पढें, योगी आदित्यनाथ के यूपी का सीएम बनने पर क्या कहता है विदेशी मीडिया
विवादित बयानों से हमेशा सुर्खियों में रहनेवाले उग्र हिंदुत्ववादी छवि के नेता योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के निर्णय से जहां देश में बहस जारी है, वहीं विदेशी मीडिया ने भी इस मामले पर अपनी टिप्पणियां दी हैं. कुछ चुिनंदा रिपोर्टों और विश्लेषण के अंशों के साथ प्रस्तुत है आज का विशेष… […]
विवादित बयानों से हमेशा सुर्खियों में रहनेवाले उग्र हिंदुत्ववादी छवि के नेता योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के निर्णय से जहां देश में बहस जारी है, वहीं विदेशी मीडिया ने भी इस मामले पर अपनी टिप्पणियां दी हैं. कुछ चुिनंदा रिपोर्टों और विश्लेषण के अंशों के साथ प्रस्तुत है आज का विशेष…
भारत को हिंदुत्व की राह पर ले जाने का संकेत है योगी का चयन
पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से पिछले पांच बार से सांसद चुने जा रहे योगी आदित्यनाथ की जीत उदारतापूर्ण रही है. उन्होंने नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के एजेंडा को निभाने का वादा किया है.
भाजपा के प्रवक्ता नलिन कोहली कहते हैं, ‘वे सभी लोग जो इस फैसले के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चयन के समय भी यही मसला उठाया था. केंद्र सरकार के तीन वर्ष पूरे होनेवाले हैं और वह ‘सबका साथ, सबका विकास’ के अपने एजेंडा पर कायम है. गरीबों को सुविधाएं और सुशासन मुहैया कराने की दिशा में सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. आस्था, धर्म या पहचान के आधार पर नागरिकों के बीच किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा रहा है.’ कोहली ने इस बात को सिरे से नकार दिया कि आदित्यनाथ का चयन भारतीय लोकतंत्र के धर्मनिरपेक्ष आधार को कमजोर कर सकता है. उमा भारती का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू संन्यासी पहले भी मुख्यमंत्री रहे हैं. मालूम हो कि उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह मानना है कि आदित्यनाथ की छवि को पूरी तरह से बदलते हुए उसे नवसुधारवादी रूप दिया जायेगा. लव जिहाद या लव वार (मुसलिम युवकों द्वारा हिंदू युवतियों के साथ विवाह और उनका धर्म परिवर्तन कराने) के मामले में पूर्व में आदित्यनाथ मुसलिम युवकों पर जोर-जबरदस्ती करने के आरोपी रह चुके हैं. एक हिंदू को मुसलिम बनाये जाने की दशा में 100 मुसलिमों को हिंदू बनाये जाने के विवादित बयान को लेकर चुनाव आयोग उन्हें फटकार भी लगा चुका है.
वर्ष 2014 के चुनावों के दौरान चुनाव आयोग को दिये गये हलफनामे में उन्होंने जिक्र किया है कि हत्या की कोशिश, धमकी, धार्मिक शत्रुता को प्रोत्साहित करने, धार्मिक स्थल की शांति भंग करने, दंगा और कब्रिस्तानों के अतिक्रमण समेत अनेक मामलों में उन्हें आपराधिक मुकदनों का सामना करना पडा है.
हालांकि, भारत में इस तरह के मुकदमे राजनीति के गलियारे में सामान्य समझे जाते हैं. करीब एक माह तक चले उत्तर प्रदेश चुनाव अभियान के दौरान मोदी और उनके प्रमुख प्रचारक अमित शाह ने वाक्पटुता और तीखे शब्दों का भरपूर इस्तेमाल किया. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने एक भाषण में कहा कि गांवों में कब्रिस्तान हैं, तो श्मशान भी होने चाहिए.
– डगलस बसवाइन / रॉयटर्स
फायरब्रांड हिंदू धार्मिक नेता कोचुना गया मुख्यमंत्री
भारत की केंद्रीय सत्ता ने फायरब्रांड हिंदुत्व संन्यासी को देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य का मुखिया नियुक्त किया है. उस सरकार के लिए यह टर्निंग प्वॉइंट है, जिसने अब तक दक्षिणपंथी हिंदुत्व का खुल कर आलिंगन कर रखा है.
योगी आदित्यनाथ का चयन- जिन पर मुसलिम-विरोधी रुख अपनाये जाने के कारणों से अक्सर आरोप लगाया गया है- उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया गया है. ज्यादातर राजनीतिक ऑब्जर्वर इस चयन से स्तब्ध हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकासोन्मुख और वैश्विक नेता की छवि के गढे जाने के साथ उनके द्वारा लिये जानेवाले सार्वजनिक फैसलों के आदी हो चुके हैं.
आदित्यनाथ खुले तौर पर यह कह चुके हैं कि भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ घोषित कर देना चाहिए और विवादित स्थल पर राम मंदिर का पुनर्निर्माण होना चाहिए, जहां वर्ष 1990 में हुए हिंसक धार्मिक दंगों के बाद किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी गयी थी. संपादक और पॉलिटिकल टॉक शो के मेजबान रह चुके शेखर गुप्ता का कहना है, ‘यह नियुक्ति दर्शाती है कि प्रधानमंत्री मोदी साैम्य बहुसंख्यकवाद के नजरिये को अपना रहे हैं. इसका मतलब हुआ कि यह एक हिंदू राष्ट्र है, और यह फैक्ट है.’
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को उद्धृत करते हुए गुप्ता कहते हैं कि मोदी द्वारा की गयी यह नियुक्ति दर्शाती है कि नेहरूवियन सोशलिज्म को पूरी तरह से नकार दिया गया है, जिससे अल्पसंख्यकों को पूरी तरह से हाशिये पर धकेल दिया गया है. आदित्यनाथ, जो कि हमेशा ही हिंदू साधु की तरह केसरिया वस्त्र धारण किये रहते हैं, अपने समर्थकों से कहेंगे कि उन्हें मोदी के आर्थिक एजेंडा पर फोकस करना चाहिए.
– एलेन बेरी / न्यू यॉर्क टाइम्स
मुसलिम-विरोधी कट्टरता की जीत
पि छले सप्ताह दुनिया ने तब राहत की सांस ली थी, जब हॉलैंड में इसलाम के घोर विरोधी पॉपुलिस्ट नेता गीर्ट वाइल्डर्स सबसे बड़ी पार्टी के नेता नहीं बन सके थे. लेकिन इस चुनावी कट्टरता से मिली राहत ज्यादा देर तक टिक नहीं सकी. रविवार को उनसे कहीं अधिक कर्कश मुसलिम-विरोधी अतिवादी ने इस साल के सबसे बड़े चुनाव के बाद सत्ता संभाली है. 20 करोड़ से अधिक आबादी का राज्य उत्तर प्रदेश एक स्वतंत्र राष्ट्र नहीं है.
यह भारत का सबसे बड़ा और सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रांत है. अलग राष्ट्र के रूप में यूपी शेष भारत, अमेरिका और इंडोनेशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र होता. अचंभित कर देनेवाली जीत में सत्ताधारी भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के साथ 80 फीसदी सीटों पर जीत हासिल की है. यहां का चुनाव भारत में सबसे खास होता है. राष्ट्रीय संसद की 545 सीटों में 80 सदस्य इस राज्य से चुने जाते हैं. हर दल के सांसद यूपी के मतदाताओं के रुझान पर नजर बनाये रखते हैं. अगर केंद्र में सत्ताधारी पार्टी राज्य में अच्छा प्रदर्शन करती है, तो सांसदों को लगता है कि उन्हें नेतृत्व के अनुरूप रहना चाहिए. अगर विपक्षी पार्टियां बेहतर परिणाम लाती हैं, तो दिल्ली की सत्ता में अवरोध पैदा हो जाता है.
हिंदू धर्म की पवित्र गंगा नदी और मुगलकालीन मकबरे ताजमहल वाले प्रदेश में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस व्यक्ति- योगी आदित्यनाथ- को बतौर नेता चुना है, वह उनकी ही तरह हिंदू राष्ट्रवादी हैं. आदित्यनाथ एक हिंदू पुजारी हैं, जिन्होंने अपने मंदिर के शहर से पांच बार निर्वाचित होने के बावजूद लोकतांत्रिक मर्यादाओं के प्रति लगातार अपमानजनक तेवर दिखाया है. उन पर हत्या के प्रयास, आपराधिक रूप से धमकाने और दंगे कराने के आरोप हैं.
उनका कहना है कि मुसलिम युवकों ने हिंदू लड़कियों को फंसाने और उनका धर्मांतरण करने के लिए ‘लव जेहाद’ चलाया हुआ था. उन्होंने यह भी दावा किया था कि मदर टेरेसा भारत को इसाई बनाना चाहती थीं. वे भारत में ‘आतंकवादियों’ को आने से रोकने के लिए डोनाल्ड ट्रंप की तरह यात्राओं पर पाबंदी के पक्षधर हैं. एक प्रचार अभियान में आदित्यनाथ ने यह चेतावनी दी थी कि ‘यदि वे (मुसलिम) एक हिंदू को मारेंगे, तो हम सौ मुसलमानों को मारेंगे.’ इन बातों को सिर्फ बड़बोलापन कह कर खारिज नहीं किया जा सकता है. यह तर्क कि सत्ता में आने पर भाजपा अधिक तार्किक हो जायेगी, बेमानी है. इस बात के संकेत बहुत कम हैं कि भारत के संवैधानिक तंत्र भाजपा को उस स्थिति में अधिक दिनों तक सत्ता में रहने देंगे, जब उसके व्यापक आंदोलन के आयामों को नियंत्रण में रखा जायेगा. अब एक ताकतवर जगह रखनेवाले आदित्यनाथ यह संकेत दे रहे हैं कि भारतीय अल्पसंख्यकों का अस्तित्व बहुसंख्यकों की इच्छा पर ही निर्भर है. भारत के 14 करोड़ मुसलमानों में से कुछ ध्रुवीकरण को आगे बढ़ाने से रोकने के लिए इस बात पर बहस कर रहे हैं कि सार्वजनिक जीवन से अलग हो जाया जाये.
– संपादकीय का अंश, द गार्डियन, ब्रिटेन
मुसलिमों की हत्या की बात करनेवाले नेता को आगे बढ़ाया मोदी ने
गोरखपुर मंदिर धार्मिक समुदाय के संन्यासी या योगी आदित्यनाथ पहली बार जब पूर्वी उत्तर प्रदेश से लोकसभा के लिए चुने गये थे, तब उनकी उम्र महज 26 वर्ष थी. विवादित और प्रखर वक्ता के रूप में पहचाने जानेवाले योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान भारत से अन्य धर्मावलंबियों को खत्म करने की कवायद की थी. साथ ही उन्होंने मसजिदों के साथ हिंदू देवताओं को जोड़ा था. उन्होंने कहा था, ‘यह सदी हिंदुत्व की है, न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में.’
मदर टेरेसा पर आरोप लगाते हुए योगी ने कहा था कि भारत में वे इसाई धर्म को प्रचारित करने की साजिश के तहत काम कर रही थीं. शाहरुख खान को उन्होंने आतंकवादी कहा था. आदित्यनाथ ने किसी मुसलिम युवक द्वारा किसी हिंदू युवती से शादी करने पर 100 मुसलिम युवतियों को हिंदू धर्म में शामिल कराने का आह्वान किया था. उन्होंने कहा था, ‘किसी मुसलिम द्वारा एक हिंदू की हत्या करने पर उसके बदले 100 मुसलिमों की हत्या की जायेगी.’
सामुदायिक रूप से संवेदनशील इलाके में भड़काऊ भाषण देकर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव पैदा करने व नियमों की अवहेलना करने के आरोप में वर्ष 2007 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था और 11 दिनों तक उन्हें सलाखों के पीछे भेज दिया गया था. वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के वक्त दी गयी सूचना के मुताबिक, उन पर 18 आपराधिक मामले दर्ज थे, जिसमें कई गंभीर किस्म के भी शामिल थे.
हालिया विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान आदित्यनाथ के समर्थक अक्सर हिंदुत्व का नारा लगाते थे और यह मांग करते थे कि मुसलिमों को देश छोड़ देना चाहिए. मुसलिम बहुसंख्यक सात देशों के नागरिकों को अमेरिका की यात्रा पर पाबंदी लगाने के फैसले के संदर्भ में आदित्यनाथ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भी प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि भारत सरकार को भी ऐसे ही कदम उठाने की जरूरत है. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को 403 में से 325 सीटों पर हासिल हुई जीत में आदित्यनाथ का व्यापक योगदान है. 20 करोड से भी ज्यादा आबादी और तकरीबन ब्राजील के आकार के उत्तर प्रदेश का इतिहास हिंदू-मुसलिम दंगों के लिए जाना जाता है. वर्ष 2013 में हुए इन दंगों में दोनों ही समुदायों के 60 से ज्यादा लोग मारे गये थे और हजारों विस्थापित हुए थे.
विश्लेषकों का कहना है कि फिलहाल राज्य के मतदाताओं की निगाह प्रचार अभियान के दौरान योगी आदित्यनाथ द्वारा किये गये वादों की ओर टिकी है. इसमें गाय के बूचड़खानों पर पाबंदी लगाने और दशकों से विवाद में रहे स्थल पर मंदिर निर्माण जैसे मसले शामिल हैं.
– स्वाति गुप्ता और एनी गॉवेन / वॉशिंगटन पोस्ट
क्या भारत हिंदू राष्ट्र बनने कीओर बढ़ रहा है?
उत्तर प्रदेश में मोदी लहर ने वास्तव में जातिवाद और परिवारवाद की राजनीति को पराजित किया है तथा मुसलिम कारक को हाशिये पर धकेला है. लेकिन भारत में व्यापक विविधता है और पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों (जिनके साथ भी अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता है) की तुलना में मुसलमानों की संख्या बड़ी है. लेकिन उत्तर प्रदेश के मुसलमान कम-से-कम 130 सीटों पर असर रखने के बावजूद बुरी तरह से हारे हैं. भाजपा ने एक भी मुसलिम उम्मीदवार नहीं खड़ा किया था, जबकि बसपा ने 97 सीटों पर इस समुदाय के प्रत्याशी उतारे थे तथा सपा-कांग्रेस गंठबंधन ने 70 से अधिक उम्मीदवार दिये थे. मुसलिम उम्मीदवार सिर्फ 24 जगहों पर जीत सके हैं, जबकि 2012 के चुनाव में 69 जीते थे.
योगी को सत्ता मिलने से पूरे भारत में अचंभा हुआ है और हिंदुत्व के पक्षधर भी शर्मिंदा हैं. योगी के पास हिंदू युवा वाहिनी नामक एक अपना अतिवादी संगठन भी है. पूर्वी उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक संघर्ष और गंभीर हो सकता है, जिसकी वजह से मुसलमान दूसरी दिशा में जाने के लिए विवश होंगे और मदरसों की संख्या बढ़ेगी. उग्र हिंदुत्व के प्रतिनिधि योगी से अपेक्षा है कि वे अधिक खतरनाक राह चुनेंगे और नरम हिंदुत्व को नियंत्रित रखेंगे. इससे मोदी द्वारा संचालित ‘सांप्रदायिक विकास’ का एजेंडा प्रभावित हो सकता है. हिंदू राष्ट्र और ‘सबका विकास’ के एजेंडे एक साथ नहीं चल सकते हैं तथा इस माहौल में धर्मनिरपेक्ष ताकतों के लिए गणतंत्र को पटरी पर रखने के लिए योगीमय नये भारत को रोकने के लिए बहुत जगह है.
ऐसा मालूम पड़ता है कि सभी हिंदू कट्टरपंथियों का मातृ-संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आखिरकार जीत गया है. हिंदुत्व का यह उभार हिंसक अतिवाद के खिलाफ पाकिस्तान के संघर्ष के लिए शायद अच्छा संकेत नहीं है, क्योंकि हिंदू अतिवाद इसे बढ़ावा दे सकता है.
-इम्तियाज आलम, द न्यूज, पाकिस्तान