारी की गयी सूची में बेंगलुरु को 15वें स्थान पर रखा गया था, जबकि इस बार उसे 20वां स्थान मिल पाया है. अमेरिका-आधारित एक संगठन ने इस रिपोर्ट को ‘स्टार्टअप जीनोम प्रोजेक्ट’ के तहत तैयार किया है. इस संगठन का मकसद स्टार्टअप्स की सफलता की दर को बढाना है और इसे वैश्विक स्तर पर फैलाना है, ताकि दुनिया के ज्यादा-से-ज्यादा इलाकों तक इसकी पहुंच कायम की जा सके और अधिकतम लोगों को इससे जोडा जा सके. इससे जहां एक ओर अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी, वहीं दूसरी ओर व्यापक पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा, जिसका फायदा निचले स्तर तक आम आदमी को मिलेगा.
एशिया के चार स्पॉट शामिल, भारत से एकमात्र बेंगलुरु
हालांकि, वर्ष 2015 की रिपोर्ट के मुकाबले इस बार कोई बडा बदलाव इस सूची में देखने को नहीं मिला है और अमेरिका की सिलिकॉन वैली अब भी इस लिहाज से पहले नंबर पर व न्यू यॉर्क दूसरे नंबर पर है. लेकिन, इस बार बीजिंग और शंघाई भी इसमें शामिल किये गये हैं, जो पिछले रिपोर्ट में आंकडों के अभाव में शामिल नहीं किये जा सके थे. इस सूची में एशिया के चार स्पॉट शामिल किये गये हैं. जबकि पिछली बार इसमें केवल सिंगापुर और बेंगलुरु को ही जगह मिल पायी थी. हालांकि, इन दोनों की रैंकिंग में पिछले वर्ष के मुकाबले गिरावट दर्ज की गयी है. सिंगापुर 10वें स्थान से खिसक कर 12वें पर आ गया है, जबकि बेंगलुरु 15वें से 20वें पर आ गया है.
चीन का कायम रहा दबदबा
हालांकि, बीजिंग बाजार तक अपनी पहुंच सही से नहीं बना पाया, जो यह निर्धारित करता है कि स्टार्टअप्स किस तरह से अपने इकोसिस्टम के दायरे से आगे बढते हुए अन्य बाजारों तक अपनी पहुंच आसानी से कामय कर सकते हैं. शायद इसका कारण चीन का एकला चलो या अकेले ही आगे बढने की उसकी मानसिकता से संबंधित हो सकता है. वैसे शंघाई का माहौल कुछ हद तक स्वाभाविक रूप से अंतरराष्ट्रीय किस्म का है, और शायद इसी कारण से वह बाजार तक पहुंच के मामले में सिंगापुर के समान ही रहा है. दूसरी ओर एकमात्र भारतीय स्पॉट बेंगलुरु भी अपने दायरे से आगे बढ कर डील करने में कामयाब नहीं रहा है.
बाजार तक आसान पहुंच, लागत और गुणवत्ता
टैलेंट के लिए इस रिपोर्ट में बाजार तक पहुंच, लागत और गुणवत्ता का अध्ययन किया गया. वर्ष 2015 की रिपोर्ट का एक दिलचस्प पहलू यह है कि इन क्षेत्रों में सिंगापुर ने सबसे ज्यादा अंक अर्जित किये थे, जो समूचे इकोसिस्टम में महज सिलिकॉन वैली से ही कम रहा था.
तो क्या इसका मतबल यह हुआ कि दुनिया का यह खास तरह के शहरनुमा देश में टैलेंट का अकाल खत्म हो गया है? शायद सरकार ने उच्च-कौशल पेशेवरों के लिए सब्सिडी में बढोतरी कर दी है और मल्टीनेशनल कंपनियों को तेजी से पनपने के लिए अनुकूलित माहौल मुहैया कराया है. कुछ हद तक शंघाई और बीजिंग के साथ भी यही तसवीर जुडी हुई है, लेकिन बेंगलुरु के मामले में इस लिहाज से कुछ चिंता की बात है.
टॉप 20 स्टार्टअप इकोसिस्टम
1. सिलिकॉन वैली
2. न्यू यॉर्क सिटी
3. लंदन (पिछले बार छठे नंबर पर)
4. बीजिंग (पहली बार सूची में शामिल)
5. बोस्टन (पिछली बार चाैथे नंबर पर)
6. तेल अबीब (पिछली बार पांचवे नंबर पर)
7. बर्लिन (पिछली बार नौवें नंबर पर)
8. शंघाई (पहली बार सूची में शामिल)
9. लॉस एंजिल्स (पिछली बार तीसरे नंबर पर)
10. सिएटल (पिछली बार आठवें नंबर पर)
11. पेरिस (पिछली बार भी इसी नंबर पर)
12. सिंगापुर (पिछली बार 10वें नंबर पर)
13. ऑस्टिन (पिछली बार 14वें नंबर पर)
14. स्टॉकहोम (पहली बार सूची में शामिल)
15. वैंकुवर (पिछली बार 18वें नंबर पर)
16. टोरंटो (पिछली बार 17वें नंबर पर)
17. सिडनी (पिछली बार 16वें नंबर पर)
18. शिकागो (पिछली बार सातवें नंबर पर)
19. एम्सटर्डम (रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं)
20. बेंगलुरु (पिछली बार 15वें नंबर पर)
10 स्टार्टअप्स को ही मंजूर की है टैक्स में छूट की सुविधा भारत सरकार ने जनवरी, 2016 में लाॅन्च किये गये कार्यक्रम स्टार्टअप इंडिया के तहत.
1,835 आवेदन हासिल हुए थे स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के संदर्भ में केंद्र सरकार को 9 मार्च तक.
713 आवेदनों को इस कार्यक्रम के तहत मानक पर पहचान की गयी.
146 स्टार्टअप के आवेदनों पर अंतिम रूप से विचार किया गया, जिनमें से करीब 10 को ही मंजूरी प्रदान की टैक्स में छूट के लिए इंटर-मिनिस्टेरियल बोर्ड फॉर अवेलिंग टैक्स बेनीफिट्स ने.
267 स्टार्टअप्स को बिजनेस प्लान, अन्य समर्थन व मेंटरिंग सपोर्ट के लिए चुना गया.
104 आवेदनों को पेटेंट फीस में 80 फीसदी छूट की सुविधा दी गयी.
स्टार्टअप क्लास
फलों के जूस की पैकेजिंग व मार्केटिंग का लोकल लेवल पर बेहतर कारोबार
– मौसम के मुताबिक फलों के जूस की पैकेजिंग और मार्केटिंग करना लोकल लेवल पर कितना फायदेमंद साबित हो सकता है? कृपया विस्तार से बताएं. – अखिलेंद्र कुमार, मधवापुर
देखिये जूस और फल पैकेज करके बेचना एक बड़ा व्यापार है, लेकिन इसमें कुछ बड़ी बाधाएं भी हैं. सबसे पहले जानते हैं इसके फायदों के बारे में :
(क) बाजार : जूस और पैकेज्ड फलों का बाजार बहुत बड़ा है और साथ ही सालभर चलनेवाला है. इसमें जरूरत अच्छे क्वालिटी के फल और बढ़िया पैकेजिंग की भी है. इसके लिए आपको मशीन और बॉटलिंग में निवेश करना पड़ेगा. साथ ही फल और सिरप के अच्छे स्रोत ढूंढने पड़ेंगे. सबसे बड़ी जरूरत उनकेभरोसेमंद होने की है.
(ख) स्टोरेज : चूंकि आप मौसमी फलों और जूस में काम कर रहे हैं, तो यह ध्यान रखें कि आप मुनाफा तभी कमा पायेंगे, जब आप इनके सही रखरखाव की व्यवस्था करेंगे. जैसे कि हो सकता है कि आपके आम पन्ने की मांग हर मौसम में हो. उसके लिए आपको कोल्ड स्टोरेज या फिर कोल्ड चैन में निवेश करना पड़ेगा. साथ ही यह भी देखना पड़ेगा कि आप बिना किसी केमिकल के फल और जूस को कितने दिन तक खराब होने से बचा सकते हैं.
(ग) वितरण : देखिये, बाकी चीजें अपनी जगह होती हैं, लेकिन आपका माल बाजार तक वितरक ही ले के जायेगा. इस व्यापार के वितरण में वैसे लोग ही होते हैं, जिनके पास कोल्ड स्टोर होता है. उसमें बिजली का खर्च भी बहुत ज्यादा होता है, इसलिए आपको उनको मुनाफे का बड़ा हिस्सा देना पड़ेगा.
(घ) मार्केटिंग : चूंकि इस व्यापार में काफी सारे लोग हैं, आप बिना मार्केटिंग के कुछ खास मुनाफा नहीं कमा पायेंगे. न ही कोई व्यापारी बिना अच्छी मार्केटिंग के आपका माल बेचेगा. इसके लिए आपको मार्केटिंग में निवेश करना पड़ेगा. अच्छी मार्केटिंग के दम पर ही पेपर बोट जैसी कंपनी दो वर्षों में 100 करोड़ का व्यापार कर पा रही है.
सावधानी का पैमाना
चूंकि आप खाद्य पदार्थ के व्यापार में है, लिहाजा इन चीजों का आपको ध्यान रखना होगा :
(क) सरकारी लाइसेंस : आपको माल बाजार में उतारने से पहले एफएसएसएआइ से लाइसेंस लेना होगा. ये थोड़ी लंबी प्रक्रिया है, क्योंकि इसमें आपके प्लांट के इंस्पेक्शन के अलावा पानी के स्रोत की गुणवत्ता की भी जांच होती है. इसमें दो से तीन महीने आराम से लगते हैं.
(ख) क्वालिटी टेस्ट : आपको हर महीने एक बार किसी सरकारी मान्यता प्राप्त क्वालिटी लैब से गुणवत्ता की जांच करवा कर सर्टिफिकेट लेना पड़ेगा. साथ ही आपको अपने प्लांट में भी क्वालिटी कंट्रोल लैब लगानी पड़ेगी.
स्मार्टफोन के सर्विस सेंटर या इसके पुर्जों का आयात करना दिला सकता है मुनाफा
– भारत में हर साल नये-नये ब्रांड के स्मार्टफोन लॉन्च हो रहे हैं. मैं इन कंपनियों का सप्लायर बनना चाहता हूं. यह कैसे मुमकिन हाे सकता है? – आलोक कुमार, शिवहर
वैसे तो भारत में हर वर्ष 10-12 नये ब्रांड के फोन आते हैं, लेकिन आपको पता होना चाहिए कि भारत में काफी कम कंपनियां फोन बनाती हैं. ज्यादातर कंपनियां फोन का आयात करती हैं और बेचती हैं. फोन बनानेवाली एक कंपनी है माइक्रोमैक्स. लेकिन, वह भी इसके पार्ट का आयात ही करती है. इसलिए मेरी यह सलाह होगी कि आप अगर मोबाइल फोन के व्यापार में कुछ करना चाहते हैं, तो या तो सर्विस सेंटर के बारे में सोचें या फिर खुद आयात करने के बारे में सोचें.
जानते हैं इन दोनों पहलुओं के बारे में :
(क) सर्विस सेंटर : आज हर ब्रांड को मोबाइल सर्विस और ठीक करने की जरूरत पड़ती है. बड़े शहरों में तो वे अपने खुद के सर्विस सेंटर खोल लेते हैं, लेकिन छोटे शहरों में इनको पार्टनर की जरूरत पड़ती है. आप उस मॉडल में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
(ख) आयात : आयात करके आप इन ब्रांड को नये-नये मॉडल बेच सकते हैं. इसमें फायदा यह है कि आप छोटे ब्रांड के एजेंट बन कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
अमेरिका में स्टार्टअप की परिभाषा
अमेरिकी स्मॉल बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक, एक ऐसा कारोबार जो किसी के स्वतंत्र स्वामित्व और संचालन में हो. साथ ही उसे मुनाफे के लिए संगठित किया गया हो और वह अपने क्षेत्र में वर्चस्व कायम नहीं रखता हो़ स्मॉल बिजनेस और स्टार्टअप के बिजनेस मॉडल के ‘ड्राइविंग फोर्स’ में अंतर है़ स्टार्टअप के संस्थापक का इरादा होता है कि वह अपने नये मॉडल के बूते बाजार के मौजूदा स्वरूप को पूरी तरह से बदल दे. दूसरी ओर स्मॉल बिजनेस के मालिक की यह चाहत होती है कि स्थानीय बाजार में उसकी भी एक सुरक्षित हिस्सेदारी तय हो जाये.
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